प्राचीन समय में एक शहर में दो भाई रहते थे, जो आपस में एक दूसरे से बहुत प्रेम किया करते थे। दोनों भाइयों में बड़े भाई का नाम अलीबाबा और छोटे भाई का नाम कासिम था। अलीबाबा और कासिम के पिताजी अपने निधन से पहले अपने दोनों बेटों का विवाह करवा दिया था और विवाह करवाने के कुछ दिन पश्चात उनके पिताजी का निधन हो गया।
जिसके बाद दोनों ने अपने पिताजी का संस्कार बहुत धूमधाम से किया। दोनों अपना जीवन व्यतीत करने लगे। अली बाबा का विवाह एक बहुत ही गरीब घर सुंदर स्त्री के साथ हुआ और कासिम का विवाह बहुत ही अमीर व्यक्ति की पुत्री के साथ हुआ।
गरीब होने के कारण अलीबाबा रोज जंगल में जाकर लकड़ियां काटता था और उसको शहर में लाकर और उनको बेचकर अपने घर का पालन पोषण किया करता था। एक दिन अलीबाबा जंगल में लकड़ी काटने के लिए गया तो उसने देखा कि सामने से कुछ लुटेरे चले आ रहे हैं।
जिनको देखकर अलीबाबा बहुत डर गया और कि कहीं वह लोग मुझको मार ना दे, जिसके कारण अलीबाबा ने अपने दोनों गधों को छुपा दिया और एक पेड़ में जाकर छुप कर बैठ गया। उसने देखा कि वह लुटेरे लगभग चालिस की संख्या में थे। जिसके बाद एक गुफा के पास गए, लुटेरों का सरदार उतरा और गुफा के पास गया कहने लगा खुल जा सिम सिम।
उसके इतना बोलते ही गुफा के बाहर जो चट्टानों से बनी दीवाल थी, वह खुल गई और सभी चोर उसके अंदर चले गए। थोड़ी ही देर में वह जब वापस आए तब एक बार फिर उस सरदार ने बोला बंद हो जा सिम सिम। उसके यह बोलते ही गुफा का दरवाजा बंद हो गया और वह सभी लोग वहां से चले गए।
जिसके बाद अलीबाबा पेड़ से नीचे आया और उस गुफा के पास गया। गुफा पर पहुंचकर अलीबाबा ने बोला खुल जा सिम सिम। अली बाबा के यह बोलते ही गुफा का दरवाजा खुल गया। जिसके बाद अलीबाबा उस गुफा के अंदर चला गया। गुफा के अंदर जाकर अली बाबा ने देखा कि उस गुफा के अंदर बहुत सारे सोने के सिक्के से भरी बोरियां रखी है और कई सोने से बनी वस्तुएं रखी है।
जिसको देखकर अलीबाबा बहुत खुश हो गया और फिर अलीबाबा ने सोने के कुछ सिक्कों को उठाकर अपने गधों पर लाद दिया। जिसके बाद वह अपने गधों के साथ गुफा से बाहर आ गया और फिर अलीबाबा ने कहा कि बंद हो जा सिम सिम। अलीबाबा के इतना बोलते ही गुफा का दरवाजा बंद हो गया। जिसके बाद वह उन सोने के सिक्कों को लेकर अपने घर चला गया।
घर जाकर उसने अपनी पत्नी को सारी बातें बता दी। जिसके बाद उसकी पत्नी ने उन सोने के सिक्कों को देखने की इच्छा व्यक्त की। जिसके बाद अलीबाबा ने अपनी पत्नी के सामने दोनों बोरी भरे सोने के सिक्के पलट दिए। जिसके बाद अलीबाबा की पत्नी ने कहा कि क्यों ना हम लोग इसको तोल कर देखें कितना है, जिसके लिए वह अपने देवर कासिम की पत्नी के पास जाकर उससे तराजू मांगने लगी।
कासिम की पत्नी बहुत ही चालाक थी। उसने तराजू देने से पहले तराजू के नीचे एक चुंबक लगा दिया और अलीबाबा की पत्नी को दे दिया। जिसके बाद जब अलीबाबा की पत्नी ने तराजू से ताल कर सारे सोने के सिक्के एक गड्ढे में गाड दिए और फिर तराजू को ले जाकर वापस कासिम की पत्नी को दे आई। कासिम की पत्नी जैसे ही तराजू को पलट कर देखा तो चुंबक में एक सोने का सिक्का चिपका हुआ था।
जिसको देखकर वह समझ गई कि यह लोग हमसे कुछ ना कुछ जरूर छुपा रहे हैं। जिसके बाद उसने अपने पति कासिम को सारी बातें बताई। फिर काफी अपने बड़े भाई अलीबाबा के घर गया। फिर उसने अलीबाबा से सारे राज के बारे में पूछा तो अलीबाबा ने कासिम को सारी बात बता दी।
