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आपदा प्रबंधन पर निबंध

Essay on Disaster Management in Hindi: नमस्कार दोस्तों, यहाँ पर आपदा प्रबंधन पर निबंध शेयर कर रहे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

Essay on Disaster Management in Hindi
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आपदा प्रबंधन पर निबंध | Essay on Disaster Management in Hindi

आपदा प्रबंधन पर निबंध (200 शब्द)

जिस प्रकार से पूरी दुनिया में तेजी से विकास हो रहा है, उसके पीछे प्रकृति हानि एवं मानवीय हानि भी दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। यह पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है। हर रोज एक नई खबर सुनने को मिलती है। प्रकृति घटना जैसे कंही सूखा पड़ जाना, जंगल में भीषण आग लग जाना, बाढ़ आना, कहीं-कहीं तो ज्यादा बारिश होना और कंही बिलकुल न होना एवं चक्रवात आना आदि घटनाएँ दिनों दिन बढ़ती जा रही है।

प्रकृति आपदा के कारण पुल टूटना, पेड़ गिरना, घर टूट जाना इत्यादि घटनाये सामने आती है। जिससे पर्यावरण प्रदूषण भी बढ़ रहा है, इसके पीछे मानव द्वारा किये गए कार्य से प्रकृति को नुक्सान भी एकमात्र कारण है। जिसका खाम याजा पृथ्वी के समस्त जीव जन्तुओ को भोगना पड़ रहा है। एक तरफ जनसंख्या की तीव्र वृद्धि की वजह पर्यावरण पर काफी ज्यादा दबाव पड़ रहा है। आपदा प्रबंधन, आपदा से होने वाले घटनाओं को कम करने का एक निरंतर प्रयास है।

आपदा प्रबंधन पर निबंध (850 शब्द)

प्रस्तावना

प्रकृति ने पृथ्वी बहुत ही मनमोहक चीज बनायीं है सुन्दर पेड़, फूल, पत्ते, नदियाँ, झरने ऐसे कई सारे चीजे बनायीं है। जिसे लिखने लग जायें तो शायद लिखने के लिए जगह कम पड़ जायेगी। प्रकृति की कई स्वरुप हैं – कभी सौम्यता के रूप में व्यवहार करती है, कभी शत्रुतापूर्ण। इसी को लोग कभी सुख के रूप में भोगते है तो कभी क्रूरता के रूप में।

जैसा कि हम लोग जानते है की विश्व में आर्थिक, सामाजिक एवं अनेक परिवर्तन हुए है जिससे लोग पहले से सुखी महसूस कर रहे है। लेकिन पर्यावरण आपदा का डर हमेशा उसके दिमाग में बना रहता है। क्योंकि यह मानव जीवन को पल भर में अस्त व्यस्त कर देता है। यंहा तक की जान और माल दोनों को खतरा रहता है।

आपदा के प्रकार

आपदा जो सामान्यतः पृथ्वी पर समस्त जीवों को हानि पहुंचाती है। ये निम्नलिखित प्रकार की होती है:

  1. प्राकृतिक आपदाएँ
  2. मानवजनित आपदाएँ

प्राकृतिक आपदाएँ

प्राकृतिक आपदा जो प्रकृति द्वारा, पृथ्वी पर रहने वाले समस्त जीवों को क्षति पहुंचती है। जैसे बाढ़ आने से लोगों की फसल का नुकसान, वहां के जीव जन्तुओं की जान का खतरा रहता है। जिस तरह विकास हो रहा है हर जगह नया-नया कंस्ट्रक्शन हो रहा है, जिससे कई प्रकार की प्रदूषित गैस (कार्बन, हीलियम, मीथेन इत्यादि) निकलती है और यह हमारे वायुमंडल में जाकर एक दीवार सा बना देती है, जिससे पृथ्वी का तापमान दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।

पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी छोर पर बर्फ तेजी से पिघल रही है। इसी के कारण है पानी का स्तर ऊपर उठ रहा है, जिससे बाढ़ आ रही है और समस्त जीवों को हानि हो रही है। प्राकृतिक आपदा के कुछ और भी उदाहरण है भूसंख्लन होना, जंगलो में भयानक आग लगना, सड़कों का बुरी तरह से टूट जाना।

मानवजनित आपदाएँ

मानवजनित आपदा, ऐसी आपदा जिसका जिम्मेदार मानव खुद होता है। आज के समय में आदमी अपने लाभ के लिए यह नहीं देखता कि इससे प्रकृति को कितना नुकसान पहुंचा रहा है। वह स्वयं का लाभ देखता है, जिसके कारण सारी जीव जन्तुओं और वस्तुओं को नुकसान पहुँचता है।

