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कल्पना चावला पर निबंध

Essay on Kalpana Chawla in Hindi : कल्पना चावला के नाम से तो हर कोई परिचित ही होगा क्योंकि यह भारत की पहली महिला थी, जो कि अंतरिक्ष में गई थी। इन्होंने महिलाओं के लिए अनूठी मिसाल कायम की। हम यहां पर कल्पना चावला पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में कल्पना चावला के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

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कल्पना चावला पर निबंध | Essay on Kalpana Chawla in Hindi

कल्पना चावला पर निबंध (250 शब्द)

वह भारत की पहली महिला थी, जो अंतरिक्ष पर गई थी। यह सपना कई भारतीयों ने देखा था, लेकिन कल्पना चावला ने इसे अपनी मेहनत से पूरा किया।

बचपन से ही उनका सपना रहा था कि वह विमान में बैठकर अंतरिक्ष पर जाएं और उन्होंने अपना यह सपना साकार किया। इसीलिए उन्होंने अपने करियर के रूप में वैमानिकी इंजीनियरिंग को चुना।

हरियाणा के करनाल में जन्मी कल्पना चावला, ने अपनी शुरुआती पढ़ाई एक स्थानीय स्कूल से शुरू की थी। उन्होंने वहीं से ही खूब मेहनत करनी शुरू कर दी थी। जिसके पश्चात उन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए कॉलेज में वैमानिकी इंजीनियरिंग शुरू कर दी थी। इसके पश्चात वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए विदेश चली गई। फिर विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त की और फिर नासा में अपना करियर शुरू किया।

इसके बाद 1994 में वह अंतरिक्ष यात्री बन गई और 1 साल बाद उन्हें नासा द्वारा अंतरिक्ष क्षेत्र के सदस्य के रूप में चुना गया। 2003 में अपने सपनों के अंतरिक्ष मिशन के लिए अंतरिक्ष में गई। उसमें उनके साथ 6 सदस्यों का दल सम्मिलित था।

उन्होंने अंतरिक्ष में लगभग 6.5 मिलियन मील की यात्रा की और 375 घंटे तक जीवित रही। जबकि अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था। तब यह विघटित हो गया और कल्पना चावला सहित सभी सदस्यों की जान चली गई।

कल्पना चावला की मृत्यु से सभी भारतीयों को बहुत ही दुख हुआ। हालांकि उन्होंने लोगों के दिमाग में अपने महान पदचिन्ह छोड़ दिए कि आने वाली पीढ़ी हमेशा उनके समर्पण और कड़ी मेहनत से प्रेरित होकर अपने जीवन में सफल होती रहे।

कल्पना चावला पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी। वैसे तो कल्पना चावला मूल रूप से भारतीय थी लेकिन उनका नाम देश और विदेश में प्रसिद्ध हुआ और साथ ही साथ उन्होंने भारत का नाम भी रोशन किया था।

उन्होंने एक ऐसा उदाहरण पेश किया था, जिससे तमाम छात्र छात्राओं को प्रेरणा मिलती हैं। जिसमें उन्होंने कभी पीछे ना हटने की बात की थी। कल्पना चावला ने हमेशा अपने देश का गौरव बढ़ाया और लोगों को गौरवान्वित महसूस करवाया।

कल्पना चावला का जन्म

उनका का जन्म 17 मार्च 1965 को करनाल हरियाणा में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम सज्योति देवी था। वह कुल मिलाकर चार भाई बहन थे, जिसमें से वह सबसे छोटी थी और सभी लोग उनसे बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे। बचपन से ही कल्पना चावला को पढ़ाई करके अंतरिक्ष में जाने की इच्छा थी, और उनके माता-पिता ने इसमें उनका संपूर्ण सहयोग किया।

कल्पना चावला की शिक्षा

कल्पना चावला ने अपनी शुरुआती शिक्षा करनाल के ही टैगोर पब्लिक स्कूल से पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से वैमानिक अभियांत्रिकी में शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1982 में टैक्सास विश्वविद्यालय में अपनी शिक्षा संपूर्ण की।

सन 1988 में उन्होंने कोलोराडो विश्वविद्यालय बॉर्डर से विमान की अभियांत्रिकी में उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने धीरे-धीरे नासा में काम करना शुरू किया, और फिर अंतरिक्ष यात्री के रूप में खुद को स्थापित किया।

कल्पना चावला की उड़ान के बारे में

जब कल्पना चावला ने अपनी शिक्षा प्राप्त कर ली उसके बाद उन्होंने अपनी उड़ान जारी रखी और देश का नाम रोशन करते हुए आगे बढ़ती चली गई। वह मार्च 1995 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कौर में शामिल होकर अपने पहली उड़ान के लिए चुनी गई थी।