जिसके बाद कासिम तुरंत गुफा की तरफ निकल गया। गुफा के पास पहुंचने के बाद उसने बोला खुल जा सिम सिम। जिससे गुफा का दरवाजा खुल गया और वह अंदर चला गया। उसने बहुत सारे सोने के सिक्के इकट्ठा कर लिए और बाहर आने लगा।
बाहर आने के लिए जब उसने उस मंत्र को बोलना शुरू किया तो वह दरवाजा ना खुला। क्योंकि वह मंत्र को भूल चुका था, इसीलिए वह सही मंत्र को ना बोल कर अनाप-शनाप बक रहा था। इसके बाद थोड़ी देर पर वहां पर वह चालिस लुटेरे आ गए। उन्होंने गुफा के अंदर कासिम को देखा तो उसको वहीं पर तुरंत मार दिया।
उसके शरीर काटकर चार अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया और वहां से चले गए। जब कुछ दिनों में कासिम अपने घर वापस नहीं आया तब उसकी पत्नी ने अली बाबा के पास जाकर कहा कि कासिम अभी तक घर नहीं आया है आप जाकर पता करिए।
जिसके बाद अलीबाबा समझ गया कि कासिम के साथ कोई ना कोई दुर्घटना जरूर हुई है। वह तुरंत उस गुफा के पास गया और जैसे ही वह गुफा के अंदर गया था, उसने देखा कि उसके भाई के चार टुकड़े चारो और बिखरे हुए हैं। जिसके बाद अली बाबा ने कासिम के शरीर के टुकड़ों को एक बोरी में भरकर और कुछ सोने के सिक्कों को एक अलग बोरी में भरकर शहर से बचकर कासिम के घर पहुंच गया।
जहां पर उसने कासिम की पत्नी को कासिम के मरने के बारे में बता दिया और कासिम की लाश को पत्नी के सामने रख दिया। जिसको देखकर कासिम की पत्नी बहुत ही जोर जोर से रोने लगी। पत्नी को रोता देख अलीबाबा डर गया और उसने कहा तुम इतनी जोर जोर से मत रो, नहीं तो हम लोगों का सारा राज खुल जाएगा। अलीबाबा ने कहा कि तुम चिंता मत करो, मैं तुमसे भी विवाह कर लूंगा।
यह सुनकर कासिम की पत्नी खुश हो गई और उसने अपने पति की लाश को दफनाने का फैसला लिया। जिसके लिए उसने अपनी नौकरानी कहा कि तुम एक मोची को मेरे पास ले आओ। जिसके बाद वह नौकरानी जिसका नाम मरजीना था, वह एक मोची के पास गई। वह मोची कोई आम मोची नहीं था, वह लाश को भी सिलना जानता था। उसको कुछ सोने के सिक्के का लालच देकर अपने साथ उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर ले आई।
जिससे उसको घर का पता ना लग सके। लेकिन वह मोची बहुत ही शातिर किस्म का था। रास्ते भर अपने पैरों की चाल को गिनता हुआ आ रहा था। लेकिन उसने अलीबाबा से कुछ नहीं कहा है। चुपचाप अपना काम कर कर वापस चला गया। जिसके बाद अली बाबा ने बाहर सभी को जाकर बताया कि मेरे भाई की अचानक से तबीयत खराब हो जाने के कारण उसका निधन हो गया है।
जिसके बाद अलीबाबा ने अपने भाई का अंतिम संस्कार किया और अपने वादे के अनुसार कासिम की पत्नी से विवाह कर लिया। जब उधर वह सभी लुटेरे गुफा के अंदर गए तो तो उन्होंने देखा कि अंदर वह मरे हुए व्यक्ति की लाश नहीं है, जिसको उन्होंने मारा था।
जिसको देखकर उन लुटेरों का सरदार समझ गया कि हमारा राज कोई जान चुका है, जिसके लिए उसने एक चोर को शहर में जाकर पता लगाने के लिए भेजा। तब वह चोर खोज करते करते उस मोची के पास पहुंच गया, जिसने कासिम की लाश को सिला था।
चोर के पूछने पर मोची ने बता दिया कि अभी कुछ दिन पहले मैंने एक लाश के चार टुकड़ों को सिला था। जिसके बाद वह चोर समझ गया कि वह वही व्यक्ति है, जिसको हम लोगों ने मारा था और उस चोर ने मोची को धन का लालच देकर उस जगह का पता बताने के लिए कहा। जिसके बाद मोची ने उस चोर को अलीबाबा के घर का पता बता दिया।
