इस लेख में सरदार उधम सिंह का जीवन परिचय (Sardar Udham Singh Biography in Hindi) के बारे में जानकारी शेयर कर रहे हैं। यहां उनके जन्म, परिवार, माता-पिता, उनकी जाति, फांसी आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सरदार उधम सिंह एक भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी थे, जिन्हें भारत के लोग देश की आजादी के प्रतीक के रूप में जानते हैं। सरदार उधम सिंह भी देश के सभी स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह करने वालों की सूची में शामिल है।
देश के स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे सभी क्रांतिकारी अपने-अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं। ठीक उसी प्रकार सरदार उधम सिंह भी स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं।
उन्होंने ब्रिटिश शासन काल में पंजाब के राज्यपाल माइकल ड्वायर की हत्या कर दी थी, जिसके बाद पूरे देश में सरदार उधम सिंह को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में माना जाने लगा और पूरे देश में उसकी चर्चा होने लगी। सरदार उधम सिंह एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी है।
ब्रिटिश शासन काल के दौरान पंजाब के राज्यपाल जनरल डायर ने गरीब और लाचार लोगों पर गोलियां चलवा दी थी, जिसमें हजारों की संख्या में लोग मारे गए थे।
सरदार उधम सिंह ने जलियांवाला बाग हत्याकांड में हजारों की संख्या में बूढ़े, बच्चे, महिलाएं और नौजवानों को लाश के ढेर के रूप में पड़ा हुआ देखा था, जिससे उनका क्रोध बढ़ गया और इस घटना ने सरदार उधम सिंह को झंझोर करके रख दिया।
जिसके बाद सरदार उधम सिंह ने प्रतिशोध की भावना से उस जनरल डायर को मार डाला। देश की आजादी में योगदान देने वालों की सूची में सरदार उधम सिंह काफी महत्वपूर्ण योगदान है।
सरदार उधम सिंह ने अंग्रेजों की जड़ें हिला कर रख दी थी। इसलिए सरदार उत्तम सिंह एक बहुचर्चित चेहरा है। सरदार उधम सिंह को पूरा देश सम्मान से याद करता है।
सरदार उधम सिंह का जीवन परिचय (Sardar Udham Singh Biography in Hindi)
नाम | सरदार उधम सिंह |
जन्म | 26 दिसंबर 1899 |
जन्म स्थान | सुमान गांव, पंजाब |
माता का नाम | नारायण कौर |
पिता का नाम | तेहाल सिंह |
भाई का नाम | मुक्ता सिंह |
कार्य | कांति, विद्रोह एवं आंदोलन |
प्रचलित | जनरल डायर की हत्या |
मृत्यु | 31 जुलाई 1940 (फांसी) |
मृत्यु स्थान | लंदन |
सरदार उधम सिंह का जन्म, परिवार और प्रारंभिक जीवन
सरदार उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुमान क्षेत्र में हुआ था। सरदार उधम सिंह के पिता का नाम तेहाल सिंह एवं माता का नाम नारायण कौर था।
सरदार उधम सिंह के भाई का नाम मुक्ता सिंह था। सरदार उधम सिंह हिंदू परिवार से संबंध रखते थे। उधम सिंह को बचपन से ही लोग शेर सिंह नाम से पुकारते थे, क्योंकि वह अत्यंत ताकतवर और हटे कटे दिखाई देते थे।
सरदार उधम सिंह के पिता रेलवे क्रॉसिंग पर वॉचमैन का काम करते थे। बचपन से ही उनके मन में राष्ट्रहित की भावना जागृत होती थी। बचपन से ही वे अंग्रेजों के खिलाफ थे।
अंग्रेजों की नीतियां और उनके नियम से वे परेशान थे और हमेशा अंग्रेजों को उखाड़ फेंकने की बातें करते थे। सरदार उधम सिंह की माता-पिता दोनों भाइयों का अच्छी तरह से ख्याल रखते थें। लेकिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था।
कुछ ही समय बाद सन 1901 में उधम सिंह के पिता की मृत्यु हो गई, जिसके 6 वर्ष बाद उसकी माता भी पिता के पास चली गई। अब दोनों ही भाई अकेले पड़ गए, जिससे उन्हें अमृतसर स्थित खालसा अनाथालय में आश्रय लेना पड़ा।
यहां पर दोनों भाइयों ने शिक्षा लेनी शुरू की और अपना जीवन गुजारना शुरू किया था। कुछ समय बाद 1917 में उधम सिंह के भाई का भी देहांत हो गया। अब उधम सिंह एकदम अकेले पड़ गए थे और जीने की चाहत भी छोड़ चुके थे।
उधम सिंह ने अपने बचपन से ही अनेक तरह की कठिनाइयां और परेशानियों का सामना किया। बहुत ही कम उम्र में माता-पिता का साथ छूट गया, जिसके बाद भाई ने भी साथ छोड़ दिया और घर-परिवार एवं देखभाल वाला कोई भी नहीं था।
