Sadachar Par Nibandh: हम यहां पर सदाचार पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में सदाचार के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।
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सदाचार पर निबंध | Sadachar Par Nibandh
सदाचार पर निबंध (250 शब्द)
हमारे जीवन के लिए सदाचार महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे हमारी भलाई और खुशी के लिए आवश्यक बुनियादी गुण हैं। एक बहेतरीन और स्वस्थ जीवन जीने के लिए सदाचार को जीवन में विकसित करने की आवश्यकता होती है। सदाचार से अक्षय धन मिलता है। सदाचार ही बुराइयों को नष्ट करता है। सभी धर्मों का सार एक मात्र सदाचार ही है। सदाचार के गुण से मनुष्य का चरित्र उज्ज्वल बनता है।
यह शब्द संस्कृृत भाषा के सत् और आचार शब्दों से मिलकर बना है। जिसका शाब्दिक अर्थ होता है सज्जन का आचरण। सदाचार से संसार में मनुष्य को आदर सन्मान मिलता है। संसार में उसकी प्रतिष्ठा बढ़ती रहती है। सदाचार मनुष्य आत्मविश्वास से भरपुर होता है।किसी भी मनुष्य के लिए सदाचार जीवन में अपनाना गौरव की बात होती है।
सदाचार हमें स्पष्ट सोच देता है। सदाचार मनुष्य को काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार से दूर रखता है। जीवन में सदाचार सत्संग, अध्यन तथा अभ्यास के द्वारा प्रतिपादित होता है। सदाचार मनुष्य जीवन को सार्थकता प्रदान करता है। यह वो गहना है, जिसकी तुलना में विश्व की कोई भी मूल्यवान वस्तु तुच्छ नजर आती है।
सदाचार का बल संसार की सबसे बड़ी शक्ति मानी जाती है क्योंकि इसके सामने मनुष्य की सभी मानसिक दुर्बलताओं अपने घुटने टेक देती है। समाज के कल्याण का हिस्सा बनने के लिए सदैव सदाचार का पालन करें और अपने बच्चों को भी को सदाचार अवश्य सिखाएं। क्योंकि यह वह गुण है जिसकी वजह से हमारा व्यक्तित्व निखारता है और पूरा जीवन शांतिमय बनता है। सदाचारी व्यक्ति मरणोपरांत के बाद भी याद किया जाता है।
सदाचार पर निबंध (800 शब्द)
प्रस्तावना
हम अपने मन, वाणी और वर्तन के द्वारा जो अच्छा कार्य करते है उसे सदाचार कहा जाता है। यह हमारे जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण गुण माना जाता है। मनुष्य जीवन में सदाचार का होना आसान बात नही है , इसके लिए हमें कठोर तपस्या, साधना, संयम और त्याग की आवश्यकता पड़ती है। सदाचार के द्वारा आप एक मजबूत चरित्र का निर्माण कर सकते हो।
सामाजिक व्यवस्था के लिए सदाचार का अधिक महत्त्व है। सदाचार मानव को पशुओं से अलग करता है और एक श्रेष्ठ मानव की पहचान देता है। सदाचारी व्यक्ति मानसिक रूप से संतुष्ट काफी होता है, जिसकी खुशियां हमेशा द्वार पर रहती हैं और दुखों को वह अपने नजदीक भी नहीं आने देता।
सदाचार का महत्व
बड़े बड़े ऋषि मुनि, साधु संत और विश्व के महापुरुषों ने ही सदाचार को अपनाकर ही संसार को शांति एवं अहिंसा का पाठ पढ़ाने में कामियाब रहे। सदाचार की राह पकड़ कर ही मनुष्य ईश्वर के समीप हो सकता है। इस गुण के द्वारा मनुष्य धार्मिक, बुद्धिमान और दीर्घायु बनता है और सदेव उसे सुख की प्राप्ति होती है। देश, राष्ट्र और समाज के कल्याण के लिए हर मनुष्य में सदाचार होना बेहद जरुरी है।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी रामतीर्थ, स्वामी विवेकानन्द जैसे सदाचारी पुरूष ने आचरण और विचारों से पूरे विश्व को प्रभावित किया।सदाचार मनुष्य को देवत्व प्रदान करता है। सदाचार एक ऐसा अनमोल अलंकार है, जिसे अपनाने के बाद मनुष्य को किसी भी कीमती रत्न की जरुरत नही पड़ेगी।
सदाचार का अर्थ
