Home > Festivals > भाई दूज क्यों मनाया जाता है और भाई दूज की कहानी

भाई दूज क्यों मनाया जाता है और भाई दूज की कहानी

भाई बहन का रिश्ता दुनिया का सबसे पवित्र एवं प्यार का रिश्ता होता है। यह रिश्ता बहुत ही अनमोल होता है, जिसके धागे को कोई नहीं तोड़ सकता। एक भाई की कामना यही होती है कि उसकी बहन हमेशा सुरक्षित रहे और एक बहन अपने भाई के लिए भी हमेशा यही कामना करती है कि उसके भाई को जीवन का हर खुशियां मिले।

हम हर साल भाई बहन के प्यार के रिश्ते के लिए विशेष रूप से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाते हैं। रक्षाबंधन की तरह भाई दूज का त्यौहार भी भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक होता है।

यह तो काफी लोग जानते हैं कि भाई दूज का त्योहार दिवाली के 2 दिन बाद बनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai
Image: Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai

भारत में अनेकों प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं और सभी त्योहारों से जुड़ी कुछ ना कुछ पौराणिक कथा होती है, जहां से त्योहारों को मनाने की परंपरा शुरू होती है। भाई दूज से भी संबंधित कथा है, जिसके बारे में इस लेख में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।

इसके साथ ही हम यह भी जानेंगे कि भाई दूज के दिन भाई को किस तरीके से तिलक लगाना चाहिए और भाई दूज के दिन किन चीजों की सावधानी रखनी चाहिए। तो चलिए लेख में आगे बढ़ते हैं।

भाई दूज कब है? (Bhai Dooj Kab Hai)

भाई दूज का पर्व हर साल दिवाली के 2 दिन बाद कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। यह दिन भाई एवं बहन दोनों के लिए काफी शुभ माना जाता है। 2024 में भाई दूज 3 नवंबर (रविवार) तक मनाई जायेगी।

भाई दूज क्यों मनाया जाता है? (Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai)

भाई बहन का रिश्ता बहुत ही ज्यादा अनोखा होता है। एक भाई रक्षक के समान अपनी बहन के साथ रहता है। बहन को हमेशा ही रक्षा करने का वचन निभाता है। बहन भी अपने भाई के लिए यही कामना करती है कि उसका भाई हमेशा खुश रहे और उसकी सभी मनोकामना पूरी हो।

भाई-बहन के प्रेम को दर्शाने के लिए हर साल रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है लेकिन इसके अतिरिक्त भाई दूज का त्यौहार भी भाई बहन के प्रेम का प्रतीक होता है। यह दिन भी भाई-बहन के प्रेम को समर्पित होता है।

यह दिन भाई बहन के लिए इसलिए महत्वपूर्ण रहता है। क्योंकि इस दिन बहन अपने भाई की दीर्घायु एवं सर्व मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान से कामना करती है।

इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर पर जाकर भोजन करता है और बहन के हाथों तिलक लगाता है तो उसे दीर्घायु प्राप्ति होती है एवं भगवान यमराज की भी उन पर विशेष कृपा रहती है।

भाई दूज के दिन जरूरी नहीं कि भाई केवल अपनी सगी बहन से ही तिलक करवाएं। यदि उसकी सगी बहन नहीं है तो वह ममेरी या फुफेरी बहन के यहां भी जाकर तिलक करवाकर उसे उपहार देकर उससे आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।

इस दिन परंपरा है कि भाई अपनी बहन के घर पर ही जाकर भोजन करें। इसीलिए इस दिन अपने दीर्घायु के लिए अपने दूर के रिश्तेदार के भी किसी भी बहन के घर जाकर जरूर भोजन करें।

भाई दूज से जुड़ी कथा

भारत में मनाए जाने वाले हर एक पर्व के पीछे कुछ ना कुछ पौराणिक कथा होती है और उन्हीं मान्यताओं के कारण पारंपरिक रूप से त्योहार मनाए जाते हैं। भाई दूज के पीछे भी एक पौराणिक कथा है, जिस कारण सदियों से भाई दूज का त्योहार बहनें मनाते आ रही है।

माना जाता है कि सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था और उनके कोख से दो संतान का जन्म हुआ एक पुत्र एवं पुत्री। पुत्र का नाम यमराज था एवं पुत्री का नाम यमुना था। यमुना अपने भ्राता यमराज को बहुत ही ज्यादा प्यार करती थी लेकिन विवाह के पश्चात उसे अपने भाई से दूर जाना पड़ा, जिसके बाद उसने अपने भाई यमराज को बहुत बार अपने घर पर भोजन के लिए आमंत्रित किया।

