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अमीना की कहानी (अलिफ लैला की कहानी)

जब राजा खलीफा हारून राशिद अमीना नाम की एक युवती के संपर्क में आए, तो राजा ने उनसे पूछा कि ये काले धब्बे आपके शरीर पर कैसे और किस कारण से दिखाई दिए? जिस लड़की का नाम अमीना था, वह अपनी आपबीती सुनाते हुए कहती है कि “जुबैदा मेरी बचपन की दोस्त है और जब सब मुझे छोड़ कर चले गए थे, फिर जुबैदा ने मेरा साथ दिया और मेरी रक्षा की और वह मुझे अपने घर में आश्रय देकर मेरी जान की रक्षा भी कर रही है।”

अमीना अपने जीवन की कहानी सुनाते हुए कहती है कि एक दिन जब मैं जुबैदा से मिली और उससे कहा कि जब मेरे पहले पति की मृत्यु हुई। मेरे अकेलेपन को दूर करने के लिए मेरी मां मुझे अपने घर ले आई और कुछ महीनों बाद पास के कस्बे में एक सुंदर युवक को देखकर मुझसे दोबारा शादी कर ली। वह युवक अपने माता-पिता की इकलौती संतान था, लेकिन मेरी किस्मत खराब होने के 1 साल के भीतर ही मेरे दूसरे पति की मृत्यु हो गई।

लेकिन उसके जाने के बाद मेरे पास उसकी सारी जायदाद थी, जो करीब 90000 रियाल के बराबर होगी। मेरे दूसरे पति की जायदाद से मेरी पूरी ज़िंदगी आराम से चल सकती थी। मेरे दूसरे पति की मृत्यु के कुछ महीनों बाद, मैंने 10 बहुत ही महंगे और सुंदर पोशाक बनवाएं। जिसकी कीमत लगभग 1000 रियाल होगी और जब मेरे दूसरे पति की मृत्यु की लगभग 1 से ढाई वर्ष बीत गए, तो मैंने उन सुंदर पोशाकों को पहनना आरंभ किया और अपने जीवन को एक नए सिरे से जीना आरंभ किया।

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मैं अपनी दुनिया में काफी खुश थी। लेकिन एक दिन की बात है कि जब मैं अपने घर पर थी, तो मुझसे मिलने एक बूढ़ी औरत आई। मेरे दरबार ने मुझसे पूछा कि, “आप से मिलने के लिए एक बूढ़ी औरत आई है” और वह आपसे मिलने के लिए बहुत ही निवेदन कर रही है।

मैंने सोचा कि बूढ़ी औरत है, मिल लेती हूं और मैंने उसे अंदर बुला लिया। अंदर आने के बाद वह बूढ़ी औरत पहले जमीन को चूमती है। उसके बाद मुझे प्रणाम करती है और मुझसे कहती है कि,”आप बहुत ही दयावान हो, गरीबों की मदद करने वाली हो” और मैं बहुत ही गरीब हूं और मुझे आपकी मदद की बहुत ही जरूरत है। उसने मेरी बहुत ही तारीफ की और मुझसे मदद मांगी।

उस बूढ़ी औरत ने साथ ही साथ यह कहा कि, “मैं इस नगर में नई हूं और मैं यहां किसी को भी नहीं जानती हूं। मैंने आपके बारे में बहुत ही सुना है, इसलिए मैं आपसे मदद मांगने के लिए आपके द्वार पर आई हूं। फिर वह बूढ़ी औरत रोने भी लगती है। उस बूढ़ी औरत की आंसू देख कर मैं भी पिघल जाती हूं और कहती हूं कि, “आप निश्चिंत रहिए, मैं आपकी बिल्कुल मदद करूंगी।”

आपकी समस्या क्या है? उसने कहा कि,”मेरे पास एक युवती है जिसकी शादी एक ऊंचे घराने में हुई होने वाली है, आज उसकी शादी है। लेकिन मैं बहुत ही गरीब हूं और मेरी तरफ से कोई भी इतना अमीर नहीं है कि उसके सामने अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर अच्छा-अच्छा दिखे लेकिन आप बहुत ही सुंदर हो और आपके पास बहुत सारे अच्छे-अच्छे कपड़े हैं, तो क्या आप मेरे घर पर हो रही शादी में शामिल होने के लिए आओगी।

