एक शहर में एक बहुत ही अमीर व्यक्ति रहा करता था, जो व्यापार करने के लिए बड़े-बड़े देश विदेशों में जाया करता था। उसका एक लड़का भी था, जिसका नाम उसने अब्दुल्ला रखा था। उस व्यापारी ने अपने लड़के के लिए इतना धन एकत्र कर लिया था कि उसका पूरी जिंदगी भर भी उस धन को खर्चा नहीं कर पाएगा।
कुछ समय बाद जब लड़का थोड़ा बड़ा हो गया तो व्यापारी की अचानक तबीयत खराब होने के कारण उसका निधन हो गया। व्यापारी के मरने का मातम उसके लड़के ने कई दिनों तक मनाया। अपने पिताजी के मरने का कोई दुख नहीं था। पिताजी के मरने के कुछ दिन बाद से ही उसने अपने पिताजी के कमाए हुए धन को अय्याशी में उड़ाना शुरू कर दिया।
जिसके बाद उसने धीरे-धीरे करके अपना सारा धन अय्याशी में उड़ा दिया। अब उसके पास खाना खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे। जिसके बाद अब्दुल्ला ने अपने घर का सारा सामान बेचकर कुछ धन एकत्र किया और उससे अब्दुल्ला ने अस्सी ऊंट को खरीदा।
जिसको उसने कई व्यापारियों को व्यापार करने के लिए किराए पर दे दिया, जिससे अब्दुल्ला को बहुत फायदा हुआ और उसने बहुत सारा धन एकत्र कर लिया। एक दिन अब्दुल्ला के पास हिंदुस्तान जाने के लिए कुछ व्यापारी आए और कहने लगे कि अब्दुल्ला हम तुम्हारे ऊंटों में कुछ वस्तुएं लादकर हिंदुस्तान ले जाना चाहते हैं।
जिसके बाद अब्दुल्ला ने कहा ठीक है, मैं भी इनके साथ चलूंगा। लेकिन इसके लिए बहुत सारा धन लूंगा। हिंदुस्तान जाने वाले व्यापारियों ने अब्दुल्ला की बात मान ली और अब्दुल्ला और उसके ऊंटों के साथ हिंदुस्तान की ओर चल पड़े। कुछ ही समय में सभी लोग हिंदुस्तान पहुंच गए।
हिंदुस्तान पहुंचने के बाद उन्होंने अब्दुल्ला को बहुत सारा धन दिया और उसके ऊंट उनको वापस कर दिए। जिसके बाद अब्दुल्ला हिंदुस्तान से वापस अपने घर की ओर आने लगा। तभी रास्ते में उसको एक बहुत ही सुंदर सा शहर दिखाई दिया। वहां पर उसने आराम करने का निर्णय लिया।
यहां पर अब्दुल्ला ने अपने सारे ऊंटों को भी एक जगह पर रस्सी से बांधकर आराम करने लगा। तभी उसके पास एक व्यक्ति आया, जो दिखने में बहुत ही गरीब लग रहा था। तभी अब्दुल्ला ने उस गरीब व्यक्ति को अपने खाने में से कुछ हिस्सा उसको भी दे दिया। जिसके बाद थोड़ी देर में उस गरीब व्यक्ति ने अब्दुल्ला से कहा कि तुमको यह सब करके कितना धन मिल जाता है।
मैं तुमको इतना अमीर बना सकता हूं कि तुम पैसों से अपनी जिंदगी भर आराम कर सकते हो। यह सुनकर अब्दुल्लाह आश्चर्यचकित रह गया और उसने कहा कि कैसे। तब उस गरीब व्यक्ति ने बताया कि मैं तुमको एक ऐसी जगह पर ले चलूंगा, जहां पर बहुत सारा धन है।
लेकिन उससे पहले तुमको मुझसे वादा करना होगा तुमको अपने अस्सी ऊंट में से 40 ऊंट हमको देने होंगे। जिसके बाद मैं तुमको उस स्थान पर ले चलूंगा। अब्दुल्ला तुरंत ही उस गरीब व्यक्ति की बात मान गया। उसने कहा कि मुझे तुम्हारी सारी शर्तें मंजूर है।
जिसके बाद वह गरीब व्यक्ति अब्दुल्ला को एक ऐसे स्थान पर ले गया, जहां पर उसने अब्दुल्ला ने कहा कि तुम कुछ लकड़ियों का बंदोबस्त करो। लकड़ियों का बंदोबस्त होने के बाद उस गरीब व्यक्ति ने लकड़ियों को जलाया और उसने उस आग में एक ऐसी चीज मिलाई, जिससे ऊपर की ओर एक बादल बन गया जो थोड़ी दूर पर जाकर एकदम से फट गया।
