Chandubhai Virani Balaji Wafers Success Story In Hindi: हम आपको एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताने वाले है, जिसने सिनेमाघर के अंदर बैठने वाली सीटों को सिला साथ ही सिनेमाघर पर अन्य तरह के भी काम किये, जिसके लिए उन्हें मात्र ₹90 की सैलरी दी जाती थी।
अपनी पढ़ाई को बीच में छोड़कर मजबूरन उनको यह काम करना पड़ा। लेकिन इस काम को करते हुए उस सख्श को एक ऐसा आईडिया आया, जिसने उसकी पूरी लाइफ को ही बदलकर रख दिया और आज यह सख्श 4000 करोड़ों रुपए का मालिक बनकर उभरा है।
आईए जानते हैं अपने इस आर्टिकल में इस मेहनती व्यक्ति चंदू भाई वीरानी के जीवन के संघर्ष (Chandubhai Virani Success Story In Hindi) और Business Ideas के बारे में।
चंदू भाई वीरानी के जीवन का संघर्ष (Chandubhai Virani Success Story In Hindi)
एक साधारण से घर में पैदा हुए चंदू भाई वीरानी (Chandubhai Virani) बेहद ही मेहनती और सच्ची लगन वाले अच्छे व्यक्ति है। जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के साथ आज हजारों करोड़ रुपए का अंपायर खड़ा करके दिखा दिया।
शुरुआती दौर में एक ऐसा वक्त भी उनके जीवन में आया था, जब इनके पास खुद का जीवन यापन करने के लिए कुछ काम नहीं था। इन्होंने थिएटर की सीटों को सिलकर अपनी रोजी-रोटी कमाई, जिसमें यह अपने घर का किराया तक भी देते थे। इसके साथ ही यह अन्य तरह के काम भी करते थे।
फिर एक बुरा वक्त तब भी आया जब इनके पास किराया देने के लिए पैसे भी नहीं थे। क्यूंकि जिस किराये के घर पर यह रहते थे, वहां का किराया देने के लिए भी इनके पास पैसे नहीं हुआ करतें थे।
फिर किसी कारणवश इन्हें वह जगह छोड़कर दूसरी जगह जाना पड़ा। लेकिन इन्होंने अपने जीवन में कभी भी हार नहीं मानी और संघर्ष करते ही चले गए।
एक बिजनेस आईडिया से चंदू भाई विरानी की बदल गयी जिंदगी
चंदू भाई विरानी और उनके दो अन्य दोस्त, मेघजी भाई और भीखूजी भाई, तीनों ने मिलकर गुजरात के राजकोट में ₹20,000 का निवेश करके एक कृषि उपकरण का बिजनेस डाला। जिसको वह अपनी लगन और मेहनत से कर रहे थे।
लेकिन फिर ऐसा बुरा वक्त आया, जिसमें उन्होंने सिर्फ दो साल तक ही इस बिजनेस को किया और आखिरकार उन्हें इस बिजनेस को बंद करना पड़ गया।
फिर अपने जीवन यापन के लिए चंदू भाई ने सिनेमाघर में महीने की ₹90 की सैलरी में काम करना शुरू कर दिया। जिसमें यह फटी हुई सीटों के सिलने, पोस्टर चिपकाने और कैंटीन का भी काम करतें थे। बस यही से काम करते-करते एक बिजनेस आईडिया आया, जिससे इनकी जिंदगी एकदम से बदल गयी।
इनको सिनेमा घर में कैंटीन का एक ठेका मिला, जो मात्र 1 हजार रुपए का था। फिर वही से इन्होंने अपने बिजनेस की शुरुआत की और इन्होंने जैसे-तैसे करके ₹10,000 जुटाये और होममेड आलू चिप्स बनाने का काम शुरू किया। शुरुआती दौर में यह आलू चिप्स घर से ही बनाकर लाते थे और सिनेमाघर में बेचते थे।
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कैसे खड़ा किया 4000 करोड़ का अंपायर
जैसे जैसे इनका बिजनेस पटरी पर आने लगा और अच्छी-खासी इनकम उत्पन्न होने लगी। फिर इन्होंने साल 1989 में गुजरात में ही रहकर एक (Aji GIDC) रीज़न में गुजरात की सबसे बड़ी आलू वैफर (Potato Wafer) फैक्ट्री को खरीद लिया। जिसमें इन्होंने बड़े स्तर पर आलू चिप्स बनाने का काम शुरू किया।
इस बिजनेस में इन्वेस्ट करने के लिए इन्होंने अपनी सारी जमा-पूंजी लगा दी। इसके अलावा इन्होंने बैंक से भी लोन के रूप में कर्जा लिया। इसके बाद इनका यह फैक्ट्री का बिजनेस बहुत ही तरक्की करने लगा।
बालाजी वेफर्स की शुरुआत (Balaji Wafers)
साल 1992 में बालाजी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड (Balaji Wafers Pvt. Ltd.) कंपनी बनाई, जो चिप्स और नमकीन बनाने का काम करती थी। आज के दौर में पूरे भारत में इनकी चार बड़ी ऐसी कंपनियां है, जहां पर हर रोजाना 60 से 65 लाख किलोग्राम आलू चिप्स बनाया जाता है।
इसके साथ ही नमकीन बनाने का काम भी लगातार चालू है। इसके अलावा सिंपली साल्टेड, मसाला मस्ती, टमैटो ट्विस्ट, चाट चस्का, क्रीम एंड ओनियन, पेरी पेरी वैफर्स, पिज्जी मसाला, क्रंचएक्स इत्यादि प्रकार के उत्पाद भी बनाने शुरू कर दिये।
इनकी कंपनियों में सबसे अधिक महिला कर्मी काम करती है। आज के दौर में इनकी कंपनी की वैल्यू 4,000 करोड़ रुपए के आसपास बताई जाती है, जो इनकी मौजूदा कंपनी का अंपायर है।
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