सदाचार दो संस्कृत शब्दों का मिलन है। सत् और आचार शब्दों से मिलकर बना यह शब्द काफी प्रभावशाली है। सदाचार सदाचार का अर्थ होता है एक अच्छा आचरण। सदाचार में सत्य, अहिंसा,विश्वास और मैत्री-भाव जैसे जीवनविकास के गुण भी शामिल होते है। सदाचार को धारण करने वाले व्यक्ति सदाचारी कहलाता है।
सदाचार को कभी बेचा या खरीदा नही जा सकता। उसकी कीमत कभी नही आंकी जा सकती। सदाचार हमें उत्तम शिक्षा, अनुशासन और सत्संगति से प्राप्त होता है। इसके अलावा इसे प्राप्त करने का कोई अन्य मार्ग नहीं है।
सदाचार और विद्यार्थी जीवन
विद्यार्थी जीवन पूरे जीवन की आधारशिला है। विनम्रता, परोपकार, सच्चरित्रता, सत्यवादिता जैसे गुण विद्यार्थी को सिखाने चाहिए। ताकि वो जीवन के हर क्षेत्र में बुराइयों से बच सके और खुद को नकारात्मक वातावरण से दूर रखे। विद्यार्थी को अपना अधिक से अधिक समय सत्संगति के साथ गुजारना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में सिखाए गए सदाचार के पाठ उन्हें आदर्श विद्यार्थी बनने के पथ पर ले जाते है। एक आदर्श विद्यार्थी समाज के लिए मार्गदर्शक और प्रेरणादायी होता है।
सदाचार के लाभ
सदाचार हमें माता-पिता और गुरू की आज्ञा का पालन करना सिखाता है। साथ ही साथ में परोपकार, अहिंसा, नम्रता और दया जैसे गुण को विकसित करता है। सदाचार से मनुष्य को हर जगह पर आदर मिलता है। संसार में उसकी पूजा और प्रतिष्ठा होती है। सदाचार जीवन में अपनाने से शरीर स्वस्थ, बुद्धि निर्मल और मन प्रसन्न रहता है। सदाचारी व्यक्ति को कोई भी कार्य कठिन और मुश्किल नहीं लगता।
यह मनुष्य को असत्य और बेईमानी से दूर रखता है। उसे जीवन में कभी असफल नहीं होने देता है। सदाचारी व्यक्ति हमेशा दूसरों के दुखों को देखकर भावुक हो जाता है और दुखी लोगों के दुःख दूर करने के लिए सदा तत्पर रहता है। सदाचारी व्यक्ति के व्यक्तित्व में एक अनोखा आकर्षण होता है। इसलिए उनके संपर्क में आने वाले दुराचारी व्यक्ति भी दुराचार को छोड़कर सदाचार को अपना लेता है।
दुराचारी को हर जगह से दुत्कारा जाता है। इस प्रकार की व्यक्ति का जीवन दुखों से भरा रहता है। जगह जगह पर उसे अपमान मिलता है। दुराचारी व्यक्ति धर्म एवं पुण्य से हीन होता है। ऐसे लोगो को ना ही तो सुख मिलता है और ना ही सदगति प्राप्त होती है।
सदाचार और वर्तमान समय
आज के इस विकसित युग में सदाचार की भावना लोगों में लुप्त होती नजर आ रही है। आज वर्तमान काल में समाज में भ्रष्टाचार, लांच रिश्वत, गुना खोरी कई दूषणो अपना घेरा डाला हुआ है। मानव मानव का प्रतिस्पर्धी बन गया है। सदाचार और नैतिकता जैसे गुणों को आज बचपन से ही सीखने की जरुरत है, वरना पृथ्वी पर से सदाचार जैसे शब्दों का नामोनिशान मिट जायेगा। अगर पृथ्वीपर सदाचार ही नहीं रहेगा तो यह इंसान एक खतरनाक नर भक्षी का रूप भी धारण कर सकता है।
निष्कर्ष
सदाचार भारतीय संस्कृृति का एक हिस्सा है। सदाचार को जीवन में अपनाने से लौकिक और आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है। यदि धन नष्ट हो जाये तो मनुुष्य का कुछ भी नहीं बिगड़ता, स्वास्थ्य बिगड़ जाने पर कुछ हानि होती है पर चरित्रहीन होने पर मनुष्य का सर्वस्व नष्ट हो जाता है। इसलिए सभी को सदाचार के व्रत को जीवन में अपनाना चाहिए। सदाचार ही मनुष्य जीवन को सार्थक बनाता है।
सदाचार का मूल्य वास्तविक प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है इसलिए हमें अपने जीवन में सदाचार को पूरी गंभीरता से शामिल करना चाहिए। इस प्रकार हम अपने जीवन को तो श्रेष्ठ करेंगे ही, साथ ही औरों के लिए भी मार्गदर्शक और प्रेरणादायी बनेंगे।
अंतिम शब्द
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