उनका पहला अंतरिक्ष मिशन 19 नवंबर 1997 को अंतरिक्ष यात्रियों के दल के साथ शुरू हुआ और इस दिन उन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भर दी थी। कल्पना चावला देश की पहली अंतरिक्ष महिला यात्री थी, जिनका नाम सुनकर ही देशवासियों को गर्व होने लगता हैं। कल्पना चावला ने सबसे पहले मिशन में 1.04 करोड़ किलोमीटर का सफर तय करके 356 घंटों में पृथ्वी की 252 परिक्रमा पूरी कर ली थी।

कल्पना चावला को मिलने वाले सम्मानित सम्मान

कल्पना चावला का नाम हमेशा बहादुर महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया गया है । उन्हें कई प्रकार के सम्मान भी दिए गए हैं।

  1. नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक
  • नासा विशिष्ट सेवा पदक
  • कांग्रेसनल अंतरिक्ष पदक के सम्मान

कल्पना चावला का व्यक्तित्व जीवन

उनका व्यक्तित्व जीवन भी बहुत अच्छा था। वह अपने काम के प्रति लगन से आगे बढ़ती रहती थी, उसी प्रकार उन्होंने अपने व्यक्तित्व जीवन में कई प्रकार के अच्छे काम भी किए। जब उन्होंने अपने आप को स्थापित कर लिया, तब 1983 में वह एक उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक जीन पियरे हैरिसन से मिली। उसके कुछ समय पश्चात ही उन्होंने शादी कर ली। इसके बाद 1990 में उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिकता स्वीकार कर ली थी।

कल्पना चावला की भारत के लिए अंतिम यात्रा

कल्पना चावला भारत से बहुत ही प्यार करती थी। वह समय रहते हुए अपने देश अपने लोगों से मिलने आती थी। उन्होंने भारत के लिए अपनी अंतिम यात्रा 1991- 92 के समय में की थी।

एक समय जब छुट्टियां मनाने आई हुई थी। उस वक्त उनके पति भी उनके साथ ही आए थे। यह उनकी जिंदगी के महत्वपूर्ण समय में से एक था, जब उन्होंने अपने देश में आकर अच्छा समय व्यतीत किया था।

कल्पना चावला के जीवन का सबसे अहम पहलू और उनकी दुखद मृत्यु

कल्पना चावला के जीवन का अहम पहलू वह माना गया जब उन्होंने अपनी दूसरी और आखिरी उड़ान 16 जनवरी 2003 शटल कोलंबिया से भरी थी। जिस में उन्हें उस मिशन का हिस्सा बनाया गया था, जिसे सबसे महत्वपूर्ण मिशन माना गया था।

यह मिशन इसलिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि यह पूर्ण रूप से विज्ञान और अनुसंधान पर आधारित था और यह यान आसानी से ही अंतरिक्ष की कक्षा में प्रवेश कर चुका था। लेकिन 1 फरवरी 2003 को धरती पर वापस आते ही यान के कक्षा में प्रवेश करते ही यान टूट कर बिखर गया। उसी समय छह अंतरिक्ष यात्रियों समेत कल्पना चावला का भी निधन हो गया।

कल्पना चावला के नाम पर रखा गया अमेरिकी अंतरिक्ष यान का नाम

जब कल्पना चावला का निधन हुआ तब देश और दुनिया के लिए यह बहुत ही दुखद खबर साबित हुई थी। जिसके पश्चात अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र के लिए उड़ान भरने वाले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री यान का नाम नासा की दिवंगत अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम पर रखा गया। जिसने हमेशा सहयोग और योगदान दिया था।

देश के युवाओं के लिए बनी प्रेरणा का स्रोत

जब भी किसी भारतीय के मुंह से कल्पना चावला का नाम लिया जाता है तो वह बड़े ही गर्व के साथ लिया जाता है।इसके साथ-साथ देश के युवा भी कल्पना चावला की तरह देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। उन्होंने हमेशा ही युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है।

निष्कर्ष

इसी तरह से कल्पना चावला का नाम आज हमारे देश और विश्व भर के लिए अमर बन चुका है। उन्होंने देश के लिए कई ऐसे कार्य किए, जिससे हमारे देश का नाम रोशन हुआ और गौरव का विषय बन गया। हमारी ओर से उस दिवंगत आत्मा को शत शत नमन।

अंतिम शब्द

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