लेकिन यमराज अपने कार्यों में बहुत ही ज्यादा व्यस्त रहा करते थे, जिस कारण वे अक्सर अपने बहन के आमंत्रण को टाल दिया करते थे। लेकिन एक बार उनकी बहन ने फिर से निमंत्रण दिया। तब यमराज जी ने सोचा कि मैं लोगों के प्राण को लेता हूं, जिसके कारण मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता है।

लेकिन मेरी बहन मुझे इतनी सद्भावना से भोजन के लिए निमंत्रण दे रही है तो मुझे एक बार उनके यहां अवश्य जाना चाहिए। जिसके पश्चात यमराज जी कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को अपनी बहन यमुना के घर पहुंचते हैं। इस दिन यमराज जी ने नर्क में निवास करने वाले जीवों को भी मुक्त कर दिया था।

यमराज अपनी बहन यमुना के घर जाते हैं तो उनकी बहन उन्हें देख बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होती है और उनके स्वागत के लिए सभी तरह की तैयारी करती है। वह सर्वप्रथम स्नान करके अपने यमराज को तिलक लगाती है तथा उन्हें भोजन परोसती हैं।

यमराज अपनी बहन का अपने स्वयं के प्रति इस तरह का सम्मान और आदर सत्कार को देखकर अपनी बहन से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होते हैं और अपनी बहन को इस कारण एक वरदान मांगने के लिए कहते हैं।

तब यमुना अपने भाई यमराज से निवेदन करती है कि हे भद्र आप मुझे वरदान दीजिए कि हर साल आप इस दिन मेरे घर पर आएंगे और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का आदर सत्कार करके उनका तिलक कर भोजन कराएगी तो उसे आपका भय नहीं रहेगा।

जिसके बाद यमराज अपनी बहन के इस वरदान को तथास्तु कह देते हैं और अपनी बहन को भेंट स्वरूप अमूल्य वस्त्र आभूषण देकर यमलोक के लिए रवाना होते हैं। तभी से मान्यता है कि हर साल बहन दिवाली के 2 दिन के बाद आने वाले कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसका तिलक करती है एवं उसे भोजन परोसती है, जिससे उसके भाई पर यमराज की विशेष कृपा बनी रहती हैं।

यह भी पढ़े: भाई दूज की कहानी

भाई दूज का संबंध भगवान श्री कृष्ण से भी है

भाई दूज को मनाने की पौराणिक कथा भगवान श्री कृष्ण से भी जुड़ी हुई है। माना जाता है कि नरकासुर नामक राक्षस जिसने सभी देवों एवं संतो को परेशान कर रखा था। उसने देवो एवं संतों के 16000 से भी ज्यादा कन्याओं को कैद कर लिया था।

सभी देवगन एवं संतों को राक्षस नरकासुर से मुक्त करने के लिए भगवान श्री कृष्ण अपनी पत्नी सत्यभामा की मदद से नरकासुर का वध किया था। नरकासुर का वध करने के बाद भगवान श्री कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा के घर पहुंचे थे। जिस दिन वह अपनी बहन के घर पहुंचे थे, वह दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष का द्वितीय तिथि था।

भगवान श्री कृष्ण के राक्षस नरकासुर पर विजय प्राप्ति के उपलक्ष पर उनकी बहन सुभद्रा ने अपने भाई को फल, फूल, मिठाई परोसा था। अनेकों दिए जलाकर उनका स्वागत किया था एवं उनके मस्तक पर तिलक लगाकर उनके दीर्घायु की कामना की थी। इसीलिए भाई दूज का त्योहार मनाने के पीछे एक कारण यह भी है।

भाई दूज पूजा विधि

भारत के सभी राज्यों में प्रत्येक त्योहार को मनाने की रीति रिवाज थोड़े बहुत अलग-अलग होते हैं। ठीक उसी प्रकार भाई दूज की भी पूजा विधि भी हर राज्यों में थोड़ी बहुत अलग-अलग होती हैं। लेकिन पुराणों के अनुसार भाई दूज के दिन में निम्नलिखित पूजा विधि का पालन किया जाता है।

