Essay on Mangal Pandey in Hindi : हम यहां पर मंगल पांडे पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में मंगल पांडे के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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मंगल पांडे पर निबंध | Essay on Mangal Pandey in Hindi
मंगल पांडे पर निबंध (250 शब्द)
दोस्तों भारत के इतिहास में मंगल पांडे जी का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है। मंगल पांडे जी के द्वारा लगाए गए विरोध की चिंगारी देखते ही देखते अंग्रेजों की जड़े भारत में कमजोर हो गई थी। यह भारत का पहला ऐसा स्वतंत्रता संग्राम में था, जिन्होंने ब्रिटिश कानून का खुलकर विरोध किया था।
भारत में स्वतंत्रता संग्राम का जनक मंगल पांडे को कहा जाता है। लेकिन भारत का स्वतंत्रता संग्राम पूरी तरह से सफल नहीं हो सका था। फिर भी लोगों के मन में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह की भावना भड़क उठी थी। स्वतंत्रता संग्राम में मंगल पांडे जी की महत्वपूर्ण भूमिका होने के कारण भारत सरकार ने इनके नाम पर एक डाक टिकट 1984 मे जारी किया था।
मंगल पांडे ब्रिटिश सेना में एक सिपाही के तौर पर भर्ती किए गए थे। उस समय ब्रिटिश अपनी सेना के लिए नई नई रायफल बना रहे थे। इस रायफल के कारण लोगों के पास एक अफवाह फैल गई थी की बंदूक के कारतूस को चिकना करने के लिए यह लोग गाय और सूअर की चर्बी को प्रयोग करते है। आपको पता ही होगा की हिन्दू और मुस्लिम धर्म भ्रष्ट हो रहे थे। मगल पांडेय जी को यह बात पता ना थी। उन्होंने अपने सीनियर अधिकारी से इस बात पर चर्चा की लेकिन उन्होंने इसका कोई भी जवाब नहीं दिया।
कुछ दिनों बाद मंगल पाण्डेय कारतूस की फैक्टरी में जांच करने के लिए चले गए। वहा जाकर पता चला कि यह बात सत्य है, की कारतूस को बनाने में गाय और सूअर की चर्बी का प्रयोग हुआ है।
मंगल पांडे पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना
भारत को स्वतंत्रता दिलाने में सबसे ज्यादा योगदान मंगल पांडे जी कहां है क्योंकि इन्होंने ही स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत की थी। इनके द्वारा लगाए गए चिंगारी से ही ब्रिटिश शासन की जड़ें भारत में समाप्त होनी शुरू हो चुकी थी। भारत सरकार ने इनके सम्मान मे एक डाक टिकट को भी जारी किया था।
मंगल पांडे जी का जन्म स्थान
स्वतंत्रता संग्राम की मशाल जलाने वाले मंगल पांडे जी का जन्म बलिया जिले (यूपी) के नगवा गांव में 19 जुलाई 1827 में हुआ था। लेकिन कुछ इतिहास का इनका जन्म फैजाबाद अयोध्या में मानते हैं। इनके पिता जी का नाम दिवाकर पांडे था।
पांडे जी का जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी और उस समय ब्रिटिश सेना में सिर्फ ब्राह्मण और मुसलमान वर्ग के लोगों को ही सेना में नौकरी दी जाती थी।
मंगल पांडे का ब्रिटिश सेना में शामिल होना
मंगल पांडे अपनी 22 उम्र की अवस्था(1849) में ही ब्रिटिश सेना में शामिल हो गए थे और कोलकाता के बैरकपुर छावनी में अपनी ड्यूटी करने लगे थे कुछ समय बाद 34 ब्रिगेडियर बटालियन के एक सैनिक के रूप में उन्हें शामिल कर लिया गया था।
उसी समय ब्रिटिश सेना ने भारत सैनिकों के लिए एक नई राइफल का निर्माण किया था, जिसमें बंदूक से गोली चलाने के लिए पहले कारतूस को मुंह से खोलना पड़ता था। उसी समय एक ऐसी अफवाह फैला दी गई थी कि बंदूक में प्रयुक्त होने वाला कारतूस गाय और सुअर की चर्बी से मिलकर बनता है। यह कारतूस हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लिए नापाक था। मंगल पांडे ने अपने साथी सैनिकों की बात पर भरोसा नहीं किया था।
मंगल पांडे का विद्रोह शुरू करना
