आवश्यकता ही आविष्कार की जननी होती है। आवश्यकताओं के अनुसार ही इंसान नई-नई चीजों की खोज करता है। इसी के कारण आज टेक्नोलॉजी दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं।
आज तक वैज्ञानिकों ने कई सर्वश्रेष्ठ खोज की है, उनमें से बल्ब को विज्ञान का महत्वपूर्ण आविष्कार माना जाता है, जिसने दुनिया में एक नए युग की शुरुआत कर दी।
प्राचीन समय में जब बल्ब नहीं हुआ करता था तब लोग मोमबत्ती या लालटेन का प्रयोग करते थे। लेकिन उससे आग लगने का खतरा ज्यादा रहता था। लेकिन बल्ब का आविष्कार ने मानो दुनिया में क्रांति ला दी।
अब कई तरह के बल्ब आने लगे हैं, जो कम इलेक्ट्रिक सिटी के साथ लंबे समय तक जलने की क्षमता रखते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं बल्ब का आविष्कार किसने किया (Bulb Ka Avishkar Kisne Kiya) और किस तरह बल्ब काम करता है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से इन तमाम प्रकार के प्रश्नों का उत्तर जानते हैं।
बल्ब क्या है?
बल्ब कांच के आवरण से ढका हुआ गोलियाकार तपदीप्त लैंप होता है। इसके अंदर टंगस्टन धातु से बना कुंडलीनुमा आकार का पतला सा तंतु होता है, जिसे फिलामेंट कहा जाता है।
बल्ब में टंगस्टन का उपयोग करने का कारण यह है कि टंगस्टन धातु का गलनांक सबसे अधिक होता है। इसका गलनांक 3422 डिग्री सेल्सियस होता है, जिसके कारण यह अत्यधिक करंट से भी गलता नहीं है।
टंगस्टन धातु को हवा से बचाने के लिए इसके चारों ओर कांच का आवरण लगाया जाता है। इसके साथ ही इसे जंग से बचाने के लिए इसके अंदर आर्गन गैस भी भरी जाती हैं।
बल्ब कैसे जलता है?
बात करें बल्ब कैसे कार्य करता है तो बल्ब रेजिस्टेंस यानी प्रतिरोध के कारण काम करता है। प्रतिरोध इलेक्ट्रॉन को प्रवाहित होने से रोकता है। सभी तारों का कुछ ना कुछ रेजिस्टेंस होता है। बल्ब में टंगस्टन के फिलामेंट का प्रयोग किया होता है।
जब इलेक्ट्रिकसिटी टंगस्टन के फिलामेंट में प्रवाहित होती है तब रेजिस्टेंस इलेक्ट्रॉन को आने से रोकता है, जिसके कारण ऊष्मा उत्पन्न होता है और यह ऊष्मा प्रकाश के रूप में उत्सर्जित होती है, जिसके कारण बल्ब चमक उठता है।
बल्ब का आविष्कार किसने किया? (Bulb Ka Avishkar Kisne Kiya)
बल्ब के आविष्कारक के रूप में थॉमस अल्वा एडिसन को माना जाता है। थॉमस अल्वा एडिसन ने 1879 में बल्ब का आविष्कार किया था।
यह एक अमेरिकी वैज्ञानिक थे, जिनका जन्म 11 फरवरी 1847 को संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ था और 28 अक्टूबर 1931 को 84 साल की उम्र में इनका देहांत हो गया।
बल्ब का आविष्कार कैसे हुआ था?
बल्ब का आविष्कार का श्रेय ही थॉमसन को जाता है। लेकिन थॉमस अल्वा एडिसन से पहले बल बनाने का सबसे पहले प्रयास Humphrey Davy नाम के महान वैज्ञानिक ने किया था, जिन्होंने बताया कि तारों के माध्यम से विद्दूत को प्रवाह किया जा सकता है, जो गर्म होकर प्रकाश उत्पन्न कर सकते हैं।
हालांकि हेमप्री डेवी के द्वारा बनाए गए उपकरण कुछ घंटों तक ही जल पाते थे। जिसके बाद थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब का आविष्कार किया। उन्होंने Carbon Filament Light Bulb को तैयार किया था, जो 40 घंटे तक जल सकता था।
इस प्रकार थॉमस अल्वा एडिसन हजाऱ बार बल्ब बनाने में असफल हुए लेकिन हार नहीं माने। बल्ब का डिजाइन का ख्याल सबसे पहले इन्हीं के दिमाग में आया। इसीलिए बल्ब का असली आविष्कार थॉमस अल्वा एडिसन को ही माना जाता है।
थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब को बनाने के लिए रात दिन कड़ी मेहनत की। वे बल्ब को बनाने में इस कदर व्यस्त रहते थे कि खाना खाना भी भूल जाते थे। थॉमस अल्वा एडिसन ने बल्ब को बनाने के लिए 2,000 अलग-अलग सामग्री को आजमाया था।
