गौवंश का भारतवर्ष में सांस्कृतिक, धार्मिक व आर्थिक रूप से हमेशा विशिष्ट स्थान रहा है। गौवंश भारतीय समाज में आर्थिक समृद्धि का भी प्रतीक रहा है। इसीलिए सदियों पूर्व भी गौवंश पर लुटेरों का खतरा हमेशा बना रहता था। गौवंश को बचाने केलिए असंख्य लोगों ने अपने प्राणों की आहुतियाँ दी।
ऐसे ही गुजरात में ‘फागवेल’ गौरक्षक हुए थे भाथीजी राठौड़। भाथीजी महाराज को वर्तमान में लोग देवता के रूप में पूजते हैं। उनकी मान्यता है कि वे उनके परिवार को बीमारियों व सांप, बिच्छु जैसे जहरीले जीवों से रक्षा करते हैं।
आज हम इस लेख के माध्यम से भाथीजी राठौड़ के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही उनके परिवार, जीवन पर बने एल्बम, फिल्म, मेले व अनुष्ठान आदि के बारे में भी जानेंगे।
भाथीजी राठौड़ का इतिहास और जीवन परिचय (जन्म, परिवार, मेले, फिल्म, निधन)
भाथीजी राठौड़ की जीवनी एक नजर में
नाम | भाथीजी राठौड़ |
जन्म और जन्म स्थान | लगभग 350 वर्ष पूर्व, फागवेल, खेड़ा (गुजरात) |
माता-पिता का नाम | तखतसिंह (पिता) अक्कलबा (माता) |
भाई-बहन | भाई (1): हाथीजी बहिन (2): सोनबा, बन्जीबा |
पत्नी | राजकुमारी कंकुबा |
प्रसिद्धि | लोकदेवता |
शौक | घुड़सवारी |
मुख्य मंदिर | फागवेल, तहसील: कपड़वंज, जिला: खेड़ा (गुजरात) |
निधन | गायों की रक्षा करते समय युद्ध में |
भाथीजी राठौड़ कौन थे?
आज से लगभग 350 वर्ष पूर्व आध्यात्मिक व शक्तिशाली व्यक्तित्व के धनी राठौड़ तख्तसिंहजी मानसिंहजी फागवेल (अब गुजरात के खेड़ा जिले में) का प्रबन्धन उनके हाथ में था। उनके शासन में प्रजा सुखी जीवन बिताती थी। इनका विवाह ‘चिखडोल’ की आध्यात्मिक व धार्मिक प्रवृत्ति की राजकुमारी कंकुबा से हुआ था।
तखतसिंहजी पावागढ़ स्थित ‘महाकाली’ व डाकोर स्थित ‘रणछोड़राय’ के भक्त थे और कई बार इन तीर्थों की यात्रा भी करते रहते थे, जिनके कारण उनको भाथीजी जैसे दिव्य पुत्र की प्राप्ति हुई। भाथीजी के एक छोटे भाई थे, जिनका नाम हाथीजी था व दो बहनें थी, जिनका नाम सोनबा व बन्जीबा था। भाथीजी घुड़सवारी के शौकीन थे व साथ ही भक्तिभाव से सर्पों को दूध पिलाकर उनकी सेवा करते थे।
एकदिन शुभ वेला में भाथीजी का विवाह हो रहा था, कहा जाता है कि भाथीजी ने विवाह मण्डप में छः फेरे ले लिये थे और सातवें फेरे की बारी आई तो सूचना मिली कि लुटरे गायों को हांककर ले गए हैं। भाथीजी ने फेरे बीच में ही छोड़कर अपने घोड़े पर सवार हो तलवार लेकर लुटरों का पीछा किया।
थोड़ी दूर जाने के बाद लुटरों से भिड़न्त हो गई और भाथीजी का युद्ध में सिर धड़ से कटकर अलग हो गया। कहा जाता है कि बिना सिर के धड़ से ही लुटरों से भीषण युद्ध करते हुए गायों को वापिस लाये। यह बलिदान आज भी लोगों में उनके प्रति श्रद्धा जगाए हुए हैं और भाथीजी महाराज को देवता के रूप में बहुत बड़े विस्तार में पूजा जाता है।
गुजरात के राठौड़ राजपूत उनको कुलदेवता के रूप में पूजते हैं। गुजरात में भाथीजी महाराज के कई स्थानों पर मन्दिर बने हुए हैं, जहां हजारों भक्त उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं। उनका मुख़्य मन्दिर उनके पैतृक स्थान ‘फागवेल’ में बना हुआ है, जो एक बहुत बड़ा तीर्थधाम का स्वरूप है।
