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प्रकति संरक्षण पर निबंध

Essay on Nature Conservation in Hindi: यहां पर हम प्रकति संरक्षण पर निबंध शेयर कर रहे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार होगा।

Essay on Nature Conservation in Hindi
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प्रकृति संरक्षण पर निबंध | Essay on Nature Conservation in Hindi

प्रकृति संरक्षण पर निबंध (250 शब्दों में)

प्रकृति को एक कलाकार के रूप में देखा जाए तो उसे संदेशों का कोश भंडार कहना अनुचित ना होगा। भगवान ने इस संसार को प्रकृति के रूप में एक अनमोल भेंट प्रदान की है। जैसे मंद मंद मुस्कुराते फूल, कल-कल बहता निर्मल जल, सूर्य का प्रकाश, भूमि, खनिज, पौधे साथ में जानवर भी शामिल हैं।

प्रकृति वह है जो हर उदास जीवन का एकमात्र प्राकृतिक उपचार करने में सक्षम तथा मन मस्तिष्क को नई स्फूर्ति से भर देने का साधन है यही है प्रकृति संरक्षण।

बड़े-बड़े कवि जैसे विलियम वर्ड्सवर्थ, सुमित्रानंदन पंत ने प्रकृति संरक्षण को अपनी सहचरी बनाकर उस से प्रोत्साहित होकर अनेकों रचनाएं लिख डाली हैं। हरे भरे पेड़ पौधे जो प्रकृति का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है, जिनको हम हरा सोना भी कहते हैं, जिनसे हमें जीवन प्राप्त होता है, जो हमें शुद्ध और शीतल हवा प्रदान करते हैं, जो हमें मीठे फल प्रदान करते हैं, सूर्य जो प्राचीन काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता है स्वयं जलकर संसार को प्रकाशित करता है। निरंतर गतिशील रहते हुए भी बिना रुके बिना थके वह हमें क्रियाशील बने रहने की प्रेरणा देता है ।

प्रकृति संरक्षण की दी हुई देन देश में आने वाली छः ऋतुएँ एक के बाद एक आकर चली जाती हैं। कभी ठंडी रात को तो कभी ग्रीष्म ऋतु की लू के थपेड़े, कभी बसंत ऋतु के नए कोमल फूल की बहार तो कभी पतझड़ में पत्तों का गिरना, हमें प्रकृति संरक्षण की परिवर्तन शीलता का आभास कराते हैं और हर परिस्थिति में एक समान रहने की शिक्षा भी देते हैं।

प्रकृति संरक्षण पर निबंध (800 शब्दों में)

प्रस्तावना

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हमेशा 28 जुलाई को बनाया जाता है। जल, जंगल, जमीन के बिना हमारी प्रकृति अधूरी है। लेकिन आज के समय में पेड़-पौधे वनस्पतियां बहुत से जीव-जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं। 28 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का मुख्य उद्देश्य विलुप्त हो रहे जीव-जंतु, वनस्पतियां को बचाना है।

जल, जंगल और जमीन के बिना हमारी प्रकृति अधूरी है। विश्व में सबसे अच्छे देश वही हैं, जहां पर यह तीनों चीजें विशाल मात्रा में पाई जाती हैं। हमारा भारत देश वन्यजीवों जंगलों के लिए बहुत ही विख्यात है। हमारे देश में बहुत से वन्यजीवों की विचित्र प्रजातियां पाई जाती हैं। तेजी से बढ़ रही आबादी वनस्पति और वन्य जीवो पर बहुत बुरा प्रभाव डाल रही है, जिससे यह सब विलुप्त होता जा रहा है।

