Biography of Albert Einstein in Hindi: अल्बर्ट आइंस्टीन को दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहा जाता है, वह जर्मनी के भौतिक विज्ञानी थे। जिन्होंने ब्रह्मांड को लेकर हमारी सभी धारणाओं को पूरी तरह से बदल दिया था।
अल्बर्ट आइंस्टाइन ने दुनिया में अनेक सारे कारनामे किए हैं, जिन्हें दुनिया भर के लोग जानते हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन (Albert Einstein Biography in Hindi) के बारे में पूरी जानकारी विस्तार से बताएंगे।
अल्बर्ट आइंस्टीन एक ऐसे भौतिक विज्ञानी थे, जिन्होंने विश्व भर के भौतिक विज्ञान क्षेत्र में क्रांति ला दी थी। उन्होंने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में ऐसे-ऐसे प्रयोग किए, जिससे दुनिया को एक नई दिशा मिली और अल्बर्ट आइंस्टीन की बुद्धिमता का स्वरूप सामने आया।
आज के समय में संपूर्ण दुनिया भर में अल्बर्ट आइंस्टीन को 20 वीं सदी का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहा जाता है। अल्बर्ट आइंस्टीन के सिद्धांत उनके कार्य करने के तरीके तथा भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में किए गए प्रयोग आज के इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे।
अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय (जन्म, परिवार, शिक्षा, आविष्कार, पुरस्कार, मृत्यु) | Biography of Albert Einstein in Hindi
अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी एक नज़र में
नाम | अल्बर्ट आइंस्टीन |
जन्म | 14 मार्च 1879 |
जन्म स्थान | जर्मनी |
कार्य | भौतिक विज्ञान- सिद्धांत और आविष्कार |
नौकरी | प्रोफेसर |
पुरस्कार | नोबेल प्राइज |
निवास | अमेरिका |
मृत्यु | 18 अप्रैल 1955 |
धर्म | यहूदी |
अल्बर्ट आइंस्टीन कौन थे?
अल्बर्ट आइंस्टीन संपूर्ण विश्व में माने जाने वाले प्रसिद्ध theoretical physical science के महान वैज्ञानिक है। इनका नाम विज्ञान के दर्शनशास्त्र को प्रभावित करने में भी सर्वोच्च माना जाता है अर्थात इन्होंने दर्शनशास्त्र को विकसित करने के लिए अपना विशेष योगदान दिया है। अल्बर्ट आइंस्टीन इतने महान वैज्ञानिक थे कि इनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
अल्बर्ट आइंस्टीन अपने जीवन में महत्वपूर्ण आविष्कार किए हैं, जिसके कारण संपूर्ण विश्व को लाभ की प्राप्ति हुई है। अल्बर्ट आइंस्टीन के लगातार किए जाने वाले आविष्कारों के लिए उन्हें एक बार नोबेल पुरस्कार भी मिला था। अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस मुकाम को अपने कड़ी मेहनत के साथ हासिल किया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन को एक अन्य विषय गणित में भी खास रूचि थी। उन्होंने भौतिक विज्ञान को सरल एवं सुगमता पूर्वक समझने के लिए बहुत से आविष्कारों को किया, जो कि अब के समय में बहुत ही प्रेरणादायक है।
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म कब और कब हुआ?
