पूर्व-पश्चिम में समास है (Purv-Pashchim Mein Kaun sa Samas Hai)
पूर्व-पश्चिम में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
पूर्व-पश्चिम में द्वंद्व समास है।
Purv-Pashchim Mein Kaun sa Samas Hai?
Purv-Pashchim Shabd mein Dwand Samas Hai.
पूर्व-पश्चिम का समास विग्रह क्या है?
पूर्व-पश्चिम का समास विग्रह पूर्व और पश्चिम है।
Purv-Pashchim ka Samas Vigrah kya hai?
Purv aur Pashchim
पूर्व और पश्चिम का समस्त पद है?
पूर्व-पश्चिम
द्वंद्व की परिभाषा
द्वंद्व समास जब बनता है, तब दोनों पद प्रधान होते है। अर्थात शब्दों में पदों का प्रधान होना आवश्यक होता है और समास बनाने पर योजक चिन्ह लुप्त हो होने चाहिए।
सरल शब्दों में जिस समास में दोनों पद प्रधान हों या फिर पदों को मिलाते समय ‘और’, ‘या’, ‘एवं’ जैसे शब्द लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।
उदहारण के लिए – अपना पराया, राजा और रंक रात और दिन, पूर्व और पश्चिम आदि।
द्वंद समास में कौन सा पद प्रधान होता है?
द्वंद्व समास में हमने देखा है कि इसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों का विशेष महत्व होता है और दोनों को जोड़ने पर योजक लुप्त हो जाते हैं। इस तरह के सभी पद द्वंद्व समास के अंतर्गत आयेंगे।
द्वंद समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें द्वंद्व समास (परिभाषा और उदाहरण)
कुछ अन्य उदहारण
- एड़ी-चोटी – एड़ी और चोटी
- रूपया-पैसा – रुपया और पैसा
- मार-पीट – मारना और पीटना
- माता-पिता – माता और पिता
- दूध-दही – दूध और दही
द्वंद समास का विग्रह
समस्त पद | विग्रह |
जन्म-मरण | जन्म और मरण |
देवासुर | देव और असुर |
लेन-देन | लेन और देन |
जैसा कि हमने आपको बताया देवासुर में देवासुर समस्त पद है और इसका विग्रह किया जाए तो यह देव और असुर के रूप में होता है। इन दोनों पदों में द्वंद समास का विग्रह आता है। यदि यहां दोनों पद मुख्य नहीं होते तो यह द्वंद समास नहीं कहलाता।
परीक्षा में यह भी पूछे जा सकते हैं
- चंद्रशेखर में कौन सा समास है?
- यथामति में कौन सा समास है?
- धर्माधर्म में कौन सा समास है?
- धर्मांध में कौन सा समास है?
- राजपूत में कौन सा समास है?