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तीन बौनों और मोची की कहानी

The Elves And The Shoemaker Story In Hindi: नमस्कार दोस्तों, हम इस पोस्ट के माध्यम से एक आनंदित कर देने वाली कहानी आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं। इस कहानी में बताया गया है कि किस प्रकार एक मोची की सहायता तीनों ने द्वारा की जाती है और मोची धनी हो जाता है।

The Elves And The Shoemaker Story In Hindi
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तीन बौनों और मोची की कहानी | The Elves And The Shoemaker Story In Hindi

एक समय की बात है। एक गांव में एक मोची रहता था। वह अपना और अपने परिवार का जीवन-यापन जूते बेच कर किया करता था। उसकी छोटी सी दुकान बाजार में थी। प्रतिदिन वह जूते बेचने जाता था और जूते बेच था। जो भी बचत होती थी, उसी से अपना घर का खर्च चलाता था। वह अपने काम को सच्चे मन और लगन से करता था परंतु समय के साथ-साथ उसकी दुकान पर ग्राहक आने बंद हो गए। अब उसने जो पूंजी जमा की थी, वह भी  खत्म होने लगी। कुछ दिनों के पश्चात समस्या इतनी बढ़ गई कि उसे अपनी बीवी के गहने बेचने पड़े।

यह सोचकर मोची उदास रहने लगा, उसका काम भी अच्छे से नहीं चल रहा था। यह सब देख कर उसकी पत्नी उसे दिलासा देने लगी कहने लगी “भगवान पर भरोसा रखो, भगवान सबकी सुनता है। एक दिन भगवान जरूर हमारी सुनेगा।, भगवान के घर देर है पर अंधेर नहीं।” वह अपनी पत्नी की बात सुनकर झूठ के लिए मुस्कुरा देता था परंतु अंदर से वह चिंतित और परेशान रहता था।

कुछ दिनों के बाद उसकी दुकान में एक जोड़ी जूते ही बचे थे। समस्या यह थी कि उसके पास और जूते बनाने के लिए सामान नहीं था और उस जूते को खरीदने के लिए कोई ग्राहक भी नहीं आ रहा था। वह बहुत परेशान हो गया। सोचने लगा, अपने घर का खर्च कैसे चलाएंगे। इसलिए वह उस एक जोड़ी जूते को लेकर बाजार की ओर निकल गया।

उस बाजार में मोची के एक जोड़ी जूते बिक गए। वह बेंच का घर आ रहा था, उसने रास्ते में घर का जरूरत सामान और कुछ खाने का सामान लिया। कुछ दूर आने पर उसे एक रास्ते में बूढ़ी औरत मिली, वह बूढी औरत बीमार और भूखी थी। मोची दयावान था, उसने कुछ पैसे और खाने का सामान उस बूढ़ी औरत को दे दिया।

घर आते समय वह सोच रहा था कि अब उसकी दुकान में एक भी जूता नहीं है, वह क्या बेचेगा और ऐसा सोचते सोचते वह घर की ओर आ ही रहा था तभी उसे रास्ते में एक चमड़े का टुकड़ा पड़ा हुआ मिला। उसे देखकर सोचा इसे उठा लेते हैं और उसे एक जोड़ी जूता तो बन ही जाएगा। उसने उस चमड़े को उठा लिया और उसे देखा और उसे लेकर घर चला गया। उसने सोचा आज चमड़े को काट के रख देता हूँ, कल सुबह चमड़े को जूता बना देंगे। अभी अंधेरा काफी हो गया है।

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अगली सुबह जब मोची उस चमड़े को जूता बनाने वाला था तभी उसने अपने बक्से को खोला, जिसमें चमड़ा रखा हुआ था। परंतु उसमें उसने देखा कि चमड़े के जगह एक अत्यंत सुंदर जूते की जोड़ी बनी हुई रखी है। वह तो खुश हुआ और उसे कुछ न सुझा और बाजार की ओर उस जोड़ी जूते को लेकर चला गया।

इस बार मोची को अच्छे पैसे प्राप्त हुए और वह कुछ पैसे बूढ़ी औरतों और बूढ़े लोगों को दे दिया। बाकी पैसों से जूते बनाने का सामान खरीद कर घर आ गया।

उसने दो जोड़ी जूते की चमड़ी को काटा और उसी बक्से में कटे हुए चमड़े को रख दिया और वह अगली सुबह फिर से चमकदार और सुंदर जूते बनाकर तैयार हो गए। वह हैरान था, उसने सारी बातें अपनी पत्नी से बताई। उसकी पत्नी ने कहा देखा मैंने कहा था न कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं। कोई नेक दिल इंसान हमारी मदद कर रहा है। ईश्वर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

इसी तरह कुछ दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा और वह रोज रात को चमड़ा काट के रख देता और अगले दिन अच्छे खासे जूते बने तैयार हो जाते हैं। कुछ दिन बाद मोची की स्थिति सुधर गई, उसने अपनी जमा पूंजी भी एकत्र कर ली थी।

एक दिन मोची की पत्नी ने कहा क्यों न हम इस बात को पता कर और रात में जग कर देखें आखिर कौन है जो इतने सुंदर जूते बनाता है, वह भी हमारे लिए।

एक रात मोची ने चमड़े को काट कर अपनी दुकान के बक्से में रख दिया। अपनी पत्नी के साथ रात में जग रहा था  और दुकान के बाहर खड़े होकर देखते रहा। उन्होंने देखा कि दुकान मे खिड़की के रास्ते से तीन बौने आते हैं और कटे हुए चमड़े को जूता बनाने में लग जाते हैं। सुबह होते ही वे खिड़की के रास्ते से निकल जाते हैं। यह देख कर मोची और उसकी पत्नी खुश हुई। उन्होंने सोचा और कहा इन दोनों ने हमारी मदद की क्यों न हम इनकी भी मदद करें। मोची ने अपनी पत्नी से पूछा बताओ हमें इनके लिए क्या करना चाहिए।

मोची की पत्नी ने कहा आपने कुछ बात ध्यान दिया, उन दोनों के कपड़े और जूते फटे हुए थे। क्यों न आप उनके लिए जूते बना दें और मैं उनके लिए कपड़े सिल देती। उसको यह बात पसंद आई। मोची ने उनके लिए जूते बना दिए हैं और उनकी पत्नी ने उनके लिए कपड़े सिल दिए। अगली रात उन दोनों ने अपनी दुकान के बॉक्स में जूते और कपड़े रख दिए।

वे बौने खिड़की के रास्ते से जब आते हैं और अपने जूते और कपड़े पाकर बहुत खुश हो जाते हैं और उसे पहनकर चले जाते हैं।

अब मोची रोज चमड़ा रखता परंतु बौने आते नहीं और जूते बने हुए तैयार नहीं मिलते हैं। मोची समझ गया था कि अब मेरी स्थिति सुधर गई है, मुझे अपना काम स्वयं करना चाहिए और वह लोगों की पसंद को भी जान चुका था। उसने बहुत मेहनत की और दोनों की तरह जूता बनाना शुरू कर दिया और उसे अच्छा खासा धन भी प्राप्त होने लगा। वह अपना जीवन-यापन अच्छे से करने लगा।

शिक्षा: हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि यदि हमारा समय खराब हो तो हमें दूसरों से मदद करनी चाहिए और उसके बाद अपना कार्य स्वयं करना चाहिए, दूसरों पर सदा के लिए निर्भर न रहना चाहिए।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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