  • भाई दूज के दिन भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए। उसके बाद वहीं पर उसे स्नान करके नए वस्त्र धारण करने चाहिए।
  • बहन भी इस दिन प्रात काल उठकर सर्वप्रथम स्नान करके नए वस्त्र धारण करें।
  • भाई को तिलक लगाने के लिए जिस जगह पर बैठना है, वहां पर बैठने से पहले चावल के और आंटे तथा पानी को मिलाकर छोटी सी आकृति जरूर बना ले जिसके ऊपर लाल सिंदुरिया चंदन लगाए।
  • अब भाई उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में मुंह करके बैठे वहीं बहन पूर्व दिशा में या फिर उत्तर पूर्व में मुंह करके खड़ी हो जाए।
  • बहन को अब पूजा की थाली सजाने की जरूरत है, जिसमें फल, फूल, दीपक, अक्षत, सुपारी मिठाई इत्यादि चीजें शामिल करें और गाय के घी से दिया प्रज्वलित करे।
  • अब सबसे पहले भाई को तिलक लगाए। रोली से तिलक लगाने के बाद उस पर अक्षत भी जरूर लगाएं। उसके बाद उसके कलाई में मंत्रोच्चार करते हुए लाल धागा बांधे।
  • पान मिठाई या फिर कोई अन्य मीठी चीज खिलाएं और फिर उसके हाथों में नारियल रखें और भाई बहन की रक्षा का संकल्प लें।
  • अब भाई को भी बहन को भेंट स्वरूप कुछ उपहार में जरूर दें।
  • पूजा करने के बाद घर के बाहर यमराज के नाम से चहुंमुखी दिया जला कर रखें। इस दिन यमुना नदी में भी बहुत से लोग नहाते हैं क्योंकि इस दिन यमुना नदी में नहाना पवित्र माना जाता है।

पूजा की थाली तैयार कैसे करें?

भाई दूज के दिन पूजा की थाली का विशेष महत्व होता है। पूजा की थाली को विशेष तरीके से तैयार करना होता है, जिसमें कई सामग्रियों को शामिल करना होता है, जिसके बारे में हमने यहां बताया है।

  • सर्वप्रथम एक छोटी सी थाली लें। उसके बाद उस थाली को गंगाजल डालकर उसे पवित्र करना चाहिए।
  • अब थाली में गुलाब के फूल या फिर गेंदे के फूल से थाली को सजाना चाहिए। थाली को सजाने के बाद उसमें रोली रखने चाहिए उसी से बहन को भाई का तिलक करना चाहिए।
  • पूजा की थाली में अक्षत भी जरूर रखें और अक्षत रखते वक्त यह भी विशेष ध्यान रखें कि कोई भी चावल टूटा ना हो क्योंकि अक्षत का अर्थ ही होता है कि अधूरा ना हो।
  • पूजा की थाली में सिंदूर, फुल, सुपारी, पान का पत्ता चांदी का सिक्का, फूल माला, कलावा, दूधिया घास, केला रखें। इस दिन भाई को तिलक लगाने के बाद नारियल देना शुभ माना जाता है। इसलिए थाली में नारियल भी रखना चाहिए। थाली में एक दीपक रखें, जिसमें गाय का शुद्ध घी होना चाहिए।

भाई दूज के दिन इन बातों की रखे सावधानियां

  • भाई दूज भाई एवं बहनों के बीच के प्रेम के रिश्ते का त्यौहार होता है। यज्ञ भाई बहन के रिश्ते को और भी ज्यादा गहरा एवं मजबूत करता है। इस दिन भाई बहन को एक दूसरे से झगड़ा नहीं करना चाहिए।
  • भाई दूज के दिन बहन को भाई को तिलक लगाने के बाद ही कुछ ग्रहण करना चाहिए।
  • भाई दूज के दिन बहन जब भाई को तिलक लगाए, उस समय काले वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए।
  • भाई दूज के दिन राहुकाल भी लगता है। ऐसे में बहन को शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए और शुभ मुहूर्त में हीं भाई दूज का त्योहार मनाना चाहिए।
  • भाई दूज के दिन भाई के द्वारा बहन को उपहार दिया जाता है। उपहार एक भाई का बहन के प्रति प्रेम का प्रतीक होता है। इसलिए बहन को भाई के उपहार का अनादर भी नहीं करना चाहिए।
  • भाई दूज के दिन तिलक लगाते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि भाई या बहन के पास कोई भी चमड़े का सामग्री ना हो।
  • इस दिन भाई एवं बहन के बैठने की दिशा भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसीलिए तिलक लगाते वक्त कौन सी दिशा में बैठे हैं, इसका भी ध्यान रखना चाहिए। भाई का चेहरा उत्तर या उत्तर पश्चिम दिशा में होना चाहिए, वहीं बहन का चेहरा उत्तर पूर्व या पूर्व दिशा में होना चाहिए।

निष्कर्ष

इस लेख में भाई दूज त्योहार के बारे में जाना, जो दिवाली के 2 दिन बाद मनाई जाती है। यह भाई बहनों का त्योहार है। इस लेख के जरिए आपको भाई दूज कब और क्यों मनाया जाता है? (Bhai Dooj Kyu Manaya Jata Hai), भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा, भाई दूज की पूजा विधि एवं भाई दूज के दिन रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया।

हमें उम्मीद है कि यह लेख आपके लिए जानकारी पूर्ण रहा होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक इत्यादि के जरिए अन्य लोगों के साथ जरूर शेयर करें।

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Related Posts