Sai Baba History In Hindi: शिरडी वाले साईं बाबा को भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के हिंदू एवं मुस्लिम आस्था से पूजते हैं। साईं बाबा लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। आज के समय में लाखों नहीं बल्कि करोड़ों की संख्या में संपूर्ण भारत और विदेशों में भी साईं बाबा के भक्त हैं।
साईं बाबा के प्रति लोगों की अपार श्रद्धा देखकर हम इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि लोगों के मन में साईं बाबा के प्रति किस तरह का आदर रहता है। बता दें कि साईं बाबा की चर्चा हमेशा अद्भुत चमत्कार और रहस्य के लिए की जाती है। समय-समय पर भक्तों द्वारा साईं बाबा के प्रमुख मंदिर पर बेशकीमती उपहार चढ़ाए जाते हैं।
साईं बाबा कहते हैं कि “सबका मालिक एक है।” आपने साईं बाबा पर बना हुआ टेलीविजन धारावाहिक तो देखा ही होगा। उसमें किस तरह से लोगों के प्रति साईं बाबा आभार व्यक्त करते हैं और समाज से ग्रसित लोगों को चमत्कार से उत्थान की ओर अग्रसर करते हैं।
इस तरह के चमत्कार और अनेक प्रकार के रहस्य साईं बाबा के भक्तों द्वारा व्यक्त किए जाते हैं। साईं बाबा को हिंदू तथा मुस्लिम दोनों ही धर्म के लोग पूजते हैं। कुछ लोग साईं बाबा को संत कहते हैं तो कुछ लोग योगी और कुछ लोग फकीर मानते हैं। जबकि कुछ लोग साईं बाबा को एक सतगुरु के रूप में पूछते हैं।
लोगों के कहने का नजरिया अलग-अलग हो सकता है, लेकिन साईं बाबा सबका मालिक एक है की तरह एक भारतीय धार्मिक गुरु थे, जिन्हें लोग देवी देवताओं की तरह पूजते हैं। साईं बाबा हमेशा हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म दोनों ही पक्षों को आपस में मिलजुल कर साथ रहने का पाठ पढ़ाते थे तथा समाज से पीड़ित और ग्रसित लोगों का सहारा बनते थे।
इसीलिए धीरे-धीरे साईं बाबा के साथ लोगों का जमावड़ा जुड़ता गया और कुछ ही समय में साईं बाबा एक प्रचलित भारतीय आध्यात्मिक गुरु बनकर उभर गए। वर्तमान समय में साईं बाबा का प्रमुख स्थल महाराष्ट्र के शिरडी में स्थित है।
साईं बाबा का जीवन परिचय (Sai Baba History In Hindi)
साईं बाबा एक भारतीय धार्मिक गुरु है, जिन्हें हिंदू धर्म अपने धर्म से तथा मुस्लिम धर्म अपने धर्म से संबंध बताते हैं। लेकिन धर्म को लेकर साईं बाबा के प्रति इतिहासकारों और विद्यालय के विभिन्न प्रकार के मत सामने आ चुके हैं। कुछ विद्वानों के मुताबिक साईं बाबा मुस्लिम थे। जबकि कुछ इतिहासकारों के अनुसार साईं बाबा हिंदू धर्म से संबंध रखते थे।
साईं बाबा का जन्म महाराष्ट्र के पथरी गांव में 28 सितंबर 1835 को हुआ था। लेकिन यह जन्म तारीख साईं बाबा के जन्म को प्रमाणित नहीं करती हैं। लोगों द्वारा कहा जाता है कि साईं बाबा को सबसे पहले महाराष्ट्र के शिर्डी में 1854 ईस्वी में पहली बार देखा गया था। उन दिनों साईं बाबा किशोरावस्था में थे। तकरीबन 15 16 वर्ष की आयु में उन्हें बेसहारा लोगों का सहारा बनते हुए देखा गया था।
कुछ दस्तावेजों के अनुसार तथा कुछ किताबों के अनुसार साईं बाबा का जन्म 27 सितंबर 1830 को बताया जाता है। साईं बाबा से संबंधित कुछ दस्तावेजों में इस बात का जिक्र किया गया है कि जब उनकी आयु तकरीबन 25 वर्ष हुई थी। इस दौरान वे महाराष्ट्र के शिरडी में आ गए थे। यहां पर उन्होंने समाज सेवा करने का काम शुरू कर दिया था, जिससे लोगों के बीच उनकी पहचान धार्मिक गुरु के रूप में बनने लगी।
कहा जाता है कि उन्होंने कम आयु से ही समाज सेवा करना शुरू कर दिया था। साईं बाबा भगवान के भक्ति किया करते थे। जिससे उन्होंने समय-समय पर विभिन्न प्रकार के चमत्कार दिखाएं और उनके जीवन से विभिन्न प्रकार के रहस्य भी जुड़े हुए हैं, जिन लोगों ने उनके चमत्कार देखें।
