Home > Biography > अरस्तु का जीवन परिचय

अरस्तु का जीवन परिचय

Arastu Ka Jivan Parichay

इस पोस्ट में हम उस महान दार्शनिक और वैज्ञानिक सोच वाले Arastu Ka Jivan Parichay लेकर आए हैं। जिसमें अरस्तु कौन थे, अरस्तु का जन्म कब हुआ, अरस्तु का पूरा नाम, अरस्तु की मृत्यु कब हुई आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

अरस्तु एक महान ग्रीक दार्शनिक थे, जिन्हें जीव विज्ञान का जनक भी कहा जाता है। क्योंकि अरस्तु ने ही सबसे पहले जीव जंतुओं के विषय में विचार व्यक्त किया और जीव जंतुओं की रचना उनके वर्गीकरण से संबंधित ग्रंथ जंतु इतिहास भी लिखा था।

अरस्तु के सोच का दायरा हर एक क्षेत्र तक था। वे व्यक्ति को भी पढ़ते थे, मान्य जीवन और उनके स्वभाव पर शोध भी करते थे। वे अक्सर विचार करते थे कि मनुष्य अपने अलग-अलग परिस्थितियों में कैसे सोचता है, मस्तिष्क कैसे कार्य करता है।

अरस्तु का जीवन परिचय (Arastu Ka Jivan Parichay)

नामअरस्तु (Aristotle)
जन्म और जन्मस्थान384 ईसा पूर्व, स्टैगिरा, चाल्कीडियन लीग
पितानिकोमैकस
युगप्राचीन यूनानी दर्शन
राष्ट्रीयतायूनानी
उम्र61-62 वर्ष
मृत्यु322 ईसा पूर्व, चाल्सिस, यूबोइया, मैकेडोनियन साम्राज्य, यूनान

अरस्तु का प्रारंभिक जीवन

अरस्तु का जन्म स्तैगीरस की ग्रीक कॉलोनी में 384 ईसा पूर्व में हुआ था। उनके पिता का नाम निकोमैकस था, जो मेसिडोनिया के सम्राट अमितास द्वितीय के राज दरबार में चिकित्सक के रूप में कार्यत थे।

अपने पिता के साथ बचपन में अरस्तु का भी मेसिडोनिया के राजा के दरबार में आना-जाना लगा रहता था। क्योंकि उनके पिता एक चिकित्सक थे, जिसके कारण बचपन से ही अरस्तु को जीव विज्ञान में काफी ज्यादा रुचि पैदा होने लगा था।

बचपन से ही उन्होंने जीव जंतुओं के स्वभाव, उनके खान-पान, उनकी आदतों पर गहराई से पर्यवेक्षण करना शुरू कर दिया था।

अरस्तु की शिक्षा

अरस्तु को 17 वर्ष के उम्र में शिक्षा पूरी करने के लिए बौद्धिक शिक्षा केंद्र ऐंथेंस भेजा गया। वहां पर प्लूटो से अगले 20 वर्षों तक उन्होंने शिक्षा ग्रहण की। अरस्तु के ज्ञान से उनके गुरु प्लूटो भी खुद प्रभावित थे।

उस समय अरस्तु को यूनान के समस्त महान दार्शनिकों में से एक गिना जाता था। वे काफी बुद्धिमान व्यक्ति थे, जो परंपराओं पर भरोसा ना करके जांच करके ही नतीजे पर पहुंचते थे। उनके दार्शनिक विचारों के कारण ही प्लूटो अरस्तु को अपने अकादमी का मस्तिष्क भी कहते थे।

अरस्तु का विवाह

अपने गुरु प्लूटो के निधन के बाद अरस्तु को एत्रानियस के मित्र शाषक ह्र्मियाज ने अपने दरबार में निमंत्रित किया, जिसके बाद में उनके दरबार में चले गए। वहां पर अरस्तु 3 वर्षों तक रहे।

उसके बाद उन्होंने राजा की भतीजी जिसका नाम ह्र्पिलिस था, उससे विवाह कर लिया। हालांकि वह अरस्तु की दूसरी पत्नी थी। अरस्तु की पहली पत्नी पिथियस थी, जिनका निधन बहुत ही कम उम्र में हो गया था।

अरस्तु के दार्शनिक विचार

अरस्तु को मानव स्वभाव से जुड़े हुए विषयों पर खोज करना बहुत अच्छा लगता था। वे हमेशा लोगों के दिमाग को पढ़ने की कोशिश करते थे।

हमेशा जानने की कोशिश करते थे कि जब भी कोई समस्या आती है तो कोई भी आदमी किस तरीके से सोचता है, उसका दिमाग किस तरह काम करता है।

उनके कई ऐसे दार्शनिक विचार हैं, जिसे अपनाने से व्यक्ति की आधी समस्याएँ खत्म हो सकती है।

“अरस्तु का कहना था कि जहां डर है, वहां प्रेम नहीं होता है।”

“सोचो बुद्धिमान लोगों की तरह लेकिन बात करो साधारण लोगों की तरह।”

“साहस सम्मान के बाद मन का सबसे बड़ा गुण है।”

“स्वयं पर जीत सबसे कठिन जीत है।”

“शरीर को ठीक करने से पहले मन को ठीक करना चाहिए।”

