OBC Mein Kaun Kaun si Jaati Aati Hai: हम सब जानते है कि भारत में अलग-अलग प्रकार की जातियां निवास करते है। विश्व भर में भारत अपने अतुलनीय डाइवर्सिटी की वजह से जाना जाता है। भारत में मौजूद विभिन्न प्रकार की जातियों में कुछ अपने काम की वजह से पैसे वाली जातियां मानी जाती है तो कुछ गरीबी वाली जानी मानी जाती है।
आज के लेख में हम पिछड़ी जाति किसे कहते है, यह जाति कितने प्रकार की होती है और किस प्रकार इसमें आरक्षण रखा गया है इन सब के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे। भारत के समाज को कई साल पहले विभिन्न सामाजिक स्तरों में विभाजित किया गया, जिसने भारत में रहने वाले लोगों को उनके कार्य के अनुसार एक पहचान दी, जो जाति का रूप ले लिया इसमें लोगों को ऊंचे वर्ग मध्यम वर्ग और निचले वर्ग में विभाजित किया।
पिछड़ी जाति (OBC) किसे कहते है, पिछड़ी जाति की सूची | OBC Mein Kaun Kaun si Jaati Aati Hai
OBC जाति कहाँ से आई है?
अगर आप भारतीय इतिहास को देखें तो पाएंगे कि यहां पर जातियों को अलग-अलग नाम से विभाजित किया गया था, जो उनके कार्य को दर्शाती थी। मगर जब सरकार आरक्षण लेकर आई बहुत सारी जातियों को एक समूह बनाकर नाम देना शुरू किया, जिसमें बहुत सारे पिछड़े जातियों को OBC का नाम दिया गया।
मुख्य रूप से OBC को मंडल रिपोर्ट में 1979 को शामिल किया गया। अगर हम इस जाति के उदय की बात करें तो भारतीय इतिहास में बहुत पीछे जाने की आवश्यकता है, जहां आप यह कहेंगे कि चंद्रगुप्त मौर्य भारत के कुछ सबसे पुराने राजाओं में से एक हैं जब भारत में जाति प्रथा नहीं हुआ करता था। इसका मुख्य कारण यह है कि उस वक्त भारत में व्यापार बड़ी तीव्रता से होता था और हर किसी के पास पर्याप्त मात्रा में नौकरी और पैसा मौजूद था।
जैसे-जैसे अलग-अलग राजा भारत में आते गए भारत के व्यापारिक स्थिति कमजोर होती गई, जिससे अलग-अलग कार्य करने वाले लोग की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी। अगर आप जाति प्रथा को गौर से देखें तो आप समझ पाएंगे कि इसका सीधा तात्पर्य आर्थिक स्थिति से है, जिस समुदाय के पास पैसा है, वह समुदाय एक बड़े जाति में आता है। जिस समुदाय के पास पैसा नहीं है, वह कमजोर जाति में आता है।
OBC किसे कहते है?
भारत में पिछड़े वर्ग के लोगों को सुधारने के लिए जातियों को अलग-अलग समूह में विभाजित किया गया, जिसमें sc-st रखा गया था। मगर वीपी सिंह के कार्यकाल में ओबीसी को मंडल रिपोर्ट आयोग में शामिल किया गया और इनके ऊपर भी आरक्षण देने की सिफारिश शुरू की गई।
हम यह कह सकते हैं कि भारत में SC ST के अलावा मौजूद अन्य पिछड़ा वर्ग जो आर्थिक रूप से कमजोर है, उन्हें OBC वर्ग श्रेणी में रखा गया है और सरकार के तरफ से आरक्षण दिया जाता है। ओबीसी श्रेणी में कोई भी हो सकता है, यह किसी धर्म यह कार्य से तय नहीं किया गया है। इसमें आपको हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन, किसान या कोई अन्य परिवार मिल सकता है।
ओबीसी को मंडल आयोग द्वारा 1979 में आरक्षण की आवश्यकता वाले वर्ग में शामिल किया गया था। भारतीय प्रधानमंत्री वीपी सिंह के राज्य काल में ओबीसी को आरक्षण मिलने वाली श्रेणी में रखा गया था। OBC वर्ग के लोगों को विभिन्न सरकारी, नौकरी और शिक्षा संस्था में 27% तक आरक्षण प्रदान किया गया है।
OBC का फुल फॉर्म
OBC का फुल फॉर्म Other Backward Classes होता है, जिसे हिंदी में अन्य पिछड़ा वर्ग कहा जाता है।
पुराने जमाने में जिन जातियों को अहीर, गुज्जर, मोची, दर्जी के नाम से संबोधित किया जाता था। वर्तमान समय में उन्हें ओबीसी जाति के नाम से संबोधित किया जाता है। इस श्रेणी में विभिन्न प्रकार की जातियां आती है, जिस वजह से यह सबसे बड़ा वर्ग माना जाता है।