जिसके बाद वह चोर ने अलीबाबा के घर के बाहर एक क्रॉस का निशान बना दिया और वहां से चला गया। वापस जाकर उसने अपने सरदार से कहा कि मैंने उस घर का पता लगा लिया है, जिसको हमारा राज पता है। जिसके बाद उन लुटेरों के सरदार ने अलीबाबा के घर जाने का निर्णय लिया और उसको मारने का भी निर्णय लिया।
लेकिन जब सुबह मरजीना ने अलीबाबा के घर के बाहर एक क्रॉस को देखा तो वह समझ गई कि यह सारी चाल उन लुटेरों के ही है। जिसके बाद उसने हर एक घर में एक क्रॉस का निशान बिल्कुल हुबहू बना दिया। जब रात को लुटेरों का सरदार अपने साथियों के साथ रात को अलीबाबा के घर आया तब उसने देखा कि वहां पर तो हर एक घर पर क्रॉस का निशान है।
जिसको देखकर वह लुटेरा भी बहुत आश्चर्यचकित हो गया, जिसने वह निसान बनाया था। खुद ही अलीबाबा घर को पहचानना सका। जिसके बाद लुटेरों के सरदार ने उस लुटेरे को जान से मार दिया और वापस चले गए। फिर सरदार ने अपने दूसरे व्यक्ति को भेजा, वह मोची के पास गया। मोची ने उसको अलीबाबा घर बताया।
अलीबाबा के घर के बाहर उस व्यक्ति ने लाल कलर का निशान लगाया और वहां से जाकर सरदार को बता दिया। अगले दिन जब सुबह मरजानी ने जब अली बाबा के घर के बाहर उस लाल निशान को देखा तो उसने एक बार फिर से सभी घरों में वैसा ही लाल निशान बना दिया।
जब रात को सरदार अपने सभी लुटेरों के साथ आया तब उसने देखा कि लाल निशान वैसे ही सभी घरों में बना हुआ है। जिसको देखकर वह बहुत क्रोधित हुआ। अपने दूसरे लुटेरे को को भी जान से मार दिया। जिसके बाद सरदार ने खुद ही अलीबाबा के घर का पता लगाने का निर्णय लिया और वह सरदार उस मोची के पास गया।
जिसने उन दोनों को भी अलीबाबा के घर का पता बताया था। उसको ले जाकर अलीबाबा के घर का पता लगा लिया और आसपास के लोगों से अली बाबा के बारे में पता भी कर लिया और वापस चला गया। वापस जाकर लुटेरों के सरदार रहे योजना बनाई कि किस प्रकार से मरेगा।
उसने अपने बाकी साथियों से कहा कि हम लोग अली बाबा के घर तेल के व्यापारी बनकर चलेंगे और तुम सभी लोग तेल के डिब्बे के अंदर छुपे रहोगे। जब मैं लोगों को आदेश दूंगा तो तुम लोग बाहर आकर अलीबाबा और उसके परिवार को खत्म कर देना। जिसके बाद सभी ने सरदार की सराहना की और अलीबाबा के घर की ओर तेल के व्यापारी बन कर चल दिए।
अलीबाबा के घर के बाहर पहुंचे तब लुटेरों के सरदार ने अली बाबा को कहा कि मैं तेल का व्यापारी हूं, मैं आपके घर में कुछ दिन आराम कर सकता हूं। जिसके बाद अली बाबा ने उनको अंदर बुला लिया और उनका आदर सम्मान करने लगे। लेकिन जब मरजीना ने उन डिब्बों को ध्यान से देखा तो उसने तेल की जगह व्यक्ति को पाया। जिसको देखकर वह जान गई कि यह लोग कोई और नहीं है, बल्कि यह सभी लुटेरे है, जो हमारे अलीबाबा को मारने के लिए आए है।
जिसके बाद मरजीना ने बहुत सारा तेल को गर्म किया और एक एक कर के सभी डिब्बों में डाल दिया। जैसे ही मरजीना ने डिब्बों के अंदर तेल डाला तो अंदर बैठे सभी व्यक्ति गर्म तेल होने कारण वहीं पर मर गए और फिर उसने जाकर चालाकी से लुटेरों के सरदार को भी मार दिया। यह देखकर अलीबाबा मरजीना पर बहुत क्रोधित हुआ। उससे पूछने लगा कि तुमने ऐसा क्यों किया है।
तब मरजीना ने बताया कि यह लोग वही लुटेरे हैं, जिन्होंने कासिम की हत्या की थी। यह सुनकर अलीबाबा एकदम हक्का-बक्का रह गया और उसने अपनी जान बचाने केलिए मरजीना का बहुत-बहुत धन्यवाद दिया और अपने बेटे का विवाह मरजीना के साथ कर दिया। सभी लोग खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे लगे।
अलिफ लैला की सम्पूर्ण कहानियों के लिए यहाँ क्लिक करें