जिससे कि लड़के वालों के सामने मेरा भी पक्ष उनके बराबर का लगे और वह भी हमें अपने समधीन बनाने में कोई संकोच ना करें और मेरी बेटी की मान बनी रहे। आपका मेरे घर पर मेरे बेटी की शादी में आने से मेरा बहुत बड़ा मान-सम्मान बढ़ेगा। जिसके बाद मेरी बेटी को भी बहुत सारा मान सम्मान उसके ससुराल में मिलेगा।

यह सारी बातें सुनकर मैंने कहा कि बूढ़ी माता आप चिंता ना करें। मैं अवश्य ही आपके घर पर आपकी बेटी की शादी में आऊंगी। आप जाकर अपना घर में शादी का काम करें। मैं शाम को आपके घर आ जाऊंगी। तो वह बूढ़ी औरत कहती है कि, “आप कहां मेरा घर ढूंढगी”, मैं शाम को आकर आपको खुद अपने साथ ले जाऊंगी।

उसके बाद वह फिर से मेरी बहुत सारी तारीफ करती है और फिर चली जाती है। मैं उसके जाने के बाद तीसरे पहर बीतने के बाद खुद को तैयार करने के लिए जाती हूं। मैं बहुत ही सुंदर कपड़े की जोड़ी पहनती हूं। जिसे मैंने बहुत ही मन से बनवाया था, बहुत सारे गहने हीरे जेवरात पहनकर मैं तैयार होने लगती हूं और यह सारी चीजें करते-करते कब रात हो जाती है पता ही नहीं चलता।

फिर वह बूढ़ी औरत आती है और मुझे अपने साथ ले जाती है और मैं अपने साथ कई सारे दासियों को भी अच्छे अच्छे कपड़े पहना कर ले जाती हूं। वह बूढ़ी औरत पहले तो चौड़ी सड़क से मुझे ले जाती है फिर एक सकरी गली के सामने एक बड़े से दरवाजे के पास लाकर मुझे खड़ा कर देती है और उस दरवाजे पर लिखा होता है कि हमेशा प्रसंता निवास करती है और उसके नीचे में एक दिया जल रहा होता है।

जिसकी रोशनी से मैंने इतना सुंदर वाक्य पढ़ा था। उसके बाद वह बूढ़ी औरत ताली बजाती है, जिससे कि दरवाजा खुल जाता है और दरवाजे के अंदर से एक बहुत ही सुंदर महिला निकलती है और वह मेरा बहुत ही आदर सत्कार करती है और मुझे एक कमरे में ले जाकर बैठा देती है।

वह कमरा बहुत ही सजा धजा होता है और वहां पर एक सिंहासन भी होता है वह दूसरी औरत मेरे कमरे में आती है और मेरे रूप का बहुत ही बखान करती है, जिसको सुनकर मैं भी बहुत ही प्रसन्न हो जाती हूं। उसके बाद वह मुझे जो कहती है जिसको सुनकर मैं आश्चर्य में पड़ जाती हूं वह कहती है कि यहां पर आप दूसरे की शादी के लिए नहीं,बल्कि खुद की शादी के लिए यहां पर आए हैं।

मेरा एक भाई है जो कि बहुत ही रूपवान और जवान है और वह आपके रूप और आपके व्यवहार और आपके द्वारा किए गए कार्य जो कि आप बंधुओं की मदद करते हैं। यह सब सुनकर देख कर आप पर अत्यंत मोहित हो गया है और वह चाहता है कि आप ही उसकी पत्नी बने और आप एक बार उससे मिल ले।

उसके बाद ही कोई फैसला ले और आप ना नहीं करें क्योंकि इससे बहुत बड़ा क्लेश हो जाएगा। मेरे भाई को अत्यंत दुख होगा और उसका दिल भी टूट जाएगा। मैं उसे कुछ कहती कि उससे पहले वह महिला बहुत तरह-तरह की बातें कहने लगी। अच्छी अच्छी बातों को सुनकर मैं भी उसके बातों को ध्यान से सुनने लगी और फिर वह अपने भाई की बहुत ही बखान करने लगी। वह बहुत ही सुंदर है। उसके अंदर दूसरों को खुश करने का हौसला है। वह खुद भी खुश रहता है और दूसरों को भी हमेशा खुश रखता है और तुम्हें भी काफी खुश रखेगा।

