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श्रीनिवास रामानुजन का गणित में योगदान

Ramanujan ka Ganit Mein Yogdan

Ramanujan ka Ganit Mein Yogdan: तमिलनाडु के छोटे से ईरोड शहर में जन्मा बच्चा आगे चलकर भारत का एक महान गणितज्ञ बनेगा किसको मालूम था। श्रीनिवास रामानुजन जिन्हें गणित का जादूगर और जीनियस कहा जाता है। इन्होंने तीन हजार से भी अधिक गणित के विभिन्न सूत्र दिए।

छोटी सी उम्र से ही गणित में इस हद तक रुचि थी कि उनके गणित के प्रश्नों को हल करने के रफ्तार को देख दसवीं-बारहवीं कक्षा के बच्चे भी दंग रह जाते थे। यहां तक कि बड़े कक्षा के बच्चे इनसे गणित का ट्यूशन लिया करते थे।

गणित में उनके योगदान के कारण ही साल 2012 में भारत सरकार के द्वारा श्रीनिवास रामानुजन के जयंती के दिन यानी कि 22 दिसंबर को राष्ट्रगणित दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गई। तब से ही हर साल 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है।

इस लेख में हम महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का गणित में योगदान (ramanujan ka ganit mein yogdan) के बारे में जानेंगे।

रामानुजन के गणित के सूत्रों को हल करने के तरीके थे अद्भुत

श्रीनिवास रामानुजन गणित में बिना किसी औपचारिक पढ़ाई के गणित के कठिन और पुरानी समस्याओं को हल कर देते थे। गणित के सूत्रों को हल करने के उनके तरीके क्या कोई दिव्य शक्ति थी यह भी एक पहेली है? ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीनिवास रामानुजन की ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा थी।

नमक्कल की महालक्ष्मी श्रीनिवास रामानुजन के परिवार की इष्ट देवी थी। उनके प्रति श्रीनिवास रामानुजन की अटूट श्रद्धा थी। श्रीनिवास रामानुजन का मानना था कि गणित में उनका ज्ञान, प्रतिभा और सब कुछ नमक्कल की महालक्ष्मी की ही देन और कृपा है।

नमक्कल की महालक्ष्मी के भक्त श्रीनिवास रामानुजन के माता-पिता और उनका पूरा परिवार था। श्रीनिवास रामानुजन गणित की खोज को ईश्वर की खोज करना मानते थे। उनका मानना था कि गणित से ही ईश्वर का सही स्वरूप स्पष्ट हो सकता है। इसीलिए तो वह कहा करते थे कि उनके लिए गणित के उन समीकरण का कोई मतलब नहीं, जो ईश्वर की धारणा का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

कहते हैं कि श्रीनिवास रामानुजन रात में अचानक उठकर गणित के सूत्र लिखने लगते थे और फिर वह सो जाया करते थे। मानो वे सपने में ही गणित के प्रश्नों का हल कर लेते थे।

रामानुजन का कहना था कि सपने में उन्हें महालक्ष्मी साथ बैठी हुई नजर आती थी, जो उन्हें गणितीय समीकरण को हल करना सिखाती थी। सपने में उन्हें देवी का हाथ दिखाई देता था, जिससे वह गणित से संबंधित कुछ लिखा करती थी और उसी को श्रीनिवास रामानुजन अपने नोटबुक पर उतारा करते थे।

गणित में रामानुजन के द्वारा दिए गए सिद्धांत

श्रीनिवास रामानुजन अपने जीवन के अंतिम समय में काफी बीमार पड़ गए थे और उस दौरान उन्होंने गणित के समीकरणों की एक नोटबुक लिखी थी, जिसे मद्रास विश्वविद्यालय में जमा कराया गया था।

बाद में प्रोफेसर हारडी के जरिए वह नोटबुक ट्रिनिटी कॉलेज के लाइब्रेरी पहुंच गई। उस नोटबुक पर प्रोफेसर ब्रूस सी ब्रेड्ट ने 20 वर्षों तक शोध किया और अपने शोध पत्रो को पांच खंडो में प्रकाशित किया।

यह नोटबुक श्रीनिवास रामानुजन के निधन के 56 साल के बाद सामने आई। इसमें श्रीनिवास रामानुजन के द्वारा जल्दी-जल्दी में लगभग 600 समीकरण लिखे गए थे। लेकिन वह समीकरण किस तरह आया, उसकी थ्योरी वो नहीं लिख पाए। यही कारण है कि अब तक उनके समीकरण पर स्टडी चल रही है।

श्रीनिवास रामानुजन इंग्लैंड जाने से पहले 1903 से 1914 के बीच गणित के 3542 प्रमेय लिख चुके थे, जिसे बाद में मुंबई में स्थित टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च के द्वारा प्रकाशित किया गया था।

गणित में इन्होंने रॉजर्स रामानुजन तत्सम, कृत्रिम थीटा फलन, रामानुजन योग, रामानुजन थिटा फलन, रामानुजन सोल्डनर स्थिरांक और लैंडा रामानुजन जैसे प्रमेय का प्रतिपादन किया।

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Rahul Singh Tanwar
Rahul Singh Tanwar
राहुल सिंह तंवर पिछले 7 वर्ष से भी अधिक समय से कंटेंट राइटिंग कर रहे हैं। इनको SEO और ब्लॉगिंग का अच्छा अनुभव है। इन्होने एंटरटेनमेंट, जीवनी, शिक्षा, टुटोरिअल, टेक्नोलॉजी, ऑनलाइन अर्निंग, ट्रेवलिंग, निबंध, करेंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विविध विषयों पर कई बेहतरीन लेख लिखे हैं। इनके लेख बेहतरीन गुणवत्ता के लिए जाने जाते हैं।

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