Rumpelstiltskin Story in Hindi: नमस्कार दोस्तों, यह कहानी एक ऐसे इन्सान की है, जो बौना था। वह भूसे को कतरकर सोना बना दिया करता था। चलिए पढ़ते है इस कहानी को विस्तार से।
रंपेलस्टिल्त्स्किन की कहानी | Rumpelstiltskin Story in Hindi
एक समय की बात है। एक गांव में एक गरीब आदमी रहता था, जिसका नाम खुशी लाल था। परिवार की जीवन दिनचर्या चलाने के लिए उसके पास चक्की थी। वह अपना जीवन चक्की के माध्यम से व्यतीत करता था। उसकी एक बेटी थी, जो बहुत ही सुंदर थी। परंतु वह इतना भोला था कि जो भी मिलता उसके सामने मुस्कुराने लगता, अपने दांतो को दिखाने लगता था।
एक दिन की बात है, वहां के राजा ने उसे अपने दरबार में बुलाया। राजा के सामने खुशीलाल अपनी शेखी बघारते हुए कहा महाराज मेरी एक सुंदर पुत्री है और वह सुंदर होने के साथ गुणवान भी है। वह भूसे को कतरकर सोना बना देती है।
राजा आश्चर्यचकित हो गया। उन्होंने कहा मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास नहीं है और यदि ऐसा है तो कल अपनी पुत्री को दरबार में उपस्थित करो। यदि बात सही हुई तो मैं उसे इनाम दूंगा और यदि वह असफल हुईं तो मैं उसे और तुम्हें फांसी पर लटका दूंगा।
खुशीलाल अब चिंता में पड़ गया था। क्योंकि यह उसने अपनी वाहवाही के लिए कहा था। परंतु उसे क्या पता कि राजा उन दोनों को दरबार में बुला लेंगे। खुसीलाल, राजा के दरबार से वापस अपने घर लौट आया और यह सारा व्रतांत अपनी बेटी को बताया। अब उसकी बेटी भी चिंतित हो गई।
उसकी बेटी उसे डांटते हुए कहती है, पिताजी मैंने आपको कितनी बार समझाया परंतु आप समझे तब ना, आप दिखावे के चक्कर में कुछ भी बोल जाते हैं। अब देखो ना हम दोनों मुसीबत में पड़ गए हैं।
उसके पिता ने कहा बेटी यह वक्त मुझे डांटने का नहीं, सोच समझ कर काम करने का है। वे दोनों रात भर सो न सके और जब सुबह हुई तो उन्हें दरबार में पेश किया गया राजा। खुशीलाल की बेटी को एक कमरे में ले जाया गया, जो कमरा भूसे से भरा हुआ था। वहां पर एक चक्की रखी हुई थी।
राजा ने खुशीलाल की पुत्री से कहा “कल सुबह तक यह सारा भूसा सोना बन जाना चाहिए अन्यथा तुम्हें और तुम्हारे पिताजी को फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा।”
खुशीलाल की बेटी को उस भूसे में मौत दिख रही थी और वह जोर-जोर से रोने लगी। तभी वहां एक इंसान प्रकट हुआ, जो बौना था और देखने में भयंकर लग रहा था। खुशीलाल की बेटी डर गई। बौने ने कहा “डरो मत, तुम अपने रोने का कारण बताओ।”
लड़की ने सारा कुछ बताया।
बौने ने कहा “तुम रोना बंद करो, मैं इस सारे भूसे को सोना बना सकता हूं। यह सुनकर लड़की चुप हो गई और लड़की बोली तो तुम मेरी मदद कर दो। क्योंकि तुम ही मुझे फांसी पर लटकने से बचा सकते हो।
बौना बोला “मैं इस सारे भूसे को सोना बना दूंगा, परंतु इसके बदले तुम मुझे क्या दोगी।”
लड़की बोली “मैं तुम्हें अपना गले में पहना हुआ हार दे दूंगी।”
बौने ने चक्की को लेकर भूसे को कतरने लगा और सुबह तक उसने सारे भूसे को सोना बना दिया। लड़की ने अपना गले का हार उसे दे दिया और वह बौना गायब हो गया।
सुबह जब राजा आते हैं तो सोने के धागों से भरा हुआ कमरा देखकर अत्यधिक प्रसन्न होते हैं और उस खुशीलाल की बेटी को शाबाशी देते हैं। परंतु राजा लालची था, उसने बड़े कमरे में भूसे को भरवाया और खुशी लाल की बेटी को लेकर कहा “इस सारे भूसे का तुम्हें सोना बनाना है और यदि तुमने नहीं बनाया तो उसका परिणाम तुम जानती हो।”