उसके भाई की इतनी तारीफ सुनकर, मैं राजी हूं। यह जानकर उस सुंदर महिला ने ताली बजाई और तुरंत वहां पर एक काजी आ गया और 4 लोगों की मौजूदगी में हमारी शादी हो गई और वह चार लोग हमारे साथी की गवाही दी है इसके बाद मैं अपने पति से मिली और उसकी बातें बहुत ही बुद्धिमता थी जो कि मुझे अत्यंत ही पसंद थी।

मेरे पति ने मुझसे वादा लिया, उसने मुझसे कहा, कि “मैं कभी भी पराए मर्द की ओर ना देखूं, ना ध्यान दो, और ना ही कभी बातें ही करो”। तुम एक पतिवर्ता नारी की तरह मेरी पत्नी बन कर रहो और मैं तुम्हारी प्रसंता के हर वह कार्य करूंगा जिससे कि तुम्हें प्रसन्नता हो।

मैंने अपने पति की बातों को मानते हुए, उसके द्वारा लिए गए वादों को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार कर लिया। उसके बाद मेरे पति ने मुझसे कहा, कि “अगर तुमने अपने किए हुए वादों को तोड़ा तो मैं तुरंत ही तुम्हारा त्याग कर दूंगा”। इसके बाद में अपने पति के साथ एक रानी के समान जीवन व्यतीत कर रही थी। मेरे पति ने मेरे आस-पास ऐसो आराम के सभी चीजें रखी हुई थी लेकिन मैं कुछ महीनों से उस महल के अंदर ही बंद थी।

इसीलिए मुझे बाहर जाकर घूमने का मन कर रहा था। जिसके लिए मैंने अपने पति से आज्ञा मांगी कि मुझे बाहर जाना है और कुछ रेशमी कपड़े का थान खरीदना है। मेरे पति ने मुझे बाहर जाने की आज्ञा दे दी।

फिर मैं कुछ दासियों और फिर उस बूढ़ी औरत को जो कि मेरे घर पर आई थी और मुझे अपने घर पर धोखे से ले गई थी। उसे साथ लेकर बाजार निकली, बाजार में कई सारे बड़े-बड़े दुकानें थी। कई सारे बड़े बड़े व्यापारी भी थे। उस बूढ़ी औरत ने कहा कि यहां पर एक मेरे पहचान की दुकान है। जिसमें एक नौजवान व्यापारी है, जो कि महंगे-महंगे थाने रखता है और वह बहुत ही सुंदर भी होती है।

तो अमीना ने सोचा कि बाजार में जगह-जगह भटकने से अच्छा है कि, एक ही जगह पर अच्छी और महंगी खान रेशमी के कपड़े मिल जाएंगे। तो वे उस बूढ़ी औरत के कहने पर उस व्यापारी के पास जाती है और उससे कहती है कि मुझे अच्छे-अच्छे थान दिखा दो।

उस व्यापारी के पास जाकर देखा तो वह व्यापारी ना केवल नौजवान था, बल्कि अत्यंत रूपवान था। उस बूढ़ी औरत ने मुझसे कहा कि इसके पास बहुत सारे अच्छे अच्छे और महंगे-महंगे रेशम केथान है, तुम इससे जो चाहे वह मांग कर देख लो तो मैं उस बूढ़ी औरत से कहती हूं कि, “मेरे पति ने मुझसे वादा लिया है कि मैं किसी भी पढ़ाई मर्द मर्द से ना ही बात करूंगी और ना ही उसकी तरफ देखूंगी”।

इसीलिए आप ही इसे रेशमी थान के कपड़े निकालने को कहें। तो उस व्यक्ति ने बहुत सारे रेशमी के कपड़े दिखाएं, जिसमें से एक रेशमी कपड़े की ठान मुझे बेहद पसंद आई और मैंने उसकी कीमत पूछने को कहा, उस पर वह नौजवान कहता है कि, “यह अमूल्य है”। इसका कोई मूल्य नहीं है, लेकिन मैं इसे आपको एक शर्त पर दे सकता हूं।