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी में यहूदी परिवार में 14 मार्च 1879 को हुआ था। अल्बर्ट आइंस्टीन के पिता का नाम हरमन आइंस्टीन तथा माता का नाम पॉलिन आइंस्टीन था। उनकी पत्नी का नाम मिलेवा मैरिक तथा उनके बच्चे का नाम हंस अल्बर्ट आइंस्टीन एवं एडवर्ड आइंस्टीन था।
अल्बर्ट आइंस्टीन का बचपन
अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन से ही बुद्धिमान और होशियार थे। उनके पिता हरमन आइंस्टीन इंजीनियर थे, जो बिजली के उपकरण का काम किया करते थे, तभी से अल्बर्ट आइंस्टीन को कुछ नए-नए आविष्कार करने में रूचि होने लगी और वे धीरे-धीरे भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ते गए।
जब अल्बर्ट आइंस्टीन छोटे थे, तब से ही उनके शरीर में काफी बदलाव थे। वे दूसरे बच्चों की तुलना में बुद्धिमान और कौशल तो थे ही, लेकिन उनके शरीर में भी बदलाव था। अल्बर्ट आइंस्टीन का सर दूसरे बच्चों की तुलना में बहुत बड़ा था तथा उन्हें बोलने में भी काफी तकलीफ होती थी। बता दें कि अल्बर्ट आइंस्टीन के जन्म के 4 वर्ष तक वे बिल्कुल भी नहीं बोलते थे।
लेकिन उन्होंने 1 दिन खाना खाते हुए अचानक से बोला कि, “खाना बहुत गर्म है” इस बात से उनके माता-पिता हैरान भी हुए। हैरान इस बात से हुए कि उन्होंने आज तक जन्म के 4 वर्ष तक एक शब्द भी नहीं बोला और अचानक से उन्होंने एक लाइन बोल दी थी तथा इस बात से खुश हुए कि उनका बच्चा बोलने लग गया है।
जब अल्बर्ट आइंस्टीन 5 वर्ष के हुए थे, तभी उन्हें घर के नजदीकी प्राइमरी स्कूल में ऐडमिशन दिलवा दिया गया, जहां उन्हें बोलने की समस्या के कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। स्कूल के समय में पढ़ने लिखने का शौक नहीं था, क्योंकि उन्हें रट्टा मार-मार कर याद करने वाली शिक्षा बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। वे स्कूल को कैदखाना कहते थे, उन्हें स्कूल कैद की तरह लगती थी।
अल्बर्ट आइंस्टीन की शिक्षा (Albert Einstein Education)
अल्बर्ट आइंस्टीन की प्रारंभिक शिक्षा म्युनिक नामक शहर में ही हुई थी। उनके अध्यापकों का यह मानना था कि अल्बर्ट आइंस्टीन मानसिक रूप से ग्रसित है और यह बचपन में पढ़ाई लिखाई करने में बहुत ही कमजोर थे। अल्बर्ट आइंस्टीन 9 वर्ष की उम्र तक तो बोलना ही नहीं जानते थे अर्थात अल्बर्ट आइंस्टीन नव वर्ष की उम्र तक बोलने में असमर्थ थे।
जैसा कि हमने बताया अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन में खेलकूद इत्यादि में अधिक रूचि रखते थे तो ऐसे में इन्होंने 6 वर्ष की उम्र में सारंगी बजाना शुरू कर दिया और इन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में सदैव इसका उपयोग किया। इतना ही नहीं उन्होंने लगभग 12 वर्ष की उम्र में ज्यामिति की खोज की और उसका सजग प्रमाण भी निकाला। इन सभी खोजों के बाद जब वह मात्र 16 वर्ष के थे तब से ही उन्होंने गणित विषय के कठिन से कठिन प्रश्नों को भी हल किया, इन प्रश्नों को तो वे बहुत ही आसानी से हल कर लेते हैं।
अल्बर्ट आइंस्टीन का मन पढ़ाई लिखाई में कम लगता था, उन्होंने अपनी द्वितीयक शिक्षा 16 वर्ष की उम्र में ही समाप्त कर दी। क्योंकि इनकी वजह से अन्य विद्यार्थी प्रभावित होते थे, इसी कारण इनके विद्यालय के अध्यापक ने इन्हें स्कूल से निकाल दिया। विद्यालय से स्थगित किए जाने के बाद किसी को बिना बताए उन्होंने कृषि विश्वविद्यालय में एडमिशन करवाने के लिए योजना बनाने लगे।
कुछ समय बाद अल्बर्ट आइंस्टीन को स्विट्जरलैंड के ज्यूरिक नामक शहर में फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी नामक विद्यालय में दाखिला लेने का अवसर प्राप्त हुआ, परंतु वे इस विद्यालय में दाखिल नहीं हो पाए।
इस परीक्षा में निरस्त होने के बाद उनके अध्यापक द्वारा उन्हें सलाह दी गई कि उन्हें स्विट्जरलैंड के किसी अन्य विद्यालय से डिप्लोमा की डिग्री प्राप्त करनी होगी। तत्पश्चात उनका फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी विद्यालय में दाखिला सन 1896 में स्वयं ही हो जाएगा।