उन्होंने साईं बाबा को भगवान मान लिया और हमेशा उनके साथ ही रहने का प्रण कर लिया था। विशेष रूप से ऐसे लोग साईं बाबा का साथ दे रहे थे, जिन्हें विभिन्न कारणों से और विभिन्न रूप से समाज से प्रताड़ित किया जाता था, वे लोग साईं बाबा की शरण में रहा करते थे।
साईं बाबा का इतिहास
साईं बाबा पर लिखी गई किताब सत्चरित्र के अनुसार जब साईं बाबा की आयु मात्र 16 वर्ष थी, तब वे महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के अंतर्गत आने वाले शिरडी गांव में आ गए थे। उन दिनों भारत में अंग्रेजों का राज चलता था। यहां पर मात्र 16 वर्ष की आयु में साईं बाबा ने सन्यासी बन कर अपना जीवन लोगों के साथ बिताना शुरू कर दिया था।
उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी और पहनने के लिए भी अच्छे वस्त्र नहीं थे, लेकिन समाज सेवा और लोगों की मदद ने उन्हें भगवान बना दिया। पुस्तक में लिखा गया है कि किशोरावस्था में साईं बाबा पेड़ के नीचे बैठकर सर्दी गर्मी बरसात तीनों ही अवस्था में भगवान की भक्ति करते थे और समाज सेवा करते थे। उनके ऊपर किसी भी ऋतु का कोई असर नहीं होता था तथा रात के समय में भी वे नहीं सोते थे।
साईं बाबा हमेशा समाज सेवा करते और जिन लोगों को समाज से अलग करती जाता था। समाज में उन्हें कोई महत्व नहीं दिया जाता था या जिन लोगों को समाज गलत माना था ऐसे लोगों को साईं बाबा ने सहारा देना शुरू कर दिया था। यही वजह है कि इस प्रकार के समाज से पीड़ित लोग साईं बाबा के पास रहने लगे और देखते ही देखते पूरे क्षेत्र में साईं बाबा की चर्चा होने लगी।
साईं बाबा हमेशा लोगों को शांति का पाठ पढ़ाते थे तथा एक दूसरे धर्म के खिलाफ बोलना और लड़ने की बजाय शांति से रहने की सलाह देते थे। साईं बाबा हमेशा प्यार संतोष और मदद में विश्वास रखते थे तथा लोगों को दया का भाव रखने की प्रेरणा देते थे। साईं बाबा समाज कल्याण की बात करते और भक्ति का पाठ पढ़ाते थे।
कुछ लोग साईं बाबा को पागल समझते थे लेकिन जय साईं बाबा का चमत्कार दिखा उनका साथ देखा था। वे लोग साईं बाबा को भगवान की तरह मानते थे और हमेशा साईं बाबा के साथ रहते थे। कुछ ही समय में दूरदराज क्षेत्र में साईं बाबा की ख्याति फैलने लगी।
साईं बाबा का धर्म
साईं बाबा किस धर्म से संबंध रखते थे? यह आज की चर्चा का विषय बना हुआ है क्योंकि हिंदू धर्म के लोग कहते हैं कि साईं बाबा नया ब्राह्मण परिवार में जन्म लिया था। लेकिन उन्हें किसी फकीर ने गोद ले लिया था। जबकि मुस्लिम धर्म के लोग कहते हैं कि साईं बाबा मुसलमान धर्म से संबंध रखते हैं लेकिन हिंदू धर्म के लोगों ने उनकी पूजा करनी शुरू कर दी, जिससे उन्हें हिंदू के रूप में जाना जाता है।
हालांकि साईं बाबा अपने जीवन काल में हमेशा हिंदू मुस्लिम धर्म से ऊपर उठकर मानवता की बात करते थे। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिरडी गांव में साईं बाबा ने कुछ समय मस्जिद में मुसलमानों के साथ बिताया था, तो कुछ समय हिंदुओं के साथ मंदिर में बिठाया था।
इसीलिए हिंदू धर्म के लोगों ने शिव का अंश कहते हैं जबकि मुसलमान उन्हें मुस्लिम फकीर कहते हैं। जहां साईं बाबा ने समय बिताया था, वहां पर एक मस्जिद बनी हुई है। जहां पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्म के लोग आदर सम्मान से उनकी पूजा करते हैं। आज भी यहां पर किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं किया जाता है।
साईं बाबा अपने माथे पर चंदन का टीका लगाते थे और कानों में छेद था। इस बात से लोगों का कहना है कि वे हिंदू धर्म के ही नाथपंथी संप्रदाय से संबंध रखते थे। जबकि कुछ लोगों ने भगवान श्री कृष्ण का भक्त कहते हैं क्योंकि हर हफ्ते साईं बाबा भगवान श्री कृष्ण के भजन कीर्तन किया करते थे।
