Essay on Noise Pollution in Hindi: नमस्कार दोस्तों! आज हम आप सभी लोगों को अपने इस महत्वपूर्ण निबंध के माध्यम से बताने वाले हैं, ध्वनि प्रदूषण के बारे में। वर्तमान समय में ध्वनि प्रदूषण काफी तेजी से फैल रहा है। ध्वनि प्रदूषण फैलने के कारण मानवीय स्रोत तो है ही इसके साथ साथ ध्वनि प्रदूषण के कुछ प्राकृतिक स्रोत भी हैं, जिनका उल्लेख हम आज इस लेख में करेंगे।
ध्वनि प्रदूषण पर निबंध सभी छात्र छात्राओं के लिए परीक्षा के दृष्टिकोण से बहुत ही आवश्यक है, तो चलिए शुरू करते हैं, अपना यह निबंध।
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ध्वनि प्रदूषण पर निबंध | Essay on Noise Pollution in Hindi
ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (250 शब्दों में)
ध्वनि एक ऐसा माध्यम है, जिसके कारण हम सभी लोग एक दूसरे से बातचीत किया करते हैं। इस पृथ्वी पर अनेकों ऐसे जीव जाती मौजूद है, जोकि अनेकों प्रकार की ध्वनियों में अपने समूह के लोगों के साथ बातें करती हैं। इस पृथ्वी पर बहते हुए जल तो लोगों को अपनी और बड़ी तेजी से आकर्षित कर देते हैं। बादलों के गरजने और तूफान की तेज हवाओं से लोगों के दिल दहल जाते हैं। ज्वालामुखी का फूटना और समुद्री लहरों का सामने वाले तट से टकराने पर उत्पन्न आवाज भी ध्वनि है।
ध्वनि प्रकृति की एक ऐसी अद्भुत क्रियाकलाप है, जिसके कारण माना अपने अभिव्यक्ति के सभी साधनों को प्राप्त करता है। दूरसंचार और विचारों के आदान-प्रदान को ध्वनि बहुत ही आसान बना देती है, परंतु ध्वनि का उपयोग अवांछनीय और अप्रियता के साथ किया जाए, तो यह हमारे कानों पर विशेष प्रभाव डालते हैं। प्रिय ध्वनि में प्रियता और तीव्रता का मिलना ही, ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण के कारण ना केवल मानव को बल्कि पृथ्वी पर रह रहे सभी जीव जातियों को बहुत ही गहरा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
यदि हम दूसरे शब्दों में कहें, तो ध्वनि जब तीव्रता या शोर का रूप ले लेती है, तो इसे एक प्रदूषण की श्रेणी में रखा जाता है, जिसे ध्वनि प्रदूषण कहते हैं। ध्वनि प्रदूषण का मानव मस्तिष्क में एवं कानों की इंद्रियों पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। आधुनिक यंत्रों के उपयोग वाले इस युग में लगातार कल कारखाने, उद्योग धंधे, मोटर गाड़ी, रेल रेलगाड़ियां इत्यादि के क्षेत्रों में विकास होता ही जा रहा है, जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण फैल रहा है।
ध्वनि प्रदूषण पर निबंध (800 शब्दों में)
प्रस्तावना
ध्वनि के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति अपने विचारों को एक दूसरे के समक्ष प्रस्तुत करते हैं। ध्वनि प्रदूषण वर्तमान समय में आधुनिक यंत्रों के कारण हो रहा है, क्योंकि यांत्रिक मशीनों के कारण काफी तेजेश्वर में धनी ध्वनि उत्पन्न होती है, जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ता जा रहा है। वर्तमान समय में तो संगीत, धार्मिक एवं सामाजिक समारोह, जनसभा, जुलूस इत्यादि के उपलक्ष में भी लोग बड़े बड़े स्पीकर ओं की मदद से प्रचार प्रसार करते हैं, जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण और भी ज्यादा हानिकारक हो जाता है।
वर्तमान समय में ध्वनि प्रदूषण सबसे ज्यादा शहरी क्षेत्रों में है, क्योंकि शहरों में कल कारखाने और मोटर गाड़ियों का आवागमन काफी ज्यादा है। शहरी क्षेत्रों ध्वनि प्रदूषण के कारण वहां पर लोग मेंटली डिस्टर्ब या फिर कानों से संबंधित किसी न किसी रोग से अवश्य ग्रसित होते हैं।
ध्वनि को लेकर मैक्सवेल का कथन
शोर एक ऐसी ध्वनि है, जोकि अवांछनीय होती है। मैक्सवेल ने चोर को वायुमंडलीय प्रदूषण का एक मुख्य कारण बताया है। मैक्सवेल के कथन अनुसार शोर और बड़े बड़े स्पीकर के कारण ही पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण हो रहा है।
ध्वनि प्रदूषण का क्या अर्थ है?
