Major General G D Bakshi Biography in Hindi: मेजर जनरल जी डी बख्शी का पूरा नाम मेजर जनरल गगनदीप बक्शी है। यह एक सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) भारतीय सेना अधिकारी हैं, जिन्हें पूरे भारत में जाना जाता है। यह पुनरुत्थानवादी और राष्ट्रवादियों में सबसे लोकप्रिय हैं। यह एक लेखक भी रहे हैं। इन्हें सब ‘जी डी बक्शी’ के नाम से जानते है। इन्होने लम्बे समय तक जम्मू एवं कश्मीर राइफल्स में देश के लिए अपनी सेवाय प्रदान की है।
भारतीय सेना में रहते हुए इन्हें कई पदक से सम्मानित किया गया है, जिनमे सेना पदक, विशिष्ट सेवा पदक आदि शामिल है। इसके साथ ही इन्हें कारगिल युद्ध में एक बटालियन का नेतृत्व करने के लिए विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया। इन्होनें लेखक के तोर पर “एन इंडियन समुराई ए मिलेट्री एसेस्मेंट नेताजी एंड द (आई एन ए)” नामक पुस्तक भी लिखी है।
मेजर जनरल जी डी बक्शी का जीवन परिचय – Major General G D Bakshi Biography in Hindi
मेजर जनरल जी डी बक्शी की जीवनी एक नज़र में
नाम | मेजर जनरल गगनदीप बक्शी |
उपनाम | जीडी सर |
जन्म और स्थान | 1950, जबलपुर (मध्यप्रदेश) |
पिता का नाम | एसपी बक्शी |
भाई का नाम | कैप्टन रमन बक्शी |
सेवा/शाखा | भारत सेना (1971 – 2008) |
उपाधि | मेजर जनरल |
युद्ध | भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971), कारगिल युद्ध |
सम्मान | विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक |
शिक्षा और परिवार
जी.डी. बक्शी का जन्म 1950 में मध्यप्रदेश के जबलपुर में हुआ है। Major General G D Bakshi बचपन से ही भारतीय सेना में सेवा करने की इच्छा रखते थे, इनके भाई कैप्टन रमन बक्शी भी सेना में कार्यरत थे, जो 1965 में 23 वर्ष की आयु में भारत पाक युद्ध में शहीद हो गए थे। इनके पिता का नाम एसपी बक्शी था।
बक्शी साहब ने अपनी शुरूआती शिक्षा जबलपुर के सेंट अलॉयसियस सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पूरी की। इन्होनें अपने कॉलेज शिक्षा के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी में रहते हुए की थी। इनका परिवार उन्हें IAS बनाना चाहता था, लेकिन गगनदीपजी आर्मी में जाना चाहते थे। इन्होनें पढाई पूरी करने के बाद राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के लिए फार्म भरा और पुरे भारत में इंडिया मेरिट लिस्ट में दूसरे स्थान पर आये।
Major जी. डी. बक्शी का आर्मी करियर
उनका आर्मी करियर जून 1967 में वायु सेना के साथ कैडेट के रूप शुरू हुआ। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि पायलट के रूप में फाइटर पायलट में स्नातक करने की अनुमति नहीं है तो उन्होंने 1971 में भारतीय सैन्य अकादमी में शामिल हो गये। उस समय भारत पर कई देशों से युद्ध होने की आशंका थी। बक्शी साहब का प्रशिक्षण समाप्त हो गया था और उन्हें सिलीगुड़ी भेज दिया गया।
उन्हें वहां से जम्मू और कश्मीर राइफल्स में नियुक्त किया और चीन के मोर्चे पर भेजा गया। इन्हें इसके बाद पंजाब में पोस्टिंग मिली, यह 1985 से 1987 में सिख सैनिकों को कमान सौंपते हुए घरेलू आतंकवाद के खिलाफ अपना पहला प्रदर्शन किया। यहां रहते हुए सेनिको की वफादारी और समर्थन को जीता।
1999 के कारगिल युद्ध में भी उन्होंने भाग लिया। यह बटालियन की कमान संभाली और सफलतापूर्वक पाकिस्तान के खिलाफ कई ऑपरेशन का नेतृत्व करते हुए जित हासिल की। उन्हें जल्द ही सैन्य संचालन निर्देशालय में नियुक्त किया गया, जिसकी देखरेख सीधे सेना प्रमुख और उप-प्रमुख करते थे।
Major General G D Bakshi को मिले सम्मान
- कारगिल युद्ध में बटालियन की कमान संभालने और सफल रहने के लिए विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।
- जम्मू में आतंकवाद-रोधी अभियानों के लिए सेना पदक दिया गया।
जी.डी. बक्शी से संबंधित विशेष बातें
- Major General G D Bakshi ने एक लेखक के रूप में कई किताबें लिखी।
- उन्होंने 24 पुस्तकें और 100 से अधिक लोकप्रिय पत्रिकाओं में अपने लेख दिए है।
- वह भारतीय सैन्य अकादमी में शिक्षक भी रहे हैं।
- उन्होंने शिक्षक के रूप में न्यूजीलैंड के वेलिंगटन के रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज में छात्रों को पढ़ाया है।
- बक्शी साहब को पढ़ना और देश सेवा करने का शोक था।
- यह अभिजात वर्ग राष्ट्रीय राइफल्स का हिस्सा भी रहे हैं।
- उनकी नवीनतम पुस्तक ‘बोस: एन इंडियन समुराई’ 2016 में प्रकाशित हुई थी।
- उन्होंने सूचना वारफेयर और मनोवैज्ञानिक कार्यों के साथ काम किया।
Major General G D Bakshi का नाम साहस और पराक्रम के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपने क्षेत्र में सशस्त्र उग्रवाद को दबाने में सफलता हासिल की है। उन्होंने कई आतंकवादियों को मारने और युद्ध जितने में अहम् भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने जीवन में कई सफल कार्यो को अंजाम दिया है, उनका जीवन बहुत ही खूबसूरत रहा है।
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