भाथीजी राठौड़ की स्मृति में मेले व अनुष्ठान
भाथीजी महाराज के यूं तो छोटे-बड़े मन्दिर कई स्थानों पर बने हुए हैं, जहां मेलों का आयोजन होता है। लेकिन मुख्य पांच मेले प्रसिद्ध हैं। ये मेले कार्तिक माह की शुक्ल द्वितीया (भाई बीज) को फागवेल (तहसील कपडवंज), गाँव दावड़ा, मेहमदपुरा (तहसील नडियाद), कनिज (तहसील मेहमदाबाद) व वलासण (जिला आणंद) में बड़े मेलों का आयोजन होता है।
इसी दिन मुख्य पूजा होती है, लेकिन वैसे वर्षभर हर शुक्रवार को भी विशेष पूजा होती है। भाथीजी महाराज को श्रद्धालु जहरीले जीवों (सांप, बिछु), बीमारी व मैली विद्या से बचाव केलिए विशेष रूप से पूजते हैं। उनकी मूर्ति व फोटो घोड़े पर सवार व दाहिने हाथ में तलवार लिए हुए बनाई जाती है।
भाथीजी महाराज के अनुयायियों का एक ‘क्षत्रिय भाथीजी सेना’ संगठन भी सक्रिय है, जिसके द्वारा उनके बताए मार्ग का भक्तों में प्रचार-प्रसार किया जाता है।
भाथीजी राठौड़ के जीवन पर आधारित एल्बम व फिल्में
कई नामी कलाकारों द्वारा उनके संगीत एलबम बनाये गए हैं, जिनमें भाथीजी महाराज की जीवनी का वर्णन किया गया है। ऐसा ही एक एलबम फ़िल्म जगत की प्रसिद्ध पार्श्वगायिका अलका याग्निक की आवाज में भी तैयार किया गया है।
इसी तरह फ़िल्म निर्देशक शान्तिलाल सोनी ने दो गुजराती फिल्मों का भी निर्माण किया है, जिसमें उनके जीवन पर आधारित घटनाओं का चित्रण बड़े ही कलात्मक रूप से किया गया है। पहली फ़िल्म 1980 में ‘भाथीजी ने मन्दिरे’ व दूसरी फिल्म ‘भाथीजी महाराज’ 1990 में रिलीज हुईं।
गुजरात गौरव यात्रा का आरम्भ
सन 2002 में जब श्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भाथीजी मन्दिर ‘फागवेल’ से उन्होंने ‘गुजरात गौरव यात्रा’ का शुभारम्भ किया था।
भाथीजी राठौड़ से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
- भाथीजी के गुजरात के प्रसिद्ध लोकदेवता है, जिन्होंने गायों की रक्षा के लिए लुटेरों से युद्ध किया।
- भाथीजी का जन्म राठौड़ राजपूत परिवार में हुआ था।
- भाथीजी ने गायों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किये थे।
- सौराष्ट्र के राठौड़ राजपूतों के द्वारा इन्हें कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है।
- बीमार पशुओं और परिवार के सदस्यों की रक्षा के लिए भाथीजी की पूजा की जाती है।
- भाथीजी का मुख्य मंदिर उनके पैतृक स्थान ‘फागवेल’ में है, जो एक बड़ा तीर्थधाम है।
निष्कर्ष
हमने यहाँ पर गुजरात के प्रसिद्ध लोकदेवता भाथीजी राठौड़ के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख अवश्य पसंद आया होगा, इसे आगे शेयर जरूर करें। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
यह भी पढ़े
लोकदेवता बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय और इतिहास
वीर गोगाजी का इतिहास और जीवन परिचय
वीर तेजाजी महाराज का परिचय और इतिहास
Jai shree Bhatiji Maharaj. My Tamizh Nadu ka hunbhatiji , kallaji, Gathrod ji, Mavji Maharaj Nishkalankh Kalki Bhagavan k bhakth hun. Aap k is lekh bahut interesting hai. Bhakthhi bara bhaav uthpanna kartha hai. Saaraansh ko Tamil aur Angrezi mein bhi anuvaad karunga. Der saari dhanyawad sa.