जब आप मुझे अपने गाल पर एक चुंबन लेने की अनुमति दे दे। इस बात को सुनकर मैं अत्यधिक क्रोधित हो गई, कि यह कैसी घटिया बातें कर रहा है और यह मेरे साथ बदतमीजी भी कर रहा है। आप मुझे कैसे व्यक्ति की दुकान पर ले आई हो। वह बुढ़िया मुझे समझाने लगी कि यह केवल चुंबन के लिए ही तो कह रहा है और वैसे भी वह चुंबन बो लेगा, तुम नहीं लोगे। इसमें तुम्हारा कोई भी वादा नहीं टूटेगा क्योंकि मुझे वह रेशम की थान पर पसंद थी, इसीलिए मैं मूर्ख औरत उस बुढ़िया की बात को मान कर उस व्यक्ति को चुनने की अनुमति दे देती हूं।

इसके बाद मेरे साथ आई दासिया और वह बूढ़ी औरत सड़क के दूसरी और जाकर खड़ी हो जाती है और फिर मैं अपने चेहरे से कपड़े हटा दी हूं, तो वह दुष्ट नौजवान व्यापारी मेरे गाल को चूमने की वजह है, मेरे गाल में दांत गिरा देता है, जिससे कि मेरा गाल लहूलुहान हो जाता है और मैं उसके दर्द से बेहोश हो जाती हूं और इसी बेहोशी का फायदा उठाते हुए वह दुष्ट नौजवान व्यापारी अपने सभी रेशम के थान के कपड़े को वहां से भाग जाता है।

फिर कुछ समय के बाद मुझे होश हो जाता है और मैं देखती हूं कि मेरे गाल से अत्यधिक लहू बह रहे हैं और मेरे साथ आई दासिया और वह बूढ़ी औरत हाय हाय करके चिल्ला रही है और मैं बार-बार बेहोश होते जा रही हूं।

लोग समझते हैं कि मेरी तबीयत खराब हो गई है और इसीलिए मैं बार-बार बेहोश हो रही हूं और वह बूढ़ी औरत को भी बहुत ही बुरा लगता है क्योंकि वह ही उस दुकान पर मुझे लेकर गई थी और उसने ही मुझे उस व्यक्ति को चुंबन देने के लिए तैयार किया था।

उसे यह मालूम नहीं था कि वह बहुत ही गंदा व्यक्ति है और वह मेरे साथ ऐसा करेगा।वह मुझे आश्वासन देते हुए कहती है कि, “तुम चिंता मत करो, जो हुआ सो हुआ”। हम यह बातें किसी को नहीं बताएंगे और मैं तुम्हारे गाल पर ऐसी लगाऊंगी कि दो-तीन दिनों के कम समय में भी तुम्हारे गाल ना केवल भर जाएंगे बल्कि कोई निशान भी नहीं रहेगा।

मैंने उसके रोते हुए चेहरे को देखकर उसे माफ कर दिया और उसके साथ और अपनी दासिया के साथ किसी तरह से गिरते पड़ते अपने घर आई और घर आकर भी मैं फिर से बेहोश हो गई। कुछ देर के बाद मुझे होश आया तो मैंने पाया कि मैं अपने कमरे के बिस्तर पर लेटी हूं और बूढ़ी औरत कहती है कि, तुम आराम करो और मुझे भी बहुत ही कमजोरी महसूस हो रही थी।

इस तरह रात भी जाती है और रात होने के बाद मेरा पति मुझसे मिलने मेरे कमरे में आता है और वह मुझ से पूछता है कि, “तुम सोई हुई क्यों हो”? तो मैं उसे कहती हूं कि, मेरे सर पर बहुत ही दर्द है इसीलिए, मैं सो रही हूं। मैंने सोचा कि ऐसा बहाना करने से वह मुझसे अपना ध्यान हटा लेगा। लेकिन वह तो मेरे ध्यान रखने के लिए मेरे और करीब आता है और मेरे हाथों को लेकर उसकी नारी को देखने लगता है जिससे समझ में आ जाता है कि मुझे कोई बीमारी नहीं है।

लेकिन फिर भी मैं बहुत ही कमजोर महसूस कर रही थी। इसके बाद वह मेरे सर को छूने के लिए मेरे चेहरे से कपड़े को हटाता है, जिसके बाद मेरे गाल पर लगे उस घाव को देख लेता है और उसे देखकर वह अत्यधिक क्रोध में मुझसे पूछने लगता है कि,” बताओ तुम्हें यह घाव कैसे लगा।”