स्विट्जरलैंड के औरों में स्थित एक विद्यालय कैंटोनल स्कूल से उन्होंने डिप्लोमा की डिग्री प्राप्त की और उनका एडमिशन फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी विद्यालय में हो गया। अपने एडमिशन के बाद वह बहुत ही खुश हुए और उन्होंने सन उन्नीस सौ में फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से अपने ग्रेजुएशन की परीक्षा को पास कर लिया, इसके बाद भी उनके अध्यापक उनके खिलाफ थे। उनके अध्यापकों का यह कहना था कि अल्बर्ट आइंस्टीन यूजुअल यूनिवर्सिटी असिस्टेंटशिप के लिए योग्य नहीं है।
अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन
बचपन में अल्बर्ट आइंस्टीन लगभग 1888 के समय सभी बच्चों से अलग रहते थे, उन्हें अकेला रहना एवं शांत रहना बहुत पसंद था। कभी भी वे दूसरे लड़कों की तरह नहीं खेलते थे। उन्हें केवल प्रकृति और ब्रह्मांड के बारे में देखते हैं और सोचते हुए पाया गया है। वे बचपन में ब्रह्मांड और प्रकृति के बारे में हमेशा सोचते थे तभी उनके पिता ने उनको एक कंपास लाकर दिया था।
जब अल्बर्ट आइंस्टीन के पिता ने उन्हें चुंबकीय दिशा सूचक यंत्र दिया तब वह खुश तो हुए, लेकिन हमेशा यही सोचते थे कि इस कंपास कि एक सुई हमेशा उत्तर दिशा की ओर ही क्यों रहती है। इसी बात की जिज्ञासा उन्हें भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में नए-नए कारनामे करने के लिए प्रेरित कर रही थी।
जैसा कि हमने आपको बताया अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म एक यहूदी परिवार में हुआ था, लेकिन उस समय दुनिया भर में ही यहूदी धर्म के लोग खतरे में थे। हर जगह यहूदी धर्म के लोगों पर अत्याचार होता था। इस वजह से अल्बर्ट आइंस्टीन को भी सारी समस्याओं से गुजरना पड़ा। उन्हें स्कूल में बच्चे चिढ़ाते थे तथा धर्म को लेकर भी बच्चों और उनके बीच अनबन होती रहती थी। परंतु उनका मन और दिमाग हमेशा प्रकृति सौरमंडल की तरह ही रहता था।
प्राइमरी स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन का परिवार इटली चला गया। यहां पर अल्बर्ट आइंस्टीन को उनके पिता ने इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर बनाना चाहा, लेकिन अल्बर्ट आइंस्टीन को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था। क्योंकि उन्हें शुरुआत से ही रटा लगाकर पढ़ने वाली शिक्षा बिल्कुल पसंद नहीं थी।
इस लिए अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कई बार स्कूल तथा विद्यालय प्रशासन से भी टकरा गए थे। उनके साथ अनेक बार अन-बर हुआ करते थी, लेकिन जो शिक्षा प्रणाली सदियों से चली आ रही थी, उसे शिक्षा विभाग नहीं बदल सका।
अल्बर्ट आइंस्टीन और भौतिक विज्ञान
अल्बर्ट आइंस्टीन के भविष्य को लेकर अल्बर्ट आइंस्टीन के माता-पिता ने गंभीरता से उसे इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के लिए कहा, जिस पर उन्होंने एडमिशन लिया तथा भौतिक विज्ञान में ही अच्छे मार्क्स प्राप्त किए। यहां पर भी अल्बर्ट आइंस्टीन का कुछ नहीं हुआ और उन्होंने सन 1800 में जर्मनी की नागरिकता छोड़ दी। अब वह कहीं के भी नागरिक नहीं रहे, इस दौरान अल्बर्ट आइंस्टीन ने अनेक तरह के प्रयोग करने का विचार किया और एक बार फिर एजुकेशन की तरफ मुड़ गए।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने 21 साल की उम्र पॉलिटेक्निक से डिप्लोमा पास किया तथा एक रिसर्च पेपर पब्लिश किया था। डिप्लोमा पास करने के बाद अपना घर खर्च चलाने के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन ने बच्चों को कोचिंग पढ़ाना शुरू कर दिया, लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने यह भी काम बंद कर दिया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन को स्विजरलैंड की नागरिकता मिल गई, उसके बाद उन्होंने यहां के एक इंस्टीट्यूट में असिस्टेंट एग्जामिनर के तौर पर लगभग 3 वर्ष तक नौकरी की, यहां पर अल्बर्ट आइंस्टीन का सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन उन्हें यहां पर ज्यादा काम नहीं मिल रहा था, तो उन्होंने यह नौकरी भी छोड़ने का फैसला किया।
