तुलसीकृत शब्द में समास (Tulsikarta Mein Kaun sa Samas Hai)
तुलसीकृत में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
तुलसीकृत में तत्पुरुष समास है।
Tulsikarta Mein Kaun sa Samas Hai?
Tulsikarta Shabd mein Tatpurush Samas Hai.
तुलसीकृत का समास विग्रह क्या है?
तुलसीकृत का समास विग्रह तुलसीदास द्वारा कृत है।
Tulsikarta ka Samas Vigrah kya hai?
Tulaseedaas dvaara krt
तुलसीदास द्वारा कृत का समस्त पद है?
तुलसीकृत
तत्पुरुष की परिभाषा
तत्पुरुष समास उसे कहा जाता है, जिसमें उत्तरपद प्रधान होता है। ऐसे सभी वाक्य जिसमें प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है। इस तरह के शब्द तत्पुरुष समास के अंतर्गत आते है। इनका उच्चारण करते समय विभक्ति का लोप हो जाता है।
तत्पुरुष समास की पहचान इसने आने वाले शब्दों कारक चिन्हों को, से, के लिए, से और का/के/की आदि का लोप होता है।
तत्पुरुष समास में कौन सा पद प्रधान होता है?
तत्पुरुष समास में उत्तरपद प्रधान होता है और प्रथम पद गौण होता है। इसमें लिए गए शब्दों में उत्तर पद की प्रधानता होती है व इनका मुख्य अर्थ होता है। वह सभी शब्द जिसमे समास करते वक़्त विभक्ति का लोप होता है।
तत्पुरुष समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें तत्पुरुष समास (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
कुछ अन्य उदहारण
- मूर्तिकार – मूर्ति बनाने वाला।
- कालजयी – काल को जीतने वाला।
- राजद्रोही – राजा के साथ धोखा करने वाला।
- आत्मघाती – स्वयं की मारने वाला।
- मांसाहारी – मांस का सेवन करने वाला।
- परलोकगमन: अन्य लोक में चले जाना।
- शरणागत: शरण में आया हुआ।
- आशातीत: जो आशा को लाँघकर गया हो।
- गगनचुम्बी: गगन को चूमने वाला अर्थात ज्यादा ऊंचाई पर होना।
- रथचालक: रथ को चलाने वाला।
तत्पुरुष समास का विग्रह
समस्त पद | विग्रह |
शोकाकुल | शौक से आकुल |
वाल्मीकिरचित | वाल्मीकि द्वारा रचित |
कष्टसाध्य | कष्ट से साध्य |
ऊपर दिए गए सभी उदाहरण में तत्पुरुष समास का बोध होता है। जैसा कि आप देख सकते हैं यहां सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है और पूर्वपद गौण है। जब इनका समास विग्रह किया जाता है तो शब्दों के बीच में से योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।
तत्पुरुष समास के भेद
तत्पुरुष समास में 6 तरह के भेद होते है, जिन्हें कारक चिन्हों के अनुसार विभाजित किया जाता है।
इसमें प्रथम तीन, कर्म तत्पुरुष समास, करण तत्पुरुष समास और सम्प्रदान तत्पुरुष समास आते है। इसके बाद तीन और है। अपादान तत्पुरुष समास, सम्बन्ध तत्पुरुष समास और अधिकरण तत्पुरुष समास यह सभी 6 तत्पुरुष समास के भेद होते है।
तत्पुरुष समास को कारक चिन्ह के आधार पर विभाजित किया गया है। कारक चिन्ह के आधार पर तत्पुरुष समास को मुख्य रूप से छह भागों में विभाजित किया गया है।
- कर्म तत्पुरुष समास
- करण तत्पुरुष समास
- सम्प्रदान तत्पुरुष समास
- अपादान तत्पुरुष समास
- सम्बन्ध तत्पुरुष समास
- अधिकरण तत्पुरुष समास
कर्म तत्पुरुष समास
कर्म तत्पुरुष समास जिसमें को चिन्ह कारक का लोप बनता है। जैसे:
- शहरगत – शहर को गया हुआ।
- नर्कगत – नर्क को गया हुआ।
- इतिहासकार – इतिहास को लिखने वाला।
- मूर्तिकार – मूर्ति को बनाने वाला।
- चित्रकार – चित्र को बनाने वाला।
- माखनचोर – माखन को चुराने वाला।
प्रयुक्त उदाहरण में आप देख सकते हैं कि सभी शब्दों में उत्तर पद प्रधान है और पूर्व पद का गौण हो रहा है। जब इनका समास किया जाता है तो इन शब्दों के बीच में को योजक का लोप हो जाता है। इसलिए इनको कर्म तत्पुरुष समास के अंतर्गत रखा गया है।