मैं अपने पति की आज्ञा लेकर ही बाजार गई थी। जिस वजह से मुझे डरने की कोई जरूरत नहीं थी। लेकिन फिर भी मैं उसके क्रोध को देखकर इतना डर गई कि, मेरी कोई गलती ना होने के बावजूद भी मैं उससे झूठ कहने लगी कि, जब मैं बाजार गई तू किसी लकड़हारे के लकड़ी के गट्ठर से मुझे चोट लग गई और मेरे गाल पर यह निशान लग गया।

इस बात को सुनकर मेरा पति अत्यंत क्रोध में भर गया और मुझसे कहने लगा कि अगर यह बात सच है, तो मैं कल ही सारे लकड़हारे को फांसी की सजा दे दूंगा। मैं इस बात को सुनकर इतना डर गई कि मेरे कारण सभी निर्दोष लकड़हारे की मृत्यु हो जाएगी, तो फिर मैंने कहा कि नहीं नहीं मेरे लिए चोट का कोई और कारण है।

इस बार मेरे पति और भी गुस्से में भरकर मुझसे पूछने लगा कि, “सच बताओ कि तुम्हें यह चोट कैसे लगा है”? इस बार मैंने फिर से दूसरा बहाना बनाया क्योंकि उसके क्रोध को देखकर मुझे हिम्मत ही नहीं हो रही थी, कि मैं उसे सच कहूं।

इस बार मैंने उसे कहा कि कोई बर्तन बनाने वाला अपना बर्तन लेकर जा रहा था, लेकिन उसे ठोकर लगी और उसके बर्तन नीचे गिर गया और उसी बर्तन के एक कांच के टुकड़े मेरे गाल पर आकर लग गई और मेरे गाल पर खरोच लग गए। मेरा पति फिर से कहता, अगर यह बात सच, तो मैं कल ही सारे बर्तन बनाने वाले व्यक्ति को फांसी की सजा दे दूंगा। यह सोचकर यह सुनकर मैं फिर से अत्यधिक डर गई और फिर मैं सोचने लगी कि क्यों मेरे कारण इतने सारे निर्दोष व्यक्तियों की जान जाए।

इस बार मैंने कहा कि मेरे गाल पर खरोच लगने का कोई व्यक्ति दोषी नहीं है इसका कारण मैं खुद ही हूं। मैं ही बाजार में बेहोश हो गई थी और मुझे गिरने के कारण गाल में खरोच लग गई। इसमें किसी का दोष नहीं है, यह अपने आप हो गया।

यह बात सुनकर मेरे पति तो इतने क्रोध में भर गए। उसने कहा कि, “अगर तुम सच नहीं बताओगी, तो मेरा क्रोध कम नहीं होगा” और मैं तुम्हें ऐसी सजा दूंगा कि तुम पूरा जीवन याद रखोगे।

मेरा पति मुझ पर इतना गुस्सा हो गया था कि, वह अपने आपे से बाहर होते हुए कहता है कि, “तू झूठ पर झूठ कहती रहेगी और मैं उसे सच मान बैठूंगा”। अगर तुमने सच नहीं कहा तो मैं अभी तुम्हारे शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा और उसने ताली बजाई और कुछ सेवक बाहर आ गए। जिसके हाथ में बड़ी-बड़ी तलवार थी और उस सेवक से वह कहता है कि इसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दो।

यह सुनकर वह सेवक भी डर जाता है और मैं भी डर जाती हूं और मैं इतना डर जाती हूं कि अब मुझसे और भी सच बोलने की हिम्मत खत्म हो जाती है और मैं उसके सामने निर्दोष होते हुए भी सच नहीं बोल पाती हूं और मेरा पति मुझ पर इतना क्रोधित हो जाता है कि, उसने सेवक को तुरंत ही मेरे शरीर के टुकड़े-टुकड़े कहने करने का आदेश दे देता है।

इसके बाद सेवक मेरी और बड़े-बड़े तलवार लेकर आता है और मेरे शरीर के टुकड़े करने की जैसे ही प्रहार करता है। वह बूढ़ी औरत मेरे पति के पैर में गिर जाती है और उसे कहती है कि, मैंने तुम्हारे बचपन में तुम्हें पाला है, तुम्हें अपना दूध भी पिलाया है, और उसी की मैं कसम देती हूं कि तुम इससे जीवन दान दे दो।