इस तरह वे हजारों बार बल्ब बनाने में फेल हुए लेकिन वह हार नहीं माने और अंत: वह साल आया जब थॉमस अल्वा एडिसन का बल्ब बनकर तैयार हुआ, जिसे उन्होंने 1879 को दुनिया के सामने पेश किया।
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बल्ब के प्रकार
थॉमस अल्वा एडिसन ने प्रतिदीप्ति लैंप की खोज की थी, जिसे आम भाषा में बल्ब भी कहा जाता है। लेकिन यह बल्ब बहुत ज्यादा बिजली खपत करता है। इसी कारण आगे चलकर कई तरह के बल्ब के आविष्कार किए गए।
वर्तमान में इस प्रतिदीप्ति लैंप के अतिरिक्त एलईडी बल्ब, हैलोजन बल्ब, CFL बल्ब जैसे कई तरह के बल्ब बाजार में आ चुके हैं, जो कम बिजली खपत के साथ लंबे समय तक प्रकाश देते हैं।
हेलोजन बल्ब
हैलोजन बल्ब तापदीप्त लैंप ज्यादा लंबे समय तक चलने वाले लैंप होते हैं, जिसका उत्पादन लागत भी अन्य बल की तुलना में काफी कम होता है। इस बल्ब के अंदर नमीय टंगस्टन का फिलामेंट लगा होता है।
बल्ब के अंदर नाइट्रोजन, आर्गन गैस के साथ हैलोजन गैस को मिक्स करके भरा जाता है, जिसके कारण टंगस्टन का वाष्पीकरण नहीं हो पाता।
हेलोजन बल्ब को क्वार्ट्ज हेलोजन और टंगस्टन हेलोजन लैंप भी कहा जाता है। हैलोजन लैंप आकार में छोटे होने के साथ ही हल्के होते हैं लेकिन पूर्ण चमक देते हैं।
सीएफ़एल (CFL) बल्ब
सीएफएल को “कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट” कहते हैं। यह अन्य बल्ब के तुलना में अत्यधिक ऊर्जा देते हैं लेकिन एलईडी के तुलना में कम ऊर्जा देते हैं। सीएफएल बल्ब में आर्गन भरे होते हैं और बाहरी आवरण कांच का बना होता है।
LED बल्ब
led बल्ब का आज के समय में काफी ज्यादा इस्तेमाल होता है। क्योंकि यह बहुत कम प्रदूषण करता है और इसके साथ कम बिजली की खपत करता है।
LED का फुल फॉर्म Light-emitting diode होता है। यह एक अर्धचालक डिवाइस होता है। एलईडी बल्ब के अंदर कई छोटे-छोटे एलईडी बल्ब लगे होते हैं।
इस बल्ब का बाहरी आवरण प्लास्टिक का बना होता है और इसमें किसी भी तरह का फिलामेंट नहीं लगा होता है।
FAQ
सेंटेनियल लाइट को दुनिया का सबसे लंबे समय तक प्रकाशित होने वाला बल्ब माना जाता है। क्योंकि यह बल्ब साल 1901 से ही जल रहा है, जो अभी तक बंद नहीं हुआ है।
टंगस्टन धातु का लगभग गलनांक 3400 डिग्री सेल्सियस होता है। जिसके कारण इलेक्ट्रिक सिटी के उष्मा से यह जल्दी पिघलता नहीं है। इसी कारण इसका इस्तेमाल किया जाता है।
सीएफएल का फूल फार्म “कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लाइट” होता है। वहीं LED का फुल फॉर्म Light-emitting diode होता है। सीएफएल बल्ब एलईडी बल्ब की तुलना में थोड़े सस्ते होते हैं लेकिन यह एलईडी के तुलना में ज्यादा बिजली की खपत करते हैं। वहीं एलईडी बल्ब कम बिजली खपत के साथ ही प्रदूषण भी कम करता है।
एलईडी और सीएफएल बल्ब के तुलना में सबसे लंबे समय तक एलईडी बल्ब चलता है और यह सीएफएल के तुलना में बिजली की भी कम खपत करता है।
बल्ब का आविष्कार 27 जनवरी 1880 को अमेरिकन विज्ञानिक थॉमस अलवा एडिशन ने किया था।
थॉमस अल्वा एडिसन संयुक्त राज्य अमेरिका के रहने वाले थे। इनका जन्म 11 फरवरी 1847 को हुआ था।
निष्कर्ष
आज के इस लेख में आपने विज्ञान के सर्वश्रेष्ठ अविष्कारों में से एक बल्ब के आविष्कारक के बारे में जाना। बल्ब का इतिहास काफी लंबा रहा है। थॉमस अल्वा एडिसन के द्वारा बल्ब का आविष्कार करने के बाद आगे कई तरह के बलों का आविष्कार किया गया।
हमें उम्मीद है कि इस लेख के माध्यम से आपको पता चल गया होगा कि बल्ब का आविष्कार किसने और कब किया (Bulb Ka Avishkar Kisne Kiya) तथा बल्ब किस तरह काम करता है और बल्ब के कौन-कौन से प्रकार हैं।
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