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दरियाबार की शहजादी की कहानी (अलिफ लैला की कहानी)

एक बार एक दरियाबार नामक शहर में बहुत बड़ा राजा रहा करता था, जो अधिक बलशाली था और अपनी प्रजा का अच्छे से ध्यान रखता था। जिसके कारण प्रजा अपने राजा से बहुत खुश थी और सभी खुशी-खुशी एक दूसरे के साथ मिलकर रहते थे।

लेकिन राजा को एक बात की चिंता अंदर ही अंदर सताए जा रही थी कि उसकी कोई संतान नहीं है, उसके मरने के बाद उसका राज्य कौन संभालेगा। उसने संतान प्राप्ति के लिए बहुत सारे उपाय किए हैं तभी कुछ दिनों में उस राजा को एक लड़की की प्राप्ति हुई।

जिससे राजा बहुत खुश हुआ। उसने पूरे शहर में ढोल बजवाए और सभी को तोहफे भी दिए। राजा ने अपनी लड़की को हर एक चीज में बहुत अच्छे से निपुण कर दिया था और वह यह चाहता था कि मेरे मरने के बाद मेरी लड़की ही मेरा राज्य संभाल ले। एक दिन राजा जब शिकार करने के लिए अपने सैनिकों के साथ गया।

तभी वह अचानक वहां पर शिकार करते करते हैं काफी दूर निकल गया और अपने सैनिकों से बिछड़ गया। काफी दूर निकल आने के कारण राजा अपने शहर का रास्ता भूल गया था, जिसके बाद वह इधर-उधर भटकने लगा। कुछ दूर चलने के बाद उसको एक कमरा दिखाई दिया।

जिसके बाद उसने उस कमरे में जाकर देखा तो उसको वहां एक बहुत ही भयानक दिखने वाला व्यक्ति नजर आया। जिसने एक सुंदर सी स्त्री को और उसके बच्चे को बंदी बनाकर रखा है और वह भयानक दिखने वाला व्यक्ति वहां बैठकर मांस खाने में और शराब पीने में लगा है।

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जैसे ही वह व्यक्ति शराब पीकर उठा तो वह उस सुंदर दिखने वाली महिला के पास संभोग करने के लिए जबरजस्ती करने लगा। जब उस सुंदर दिखने वाली महिला ने उसको संभोग करने के लिए मना कर दिया तो उस भयानक राक्षस ने उस महिला को जान से मारने की कोशिश की।

अपनी तलवार उठाई और जैसे ही वह उस पर वार करने जा रहा था तभी अचानक से राजा ने उस भयानक दिखने वाले राक्षस को मार दिया। जिसके बाद राजा ने उस सुंदर दिखने वाली महिला को बचा लिया और उस राजा ने उससे पूछा कि तुम कौन हो और यहां कैसे आई हो।

तभी उस सुंदर दिखने वाली स्त्री ने बताया कि मैं पास में ही एक कबीले के बादशाह की की पुत्री हूं और यह आदमी मेरे महल में काम किया करता था। पता नहीं उसको मुझसे कब प्रेम हो गया और यह मुझे अगवा कर यहां ले आया। आपने आज आकर मेरी जान बचा ली है, नहीं तो यह राक्षस मुझे आज जान से मार देता।

जिसके बाद राजा ने उस स्त्री और उसके बच्चे को अपने साथ महल में ले जाने का फैसला ले लिया। कुछ दूर चलने के पश्चात राजा को उसके खोए हुए सैनिक भी मिल गए। जिसके बाद सभी लोग वापस अपने राज्य पर चले गए। वहां जाकर राजा ने उस सुंदर सी स्त्री से विवाह कर लिया और उसके नाम बहुत सारा धन और कई मकान भी कर दिए।

कुछ ही दिनों में उस सुंदर स्त्री का लड़का बड़ा हो गया। तभी राजा ने अपनी लड़की का विवाह उस लड़के से करने के लिए कहा और शादी के लिए यह शर्त रखी कि अगर यह मेरी पुत्री से शादी करेगा तो इसको किसी और से शादी नहीं करनी होगी। अगर ऐसा उसने किया तो इसको मृत्युदंड दिया जाएगा।

राजा की यह बात सुनकर उस सुंदर सी कन्या का लड़का बहुत क्रोधित हो गया और उसने राजा को जान से मारने का फैसला ले लिया। तभी उसने मौका पाकर चुपके से आकर राजा को जान से मार दिया। राजा को मारने के बाद उनके मंत्रियों ने राजा की लड़की को बचाते हुए राजा के मित्र के पास ले गए।

जहां पर उन्होंने राजा की पुत्री को कुछ दिन रखने के बाद वहां से कहीं और भेजने का निर्णय लिया। क्योंकि उस लड़के को राजा की पुत्री का पता लगा लिया था तभी उन लोगों ने राजा की पुत्री को एक नदी में जहाज के सहारे बैठा कर बाहर भेज दिया।

कुछ दिन यात्रा करने के दौरान एक बहुत बड़ी दुर्घटना के कारण हमारा जहाज पानी में डूब गया तथा राजा की पुत्री ने किसी तरह अपनी जान बचाते हुए वह एक ऐसे स्थान पर पहुंच गई, जहां पर दूर दूर तक कोई नजर नहीं आ रहा था। कुछ दूर चलने के पश्चात अचानक से कुछ लोग सामने से आते हुए नजर आए। उन लोगों ने राजा की लड़की से पूछा कि तुम कौन हो, यहां क्या कर रही हो। तभी उसने अपने बारे में हुई दुर्घटना के बारे में बताया।

