समय-समय पर हिंदू धर्म पर अनेक तरह के प्रहार किए गए हैं। लेकिन वे हिंदू धर्म का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएं, क्योंकि समय समय पर हिंदू धर्म के लोगों ने, धर्मगुरुओं ने, जानकारों ने, विद्वानों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी योगदान की कड़ी में आर्य समाज का नाम आता है।
बता दें कि जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था तब हिंदू धर्म पर गहरा आघात किया गया था। उस समय हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत आर्य समाज की स्थापना की गई थी।
आर्य समाज के लोग ईश्वर को निराकार मानते हैं। यानी वे हर जगह हर स्थान पर ईश्वर के प्राप्त होने का संकेत देते हैं। आर्य समाज के लोग सभी देवी देवताओं को केवल एक ही नाम ॐ से पुकारते हैं। आर्य समाज के लोगों का कहना है कि ओम शब्द में सभी देवी देवता विद्यमान है, जिनमें भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी शामिल है।
सृष्टि के रचयिता भगवान श्री कृष्ण को भी आर्य समाज के लोग ॐ शब्द से ही पुकारते हैं। आर्य समाज के लोग धूम्रपान, शराब जैसे नशा से दूर रहते हैं और मांसाहारी खाना कभी नहीं खाते।
आर्य समाज की स्थापना किसने की थी?
आर्य समाज की स्थापना हिंदू सुधार आंदोलन के अंतर्गत की गई थी। आर्य समाज की स्थापना का उल्लेख सर्वप्रथम 1872 में बिहार में मिलता है। लेकिन वहां आर्य समाज ज्यादा दिनों तक अपनी स्थापना के साथ खड़ा नहीं रह पाया, जिसके बाद गुलाम भारत में भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई में 10 अगस्त 1875 को आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी।
आर्य समाज की स्थापना करने के बाद आर्य समाज की स्थापना करने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा कि उन्हें आर्य समाज की स्थापना करने की प्रेरणा मथुरा के पूजनीय स्वामी विरजानंद से प्राप्त हुई थी। उनकी प्रेरणा से ही आर्य समाज की स्थापना संपन्न हुई है।
आर्य समाज के लोग अंधविश्वास को नहीं मानते, अवतारवाद को नहीं मानते, मूर्ति पूजन को भी नहीं मानते हैं तथा वैदिक परंपराओं में विश्वास रखते हैं, आर्य समाज के लोग छुआछूत और जातिवाद को सामाजिक बीमारी मानते हैं और वह हमेशा से ही छुआछूत तथा जातिवाद जैसे शब्दों का विरोध करते हैं।
आर्य समाज के लोगों ने हिंदू धर्म के पिछड़े हुए जाति के लोग, छुआछूत वाले वर्ण तथा स्त्रियों को वेदों का ज्ञान लेने का अधिकार दिया तथा उन्हें शिक्षा ग्रहण करने का भी अधिकार दिया। आर्य धर्म के लोग सभी को समान मानता है तथा हिंदू धर्म की रक्षा करने के लिए अपने आप को हिंदू सुधार आंदोलन का रक्षक बताता है।
वर्तमान समय में आर्य समाज भारत के उत्तर-पश्चिमी राज्यों में देखने को मिल जाते हैं, जो आज भी अपने धर्म के साथ चलते हैं। आर्य समाज के लोगों का कहना है कि इंसान को धर्म के अनुसार चलना चाहिए तथा सभी समाज के हित में सूचना चाहिए। असत्य नहीं बोलना चाहिए और सत्य को ग्रहण करना चाहिए।
ईश्वर सबके लिए समान है। न्याय कारी हैं तथा मनुष्य को शरीर धारण के लिए उन्नति करनी चाहिए। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदी भाषा पर जोर दिया और गरीब पिछड़े तथा छुआछूत वाले लोगों को समाज में उपयुक्त स्थान प्रदान किया था।
निष्कर्ष
आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी। यह समाज आज भी दयालु तथा ईश्वर को निराकार मानकर समाज सेवा करता है। आर्य समाज का मानना है कि ईश्वर निराकार है। इसीलिए आज के इस आर्टिकल में हमने आपको पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है कि आर्य समाज की स्थापना किसने की तथा आर्य समाज के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
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