प्रकृति संरक्षण के तरीके

प्रकृति संरक्षण पर्यावरण पर्यावरण शब्द परि+आवरण मिलकर बना हुआ है, जिसने परि का आशय है चारों और आवरण का आशय है परिवेश प्रकृति संरक्षण। वनस्पतियों, जीव-जंतु प्राणियों और मानव जाति सहित सभी सजीवों और उनके साथ संबंधित भौतिक परिसर को पर्यावरण संरक्षण अर्थात प्रकृति संरक्षण कहते हैं। वास्तव में प्रकृति संरक्षण, जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, मानव, जीव-जंतु उनकी गतिविधियों के समावेश का ही संरक्षण होता है।

प्रकृति संरक्षण का महत्व

प्रकृति संरक्षण का संबंध प्राणियों के जीवन और धरती के सभी प्राकृतिक परिवेश से है। प्रदूषण के कारण सारी पृथ्वी बहुत ज्यादा दूषित होती जा रही है, जिससे हमारी प्रकृति पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है, जिससे मानव सभ्यता का अंत बहुत ही निकट आ रहा है।

इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए ब्राजील ने सन 1992 में 174 देशों के पृथ्वी सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें प्रकृति संरक्षण को ध्यान में रखते हुए बहुत सारे उपाय सुझाए गए। प्रकृति संरक्षण के साथ ही धरती में जीवन संभव है।

प्रकृति संरक्षण के उपाय

अगर हमें प्रकृति संरक्षण को बचाना है तो हमें बहुत सारे उपाय करने पड़ेंगे। जैसे वातावरण को प्रदूषित होने से बचाना होगा, पेड़-पौधों को कटने से रोकना होगा, बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों पर रोक लगानी होगी, जिससे हमारा जल शुद्ध बना रहे। क्योंकि जल ही हमारा जीवन है। नदियां, पहाड़ों का सीना चिपकी हुई अपना मार्ग स्वयं बनाती हैं, जो हमें निरंतर विघ्न बाधाओं को पार करने की गतिशीलता प्रदान करने का संदेश देती है।

प्रकृति संरक्षण की समस्या

मनुष्य लगाकर बहुत से नए प्रयोग करता जा रहा है। बहुत से अविष्कार करता जा रहा है, जिससे मनुष्य हर क्षेत्र में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है, जिस कारण प्रकृति संरक्षण पर बहुत ही बुरा असर पड़ रहा है, जिससे धरती पर पेड़ पौधे वनस्पतियां जीव जंतु समाप्ति की ओर बढ़ते जा रहे हैं। जो आगे आने वाले समय में हमारे लिए बहुत ही विकट समस्या बनकर खड़ी हो सकती है।

प्रकृति का हर स्वरूप हमारे लिए संदेशवाहक है। क्योंकि हम लोगों परोपकार करना सिखाती हैं क्योंकि वृक्ष अपने फल स्वयं कभी नहीं खाते हैं। नदियां कभी भी जल अपने लिए एकत्र नहीं करती हैं। दिन के बाद रात और रात के बहने के बाद भी हमें संदेश देती है कि हमें जीवन में कभी भी निराश नहीं होना चाहिए। क्योंकि दुख के बाद सुख अवश्य आता है, यह प्रकृति परिवर्तनशील है।

निष्कर्ष

प्रकृति संरक्षण को सुरक्षित रखने के लिए हमको नशीली गैसों जैसे कार्बन जैसी गैसों को उत्पन्न करने से रोकना होगा, उपयोग किए गए पानी का चकरी करण करना होगा, जमीन से पानी स्तर को बढ़ाने के लिए हमें वर्षा के पानी को एकत्र करना होगा, प्लास्टिक के लिफाफो का इस्तेमाल करना बंद करना होगा, कागज के लिफाफा का इस्तेमाल करना होगा, कपड़े के लिफाफे का इस्तेमाल करना होगा, बिजली का कम इस्तेमाल करना डिब्बाबंद जैसी चीजों का इस्तेमाल करना होगा, पहाड़ों को खत्म होने से रोकना होगा, जिससे हमारी प्रकृति का संरक्षण सही ढंग से चलता रहे।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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