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खुशीलाल की बेटी फिर से वही पर खड़ी होकर रोने लगी और फिर वह बौना आदमी प्रकट हुआ। फिर से वो बौना उसकी सहायता करने के लिए तैयार हुआ, परंतु उसने कहा “इस बार मुझे क्या दोगे।”
लड़की बोली इस बार मैं तुम्हें अपनी सोने की अंगूठी दे दूंगी।
बोने आदमी ने रात भर उस सारे भूसे को सोने के धागे में परिवर्तित कर दिया। सुबह जब राजा आए तो देखते हैं कि सारा कमरा सोने के धागों से भरा हुआ है। राजा और लोभ में आ जाते हैं और फिर एक बार राजा खुशीलाल की बेटी को एक बड़े से कमरे में लेकर जाते हैं, जहां बहुत सा भूसा भरा होता है और वह कहते हैं कि यदि तुमने इस सारे भूसे को सोना बना दिया तो मैं अपने पुत्र का विवाह तुम्हारे साथ कर दूंगा।”
इस बार लड़की बोने का इंतजार काफी समय तक करती रही। जब बौना आता है तब लड़की ने राजा की सारी बात उस बौने को बताती है।
बौने ने कहा “तो मुझे इस बार क्या दोगी।”
लड़की उदास होकर बोली “इस बार तो तुम्हें देने के लिए मेरे पास कुछ नहीं है।”
बौने ने कहा वचन दो “यदि तुम्हारा विवाह राजकुमार से हो जाए तो तुम्हारा पहला बच्चा तुम मुझे दोगी।”
खुशीलाल की बेटी के पास और दूसरा कोई उपाय नहीं था। उसने वचन दे दिया। बौना सारी रात भूसे को कतर कर सोना बनाता रहा और उसने सुबह तक सारे भूसे को सोने के धागों में परिवर्तित कर दिया। जब सुबह राजा आते हैं, सोने से भरे हुए कमरे को देखकर वह अत्यधिक खुश होते हैं और उस खुशीलाल की पुत्री का विवाह अपने बेटे से कर देते हैं।
कुछ दिनों के बाद राजा की मृत्यु हो गई। अब उसका पुत्र पूरे राज्य का राजा बन गया था और खुशीलाल की पुत्री राज्य की रानी बन गई थी। कुछ वर्षों बाद राजकुमार को एक सुंदर सा पुत्र हुआ। रानी उसे अपने कमरे में सुला रही थी तभी वहां वही बौना प्रकट हुआ और उसने कहा “अपने वादे के मुताबिक यह पुत्र मुझे दे दो।”
रानी रोने लगी। रानी ने बौने से प्रार्थना की और कहा मुझे मेरे पुत्र से दूर मत करो। इसके बदले यदि तुम्हें और कुछ चाहिए तो ले लो। मैं देने के लिए तैयार हूँ।” तब दोनों ने कहा ठीक है। यदि तुमने 3 दिन में मेरा नाम सही से बता दिया तो तुम्हारे बच्चे को नहीं ले जाऊंगा। अगर तुम ने गलत बताया तो मुझे तुम्हारे बच्चे को ले जाना पड़ेगा। यह कहकर बोना वहां से चला गया।
पहला दिन बीता। रानी को बोने का नाम कुछ समझ नहीं आया। बस समझ नहीं पा रही थी कि उस बोने का नाम क्या हो सकता है। पहला दिन बीतने के बाद दूसरा दिन भी बीत गया। परंतु रानी को उस बोने का नाम नहीं पता चला। वह बहुत चिंतित हो गई और उदास हो गई।
तीसरे दिन वह बाग में टहल रही थी तभी उसे किसी की आवाज जोर-जोर से गाना गाते हुए सुनाई दिया। रानी ने जाकर एक पेड़ के पीछे से देखा तो वह बौना ही था, जो जोर-जोर से कह रहा था कि “रानी को मेरा नाम नहीं पता है, रानी को मेरा नाम नहीं पता है।”
“मेरा नाम रंपेलस्टिल्त्स्किन…..रंपेलस्टिल्त्स्किन है।”
इसके बाद रानी दौड़ कर अपने महल वापस आ गई और जब रात हुई तो वह बौना फिर से आया और उसने अपने प्रश्न का जवाब मांगा। तब रानी ने कहा तुम्हारा नाम रंपेलस्टिल्त्स्किन…है।
अपना नाम सुनकर बौना गुस्सा हो गया और उसने गुस्से में अपना दाँया पैर जमीन पर जोर से पटका और जमीन फट गई, जिससे वह बौना उसी में समा गया और उसके बाद वह बौना किसी को कभी नहीं दिखा। अब रानी अपने बच्चे तथा राजकुमार के साथ खुशी से जीवन व्यतीत करने लगी।
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