यह भी पढ़े: महान दार्शनिक अरस्तु के अनमोल विचार

अरस्तु का शिष्य

वैसे तो अरस्तू ने अपने समय में कई शिष्यों को शिक्षा दी। लेकिन उनके विभिन्न शिष्यों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुए सिकंदर, जो कि आगे चलकर एक महान शासक बना। जिसके कारण उसे विश्व विजेता के नाम से भी जाना जाता है।

सिकंदर जब 13 वर्ष के थे, उसी समय उनके पिता फिलीप जो कि मकदूनिया के राजा थे, उन्होंने अरस्तु को निमंत्रण दिया था अपने पुत्र को पढ़ाने के लिए।

उस समय सिकंदर और उनके पिता दोनों ही अरस्तु को बड़ा सम्मान देते थे। अरस्तू ने राजा फिलीप के दरबार में रहते हुए सिकंदर को हर तरह का ज्ञान दिया। जब सिकंदर राजा बन गया तब अरस्तु वापस ऐंथेंस आ गए।

अरस्तु की रचना

अरस्तु बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की थी। लेकिन उनके दौर में लेखन को सुरक्षित रखने के लिए आज के जितना कोई सटीक और प्रभावी माध्यम नहीं हुआ करता था। जिसके कारण उनकी कई सारी रचनाओं में से आज कुछ ही सुरक्षित है।

उनकी आध्यात्मिक रचनाएं आज भी क्रिश्चियन सभ्यता को प्रभावित करती हैं। यहां तक की विद्यालय कॉलेज में उनके दर्शनों को आज भी पढ़ाया जाता है। अरस्तु के प्रमुख रचनाओं में से कुछ निम्नलिखित है:

  • ऑन यूथ
  • ऑन स्लीप
  • फिजिक्स
  • पोलिटिक्स
  • ऑन ड्रीम्स
  • ऑन दी यूनिवर्स
  • मेटाफिजिक्स
  • हिस्ट्री ऑफ़ एनिमल्स
  • निकोमचेँ एथिक्स
  • प्रोग्रेशन ऑफ़ एनिमल्स
  • लाइफ एंड डेथ एंड रेसिपिरेशन
  • ऑन लेनथ एंड शोर्तनेस ऑफ़ लाइफ
  • पएटिक्स
  • सेंस एंड सेंसिबिलिया
  • पार्ट्स ऑफ़ एनिमल्स
  • ऑन दिविनेशन इन स्लीप
  • ओल्ड ऐज
  • यूदेमियन एथिक्स
  • जनरेशन ऑफ़ एनिमल्स
  • मूवमेंट ऑफ़ एनिमल्स
  • ऑन मेमोरी 
  • ऑन जेंराशन एंड करप्शन
  • मेतेरोलोजी
  • ऑन दी हेअवेंस

अरस्तु की मृत्यु

कहा जाता है कि अरस्तू ने यूनान के मैकेडोनियम साम्राज्य में अपोलो के मंदिर के पास एक विद्यापीठ की स्थापना की थी, जो कि “पर्यटक विद्यापीठ” के नाम से जाना जाता है।

अरस्तू ने अपने जीवन का अंतिम समय यहीं पर बिताया था। कहा जाता है कि उनके महान शिष्य सिकंदर की मृत्यु हो जाने के बाद उन्होंने भी जहर पिकर आत्महत्या कर ली थी। उनकी मृत्यु 322 ईसा पूर्व में 62 वर्ष की उम्र में बताया जाता है।

अरस्तु के बारे में अन्य जानकारी (Aristotle in Hindi)

अरस्तु को किसका जनक कहा जाता है?अरस्तु को जंतु विज्ञान का पिता कहा जाता है। जीव जंतुओं के विषय में सबसे पहले विचार इन्होंने ही व्यक्त किया था।
अरस्तु का प्रसिद्ध ग्रंथ क्या है?अरस्तु के द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध ग्रंथ जंतु इतिहास है, जिसमें उन्होंने 500 प्रकार के विविध जंतुओं के स्वभाव, वर्गीकरण, उनका जनन और रचना का वर्णन किया है।
अरस्तु ने कौन सा सिद्धांत दिया था?विरेचन सिद्धांत
अरस्तु के गुरु कौन थे?महान दार्शनिक प्लूटो
अरस्तु ने कितने ग्रंथो की रचना की थी?अरस्तु ने अपने समय में संगीत, नाटक, भौतिकी, राजनीति शास्त्र, जीव विज्ञान और तर्कशास्त्र जैसे विभिन्न विषयों पर लगभग 400 से भी ज्यादा किताबें लिखी थी।

निष्कर्ष

इस पोस्ट में आपने महान ग्रीक दार्शनिक अरस्तू का जीवन परिचय (Arastu Ka Jivan Parichay) के बारे में जाना। अरस्तु के दार्शनिक विचारों से आज भी लोग प्रभावित होते हैं।

हमें उम्मीद है कि इस पोस्ट के जरिए अरस्तु के जीवन से जुड़े सभी प्रश्नों का जवाब आपको मिल गया होगा। यदि यह लेख आपको पसंद आया हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए अन्य लोगों के साथ भी जरूर शेयर करें।

यह भी पढ़े

जिद्दु कृष्णमूर्ति का जीवन परिचय

जगतगुरु आदि शंकराचार्य जी का जीवन परिचय

बोधिधर्मन जीवनी व अनमोल वचन

आचार्य रजनीश (ओशो) की जीवनी

Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

Leave a Comment