यहां से एक रास्ता प्रकट हुआ, जो सीधे एक बहुत सुंदर महल की ओर जा रहा था। जहां पर बहुत सारा धन एक अतिरिक्त था। वह महल जिन्नो का था, उन्होंने इसको बनाया था।
जिसके बाद अब्दुल्ला और वह गरीब व्यक्ति उस महल के अंदर चले गए। वहां पर अब्दुल्ला ने बहुत सारा धन एकत्रित किया और उस गरीब व्यक्ति ने भी खूब धन एकत्र कर लिया। लेकिन उसने एक ऐसी चीज भी उठाई, जो एक डिब्बी में दवाई के रूप में उसको अपनी जेब में डाल लिया और दोनों वहां से बाहर निकल आएं।
दोनों ने अपना सारा धन ऊंटों में लाद दिया। अब्दुल्ला ने अपने वादे अनुसार चालीस ऊंट उस व्यक्ति को भी दे दिए। दोनों अलग-अलग रास्ते पर चल दिए। थोड़ी दूर चलने के बाद अब्दुल्ला के मन में लालच आ गया और उसने उस व्यक्ति को बुलाकर कहा कि आप इतने ऊंटों का क्या करेंगे, आप मुझे मेरे चालीस ऊंट दे दीजिए।
आप तो किसी न किसी तरीके से बहुत सारा धन एकत्र कर लेंगे, लेकिन मेरा क्या होगा। जिसके बाद उस व्यक्ति ने अब्दुल्ला को सारे ऊंट दे दिए और वो व्यक्ति वहां से जाने लगा। जिसके बाद अब्दुल्ला ने उस व्यक्ति को फिर से बुलाया और कहने लगा कि आप मुझे वो दवाई दे दीजिए, जो आप अंदर से लाए हैं।
लेकिन उस व्यक्ति ने मना कर दिया। अब्दुल्ला ने उस व्यक्ति से दवाई की डिब्बी लेने के लिए उसको जैसे तैसे करके मना लिया। दवाई की डिब्बी अब्दुल्ला को दी और कहने लगा कि मेरी एक बात का ध्यान रखना कि इस डिब्बी में से थोड़ी सी दवा निकालकर अपनी बाई आंख में लगाओगे तो तुम्हें पूरे विश्व में जहां-जहां भी बहुत सारा धन रखा होगा, वही स्थान दिखाई देगा।
अगर तुमने इस दवा को अपनी दाई आंख में लगा लिया तो तुम अंधे हो जाओगे। अब्दुल्ला ने उस व्यक्ति की बात सुनी और उसने तुरंत अपनी बाईं आंख में उस दवा को लगा लिया। जिसके बाद उसको पूरे विश्व में जितना धन था और जहां जहां रखा था, वह स्थान दिखाई देने लगा। लेकिन अब्दुल्ला को इतना लालच आ गया था कि उसको लगा कि वह व्यक्ति झूठ बोल रहा है।
जिसके बाद अब्दुल्ला ने अपनी दोनों आंखों में उस दवा को लगा लिया, जिसके बाद वह अंधा हो गया। तभी वह व्यक्ति सारे ऊंटों को लेकर वहां से चला गया। अब्दुल्ला कुछ दिन इधर भटकने के बाद घर वापस आ गया और उसने यह प्रण लिया कि अब मैं भीख मांग कर अपना गुजारा कर लूंगा।
अपनी गलती की सजा के रूप में जो व्यक्ति मुझे भीख देगा, उससे मार भी खाऊंगा। तभी अब्दुल्ला ने महाराजा हारू रसीद से कहां कि मैंने किसी कारण आपसे भिक्षा लेने के बाद आपसे कहा था कि आप मुझे मारेंगे, जिससे मैं अपनी गलती का पश्चाताप कर सकूं।
तभी महाराजा हारु रशीद ने कहा कि मुझे तुम्हारी कहानी सुनकर बहुत बुरा लग रहा है। लेकिन तुमने गलती की थी, जिसकी सजा तुमको मिली है और मैं तुमसे यह वादा करता हूं कि आज से तुम को भीख नहीं मांगनी पड़ेगी। मैं तुमको रोज 5000 सोने के सिक्के दूंगा, जिससे तुम अपनी जिंदगी आराम से जी सकोगे।
इसके लिए तुमको एक वादा करना होगा। तुम अपने सारे भिखारियों के पास जाकर उनको रोज अपनी कहानी सुनाओगे, जिससे उनको यह सीख मिलेगी कि लालच करना बहुत बुरी बात होती है और वह कभी भी लालच की ओर नहीं भागेंगे।
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