मनपसंद मिठाई (तेनालीराम की कहानी)

मनपसंद मिठाई (तेनालीराम की कहानी) | Manpasand Mithai Tenali Rama ki Kahani

विजयनगर साम्राज्य के राजा श्री कृष्ण देव राय के मुख्य सारथी तेनाली रामा हर चीज से परिपूर्ण थे। वे अपने जवाब से किसी को भी चुप करवा सकते हैं। तेनालीराम को कैसा भी प्रश्न पूछा जाए तो वह एक अलग अंदाज से ही उसका जवाब देंगे। फिर चाहे सवाल उनकी मनपसंद मिठाई का भी क्यों ना हो।

चलिए जानते हैं कि कैसे तेनाली रामा ने अपनी मनपसंद मिठाई के लिए महाराज कृष्ण देव राय की भी कसरत करवा दी।

Manpasand Mithai Tenali Rama ki Kahani
Images:- Manpasand Mithai Tenali Rama ki Kahani

सर्दियों का समय था। महाराज व राजपुरोहित जी तेनाली रामा के साथ एक बगीचे में टहल रहे थे। तीनों के बीच में आज के वातावरण के बारे में चर्चा चल रही थी। इसी बीच एक बात आती है। राज बोलते हैं की इस बार बहुत गजब की ठंड पड़ रही है। ऐसी ठंड कई सालों के बाद आज गई है।

यही मौसम है भरपूर सेहत बनाने का और अपनी मनपसंद चीजें खाने का क्यों “राजपुरोहित” जी? बिल्कुल सही कहा महाराज आपने। यही मौसम है सूखे मेवे, मीठे फल और मिठाइयां खाने का। इस मौसम में यह सब चीजें खाने का मजा ही कुछ और है।

पुरोहित जी की बात सुनकर महाराज बोले, यह तो बिल्कुल सही कह रहे हो। सर्दियों के दिन मिठाई का स्वाद दोगुना हो जाता है। लेकिन सर्दियों में कौन सी मिठाई खाई जाती है। पुरोहित जी राजा के सामने मिठाइयों का लंबा परचा रखते हैं। इनमें से कुछ मिठाइयां सूखे मेवे से बनी मिठाई बर्फी काजू कतली और गुलाब जामुन जैसी मिठाईयां बहुत ही स्वादिष्ट होती है। यह सुनकर महाराज हंस कर बोले तेनाली रामा आप बोलिए आपको कौन सी मिठाइयां सबसे ज्यादा पसंद है।

तेनाली रामा बोले वैसे तो सारी मिठाइयां मुझे पसंद है। लेकिन इस सर्दी के मौसम में मुझे एक ही मिठाई सबसे ज्यादा पसंद है जो आपने भी शायद ही कभी खाई होगी। यह सुनकर महाराज मन ही मन प्रश्नों में पड़ गए। ऐसी कौन सी मिठाई हो सकती है जो मैंने नहीं खाई हो।

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जहां तक मुझे पता है मैंने सारी मिठाइयां खाई हुई है, तुम किस मिठाई की बात कर रहे हो। तेनाली रामा बोले महाराज आप मेरे साथ कल चलिएगा मैं आपको वह मिठाई खिलाऊंगा। महाराज बोले तुम मुझे नाम बता दो मैं महल में ही बनवा लूंगा। लेकिन तेनाली रामा ने साफ साफ मना कर दिया और बोले मैं आपको वहीं पर वह मिठाई चलाना चाहता हूं। महाराज को पता करना था कि ऐसी कौन सी मिठाई है, जो मैंने नहीं खाई हो इसीलिए वे तेनाली रामा के साथ में चलने को तैयार हो गए।

अगली ही रात खाना खाने के बाद महाराज, राजपुरोहित जी और तेनाली रामा तीनों साधारण कपड़े पहनकर मिठाई वाली जगह की ओर रवाना हो जाते हैं। नगर के बहुत दूर खेत खलियान से होते हुए चलते जाते हैं। बहुत चलने के बाद महाराज तेनालीरामा से पूछते हैं की और कितना चलवाओगे। चलते-चलते हमारी जान निकली जा रही है। “बस थोड़ी दूर और” तेनाली रामा ने जवाब दिया।

थोड़ी देर में वह मिठाई वाली जगह पर पहुंच जाते हैं। तेनाली रामा दोनों को खाट पर बिठाते हुए खुद मिठाई लेने चले जाते हैं। थोड़ी देर में तेनाली रामा तीन कटोरिया में गरमा गरम मिठाई लेकर आ जाते हैं। महाराज के मिठाई खाते ही उनके मुंह से एक ही आवाज निकली, “वाह! क्या मिठाई है।”

राजपुरोहित जी कहते हैं इसे खाने के बाद मजा आ गया। ऐसी मिठाई हमने पहले कभी नहीं खाई। एक कटोरी मिठाई खाने के बाद महाराज तेनाली रामा से पूछते हैं कि यह कौन सी मिठाई है। तेनाली रामा बोले महाराज यह गुड है। पास ही गन्ने का खेत है और किसान उसी से गुड बनाते हैं। मैं यहां पर कई बार आ चुका हूं। मुझे यहां का गुड मिठाई में सबसे अच्छा लगता है। इसीलिए मैं आपको यहां पर लेकर आ गया। मेरा मानना है कि गरमा गरम घी और गुड़ भी बेहतरीन मिठाई से कम नहीं होती।

बिल्कुल, पंडित रामा बिल्कुल तुमने सच कहा। यह लाजवाब मिठाई है। इसी बात पर हमारे लिए एक कटोरी और मिठाई लेकर आइए। इसके बाद तीनों ने एक कटोरी और मिठाई खाई फिर महल के लिए चल दिए।

कहानी की सीख

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि छोटी से छोटी चीज से भी हमें वह खुशी मिल सकती है, जिससे हम कहीं पैसे खर्च करने पर मिलती है।

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