वह बूढ़ी औरत मेरे पति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण थी। इसीलिए उसने उस बूढ़ी औरत की बात को मानते वह मेरा प्राण तो नहीं लिया। लेकिन मुझ पर कोरो से मारने का आदेश दे दिया। इस सजा को सुनकर तो मैं अत्यधिक डर गई और साथ ही साथ भगवान से यह प्रार्थना करने लगी कि है। भगवान आपने मुझे जीवनदान तो दिया लेकिन मुझे कोरो से मार खानी पड़ेगी जबकि मैं निर्दोष हूं।

मेरे कोई कोई गलती ना होने के बावजूद भी मुझे सजा भोगन पड़ रही है और मैं भगवान को याद करने लगी। मेरे पति ने मुझे इतने कोड़े बरसाए कि जब तक मैं भी होश ना हुई। तब तक मुझ पर कोड़े बरसाते गए जिससे मेरे शरीर पर इतने सारे काले काले दाग पड़ गए मैं कई महीनों तक एक कमरे में पड़ी रही और दर्द से कराते रही।

वह बूढ़ी औरत ही मेरे दर्द का इलाज करती रही, फिर 1 दिन मौका पाते ही मैं उस राज्य से मैं उस घर से बाहर निकली।अपने पहले पति के घर जाने के लिए, लेकिन मेरे उस पति ने मेरे पहले पति के घर को जमीन के अंदर इस तरह से गिरा दिया था। मुझे वह घर दिखा ही नहीं अंत में मैं थक हार कर किसी तरह से अपने बचपन के दोस्त जुबेदा से मिली।

मैंने इस बात की किसी से फरियाद भी नहीं कि कोई मुझे इस अन्याय के खिलाफ इंसाफ दिला सके क्योंकि मैंने अपने पति का इतना भयंकर रूप देख लिया था कि मुझे इस बार डर था कि वह मुझे इस बार मृत्यु लोक ही पहुंचा देगा।

जब मैं किसी तरह अपनी बचपन की दोस्त जुबेदा के पास आई जो कि मेरी सौतेली बहन भी है। उसने मेरा बहुत अच्छे से ध्यान रखा और मुझे अपने दुख से उबरने में मदद भी की। उसने कहा कि मेरे पास इतना धन है कि हम दोनों अपने सारी उम्र अच्छे से बिता सकेंगे और साथ ही साथ यह भी कहा कि यह दुनिया बहुत ही बेरहम है।

किसी पर दया करने से कोई लाभ नहीं है, बल्कि इससे अपने ही प्राण संकट में पड़ जाते हैं। यह दो कुत्तिया देख रही हो यह मेरी दोनों सगी बहन है। लेकिन इसकी मदद मैंने कि उस समय जब उसके पति ने तलाक देकर इसे दर-दर भटकने के लिए छोड़ दिया था और इसने मेरे ही होने वाले पति को समुद्र में ढकेल कर मार दिया। जिसकी सजा यह दोनों कुत्तिया के रूप में निभा रही है और इस प्रकार मैं अपने दोस्त के साथ यहां पर रहने लगी और कुछ समय के बाद मेरे मां की भी मृत्यु हो गई।

जिसके बाद मेरी छोटी बहन को भी जुबेदा ने अपने पास बुला कर रख लिया और अब मैं दोनों बहने और जुबेदा और यह दो कुत्तिया साथ साथ रहती हैं। हम सभी भगवान को बहुत ही धन्यवाद देते हैं कि, “उन्होंने हमें इतने अच्छा जीवन दिया है”। जिसमें हमें कोई कष्ट नहीं है और हमें आनंद के साथ एक दूसरे के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

हम घर के कामों को एक दूसरे में बांट देते हैं, कभी कोई बाजार जा कर सामान ले आता है तो कभी कोई यहां पर कोई भी। किसी से कोई भेदभाव नहीं रखता है। सब एक दूसरे के कार्य को प्रसन्नता पूर्वक करते हैं।

1 दिन बाजार में जब अमीना कुछ सामान खरीद रही थी तो वहां पर एक ऐसा व्यक्ति उसे दिखाओ जो कि दूसरों को हंसाने में बहुत ही माहिर था। उस हंसाने वाले व्यक्ति से जब वह मिली तो वह बहुत ही हंसने लगी औ इसे अपने घर ले जाती हूं। ताकि सब लोगों का मनोरंजन हो सके और मैं उसे अपने घर ले जाती है और उसे रात भर रहने को कहती है और उससे कहती है कि तुम अपना मनोरंजन करो और हम सभी को हंसाओ।