अल्बर्ट आइंस्टीन लगभग 23 साल के हो चुके थे और अब उन्होंने वर्ष 1930 में मिलेवा मैरिक के साथ स्विजरलैंड में शादी करने का विचार किया और कुछ दिनों में उन्होंने शादी कर ली, जिसके ठीक 1 वर्ष बाद उन्हें एक बेटा हुआ, जिसका नाम हंस अल्बर्ट आइंस्टीन रखा गया। अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन इस समय काफी सुख की से गुजर रहा था, वह अपने परिवार के साथ काफी खुश थे।
शादी के 2 वर्ष बाद अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने नौकरी के साथ-साथ पीएचडी भी कंप्लीट कर ली, जिसके बाद वे नौकरी ढूंढने लग गए, इस दौरान उन्होंने कई सारे रिसर्च पेपर भी प्रकाशित किए। 26 वर्ष की आयु में अल्बर्ट आइंस्टीन ने ऐसे-ऐसे पेपर प्रकाशित किए, जिन्होंने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति का काम किया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने जो भौतिक विज्ञान से संबंधित पेपर प्रकाशित किए थे, उसके बाद उनकी प्रसिद्ध बढ़ती गई, जिसके चलते स्विट्जरलैंड में प्रोफेसर बन गए। वर्ष 1910 में अल्बर्ट आइंस्टीन के दूसरे बेटे का जन्म हुआ, उनका नाम एडवार्ड आइंस्टीन रखा गया था लेकिन 20 वर्ष की उम्र में भी उनके दूसरे बेटे की मौत हो गई।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने स्विट्जरलैंड में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत अनेक सारे प्रयोग किए, जो भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में कारगर साबित हुए। उन्होंने गुरुत्वाकर्षण बल को लेकर भी ऐसे प्रयोग किए, जिससे दुनिया भर में उनकी चर्चा होने लगी, जिसके बाद उन्हें आस्ट्रेलिया की नागरिकता मिल गई और ऑस्ट्रेलिया चले गए। जहां पर उन्होंने अपनी रिसर्च को चालू रखा और प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हो गए।
अल्बर्ट आइंस्टीन और मिलेवा मैरिक का तलाक
अल्बर्ट आइंस्टीन और उनकी पत्नी मिलेवा के दो बच्चे होने के बाद वर्ष 1914 में दोनों के बीच मतभेद होने लगे, जिसके चलते अल्बर्ट आइंस्टीन ने मैरिज को तलाक देने का फैसला किया। अल्बर्ट आइंस्टीन हमेशा अकेले रहते थे और उन्हें शांत रहना पसंद है। इसी वजह से दोनों के बीच नहीं बन रही थी, जिसके चलते अल्बर्ट आइंस्टीन ने सन 1919 में मैरिज से तलाक ले लिया।
मैरिक से तलाक लेने के बाद कुछ समय अल्बर्ट आइंस्टीन अकेले ही रहे, उस दौरान उन्होंने अपनी है रिसर्च को जारी रखा तथा कुछ समय बाद फिर से शादी करने का निर्णय लिया। दूसरी बार अल्बर्ट आइंस्टीन ने एल्सा नाम की लड़की को अपना जीवन साथी चुना और उसी से शादी कर ली।
अमेरिका में अल्बर्ट आइंस्टीन
अल्बर्ट आइंस्टीन की दूसरी शादी के बाद उन्होंने पहली बार अमेरिका की यात्रा की सन् 1921 में 2 अप्रैल को अल्बर्ट आइंस्टीन को अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में यूनिवर्सिटी में लेक्चर देने के लिए बुलाया गया था। जहां पर जाने के बाद उन्हें अमेरिका काफी पसंद आया।
इसके बाद अल्बर्ट आइंस्टीन को “नोबेल प्राइज” पुरस्कार मिला जो कि उन्हें प्रकाश विद्युत प्रभाव के लिए मिला था। नोबेल प्राइज पुरस्कार में मिली राशि को अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपनी पहली पत्नी को दे दिए, ताकि वह बच्चों का पालन पोषण कर सके।
दुनिया में युद्ध का समय चल रहा था, विश्वयुद्ध का समय दुनिया भर के यहूदियों को सरकारी नौकरियां से निकाला जा रहा था और उन्हें मारना काटना चालू कर दिया था। दुनिया भर के यहूदी घबराकर एक दूसरी जगह भागने लगे थे।
ऐसी स्थिति में अल्बर्ट आइंस्टीन अपनी पत्नी के साथ सन 1933 में अमेरिका आ गए। जहां उन्होंने प्रोफेसर के रूप में काम करना शुरू किया और उन्हें अमेरिका की नागरिकता भी मिल गई है। बता दें कि 1935 में जर्मनी के हिटलर ने यहुदी धर्म के लोगों को लाखों की संख्या में मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया था।
अल्बर्ट आइंस्टीन के आविष्कार (Albert Einstein Inventions in Hindi)