आदमी अपने लाभ के लिए पेड़ काटना, अवैधानिक तरीके से खुदाई करना, नदियों और समुद्रों में प्रदूषण फैलाना (जिससे उसमें रहने वाले जंतु मछली, कछुआ आदि को नुकसान पहुंचाता है) इत्यादि कार्य करता है। देश की अलग-अलग सरकार को इसके बारे में सोचना होगा, जो कुछ मानव के हाथ में है, उसे तो वह रोक ही सकता है। बाकी प्रकृति के आगे तो कोई कुछ नहीं कर सकता।

आकस्मिक आपदा

यह ऐसी आपदा होती है, जिसमें मानव कुछ कर नहीं सकता, यह अकस्मात् हो जाती है। जिसके बारे में कोई नहीं जानता और न अभी तक इसे जानने के लिए किसी प्रकार का यंत्र है तथा वैज्ञानिकों के लिए इस प्रकार का बना पाना असंभव सा है। ऐसी कुछ घटनाएँ जैसे ज्वालामुखी बिस्फोट, बदल फटना, हिम आना, भूकंप आना है।

अनाकस्मिक आपदा

ऐसी घटनाएँ जिसके बारे में मानव कुछ अनुमान पहले से लगा ले और उससे होने वाले नुकसान से बच सके। परन्तु यह भी कुछ निम्न स्तर तक सीमित है। ऐसी कुछ घटनाएं जैसे मौसम एवं जलवायु के विषय में पहले से ज्ञात होना, अकाल, मरुस्थलीकरण और कृषि में कुछ कीड़ों से हानि जैसे समस्याओं का समाधान वैज्ञानिक कर सकते है। यह सब अनाकस्मिक आपदा से सम्बंधित है।

आपदा से होने वाली हानि

आपदा से होनी वाली निम्नलिखित हानि जैसे आर्थिक हानि, जन हानि होती है। आर्थिक हानि में लोगो घर, फसल तथा उनकी उपयोग की जाने वाली चीजे बर्बाद हो जाती है। लोगों को उन्हें फिर से इकट्ठा करने में उतना समय लगता है, जिससे उनके दैनिक जीवन में काफी बार उतर चढ़ाव आता है तथा दूसरी तरफ जन हानि में लोगों एवं उनके द्वारा पाले गए पालतू जानवरों के जान जाने का खतरा बना रहता है।

आपदा प्रबंधन क्या है?

पृथ्वी के किसी भी कोने में प्रायः सूनामी, चक्रवात की घटना, भूकंप आदि घटनाएँ घटित होती रहती है। इन्हीं से बचने के उपाय को ही आपदा प्रबंधन कहते है। इसके लिए भारत सरकार ने 2005 में एक अधिनियम लेकर आयी जो प्राकृतिक आपदा से हुए छति से बचाव करना।

भारत सरकार ने इसके लिए कुछ स्पेशल फोर्सेज का गठन भी किया जैसे ICMR (नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट), NCC (नेशनल कैडेट कोर) एवं NDRF (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट रिस्पांस फ़ोर्स) है और ये फोर्सेज जब कभी प्राकृतिक आपदा आती है तो अपना पूरा सहयोग प्रदान करती है। आपदा प्रबंधन के निम्लिखित चरण है:

  1. लोगों को ज्यादा से ज्यादा इसके बारे में जागरूक व शिक्षित किया जाये।
  2. दूर संचार के माध्यम से अवगत कराया जायें, जितना ज्यादा हो सके सरकार इसके बारे में लोगों को बताएं।
  3. राज्य स्तर पर, राज्य सरकार को इसके बारे में समझकर तत्पश्चात नियम बनाना चाहिए तथा केंद्र सरकार को इसके बारे में पुष्टि करनी चाहिए।
  4. छोटे-छोटे को किताबों माध्यम से समझाने का प्रयास किया जायें आदि कई सारे चरण है, जिनका प्रयोग करके सरकार कुछ निजात पा सकती है, आपदा से।

निष्कर्ष

देश के हर एक नागरिक एवं सरकार की जिम्मेदारी है कि पर्यावरण को कम से कम नुक्सान पहुंचाया जाए। प्राकृतिक आपदा को देखते हुए ऐसा काम न करें जो स्वयं के हित में हो, परन्तु जिसके लिए संसार के सारे जीव-जन्तुओं को इसका परिणाम भोगना पड़े।

अंतिम शब्द

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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