जब यह मनोरंजन चल रहा था तो जुबेदा के घर के द्वार पर कुछ व्यापारी आते हैं और वे उस से आग्रह करते हैं कि आज रात मुझे भी यहां रहने का आश्रय दे दो। वह दोनों बहुत ही सज्जन पुरुष लग रहे थे इसीलिए जुबेदा और अमीना ने उसे रात भर रहने का आश्रय दे दिया और उसने उस हंसने वाले व्यक्ति को और उन दो व्यापारियों को भी अच्छे से मेहमान नवाजी की सभी को खाना खिलाया।

साथ-साथ उन लोगों से एक शर्त भी रखवाया कि वह यह कारण ना पूछे कि मेरे शरीर पर यह दाग क्यों लगा हुआ है और इस कुत्तिया के पीटने का कारण ना पूछे। लेकिन उन लोगों से रहा नहीं गया, आखिरकार उसने पूछ लिया और वह दो व्यापारी कोई और नहीं थे बल्कि राजा खलीफा और उसके मंत्री थे।

जब राजा ने उन दोनों स्त्रियों की दुख भरी कहानी को सुना तो उसने जुबेदा से पूछा कि क्या, तुम्हारे उस परी ने तुम्हें बताया है कि, दो कुत्तिया की सजा कब तक है। कब तक इसे रोज रात को कोरो से मार खाकर सोना पड़ेगा।

तो जुबेदा कहती है कि मुझे नहीं पता कि इन लोगों की सजा कब तक ऐसे ही चलेगी, लेकिन उस परी ने मुझे अपने बाल के कुछ टुकड़े दिए हैं। जिसे जलाने पर वह तुरंत किसी भी लोक में हो मेरे पास आ सकती है और मेरी मदद करेगी।

इस बात को सुनकर राजा ने कहा कि, “तुम उस बाल को दिखाओ”। जिसे उस परी ने दिया था जुबेदा उस वालों को हमेशा अपने पास रखती है और वह दिखाती है कि उसके पास वह बाल हैं। तो फिर राजा कहता है कि इसे जला और उससे पूछो कि, दो कुत्तिया की सजा कब पूरी होगी।

राजा के कहने पर, जुबेदा उस बाल को जलाती है और परी तुरंत उसके सामने आकर खड़ी हो जाती है। वह राजा को भी प्रणाम कहती है और वह बिना पूछे ही राजा की सभी सवाल का जवाब दे देती है। वह कहती है कि इन दो कुत्तिया की सजा अब पूरी हो गई है और मैं उसे दो सुंदर युवती के रूप में परिवर्तित कर देती है।

साथ ही साथ राजा जब पूछता है कि वह कौन व्यक्ति है जिसने इस अमीना के शरीर पर इतने बड़े बड़े काले दाग पर आए हैं। तो वह कहती है कि, वह व्यक्ति आपके ही परिवार का है जिसका नाम सुनते ही राजा बहुत ही आश्चर्य में पड़ जाता है।

परी ने राजा के कहने पर अमीना पर कुछ मंत्र पढ़कर जल चिट्टा जिससे कि उसका शरीर पहले की भांति सुंदर और क्रांति में हो गई। अपने राजा को बताया कि “अमीना का पति आपका छोटा बेटा आमीन है”। यह बात सुनकर राजा तो अत्यधिक क्रोध में भर गया उसने अपने छोटे भाई को छोटे बेटे को बुलाया। लेकिन उसका छोटा बेटा शर्म और डर के मारे राजा के पास नहीं आ रहा था।

जब राजा और क्रोधित हुए तो वे उसके सामने आकर खड़ा हुआ और राजा ने उसे आदेश दिया कि तू अपनी पत्नी को सम्मान पूर्वक अपने साथ रखोगे और राजा के आदेश सुनकर उसका पुत्र पत्नी के रूप में अमीना को स्वीकार करता है और उसे सम्मान के साथ रखता है और जुबेदा की दो बहनें और मीना की एक बहनों को राजा अपने द्वार के बड़े बड़े अधिकारी के साथ विवाह करवा देता है और जुबेदा के साथ खुद ही शादी कर लेता है। इस प्रकार खलीफा हारून राशिद ने अमीना और जुबेदा के साथ न्याय किया।

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Ripal
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