फिर भी हिम्मत रख कर सरदार उधम सिंह ने सन 1918 में मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की और सन 1919 में अनाथ आश्रम को छोड़ दिया। जिसके बाद वे देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़कर देश की आजादी के लिए लड़ना शुरू कर दिया।
क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह
मात्र 2 वर्ष की आयु में सरदार उधम सिंह के पिता की मौत हो गई, जिसके 6 वर्ष बाद सन 1907 में उनकी माता का भी देहांत हो गया था। कम उम्र में सरदार उधम सिंह तकलीफ और परेशानियों से जूझ रहे थे।
माता-पिता का हाथ सर से उठ चुका था और कोई पालन पोषण करने वाला भी नहीं था। अपने जीवन यापन के लिए अनाथ आश्रम में शरण ली। जहां 10 वर्ष बाद सन 1917 में उधम सिंह के भाई ने भी प्राण त्याग दिए।
अब उधम सिंह पूरी तरह से टूट चुके थे फिर भी उन्होंने हिम्मत दिखाइए और मैट्रिक की पढ़ाई पास करने के बाद स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन से जुड़ गए और देश के अलग-अलग हिस्सों में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का शुभारंभ करने लगे, विद्रोह करने लगे, स्वतंत्रता का अलख जगाने लग गए।
अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति के लिए सन 1913 में गदर पार्टी की स्थापना की गई थी। इस पार्टी में सरदार उधम सिंह ने 1924 में एंट्री और इस पार्टी को ज्वाइन कर दी।
सरदार उधम सिंह क्रांतिकारी दिनों में अमेरिका, अफ्रीका, ब्राजील जैसे देशों में अलग-अलग नाम बदलकर यात्राएं की और अपने संकल्प को पूरा करने का हर संभव प्रयास किया।
उधम सिंह विदेशों से अपने साथ तरह-तरह की बंदूके और गोला बारूद लेकर आए थे। इसलिए बिना लाइसेंस के हथियार और गोला-बारूद रखने के आरोप में अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर दिया और 4 साल की सजा सुना दी।
सरदार उधम सिंह के विचार और देश के प्रति विचारधारा से शहीद भगत सिंह एवं अन्य सभी क्रांतिकारी काफी प्रभावित हुए। सरदार उधम सिंह हमेशा अपने देश को आजाद देखना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने निरंतर प्रयास किया और तरह-तरह के आंदोलन क्रांति एवं विद्रोह करके अंग्रेजों का हमेशा सामना करते रहे।
सरदार उधम सिंह का मन सबसे ज्यादा तब विचलित हुआ जब जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना को उन्होंने अपनी आंखों से देखा था। जलियांवाला बाग हत्याकांड घटना के समय उत्तम सिंह वहां पर नहीं थे, लेकिन बाद में वे वहां पर पहुंचे और हजारों लोगों की लाशे देखी, निर्दोष और बेसहारा लोगों की मौत देखी, गरीब लोगों की लाशें देखी।
बच्चे, महिलाएं, बूढ़े, नौजवान, सभी की लाशें देखकर सरदार उधम सिंह का मन विचलित हुआ, जिसके बाद उन्होंने उस जनरल डायर को मारने का प्लान बनाया, जिसने इस घटना को अंजाम दिया था।
दिन प्रतिदिन सरदार उधम सिंह के मन में जनरल डायर के प्रति नफरत बढ़ती गई और आखिरकार एक दिन उन्होंने पंजाब के राज्यपाल के तौर पर कार्यरत जनरल डायर की लंदन में हत्या कर दी।
सरदार उधम सिंह इस दिन का कई वर्षों से इंतजार कर रहे थे कि जनरल डायर द्वारा किए गए जघन्य अपराध का नतीजा पूरी दुनिया देख सके। इस घटनाक्रम के बाद सरदार उधम सिंह को आसपास के इलाके ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश में नई पहचान मिली और स्वतंत्रता सेनानी का सम्मान दिए जाने लगा।
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सरदार उधम सिंह को फांसी
लंदन में जनरल डायर को मारने के बाद सरदार उधम सिंह भागने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की और ना ही गिरफ्तारी के डर से भागे। वहीं पर खड़े रहे क्योंकि उन्हें विश्वास था कि संपूर्ण देश जो चाहता था, वह उन्होंने कर दिखाया। उन्होंने उस जनरल डायर को मारा, जिन्होंने हजारों बेकसूर, गरीब और लाचार लोगों को मौत के घाट उतारा था।
लंदन में 4 जून 1940 को उधम सिंह को जनरल डायर का दोषी करार दे दिया था। तत्कालीन लंदन कोर्ट द्वारा उधम सिंह को जनरल डायर की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुना दी गई।
लंदन में 31 जुलाई 1940 को ‘पेंटोनविले जेल’ में जनरल डायर की मृत्यु के आरोप में सरदार उधम सिंह को फांसी की सजा दे दी। उस समय देश ही नहीं बल्कि संपूर्ण दुनिया ने सरदार उधम सिंह के कारनामे देखे और सरदार उधम सिंह के बारे में जाना।
