Hanuman Ji Ki Mrityu Kaise Hui Thi : आप सभी हिंदुओं के महान ग्रंथ रामायण के बारे में जरुर जानते होंगे। रामायण एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवान श्री राम की जीवनी लिखी हुई है। इस रामायण के ग्रंथ में राम जी के परम भक्त हनुमान जी को दर्शाया गया है और सच में राम जी के परम भक्त हनुमान जी हैं।
कई लोग इस बात को नहीं जानते हैं कि आखिर हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई थी? क्योंकि अभी तक कोई ऐसा प्रमाण नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि हनुमान जी की मृत्यु हुई है। लेकिन अगर आप इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। तो हम आपको बहुत ही अच्छी तरह इस लेख में बताने वाले है कि हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई थी और कब हुई थी।
अगर आप इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना ना भूले। आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े आपको हनुमान जी की मृत्यु के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई थी? | Hanuman Ji Ki Mrityu Kaise Hui Thi
हनुमान जी कौन थे?
सबसे पहली बात कि अगर आप हनुमान जी की मृत्यु के बारे में जानना चाहते हैं, तो इससे पहले आपको यह जानना होगा कि हनुमान जी आखिर थे कौन? क्योंकि जब आप हनुमान जी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लेंगे तभी आप यह समझ पाएंगे कि हनुमान जी की मृत्यु कब हुई थी और कैसे हुई थी? आइए नीचे वाले पैराग्राफ में हम जानते हैं कि हनुमान जी कौन थे?
हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त थे। अगर एक लाइन में कोई आपसे हनुमान जी के बारे में कोई पूछे तो आप ऊपर वाली लाइन को बता सकते हैं। हनुमान जी के पिता का नाम अंजनी था। इसलिए हनुमान जी को अंजनी पुत्र भी कहा जाता है।
हनुमान जी हवा में उड़ सकते थे ऐसी विद्या उनके पास थी। इसलिए लोगों द्वारा उनको पवन पुत्र भी कहा गया। हनुमान जी को कई नामों से जाना जाता है। लोग उन्हें अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, हनुमान जी, बजरंगबली आदि नामों से जानते हैं।
हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई?
ऊपर वाले पैराग्राफ में हमने आपको बहुत ही अच्छी तरह यह बात बता दिया कि हनुमान जी कौन थे? आज हम अपने मुख्य टॉपिक पर वापस आते हैं और इस बारे में जानते हैं कि हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई थी?
हम आपको बता दें की हनुमान जी भगवान श्री राम के परम भक्त थे। जब भगवान श्री राम लंका के राजा बने तब नारद मुनि ने एक चाल चली और हनुमान जी के पास जाकर बोले कि आप सारे ऋषि महर्षि से मुलाकात कर ले। लेकिन आप विश्वामित्र जी से मुलाकात मत करिए क्योंकि विश्वामित्र जी पहले भी राजा रह चुके हैं।
नारद मुनि की आज्ञा का पालन करते हुए हनुमान जी ने वैसा ही किया और सारे ऋषि महर्षि से मुलाकात कर लिए लेकिन विश्वामित्र जी से मुलाकात नहीं किए। हनुमान जी के इस बर्ताव से महर्षि विश्वामित्र पर किसी तरह का कोई असर नहीं पड़ा।
लेकिन फिर नारद मुनि ने महर्षि विश्वामित्र को भड़काया। उसके बाद महर्षि विश्वामित्र हनुमान जी पर गुस्सा हो गया। उन्होंने राम से इस बात की मांग की कि हे राजन हमें हनुमान का मृत्यु चाहिए। राम अपने गुरु विश्वामित्र को निराश नहीं कर सकते थे और उनकी आज्ञा को नहीं टाल सकते थे। इसलिए उन्होंने हनुमान जी पर बाण चलाया।
हनुमान जी ने राम का नाम लेते लेते उस बाण को सह लिया और हनुमान जी को कुछ नहीं हुआ। लेकिन फिर भी राम को अपने गुरु की मांगी हुई इच्छा को पूरा करना ही था। इसलिए रामजी ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया और ब्रह्मास्त्र को हनुमान जी पर चला दिया। हनुमान जी को ब्रह्मास्त्र लगा लेकिन वह फिर राम नाम का जप करते हुए इस ब्रह्मास्त्र को भी सहन कर लिए।
इस बात से नारद मुनि और महर्षि विश्वामित्र जी काफी प्रसन्न हुए। बाद में नारद मुनि विश्वामित्र जी को सारी बात बता दिए और विश्वामित्र जी ने अपनी मांग वापस ले ली। इस घटना के बाद पूरी तरह यह साबित हो गया कि हनुमान जी भगवान श्री राम के सच्चे भक्त है। अब रही बात की हनुमान जी की मृत्यु कब हुई थी? तो ऐसी कोई प्रमाण नहीं मिली है जिसमें दर्शाया गया हो कि हनुमान जी की मृत्यु हुई है। उनकी मृत्यु से संबंधित यही एक घटना है।
निष्कर्ष
आपको इस आर्टिकल के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हो ही होगी की हनुमान जी की मृत्यु कैसे हुई थी (Hanuman Ji Ki Mrityu Kaise Hui Thi)? अगर आपको आर्टिकल पसंद आया हो तो उसे सोशल मीडिया पर शेयर जरूर करें। आर्टिकल के सम्बंधित कोई भी निर्देश हो तो कमेंट करके जरुर बताएं।
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