सारी बातें सुनने के बाद उनका राजा मेरी तरफ आया और कहने लगा क्या तुम मेरे साथ चलोगी। जिसके बाद में उसके साथ उसके राज्य में चली गई। वहां पर जाकर उस राजा ने मेरे साथ शादी कर ली। शादी की पहली रात के दिन ही दूसरे शहर के राजा ने हमारे शहर पर आक्रमण कर दिया।

जिसके बाद मैं और मेरा पति दोनों ही वहां से अपनी जान बचाकर भाग निकले और समुद्र में एक नाव के सहारे आगे की ओर बढ़ने लगे तभी हम लोगों ने देखा कि सामने से एक जहाज हमारी तरफ चला रहा है जिसको देखकर हम लोगों ने उनसे मदद मांगने की कोशिश की ।

लेकिन जब वह जहाज हम लोगों के पास आया तो पता लगा कि वह कोई और नहीं समुद्री लुटेरे हैं, उन्होंने हम लोगों को बंदी बनाकर अपने जहाज पर बैठा लिया। जिसके बाद उनमें से एक डाकू ने मेरा चेहरा देखा। जिसके बाद सभी मेरी सुंदरता देख कर मनमोहित हो गए और उन लोगों ने आपस में यह तय किया कि हम में से जो भी व्यक्ति बचेगा, वह इस सुंदर सी कन्या को अपने पास रखेगा और देखते ही देखते सभी डाकुओं ने आपस में युद्ध करना शुरू कर दिया।

कुछ देर युद्ध करने के बाद इनमें से एक डाकू बचा, जिसने मेरे पति को समुद्र में ही फेंक दिया और मुझे अपने साथ ले गया। कई दिनों तक यात्रा करने के बाद वह मुझे हैरन देश ले गया, जहां पर मेरी जान वहां की राजा के उन्चास पुत्रों ने बचा ली। जिसके साथ वह मुझे अपने साथ अपनी राज्य ले गए, जहां पर मेरा विवाह खुदादाद से हो गया।

थोड़ी देर में सभी को अपने बारे में बताया कि मैं राजा का पचासवा बेटा हूं। मेरी मां का नाम पिरोज है। खुदादाद की बातें सुनकर उसके उन्चास भाई बहुत ही क्रोधित होने लगे। उन्होंने मन ही मन खुदादाद को मारने की योजना बना ली।

जिसके बाद उन्होंने खुदादाद को अपने कमरे से उठाकर एक ऐसी जगह ले गए, जहां पर उन्होंने खुदादाद को मारने की कोशिश की। जब उनको पूरी तरीके से संतुष्टि हो गई कि खुदादाद मर गया है तो वह वहां से चले आए। इधर खुदादाद की पत्नी को जब यह पता लगा कि खुदादाद मर चुका है तो वह जोर जोर से रोने लगी।

तभी वहां पर एक व्यक्ति जर्राह नाम का यहां पर आया और खुले दांत की पत्नी से कहने लगा कि आप मेरे साथ चलिए। मैं आपको खुदादाद की माफी पिरोज से आपको मिलवाना चाहता हूं और वह खुदादाद की पत्नी को लेकर वहां से चला गया।

थोड़ी दूर चलने के पश्चात उसने देखा कि सामने से एक महिला घोड़े पर बैठकर आ रही है और उसके साथ कई सैनिक भी हैं। तभी जर्राह ने सैनिकों से पूछा कि यह कौन है तब सैनिकों ने बताया कि यह बादशाह की पचासवी पत्नी पिरोज है ।

तभी जर्राह ने सानिकों से कहकर फिर उससे मिलने का बंदोबस्त कर लिया। जिसके बाद उसने खुदादाद की मां से खुदादाद के साथ हुए अत्याचार के बारे में बताया। खुदादाद के बारे सुनकर उसकी मां जोर जोर से रोने लगी। तभी अचानक से राजा वहां पर आ गया और उसने अपनी पत्नी को रोता देख उससे पूछा कि क्या हुआ, तुम रो क्यू रही हो।

तभी खुदादाद की मां ने राजा को बताया कि तुम्हारे उन्चास बेटों ने मिलकर मेरे बेटे को मार दिया हैं। राजा यह सुनकर बहुत गुस्सा हुआ। उसने तुरंत अपने सभी बेटों को बंदी बनाने का निर्णय ले लिया और जिसके बाद उसने अपने बेटे खुदादाद के मरने का मातम मनाने लगा।

तभी उस पर एक दूसरे राजा ने आक्रमण कर दिया। राजा अपने बेटे की मृत्यु का मातम मनाने में व्यस्थ था, जिसके कारण उसने अपनी हार मान ली। लेकिन अचानक से वहां पर एक व्यक्ति ने अपनी सेना लेकर राजा पर हुए हमले से उनको बचा लिया।

जिसके बाद राजा ने उस व्यक्ति को अपने दरबार में बुलाया और कहने लगा कि तुम कौन हो। तभी उस व्यक्ति ने बताया कि मैं कोई और नहीं खुदादाद हूं। यह सुनकर राजा बहुत खुश हुआ। बेटे को जिंदा देखकर राजा ने अपने बेटे को तुरंत गले से लगा लिया और अपने बाकी बेटों को तुरंत फांसी देने का दंड दे दिया।

इसके बाद खुदादाद ने अपने महाराजा से अपने सारे भाइयों को माफ करने के लिए कहा और कहने लगा महाराजा गलती तो सबसे होती है, आप मेरे सभी भाइयों को माफ कर देना। जिसके बाद महाराजा ने अपने बेटे की बात मानते हो बाकी सभी बेटों को भी माफ कर देना। जिसके बाद सभी भाइयों ने अपने भाई खुदादाद से माफी मांग ली और सभी लोग खुशी-खुशी रहने लगे।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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