सरदार उधम सिंह को फांसी देने के मात्र 7 साल बाद ही भारत आजाद हो गया। लेकिन इस आजादी को देखने के लिए वे जीवित नहीं रहे। इसी तरह के अनेक सारे क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानियों आजादी से पहले ही अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गए। वे जिस आजादी के लिए लड़ रहे थे, आजादी उन्होंने कभी नहीं देखी। लेकिन उन्होंने अपने आने वाली पीढ़ी के लिए यह लड़ाई लड़ी थी, जिसे हम याद कर रहे हैं।
सरदार उधम सिंह मात्र 40 वर्ष की आयु में देश की आजादी के लिए, देश के स्वाभिमान के लिए और हजारों गरीब, बेरोजगार, निहत्थे, बुजुर्ग, युवा, महिला एवं बच्चों का बदला लेने के लिए शहीद हो गए।
देश आजाद होने के बाद लंदन ने शहीद सरदार उधम सिंह की अस्तियां भारत को सौंप दी, जिसके बाद भारत में उनके हस्तियों को विसर्जित करके स्मारक भी बनाया गया। वर्तमान समय में संपूर्ण भारत के लोग सरदार उधम सिंह को स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर जानते हैं।
सरदार उधम सिंह ही एकमात्र ऐसे स्वतंत्र सेनानी है, जिन्होंने सैकड़ों नहीं बल्कि हजारों भारतीयों का बदला एक अंग्रेज को मार कर लिया था। सरदार उधम सिंह को सम्मान देने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में उनके नाम से जगह, चौकी का नाम, सड़क का नाम, इत्यादि रखा गया है।
उनकी मृत्यु के बाद सरदार उधम सिंह द्वारा इस्तेमाल किया गया बंदूक, डायरी, चाकू, गोलियां इत्यादि म्यूजियम में रखा गया है। सरदार उधम सिंह के जीवन पर अब तक शॉर्ट फिल्में और एक बड़ी फिल्म भी बन चुकी है।
अब एक बॉलीवुड फिल्म बनी है, जिसमें सरदार उधम सिंह का किरदार विकी कौशल निभा रहे हैं। देश के अनमोल रत्न और स्वतंत्रता सेनानी सरदार उधम सिंह के जीवन के बारे में अधिक जानकारी विस्तार से जानने के लिए इस फिल्म को जरूर देखें।
FAQ
सरदार उधम सिंह एक स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के गुनहगार जनरल डायर को लंदन में मार गिराया था।
सरदार उधम सिंह भगत सिंह जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के साथ काम कर चुके थे।
सरदार उधम सिंह को लंदन में फांसी की सजा सुनाई गई। उन्हें फांसी देकर मारा गया था क्योंकि उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के आरोपी जनरल डायर को लंदन में मार दिया था।
भगत सिंह के कहने पर आजादी के संकल्प के तौर पर सरदार उधम सिंह ने अमेरिका, ब्राज़ील एवं अफ्रीका जैसे देशों में यात्रा की थी।
कंबोज जाति
निष्कर्ष
सरदार उधम सिंह ने अपने जीवन में अनेक सारी क्रांतियां की एवं भगत सिंह के नेतृत्व में अंग्रेजों की नींव हिलाने का जबरदस्त काम किया। सरदार उधम सिंह ने हजारों बेकसूर भारतीयों को मारने का बदला देश के प्रमुख केंद्र लंदन में जनरल डायर को मार कर ले लिया।
उसके बाद लंदन में फांसी की सजा सुना दी गई, लेकिन वह कहीं पर भी भागे नहीं और बिना पकड़े जाने के डर से वहीं पर खड़े रहे और फांसी के फंदे को खुशी खुशी से चूम लिया। इस तरह के अनेक सारे क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए बलिदान दिया था। वर्तमान समय में पंजाब और हरियाणा में उनकी जयंती पर राजकीय अवकाश रहता है।
आज हम जिस तरह से आजाद जीवन जी रहे हैं, आजादी से रह रहे हैं इस आजादी के पीछे सरदार उधम सिंह जैसे अनेक सारे क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानियों का हाथ है। उन्होंने अपने जीवन को हमारे लिए आने वाली पीढ़ी के लिए न्यौछावर कर दिया अपना बलिदान दे दिया।
अंग्रेजों द्वारा की गई यातनाओं को सहन किया, काला पानी की सजा पाई और बिना अपने जीवन का लालच किए खुशी-खुशी फांसी के फंदे पर चढ़ गए। ऐसे स्वतंत्रता सेनानियों को देश नमन करता है। हमेशा उन्हें याद करता है।
इस आर्टिकल में सरदार उधम सिंह के जीवन परिचय (Sardar Udham Singh Biography in hindi) पूरी जानकारी के साथ विस्तार से बताया है। यदि आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न या सुझाव है तो आप नीचे कमेंट करके पूछ सकते हैं।
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