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अल्बर्ट आइंस्टीन ने बहुत से अविष्कार किए हैं, जिनमें से उनके कुछ आविष्कार नीचे निम्नलिखित रुप से दर्शाए गए हैं।
- E = MC square: आइंस्टीन ने द्रव्यमान और ऊर्जा के संबंध में एक समीकरण दिया जो कि उनका सबसे महत्वपूर्ण अविष्कार माना जाता है। उनके इस आविष्कार को द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण या न्यूक्लियर एनर्जी कहते हैं।
- आइंस्टीन का रेफ्रिजरेटर सिद्धांत: Albert Einstein ने रेफ्रिजरेटर सिद्धांत का आविष्कार किया, इस सिद्धांत के लिए उन्हें बहुत ही ख्याति प्राप्त हुई। आइंस्टीन ने एक रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किया जिसमें अधिकतम जल अमोनिया ब्यूटेन और ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का उपयोग हो सके। उन्होंने अनेकों प्रकार की गतिविधियों का ध्यान में रखते हुए इस रेफ्रिजरेटर का आविष्कार किया था।
- आसमान का नीला होना: आसमान नीला क्यों होता है यह आइंस्टीन के द्वारा ही बताया गया था यह अल्बर्ट आइंस्टीन का एक सामान्य सा प्रमाण था कि आसमान का रंग नीला क्यों होता है? परंतु अल्बर्ट आइंस्टीन में इसके संबंध में अनेकों प्रकार की सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं।
- Theory of relativity: जैसा कि आपको बताया अल्बर्ट आइंस्टीन ने रिलेटिविटी थ्योरी को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया यह वही है जिसके अंतर्गत समय और गति के संबंध को दर्शाया गया है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने ब्रह्मांड में प्रकाश की गति और प्रकृति के नियम के अनुसार को बताया।
- महत्तम प्रोजेक्ट का सिद्धांत: Albert Einstein ने महत्तम प्रोजेक्ट थ्योरी को बताया। यह एक ऐसा अनुसंधान था, जो कि यूनाइटेड स्टेट आप अमेरिका का समर्थन करता था। Albert Einstein ने सन 1945 में परमाणु बम को प्रस्तावित किया। उसके बाद उन्होंने विश्व युद्ध के दौरान जापान में ही रहकर थे परमाणु बम को विनाश करना भी सीखा।
इन सभी खोजों के अलावा भी अल्बर्ट आइंस्टीन ने अनेकों प्रकार की खोज किए हैं। उनके उन खोजो में से कुछ प्रसिद्ध खोज ऊपर दर्शाए गए हैं।
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अल्बर्ट आइंस्टीन को पुरस्कार (Albert Einstein Awards)
- वर्ष 1921 में मत्तयूक्की मैडल
- वर्ष 1921 में नॉबल पुरस्कार (भौतिकी)
- वर्ष 1925 में कोपले मैडल
- वर्ष 1929 में मैक्स प्लांक मैडल
- वर्ष 1999 में शताब्दी टाइम पर्सन पुरस्कार
अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु
अल्बर्ट आइंस्टीन के मौत रक्तस्राव की वजह से हुए हो गई थी। अल्बर्ट आइंस्टीन के शरीर में रक्त स्राव शुरू हो गया था, जिस वजह से उनकी मौत हो गई। अल्बर्ट आइंस्टीन ने 76 साल की उम्र में 17 अप्रैल 1955 को इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। अल्बर्ट आइंस्टीन अपने आखिरी समय में हॉस्पिटल में थे, लेकिन उनके द्वारा किए गए भौतिक विज्ञान के क्षेत्र के प्रयोग आज भी दुनिया के काम आ रहे हैं।
अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग
दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहे जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग 1234 ग्राम का था। बता दें कि 18 अप्रैल 1955 को अल्बर्ट आइंस्टीन ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, उसके बाद उनके परिवार की बिना अनुमति के ही डॉक्टर थॉमस ने अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग निकाल दिया था।
इसलिए उस डॉक्टर को नौकरी से निकाल दिया गया तथा अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग को 20 साल तक सुरक्षित रखा गया। 20 वर्ष के बाद अल्बर्ट आइंस्टीन के बेटे हंस अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा अनुमति मिलने के बाद रिसर्च शुरू की गई। अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु के बाद उसके दिमाग को सुरक्षित रख दिया गया था, जिसकी अनुमति 20 वर्ष बाद मिली।