ध्वनि प्रदूषण संपूर्ण विश्व भर की एक बहुत ही गंभीर समस्या बन चुकी है। ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य को अनेकों प्रकार के मानसिक विकार हो जाते हैं, जिनमें से मुख्य है सर दर्द और चिड़चिड़ापन। ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य को मानसिक विकार के साथ-साथ कान की इंद्रियों पर पूर्ण नियंत्रण नहीं रहता। ध्वनि प्रदूषण फैलाने का मुख्य स्रोत बड़े बड़े कारखाने, उद्योग, हवाई जहाज, रेलगाड़ि, लाउडस्पीकर, हॉर्न इत्यादि हैं।
ध्वनि प्रदूषण के मुख्य स्रोत
ध्वनि प्रदूषण के फैलने के दो मुख्य स्रोत हैं, मानवीय स्रोत तथा प्राकृतिक स्रोत।
- मानवीय स्रोत: जैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है, वैसे-वैसे मनुष्य के संसाधनों में भी वृद्धि हो रही है, अतः मनुष्य के संसाधनों में वृद्धि होने के कारण लगातार मोटर गाड़ी और कल कारखाना में अनेकों प्रकार की मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे कि बड़ी ही तेज स्वर उत्पन्न होता है, जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण हो सकता है। बहुत से ऐसे उपकरण है, जो कि मानवीय क्रियाओं के कारण ध्वनि उत्पन्न उत्पन्न करते हैं, माननीय संसाधनों के कारण जो तीव्र स्वर उत्पन्न होता है, उससे ही ध्वनि प्रदूषण होता है।
- प्राकृतिक स्रोत: पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण न केवल मानवीय स्रोतों के कारण होता है बल्कि बहुत से ऐसे प्राकृतिक स्रोत भी हैं, जिनके कारण पर्यावरण में ध्वनि प्रदूषण होता है। प्राकृतिक स्रोतों से ध्वनि प्रदूषण का मुख्य कारण बादलों का गर्जना, बिजली का चमकना, तेज हवाओं का चलना, ज्वालामुखी का विस्फोट होना, तीव्र समुद्री लहरों का तटो से टकराना, जलप्रपात से जल का गिरना इत्यादि हैं। ध्वनि प्रदूषण का प्राकृतिक प्रभाव कभी-कभी इतना अधिक हो जाता है, कि पर्यावरण को कुछ समय के लिए बहुत ही भारी नुकसान होता है। प्राकृतिक प्रभाव क्षणिक होने के कारण इसका पर्यावरणीय जीवन पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता।
ध्वनि प्रदूषण के दुष्परिणाम
- ध्वनि प्रदूषण के कारण मनुष्य का स्वभाव काफी चिड़चिड़ा हो जाता है और उसके साथ-साथ उस मनुष्य के सर में दर्द बना रहता है।
- ध्वनि प्रदूषण के कारण शहरी क्षेत्र के लोगों को अनेकों प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें सर दर्द और बहरेपन की शिकायत सबसे अधिक है।
- यदि कोई व्यक्ति अपने रोजमर्रा के जीवन में हमेशा तेज आवाज के संपर्क में रहता है, तो उस व्यक्ति के सुनने किस शक्ति क्षीण हो जाती हैं और अनेक लोग तो ऐसे हैं, जो कि बहरेपन का भी शिकार हो जाते हैं।
- प्राकृतिक तेज आवाज के कारण वन्य जीवन पर काफी बुरा असर पड़ता है।
- प्रदूषण के कारण वन्यजीवों का जीवन संकट में पड़ सकता है।
- सैनिकों के द्वारा समुद्रों में किए जाने वाले अभ्यास के कारण तेज आवाज उत्पन्न होती है, जिसके कारण ब्लू व्हेल भी विलुप्त ई के कगार पर पहुंच चुकी है।
ध्वनि प्रदूषण को से बचने के उपाय
- ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए हमें लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं करना चाहिए।
- बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो वाहन चलाते समय बिना किसी कारण के हॉर्न बजाते हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।
- हमें ट्रैफिक नियमों का पालन करना चाहिए।
- हमें सदैव कम आवाज वाली मशीनों का ही उपयोग करना चाहिए, जिससे कि हम ध्वनि प्रदूषण से बच सकें।
- सदैव उद्योग धंधों को घनी आबादी वाले क्षेत्रों से दूर स्थापित करना चाहिए, जिससे कि उससे निकलने वाले तेज ध्वनि के कारण आसपास के इलाकों पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
निष्कर्ष
ध्वनि प्रदूषण के कारण आने वाले समय में शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों के लोगो की सुनने की क्षमता भी क्षीण हो सकती है। हमें पर्यावरण से ध्वनि प्रदूषण को दूर करना चाहिए, जिसके लिए हमें ऊपर बताए गए प्रयासों का पालन करना चाहिए।
अंतिम शब्द
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