परंतु जिस तरह की साईं बाबा वेशभूषा पहनते थे, उस आधार पर मुसलमान लोगों ने मुस्लिम संप्रदाय से बताते हैं और उनका नाम भी फारसी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ संत होता है। इस रुप से भी मुस्लिम धर्म के लोग साईं बाबा को एक मुसलमान फकीर के रूप में जानते हैं।
शिर्डी का साईं बाबा मंदिर
भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर जिले के शिरडी गांव में साईं बाबा का प्राचीन प्रमुख और मुख्य तथा भव्य मंदिर बना हुआ है। जहां पर ना केवल भारत के कोने-कोने से बल्कि दुनिया के कोने-कोने से भी साईं बाबा को मानने वाले हिंदू और मुस्लिम धर्म के लोग यहां पर आते हैं।
हर वर्ष यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा लाखों और करोड़ों की संख्या में आंका गया है। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि साईं बाबा की ख्याति किस तरह से संपूर्ण दुनियाभर में प्रचलित है। साईं बाबा का मंदिर शिर्डी में अत्यंत भव्यता के साथ दिखाई देता है। यह मंदिर काफी सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। यहां पर हर वर्ष दूरदराज से पर्यटक भी घूमने के लिए आते हैं।
शिर्डी के साईं बाबा का मंदिर सुबह 4:00 बजे खोला जाता है, जो देर रात को 11:00 बजे बंद कर दिया जाता है। इस दौरान भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। लोग लाइन बनाकर साईं बाबा का दर्शन करते हैं तथा अपने साथ लाए विभिन्न प्रकार के चढ़ावा की वस्तुएं चढ़ाकर साईं बाबा के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं।
साईं बाबा की मृत्यु
शिर्डी के साईं बाबा ने अपने आपको अजर अमर कहते हुए अपने शरीर अथवा देह को त्याग कर इस दुनिया से विदा होने के लिए 15 अक्टूबर का दिन चुना क्योंकि हिंदू धर्म के अनुसार इस दिन दशहरा का पवित्र दिन था। इस दिन को साईं बाबा सबसे उचित दिन मानते हैं।
साईं बाबा ने 15 अक्टूबर 1918 के दिन समाधि ले ली थी। साईं बाबा की मृत्यु के पश्चात हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म दोनों में बहुत बड़ा विवाद हो गया कि साईं बाबा का अंतिम संस्कार किस धर्म की पद्धति के अनुसार किया जाए। उस समय साईं बाबा काफी प्रचलित हो चुके थे, जिससे उन्हें हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म के लोग मानने लगे।
ब्रिटिश सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में साईं बाबा का अंतिम संस्कार करने के लिए एक मतदान का आयोजन किया गया, जिनमें हिंदू पक्ष विजय हो गया। जिसके बाद हिंदू रीति रिवाज से साईं बाबा का अंतिम संस्कार किया गया और शिर्डी में एक भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया, जिसे शिर्डी के साईं बाबा नाम से जाना जाता है।
FAQ
साईं बाबा को हिंदू तथा मुस्लिम दोनों ही धर्म के लोग पूजते हैं। कुछ लोग साईं बाबा को संत कहते हैं तो कुछ लोग योगी और कुछ लोग फकीर मानते हैं। जबकि कुछ लोग साईं बाबा को एक सतगुरु के रूप में पूछते हैं।
साईं बाबा का जन्म महाराष्ट्र के पथरी गांव में 28 सितंबर 1835 को हुआ था। लेकिन यह जन्म तारीख साईं बाबा के जन्म को प्रमाणित नहीं करती हैं। लोगों द्वारा कहा जाता है कि साईं बाबा को सबसे पहले महाराष्ट्र के शिर्डी में 1854 ईस्वी में पहली बार देखा गया था।
शशिकांत शांताराम गडकरी की पुस्तक ‘सद्गुरु सांई दर्शन’ (एक बैरागी की स्मरण गाथा) के अनुसार साईं बाबा का ओरिजिनल नाम हरिबाबू भूसारी था।
साईं बाबा ने 15 अक्टूबर 1918 के दिन समाधि ले ली थी।
निष्कर्ष
यहाँ पर हमने शिरडी के साईं बाबा का जीवन परिचय (Sai Baba Biography in Hindi) और साईं बाबा का इतिहास (Sai Baba History In Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की है। साथ ही साईं बाबा की अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जाना।
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