Home > History > भीनमाल का इतिहास और दर्शनीय स्थल

भीनमाल का इतिहास और दर्शनीय स्थल

Bhinmal History In Hindi: भीनमाल राजस्थान राज्य का एक ऐतिहासिक नगर है, जो जालोर जिले के अंतर्गत पड़ता है। यह जालोर से 72 किलोमीटर दक्षिण में है। भीनमाल भारत का सबसे प्राचीन शहर माना जाता है। क्योंकि भीनमाल की महिमा का वर्णन हिन्दू धर्म की धार्मिक कथाओं में किया गया है। भीनमाल प्राचीन गुजरात की राजधानी थी।

भीनमाल के नाम की उत्पत्ति के बारे में सबके अलग-अलग मत हैं। ऐसा कहा जाता है कि भीनमाल की उत्पति भगवान विष्णु की पत्नी माँ लक्ष्मी द्वारा की गई थी, इसलिए इसे भगवान विष्णु का नगर अर्थात ‘श्रीमाल’ भी कहा जाता है। कई संस्कृत साहित्य में भीनमाल को पुष्पमाला, रत्नमाल, आलमा आदि नामों से जाना गया हैं।

Bhinmal History In Hindi
Image: Bhinmal History In Hindi

18वीं और 19वीं सदी में भीनमाल का नाम ‘भिल्लमाला’ हुआ करता था। क्योंकि यहाँ पर भीलों की संख्या ज्यादा हुआ करती थी, इसका जिक्र कई साहित्यों में भी किया गया है। भूतकाल में भीनमाल शिक्षा, व्यापार, गणित, ज्योतिष, खगोल, विज्ञान आदि का एक बहुत बड़ा केंद्र हुआ करता था। आज के लेख में हम इसी भीनमाल का इतिहास के बारे में जानेंगे तो लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।

भीनमाल का इतिहास और दर्शनीय स्थल | Bhinmal History In Hindi

भीनमाल का इतिहास

भीनमाल का इतिहास स्कंधपुराण से शुरू होता है। इस महान ग्रंथ में इस जगह के बारे में काफी बातें बताई है। भगवती लक्ष्मी की कृपा से बसा यह नगर कितनी बार बसा और उजड़ा भी। इतिहास कारों के अनुसार यह नगर चार बार नष्ट हुआ है, इसलिए कालांतर इस नगर का नाम बदलता रहा।

भीनमाल का भूगोल

पुरातन समय में इस शहर का विस्तार करीब 60 किलोमीटर हुआ करता था। शहर के हर तरफ तालाब हुआ करते थे। इतिहासकारों के अनुसार 900AD के आसपास भीनमाल पश्चिमी भारत का सबसे बड़ा शहर था। भीनमाल शहर चौकोर आकार में बसा हुआ था, जिसके प्रवेश के कुल 84 द्वार थे। भीनमाल शहर के पूर्व में सूर्य द्वार, पश्चिम में सांचोरी गेट, उत्तर में जालोरी गेट और दक्षिण में लक्ष्मी गेट था।

विद्वानों की भूमि

ऐतिहासिक भूमि भीनमाल को विद्वानों की भूमि भी माना जाता है। प्राचीन काल से भीनमाल हमेशा एक महान शिक्षा केंद्र माना जाता था। यहाँ के विद्वानों की ख्याति दूर दूर तक हुआ करती थी। इस महान भूमि पर संस्कृत के महाकवि माघ का जन्म हुआ था, महाकवि माघ ने शिशुपाल वध नामक ग्रंथ की रचना की थी।

भारत के महान खगोलविज्ञानी व गणीतज्ञ ब्रह्मगुप्त की जन्मभूमि भी भीनमाल है, जिन्होंने ब्रह्म स्फुट सिद्धांत और खण्ड्-खण्डकव्य की रचना की थी। इसके अलावा कई महान जैनाचार्यों का भी जन्म इस धरती पर हुआ है, जिनके द्वारा जैन एवं संस्कृत साहित्य की उपमिति, प्रप्रंच कथा, जैन रामायण् और कुवयलमाला आदि ग्रंथों की रचना की गई।

भीनमाल के धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थल

भीनमाल में विभिन्न मान्यताओं वाले धर्मो का विकास हुआ। भीनमाल हिन्दू धर्म के साथ साथ जैन धर्म का भी पवित्र स्थान माना जाता है। यहाँ पर असंख्य प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर स्थापित है। लोग दूर दूर से यहाँ दर्शन के लिए आते है।

हिन्दू धर्म के मंदिर

निम गौरिया क्षैञपाल मंदिर, वाराहश्याम मंदिर, चंडीनाथ महादेव मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर, क्षेमंकरी माताजी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर, महालक्ष्मी कमलेश्वरी मंदिर, गायत्री मंदिर, त्रयम्बकेश्वर महादेव मंदिर, बाबा रामदेवजी मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर, फाफरिया हनुमान मंदिर, भीमनाथ महादेव मंदिर, सरस्वती मंदिर, गणेश मंदिर, भबूतरगिरीजी मठ मंदिर, सुन्धामाता मन्दिर, जांभोजी मंदिर बिश्नोई धर्मशाला, विष्णु मन्दिर निम्बौड़ा।

जैन धर्म के मंदिर

72 जिनालय, महावीर स्वामी जैन मंदिर, पार्श्वनाथ जैन मंदिर, शांतीनाथ जैन मंदिर, नाकोड़ा पार्श्वनाथ जैन मंदिर, चोमुखजी जैन मंदिर, पद्मप्रभु जैन मंदिर, जीरावला पार्श्वनाथ जैन मंदिर, सीमंधर स्वामी जैन मंदिर, शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर, गौड़ी पार्श्वनाथ जैन मंदिर, कीर्ति स्तंभ जैन मंदिर, बाफ़ना वाडी जैन मंदिर, शंखेश्वर पार्श्वनाथ जैन मंदिर, कुंथुनाथजी जैन मंदिर।

ऐतिहासिक स्थल

चण्डीनाथ बावड़ी, दादेली बावड़ी, जाकोब तालाब, बाल समन्द तालाब, त्रयम्ब्केश्वर सरोवर, हाथी पोल, रानेश्वर महादेव,
वराहश्याम की पोल, घन्टाघर।

निष्कर्ष

आज के इस लेख में हमने राजस्थान के जालौर जिले में स्थित भीनमाल का इतिहास (Bhinmal History In Hindi) के बारे में सब कुछ बताया है। हमें उम्मीद है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा।

यदि लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो आप कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं और इस लेख को अपनी सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें।

यह भी पढ़े

सुंधा माता मंदिर का इतिहास और कथा

करणी माता के मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य

रानी पद्मावती का इतिहास और कहानी

तनोट माता मंदिर का इतिहास और रोचक तथ्य

वीर तेजाजी महाराज का परिचय और इतिहास

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts

Leave a Comment