अलग-अलग प्रदेश से अलग-अलग तरह की जातियों को इस वर्ग में शामिल किया गया है, जिन्हें अलग-अलग तरीके से सरकारी मदद पहुंचाई जाती है।
OBC वर्ग के फायदे
ओबीसी वर्ग में आने वाले लोगों को बहुत तरह के फायदे मिलते है, जिसके बारे में जानकारी देते हुए संक्षिप्त वर्णन नीचे किया गया है।
- ओबीसी वर्ग के लोगों को नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में रिक्त स्थान में से 27% दिया जाता है।
- ओबीसी वर्ग के लोगों की उम्र में छूट का प्रावधान है अर्थात जो भी व्यक्ति ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखता है, सरकारी और शिक्षण संस्था में उसकी उम्र सीमा 3 वर्ष बढ़ा दी जाती है।
- ओबीसी वर्ग में आने वाले छात्र अपने विद्यालय और कॉलेज से छात्रवृत्ति पा सकते है, जिनमें उनका पैसा नियमानुसार कुछ वापस कर दिया जाता है।
इसके अलावा बहुत सारी ऐसी जातियां हैं, जिन्हें सरकार के तरफ से कुछ अन्य छूट भी दी जाती है तो दूसरी तरफ कुछ ऐसी बातें जिन्हें ओबीसी वर्ग में शामिल नहीं किया गया है, जिससे अक्सर विवाद उठता रहता है।
ओबीसी वर्ग में मिलने वाली सबसे बड़ी छूट सरकारी नौकरी में वैकेंसी और उम्र सीमा का बढ़ावा है, जिससे ओबीसी वर्ग के लोगों को नौकरी पाने में आसानी होती है।
पिछड़ी जाति की सूची (pichda varg jati list)
- अहीर (यादव)
- कांबी
- बंजारा, बलादिआ, लबाना
- भारभुजा
- बड़वा, भाट
- जांगिड़, खाती
- बगारिआ
- जनवा, सिरवी.
- जोगी, नाथ
- जुलाहा (हिन्दू & मुस्लिम)
- कच्ची, कच्ची कुशवाहा
- कलाल (टक)
- चरण
- छिप्पा (छिपी), भावसार
- डकौत, देशांतरी, रंगासामी (अडभोपा)
- दमामी, नगारची
- दरोगा, दरोगा-राजोट, रवाना-राजपूत, हज़ूरी, वज़ीर
- दर्ज़ी
- गुज्जर, गुर्जर
- हेला
- कंडेरा, पिंजरा, मंसूरी
- खारोल
- किरार (किराड़)
- गाड़िया-लोहार, गादोला
- घांची
- गिरी गोसाईं (गुसाईं)
- माली सैनी, बागवान
- मेर (मेहरात)
- मिरासी, धड़ी
- मोगीअ (मोग्या)
- नाइ, साइन, बैद नाइ
- न्यारिया
- (ए) (बी) (ए) कुम्हार (प्रजापति) (बी) कुमावत
- लखेरा (लखारा), मनिहार
- लोधी (लोढ़ा, लोध)
- लोहार, पांचाल
- महा-ब्राह्मण (आचारै)
- धाकड़
- धीवर,माली, क़ीर, मल्लाह, महरा
- गडरिए (गडरी), घोषी
- पटवा (फदल)
- राइका, रेबारी(देबासी)
- रावत
- साद, स्वामी
- सतिया-सिंधी
- सिकलीगर
- सिरकीवाल
- स्वर्णकार, सुनार, सोनी
- तमोली (तम्बोली)
- भटिआरा
- राइ-सिख
- बरी
- फ़क़ीर/फकीर
- कसाई
- सिलावट
- कलबी
- देशवाली
- मेव
- सिंधी मुसलमान
- तेली
- ठठेरा, कंसारा, भरावा
- सक्का-भिश्ती, सक़्क़ा-भिश्ती
- मोची
- रंगरेज़, नीलगर
- चूनगर
- जाट (भरतपुर एंड धौलपुर के जिलों को छोड़कर)
FAQ
OBC का फुल फॉर्म Other Backward Classes होता है।
ओबीसी जातियों को नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में रिक्त स्थान में से 27% उनके लिए रखा जाता है, सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्था में उम्र सीमा भी 3 वर्ष बढ़ा दी जाती है इसके अलावा जातियों के अनुसार अलग-अलग प्रकार की छूट दी जाती है।
ओबीसी जाति के लिए आरक्षण प्रधानमंत्री वीपी सिंह के कार्यकाल में 1979 में तय किया गया।
निष्कर्ष
हमने अपने आज के इस लेख में आप सभी लोगों को पिछड़ी जाति (OBC) किसे कहते है, ओबीसी में कौन-कौन सी जाति आती है? के बारे में विस्तार पूर्वक से जानकारी प्रदान की है। हमें उम्मीद है कि हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आप लोगों के लिए काफी ज्यादा हेल्पफुल और यूज़फुल साबित हुई होगी। इससे जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
यह भी पढ़े
भारत की सबसे बड़ी जनजाति कौन सी है?
जाट जाति की उत्पत्ति एवं इतिहास
सॉफ्ट स्किल्स क्या है और यह कैसे बढाएं?