तब दुनिया के बड़े-बड़े शोधकर्ता अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग को 256 टुकड़ों में बांटकर इस पर कई समय तक खोज और रिसर्च की। रिसर्च के बाद शोधकर्ताओं ने कहा कि उनके दिमाग में Gliale Cell की मात्रा काफी अधिक है। इस वजह से कम उम्र और कम समय में बहुत कुछ ज्यादा सीख सकते हैं।
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अल्बर्ट आइंस्टीन का विचार (Albert Einstein Quotes in Hindi)
- अल्बर्ट आइंस्टीन का यह मानना था कि किसी व्यक्ति को एक सफल व्यक्त बनने का प्रयास नहीं करना चाहिए बल्कि उसे मूल्यों पर चलने वाले इंसान के रूप में बनना चाहिए।
- किसी भी इंसान को अपने जीवन में यह देखना चाहिए कि क्या है और क्या नहीं हमें उसे सुधारने के लिए क्या करना चाहिए।
- अल्बर्ट आइंस्टीन का मानना था कि किसी भी प्रकार की समस्या को वहीं पर हल नहीं किया जा सकता, जहां से वह समस्या उत्पन्न हुई है।
- यदि हमें मानव जीवन को सुरक्षित रखना है तो सदैव नई चीजों के बारे में सोचना चाहिए।
- अल्बर्ट आइंस्टीन का यह भी मानना था कि किसी भी व्यक्ति से बिना सवाल जवाब किए, उसे सम्मान प्रदान करना यह सत्य के खिलाफ है।
- उनका कहना था कि समुद्री जहाज किनारों पर ज्यादा सुरक्षित होती है, परंतु उनका आविष्कार किनारों पर खड़े रहने के लिए नहीं किया गया है।
- अल्बर्ट आइंस्टीन के द्वारा यह भी कहा गया था कि दो चीजें अनंत होती हैं पहला ब्रह्मांड और दूसरा मनुष्य की मूर्खता।
- यदि हम किसी भी कार्य प्रणाली को करने के सभी नियम जानते हैं तो वह कार्य हमसे बेहतर और कोई नहीं कर सकता।
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FAQ
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म जर्मनी में एक यहूदी परिवार में 18 मार्च सन 1879 में हुआ था।
बचपन में अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग दूसरे बच्चों की तुलना में बड़ा था। इसके अलावा उन्हें बोलने की समस्या थी। वह 4 साल तक कुछ भी नहीं बोले थे।
अल्बर्ट आइंस्टीन ने जर्मनी की नागरिकता छोड़ छोड़ दी थी।
युद्ध के कारण अल्बर्ट आइंस्टीन को जर्मनी छोड़ना पड़ा क्योंकि उसे समय जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने यहूदियों को मारना काटना शुरू कर दिया था।
दुनिया के सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहे जाने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु 18 अप्रैल 1955 हुई थी।
अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु अमेरिका में हुई थी।
अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु शरीर के अंदर रक्तस्राव होने की वजह से हुई थी।
निष्कर्ष
अल्बर्ट आइंस्टीन को दुनिया का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति कहा जाता है। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अनेक सारे प्रयोग किए हैं, जिसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिल चुका है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने भौतिक विज्ञान के क्षेत्र में अनेक सारे सिद्धांत और प्रयोग दिए हैं, जो आज भी दुनिया के लिए प्रेरणादायक है। अल्बर्ट आइंस्टीन के इसी योगदान से लोग आज उनके बारे में जानना चाहते हैं।
इसलिए आज के इस आर्टिकल में हमने आपको अल्बर्ट आइंस्टीन जीवनी इन हिंदी (Albert Einstein ka Jivan Parichay) पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद आपको अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में संपूर्ण जानकारी पता चल जाएगी।
उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपको जरूर पसंद आया होगा। यदि आपका अल्बर्ट आइंस्टीन या इस आर्टिकल के से संबंधित कोई भी प्रश्न है तो आप कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम बहुत ही जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
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