Ekadashi Vrat Kisko karna chahiye: एकादशी का व्रत भारतीय महिलाओं के द्वारा रखा जाता है और भारत की महिलाएं एकादशी व्रत को बड़े ही साफ मन और शुद्ध विचारों के साथ करती हैं। एकादशी व्रत को लेकर कई मान्यताएं हैं, इन सभी मान्यताओं पर विशेष ध्यान रखते हुए महिलाएं इस व्रत को करती हैं।
एकादशी व्रत से जुड़े सभी जानकारी आज हम आप सभी लोगों को विस्तार पूर्वक से बताने वाले हैं और हमारा यह लेख आप सभी लोगों को इस विषय में जानकारी प्राप्त करने में बेहद मदद करेगा।
आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हम आप सभी लोगों को एकादशी व्रत का महत्व, एकादशी व्रत किसको करना चाहिए? एकादशी व्रत के फायदे ईत्यादि के विषय में विस्तार पूर्वक से जानकारी देंगे। इसलिए बिना देर किए शुरू करते हैं अपनाया ले एक और जानते हैं एकादशी व्रत के विषय में।
एकादशी व्रत किसको करना चाहिए? | Ekadashi Vrat Kisko karna chahiye
एकादशी व्रत क्या है?
एकादशी का व्रत एक ऐसा व्रत है, जिसे करने से महिलाओं के सारे कष्ट दूर हो जाते है। एकादशी का व्रत करने से सभी भक्तों के जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। महिलाएं एकादशी का व्रत किस लिए करती हैं ताकि उनके जीवन में किसी भी तरह की कोई समस्या ना आए और उनके पुत्रों पर सदैव भगवान का आशीर्वाद बना रहे। यदि देखा जाए तो एक तरह से एकादशी का व्रत महिलाएं अपने पुत्रों के लिए रखती हैं।
एकादशी का व्रत यदि संपूर्ण विधि विधान के साथ किया जाएं तो इसका भक्तों पर एक विशेष प्रभाव पड़ता है और सभी भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। एकादशी का व्रत करना हिंदू परंपराओं में विषेष माना जाता है। एकादशी का व्रत प्रत्येक मास के 11 वे दिन होता है।
एकादशी व्रत किसको करना चाहिए?
ऐसा माना जाता है एकादशी का व्रत उन दंपतियों को करना चाहिए जिन्हें संतान की प्राप्ति ना हुई हो। लोगों का मानना है, कि एकादशी का व्रत रखने से महिला संतान के सुख को प्राप्त कर सकती है,और वे महिलाएं भी इस व्रत को रखती हैं जिन्हें संतान का सुख प्राप्त हो और वह अपने संतान की सुख समृद्धि के लिए यह व्रत रखते हैं।
जो महिलाएं एकादशी का व्रत रखती हैं उनको इस व्रत का फल अवश्य मिलता है तथा साथ ही साथ इस व्रत को रखने से शरीर और मन दोनों ही शुद्ध हो जाते हैं तथा इसके साथ ही एकादशी का व्रत के अंतर्गत आपको शुद्ध विचार रखने हैं और इस व्रत के अंतर्गत आपको भोग विलास से दूर रहना है।
एकादशी व्रत को लेकर धार्मिक मान्यताएं
एकादशी व्रत को लेकर अनेक धार्मिक मान्यताएं हैं, जो निम्नलिखित हैं :-
- ऐसा माना जाता है कि एकादशी का व्रत पूरी आस्था और निस्वार्थ मन से रखने पर संतान की प्राप्ति होती है।
- ऐसा भी माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से वह पुण्य प्राप्त होता है, जो कि वाजपेय यज्ञ करने पर प्राप्त होता है।
- ऐसा भी माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से मोक्ष प्राप्त होता है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के जीवन में धन और समृद्धि की कमी नहीं आती है।
- ऐसा भी माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से आपके शत्रुओं का नाश हो जाता है तथा आपके सभी कार्यों में आपको सफलता मिलती है।
- एकादशी का व्रत करने से आप सभी लोगों के कष्टों का निवारण हो जाता है।
- ऐसा ही माना जाता है कि एकादशी का व्रत करने से कीर्ति और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भूत, पिशाच, राक्षस, दैत्य आदि से छुटकारा मिल जाता है।
- ऐसा भी कहा जाता है कि एकादशी का व्रत करने से भाग्य खुल जाता है तथा जो कुछ भी आपा खो चुका है वह वापस से मिल जाता है।
एकादशी व्रत करने के नियम
एकादशी व्रत रखने के अनेक नियम है, इन नियमों का पालन करके आप अपने व्रत को आसानी से बिना किसी रुकावट के कर सकते हैं और वे नियम निम्नलिखित हैं :-
- एकादशी का व्रत करने के लिए आपको सच्ची आस्था अच्छे विचार रखने हैं।
- एकादशी व्रत के अंतर्गत आपको मधुर वचनों का प्रयोग करना है ना कि कटु वचनों का।
- एकादशी का व्रत करने के लिए आपको प्रातः काल उठ कर स्नान करके अच्छे कपड़े पहन लें।
- और आपको प्रतिदिन भगवान श्री विष्णु के सामने घी का दिया जलाएं।
- आप सभी लोगों को प्रतिदिन भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करनी है।
- व्रत के अंतर्गत आपको शलगम, गोभी, गाजर, और पालक का सेवन नहीं करना है।
- एकादशी व्रत में आपको बादाम, सेव, केला, आम, किशमिश और अंगूर इत्यादि जैसे फलों का सेवन करना है।
- व्रत के अगले ही दिन ब्राह्मणों को भोजन करा कर और दान दक्षिणा देकर विदा करें ।
- तत्पश्चात आप खुद भोजन करने लें।
- एकादशी व्रत के दिन आपको अपने घर की साफ सफाई अर्थात झाड़ू /पोछा नहीं लगाना है।
एकादशी व्रत करने की तिथि
हिंदुओं के पंचांग के अनुसार पंचांग के 11वीं तारीख को एकादशी कहते हैं। एकादशी का व्रत प्रत्येक माह में दो बार आता है। पहली एकादशी पूर्णिमा के बाद आता है तथा दूसरी एकादशी अमावस्या के बाद आता है।
एकादशी जो अमावस्या के बाद आती है उस एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहा जाता है तथा पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी के नाम से जाना जाता है।
निष्कर्ष
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