एक दिन जब वह स्नान आदि करके रास्ते से गुजर रहे थे, तो उन्हें प्यास लगी। उन्होंने हलवाई की दुकान पर जाकर पानी पीना चाहा, तो इससे पहले ही एक छोटी जाति वाले ने पानी के मटके को छू लिया था। ऐसे में जब मंगल पांडे ने उस छोटी जाति वाले को मना किया तो उसने कहा कि जब आप बंदूक चलाते हैं तो वह भी तो गाय और सुअर की चर्बी से मिलकर बनी होती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मंगल पांडे ने तुरंत ही छावनी पहुंच गए थे और उस जगह पर पहुंचे, जहां पर कारतूस तैयार किए जाते थे उन्होंने वहां पर देखा कि सूअर और गाय की चर्बी रखी हुई थी। जिससे कुछ सैनिक कारतूस बनाने के लिए इसका प्रयोग कर रहे थे।
उस दृश्य को देखकर मंगल पांडे अचंभित रह गए थे। उन्होंने तुरंत अपने सीनियर से इस बारे में चर्चा की तो उनके सीनियर ने कहा कि हम आपके इस मामले में कुछ सहायता नहीं कर सकते। अब मंगल पांडे ने ब्रिटिश कंपनी के खिलाफ विद्रोह की आग भड़काना शुरू कर दिया था।
1857 की क्रांति मे मंगल पांडे का योगदान
सन 1857 मे यह क्रांति पूरे उत्तर भारत में आग की तरह फ़ैल चुकी थी। 9 फरवरी 1857 मे नया कारतूस जब पैदल सेना में बांटा गया तो मंगल पांडे ने उस कारतूस को लेने से मना कर दिया था। ऐसा करने पर मंगल पांडे की बंदूक और उनकी वर्दी को उतारने का हुक्म दे दिया गया। मंगल पांडे ने ब्रिटिश सरकार का यह आदेश भी मानने से मना कर दिया।
सन् 1857 मे 29 मार्च को वर्दी छीनने के लिए अंग्रेज़ अफसर लेफ्टिनेंट बाग ने जैसे ही अपने हाथ बढ़ाए तो इन्होंने उन पर हमला कर दिया। ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए यह कारतूस घातक साबित हुआ। 29 मार्च को ही मंगल पांडेय ने छावनी से विद्रोह का बिगुल बजा दिया था।
मंगल पांडे ने अपने अन्य साथियों के साथ इसमें खोलें समर्थन करने के लिए आग्रह किया लेकिन उन्होंने इसके खिलाफ समर्थन देने के लिए मना कर दिया था। ईस्ट इंडिया कंपनी के जर्नल जान हेएरसेये ने जमींदार ईश्वर प्रसाद को मंगल पांडे को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया था। लेकिन जमीदार ने मना कर दिया।
सारे रेजिमेंट ने मंगल पांडे को गिरफ्तार करने से मना कर दिया था लेकिन एक सिपाही शेख पलटू ने मंगल पांडेय को गिरफ्तार करने के लिए तैयार हो गया। कुछ समय के अंग्रेज सिपाहियों ने मंगल पांडे को गिरफ्तार कर लिया।
मंगल पांडे की मृत्यु
पांडे जी को 6 अप्रैल 1857 में फांसी की सजा सुनाई गई। कोर्ट के अनुसार मंगल पाण्डेय को 18 अप्रैल को फांसी दी जानी थी। फांसी के फैसले से जनता में आक्रोश व्याप्त हो गया था इसी को ध्यान में रखते हुए ब्रिटिश सरकार ने मंगल पांडे को 18 अप्रैल को फांसी ना देते हुए 10 दिन पहले यानी की 8 अप्रैल को ही फांसी पर लटका दिया था।
मंगल पांडे जी की इस आदत की घटना पूरे भारत में फैल चुकी थी। जगह-जगह पर अंग्रेज सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो चुके थे। जल्द ही अंग्रेज सरकार ने इस विद्रोह का दमन कर दिया था, लेकिन यह द्वारा अब भड़क चुकी थी।
एक महीने के बाद ही 10 मई सन 1857 मे एक बार फिर उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक बार फिर बगावत शुरू हो गई। अब अंग्रेज़ सरकार को भी पता चला गया था की भारत में अब ज्यादा दिनों तक शासन नहीं कर सकते है। इसके तुरंत बाढ ही भारत में 34735 नए कानून भारत में लागू के दिए गए थे।
नए कानून बनाने का सिर्फ एक ही उद्देश्य था की कोई दूसरा सैनिक मंगल पांडेय जैसी बगावत ना कर सके। लेकिन मंगल पाण्डेय ने भारत में को क्रांति की बीज बोए थे। उससे अंग्रेज़ सरकार को 100 वर्ष के भीतर ही हिन्दुस्तान से ही उखाड़ कर फेंक दिया था।
अब लोगों के मन में भी स्वतंत्रता की एक मिसाल चलने लगी थी अब भारत में प्रत्येक जगह पर अंग्रेज सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना शुरू हो चुके थे।
निष्कर्ष
भारत को स्वतंत्र कराने के लिए कई वीरों ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। ऐसे ही एक वीर योद्धा थे, जिनका नाम मंगल पांडे है। आज भी लोग इनके नाम को बड़े ही आदर से लेते हैं। स्वतंत्रता संग्राम के जाने-माने सेनानी मंगल पांडे, जिन्होंने भारत देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाई थी।
अंतिम शब्द
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Nice ? Essay….