चंद्रमुखी शब्द में समास (Chandrmukh Mein Kaun sa Samas Hai)
चंद्रमुखी में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
चंद्रमुखी में कर्मधारय समास है।
Chandrmukh Mein Kaun sa Samas Hai?
Chandrmukh Shabd mein Karmdharay Samas Hai.
चंद्रमुखी का समास विग्रह क्या है?
चंद्रमुखी का समास विग्रह चंद्र रूपी मुख है।
Chandrmukh ka Samas Vigrah kya hai?
Chandr rup mukh
चंद्र रूपी मुख का समस्त पद है?
चंद्रमुखी
कर्मधारय समास किसे कहते है?
कर्मधारय समास की परिभाषा: ऐसा समास वाक्य जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य होता है एवं पूर्व पद एवं उत्तर पद में उपमान और उसमें का संबंध हो, उन्हें कर्मधारय समास कहा जाता है।
इस समास में उत्तर पद प्रधान रहता है और वाक्य के विभाजन करते समय दोनों पदों के बीच में “के समान, है जो, रूपी” इत्यादि शब्दों का प्रयोग होता है।
इस समास का उत्तरपद प्रधान होता है एवं विग्रह करते समय दोनों पदों के बीच में ‘के सामान’, ‘है जो’, ‘रुपी’ में से किसी एक शब्द का प्रयोग होता है।
उदाहरण: पीताम्बर, नीलगगन, महावीर, महापुरुष
कर्मधारय समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें कर्मधारय समास (परिभाषा और उदाहरण)
कर्मधारय समास के उदाहरण
- नील कमल: नील के समान कमल।
- सूरजमुख: सूरज के समान मुख।
- महारत्न: महान है जो रत्न।
- प्रधानाध्यापक: प्रधान है जो अध्यापक।
- महाराज: महान है जो राजा।
प्रयुक्त में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि पूर्व पद और उत्तर पद में विशेषण और विशेष्य के साथ-साथ उपमान और उसमें का संबंध भी देखने को नजर आ रहा है। अतः यह सभी उदाहरण कर्मधारय समास के अंतर्गत आएंगे।
- पीलामणि: पीला है जो मणि।
- पीतांबर: पीत है जो अंबर।
- महात्मा: महान है जो आत्मा।
- महाराज: महान है जो राजा।
ऊपर उदाहरण दर्शाए गए हैं, इन उदाहरण में पूर्व पद में उत्तर पद की विशेषता बताई जा रही है और दोनों पदों में उपमेय और उपमान में संबंध भी दिखाई दे रहा है। अतः यह सभी उदाहरण कर्मधारय समास के अंतर्गत आएंगे।
जिस प्रकार के ऊपर पितांबर शब्द को आप देख सकते हैं कि यहां पर वस्त्र के पीले होने की विशेषता बताई जा रही है। पीला मणि के तहत मणि के पीला होने की विशेषता बताई जा रही है। अतः यह उदाहरण जिनको कर्मधारय समास के अंतर्गत रखा जाएगा।
- नव युवा: नव है जो युवा।
- नीलकमल: नीला है जो कमल।
- देहलता: देह रूपी लता।
ऊपर जो उदाहरण दर्शाए गए हैं, उन वाक्य में आप देख सकते हैं कि पूर्व पद और उत्तर पद जिनमें विशेषण और विशेष्य होने का संबंध हो रहा है और दोनों पदों में उपमेय और उपमान का संबंध भी दिखाई दे रहा है। अतः इन उदाहरण को कर्मधारय समास के अंतर्गत रखा जाएगा।
- कीर्ति लता: कीर्ति रूपी लता।
- बिरहा सागर: बिरहा रूपी सागर।
- पर्णकुटी: पत्तों के समान कुटी।
- भक्ति सुधा: भक्ति रूपी सुधा।
- पुरुष रतन: पुरुष रूपी रतन।
परीक्षा में यह भी पूछे जा सकते हैं
- प्रतिदिन में कौन सा समास है?
- चक्रपाणि में कौन सा समास है?
- यथाशक्ति में कौन सा समास है?
- चौराहा में कौन सा समास है?
- कुसुमशर में कौन सा समास है?