कृष्ण का पर्यायवाची शब्द (Krishna ka Paryayvachi Shabd in Hindi)
कृष्ण – विष्णु, राधापति, घनश्याम, मुरारी, माधव, गिरिधर, केशव, गोपाल, गिरधारी, मुरलीधर, कन्हैया, वासुदेव,मोहन, गोविन्द, नन्दनन्दन, राधारमण, दामोदर, ब्रजवल्लभ, गोपीनाथ, द्वारिकाधीश, यदुनन्दन, मुरलीधर, कंसारि, रणछोड़, बंशीधर, गिरधारी, नंदलाल, कमलनाथ, अचला, अच्युत, अद्भुतह, आदिदेव, अदित्या, अजन्मा, अजया, अक्षरा, अमृत, अनादिह, आनंद सागर, अनंता, अनंतजीत, अनया, अनिरुद्धा, अपराजित, अव्युक्ता, बाल गोपाल, बलि, चतुर्भुज, दानवेंद्रो, दयालु, दयानिधि, देवाधिदेव, देवकीनंदन, देवेश, धर्माध्यक्ष गोपालप्रियाज्ञानेश्वर, हरि, हिरण्यगर्भा, ऋषिकेश।
Krishna – Vishnu, raadhaapati, ghanashyaam, muraaree, maadhav, giridhar, keshav, gopaal, giradhaaree, muraleedhar, kanhaiya, vaasudev, mohan, govind, nandanandan, raadhaaraman, daamodar, brajavallabh, gopeenaath, dvaarikaadheesh, yadunandan, muraleedhar, kansaari, ranachhod, bansheedhar, giradhaaree, nandalaal, kamalanaath, achala, achyut, adbhutah, aadidev, aditya, ajanma, ajaya, akshara, amrt, anaadih, aanand saagar, ananta, anantajeet, anaya, aniruddha, aparaajit, avyukta, baal gopaal, bali, chaturbhuj, daanavendro, dayaalu, dayaanidhi, devaadhidev, devakeenandan, devesh, dharmaadhyaksh gopaalapriyaagyaaneshvar, hari, hiranyagarbha, rshikesh.
कृष्ण के पर्यायवाची शब्द (Synonyms of Krishna in Hindi) और उनके अर्थ में थोड़ा अंतर हो सकता है। इसीलिए एक वाक्य में सभी पर्यायवाची शब्दों का प्रयोग हो जाए, यह जरूरी नहीं है। स्थिति के आधार पर वाक्य में अलग अलग पर्यायवाची का प्रयोग अलग अलग स्थान पर किया जा सकता है।
नीचे हम उदाहरण के माध्यम से इसे और अधिक गहराई से जानने का प्रयास करेंगे।
कृष्ण शब्द के वाक्य प्रयोग द्वारा पर्यायवाची शब्दों के अंतर को समझना
- कृष्ण- भगवान कृष्ण को हम अनेकों नामों से जानते हैं कभी उन्हें माधव कभी गिरीधर कभी केशव कभी गोपाल कभी कन्हैया के नामों से पुकारा जाता है।
- विष्णु- श्री हरि को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।
- घनश्याम- भगवान श्री कृष्ण ने बादल के समान श्याम रंग वाले हैं इसलिए उन्हें घनश्याम कहा जाता है।
- माधव-भगवान श्री हरि वसंत ऋतु के समान सुंदर है इसलिए उन्हें माधव कहा जाता है।
- मुरलीधर- भगवान श्री हरि मोहन मुरलीधर जब मुरली बजाते हैं तो सभी झूम उठते हैं रमणीय वातावरण का माहौल हो जाता है।
- केशव- भगवान श्री हरि के लंबे काले और घने हैं और श्री हरि का रूप सौंदर्य काफी आकर्षक है इसीलिए उन्हें केशव भी कहा जाता है।
- गिरधारी- भगवान के गोकुल वासियों को गोकुल वासियों को बचाने के लिए रक्षा करने के लिए गिरी पर्वत को धारण करते हैं।ारंग का अर्थ होता है एक नदी तनु क्या या फिर उसे हम दूसरे शब्दों में कटनी सरिता रंगी भी कहते हैं अपनी चलती है किस राह में पत्थर है और किस राह में समतल जमीन है और नदी नदी हमेशा एक दिशा की ओर बहती है दिशा में नहीं जाती हैविपरीत राधा बहुत ही सुंदर लड़की है
- गोविंद- भगवान गोविंद की मीरा सबसे बड़ी भक्ति और अपना पूरा जीवन भगवान गोविंद के चरणों में अर्पित कर दी थी।
- दयानिधि- भगवान घनश्याम मुरारी बहुत ही दयालु दयानिधि वान है जो अपने भक्तों का हर मुश्किल वक्त में साथ देते हैं।
- रणछोड़- भगवान मुरलीधर को रणछोड़ भी कहा जाता है।
- नंदलाल- भगवान गिरिधर नंदलाल के अत्यंत प्रिय थे इसलिए उन्हें नंदलाल भी कहा जाता है।
- राधा रमन – भगवान श्री कृष्ण राधा रमन है उनकी बांसुरी की धुन में पूरा वृंदावन एक रमणीय वातावरण में परिवर्तित हो जाता था।
- नंद गोपाल- नंद गोपाल सभी घरों में एक बच्चे के रूप में पूजे जाते हैं और यह अपने आप में ही एक अद्भुत बात है कि हम भगवान की पूजा एक बच्चे के रूप में करते हैं ।
- श्रीहरि- गिरधर गोपाल केशव माधव श्रीहरि हम सभी के लिए कल्याण का एकमात्र रास्ता है।
पर्यायवाची शब्द परीक्षाओं में मुख्य विषय के रूप में पूछे जाते हैं। एक शब्द के कई पर्यायवाची शब्द हो सकते हैं।यह जरूरी नहीं कि परीक्षा में यहाँ पहले दिये गए शब्द बादल का पर्यायवाची ही पूछा जाए। परीक्षा में सभी समानार्थक शब्दों में से किसी का भी पर्यायवाची शब्द पूछा जा सकता है।
पर्यायवाची शब्द का अपना एक भाग है प्रत्येक पाठ्यक्रम में, छोटी और बड़ी कक्षाओं में पर्यायवाची शब्द पढ़ाया जाता है, कंठस्थ किया जाता है। प्रतियोगी परीक्षाओं में यह एक मुख्य विषय के रूप में पूछा जाता है और महत्व दिया जाता है।
परीक्षा के दृष्टिकोण से पर्यायवाची शब्द बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पर्यायवाची शब्द का अपना-अपना भाग होता है। चाहे वह पेपर हिंदी में हो या अंग्रेजी में यहां तक कि संस्कृत में भी पर्यायवाची शब्द पूछे जाते हैं।
पर्यायवाची शब्द कोई बहुत कठिन विषय नहीं है। यदि इसे ध्यान से समझा जाए तो याद करने की भी आवश्यकता नहीं होती है। इसे समझ समझ कर ही लिखा जा सकता है।
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