नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में हमने देश भक्ति के दोहे (Desh Bhakti Dohe in Hindi) शेयर किये हैं। इससे पहले हमने देशभक्ति गीत, देशभक्ति पर संस्कृत श्लोक, देशभक्ति पर संस्कृत निबंध आदि लेकर आये हैं, जिनके लिंक हमने नीचे दे रखे है आप उन्हें जरूर पढ़े।
हमारे द्वारा शेयर किये गये ये देश भक्ति पर दोहे (Desh Bhakti Par Dohe) अपमें देश के प्रति प्रेम को और भी गहरा कर देंगे और इन Desh Bhakti Dohe Hindi Me से आपमें नई ऊर्जा का संचार होगा। आप इन Desh Bhakti Dohe in Hindi को पूरा जरूर पढ़ें।
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देश भक्ति के दोहे – Desh Bhakti Dohe in Hindi
देश भक्ति दोहे इन हिंदी
गाते वंदेमातरम, जन गण मन का गान।
अपने हिंदुस्तान की, दोनों ही पहचान।।
अपने वीर सपूत को माँ देती सदा आशीष।
देश पर आंच कभी ना आये, कट जाए चाहे शीश।।
आजादी के यज्ञ में प्राण किए आहूत।
धन्य हुई वह कोख जो जने शहीद सपूत।
चुका न पायेंगे कभी, भारत माँ का कर्ज़।
रक्षा करना देश की, है हम सबका फ़र्ज़।।
बलिदानों की भूमि है धन्य है भारत देश।
अगर जन्म फिर से मिले यही धरा परिवेश।।
अतिथि देवो भवः कहें, दुश्मन को दें दंड।
भारत जितना शांत है, उतना रहे प्रचंड।।
तिनसौसत्तर ऐ हटा, मिला हमें कश्मीर।
अब थोड़ी तो कम हुई, भारत माँ की पीर।।
भारत की पावन धरती से, ले धुल मैं तिलक लगाऊं।
इतना प्यारा देश है मेरा, मैं नित दिन महिमा गाऊं।।
करते हैं तलवार से, रक्षा वीर जवान।
मगर कलम की धार भी,नहीं कहीं कम मान।।
राम आरती हो यहाँ, होती यहाँ अजान।
आपस में मिलकर रहें, सबका हो सम्मान।।
भगत सिंह, आजाद और सुभाष की आन।
अमिट, अभेद्य, अविचल रहे मेरा देश महान।।
गाते हैं हम जोश से, देश भक्ति के गीत।
देख हमारी भावना,अरि होता भयभीत।।
बैरी के बढ़ते कदम, उसको भेजें श्मशान।
धन्य हैं वो जो सरहद पर, खड़े हैं वीर जवान।।
सीने पर गोली लगी फिर भी मुख मुस्कान।
भारतमाता के गर्व हैं ये शहीद जवान।।
देश चलाने के लिये, बनती है सरकार।
मगर देश हित से नहीं, उसको अब दरकार।।
मेरे भारत देश की, गाथा बड़ी महान।
महिमा इसकी गा रहा, सारा आज जहान।।
महाराणा प्रताप से राजा, लक्ष्मी बाई जैसी रानी।
घर-घर में सुनाई जाती, ऐसे वीरों की कहानी।।
स्वतंत्रता की आन पर चढ़े हजारों शीश।
नमन करें उनको सदा मिले अमिट आशीष।।
सारे जग से है ये न्यारा, विजयी विश्व तिरंगा प्यारा।
यही तो शान हमारी है, यही है अभिमान हमारा।।
अपना भारत वर्ष है, हमको मात समान।
करें भाल अपने तिलक, माटी चन्दन मान।।
है सपूत जो देश के, उनका हुआ मुरीद।
सरहद पर कुछ हैं खड़े, कुछ हो गए शहीद।।
भारत का प्रत्येक जन दस शेरों-सा शेर।
गीदड़ भौंके दूर से पास आए तो ढेर।।
मानवता की बात जब, करते हैं सब धर्म।
फिर क्यों द्वेष विकार के, मानव करता कर्म।।
पला-बढ़ा और बड़ा हुआ, इस देश में लेकर जन्म।
सच्चा देशभक्त है वही, हो देश ही जिसका धर्म।।
भारत मेरा देश है, भारत मेरा धर्म।
यहीं जन्म लूँ मैं सदा, ऐसे हों बस कर्म।।
इस धरती का स्वर्ग है, अपना भारत देश।
जिसकी सात्विक सोच है, संस्कारी परिवेश।।
सारा जग जो घूम लिया, मिला एक ही ज्ञान।
इतना प्यारा कोई देश नहीं, जैसा है हिन्दुस्तान।।
ऐसी पावन धरा यहाँ की, कर देती सबका उद्धार।
हर दिन एक नया उत्सव, होता है हर दिन त्यौहार।।
इस पोस्ट में देश भक्ति दोहे लिखे हुए (Desh Bhakti Dohe) है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको यह देश भक्ति के दोहे (Desh Bhakti Doha Wali) पसंद आयेंगे, आपको यह कैसे लगे हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। ये देश प्रेम के दोहे आगे शेयर जरूर करें और हमारे फेसबुक पेज को लाइक जरूर कर दें।
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