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अल्बर्ट आइंस्टीन पर निबंध

Essay on Albert Einstein in Hindi: अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कई वैज्ञानिक, गणितज्ञ सूत्रों की खोज की थी। इनकी खोज के बारे में आज हम अपनी पढ़ाई में कभी ना कभी किसी कक्षा में जरूर पढ़ते हैं। हम यहां पर अल्बर्ट आइंस्टीन पर निबंध शेयर कर रहे है। इस निबंध में अल्बर्ट आइंस्टीन के संदर्भित सभी माहिति को आपके साथ शेअर किया गया है। यह निबंध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार है।

 Essay on albert Einstein in hindi

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अल्बर्ट आइंस्टीन पर निबंध | Essay on Albert Einstein in Hindi

अल्बर्ट आइंस्टाइन पर निबंध (250 शब्द)

दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टाइन एक भौतिकवादी थे। इन्होंने द्रव्यमान और समीकरण के सूत्र बनाए थे। यह पूरे विश्व भर में सबसे मुख्य समीकरण के लिए प्रसिद्ध है। अल्बर्ट ने ऊर्जा के समीकरण का सूत्र E= MC Square का निर्माण किया था। उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारे अविष्कार भी किये।

इनका जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी में हुआ था। इनका मुख्य धर्म इसराइल था। इनके पिताजी एक इंजीनियर थे और इनकी मुख्य भाषा जर्मनी थी। इन्होंने इटालियन और अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया।अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अपने मां से सारंगी बजाना सीखा था, परंतु कुछ समय पश्चात ही सारंगी बजाना छोड़ दिया। वह अपनी 8 साल की कम उम्र में लुईटपोल्ड जिम्नेशियम में चले गए थे।

अल्बर्ट आइंस्टाइन ने अमोनिया, पानी और ब्यूटेन का उपयोग करके रेफ्रिजरेटर की खोज की थी। इस खोज में उनको ज्यादा समय नहीं लगा था।आसमान नीला क्यों दिखाई देता है? उन्होंने इसकी भी खोज की, उन्होंने बताया कि, प्रकाश के प्रकरण के कारण आसमान नीला दिखाई देता है।

इन्होंने अपने जीवन में बहुत से अविष्कार किए, जिसके लिए इनको कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। 1921 में सबसे पहले भौतिकी का नोबेल पुरस्कार, 1925 में कोपले मेडल और 1929 में मैक्स प्लांक मेडल इत्यादि से सम्मानित किया गया था।

अल्बर्ट आइंस्टाइन पर निबंध (800 शब्द)

प्रस्तावना

आइंस्टाइन का नाम विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ही प्रसिद्ध है। उन्होंने बहुत से अविष्कार किए प्रकाश का विद्युत प्रभाव नियम की खोज के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया।

अल्बर्ट आइंस्टाइन जन्म एवं शिक्षा

उनका जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मन शहर के यहूदी परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा जर्मनी में ही हुई। इन्हें जर्मनी के अलावा इटालियन और अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान प्राप्त था। यह पढ़ाई में शुरू से ही बहुत ही निपुण थे। बचपन से ही नई नई खोज करने की जिज्ञासा इनके मन में जगती रहती थी।

अल्बर्ट आइंस्टाइन की एक साथ कई उपलब्धियों का स्वर्णिम वर्ष 1905

अल्बर्ट आइंस्टाइन 20 वी सदी के ही नहीं बल्कि अब तक के सारे इतिहास के सबसे बड़े वैज्ञानिक माने गए हैं। 1905 में उन्हें कई उपलब्धियों का वर्णन प्राप्त हुआ। जैसे सर्व प्रसिद्ध सूत्र E=mc की खोज की यह खोज विशेषकर प्रकाश के वैद्य अधिक प्रभाव के नियमों से संबंधित है।

उसी वर्ष 30 जून को गतिशील पिंडों की विद्युत गत्यात्मक के बारे में भी अध्ययन किया था। उसी वर्ष 20 जुलाई को हार्दिक आयाम का एक नया निर्धारण किया था। उस समय 26 साल की उम्र में 15 जनवरी 1906 को उन्हें डॉक्टर की उपाधि भी मिल गई।

अल्बर्ट आइंस्टाइन का सापेक्षता सिद्धांत

सापेक्षता सिद्धांत से अल्बर्ट आइंस्टाइन को नई पहचान मिली और उनको इस सिद्धांत ने अमर बना दिया। उन्होंने गति के रूप का अध्ययन किया और बताया कि यह एक सापेक्ष अवस्था है।

आइंस्टीन के हिसाब से ब्रह्मांड में कोई  प्रमाण नहीं है, जिसके द्वारा मनुष्य पृथ्वी के निरपेक्ष गति या किसी प्रणाली का निश्चय कर सकें। गति का जो भी अनुमान होता है, वह हमेशा किसी दूसरी वस्तु को संदर्भ बनाकर स्थिति परिवर्तन करता है। 1907 में प्रतिपादित उनके इस सिद्धांत को सापेक्षता का विशिष्ट सिद्धांत कहा जाने लगा।

गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव

इस छोटे से विचार के बाद कई वर्षों के बाद गणितीय समीकरणों के आधार पर 1916 में आइंस्टाइन ने एक नई थ्योरी दी। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड में किसी वस्तु को खींचने वाला जो, गुरुत्वाकर्षण प्रभाव देखा जाता है। उसका यह कारण है कि हर वस्तु अपने द्रव्यमान और आकार के अनुसार अपने आसपास के स्पेस टाइम के हिसाब से उसमें बदलाव होता है।

हिटलर की तानाशाही

1932 में जब आइंस्टाइन अमेरिका चले गए, तब 1933 में जर्मनी में हिटलर की तानाशाही शुरू हो गई थी। उस समय जर्मन राज्य के शत्रुओं की एक सूची बनाई गई। जिसमें उस व्यक्ति को $5000 का पुरस्कार देने की घोषणा की गई जो आइंस्टीन की हत्या करता।

आइंस्टाइन तब अमेरिका में रह रहे थे। वहां पर गुरुत्वाकर्षण और सापेक्षता सिद्धांत के नियमों तथा विद्युत चुंबक के नियमों के बीच तालमेल बैठाने में व्यस्त थे। वह किसी भी तरह से ब्रह्म सूत्र जैसे एक गणितज्ञ समीकरण पर पहुंचना चाहते थे, जो दोनों को एक सूत्र में पिरोए हुए ब्रह्मांड की सभी शक्तियों और अवस्थाओं की व्याख्या करने का मूल आधार बने।

ब्रह्मसूत्र की खोज

समग्र क्षेत्र सिद्धांत वाला ब्रह्म सूत्र खोजने का काम अल्बर्ट ने 1930 मैं बर्लिन में ही शुरू कर दिया था। उस समय उन्होंने 8 पेज का एक लेख भी लिखा था, जिसे उन्होंने कभी प्रकाशित नहीं किया। परंतु इस लेख के अब तक 7 पृष्ठ मिल चुके हैं, आठवां कुछ ही समय पहले मिला है।

पुत्र के नाम पत्र

आइंस्टीन की पहली पत्नी मिलेवा मारीच सर्बिया की थी। दोनों जब बर्न मैं अपनी पढ़ाई कर रहे थे, तब एक दूसरे से मिले थे। उनके दो पुत्र थे, हांस अल्बर्ट और एदुआर्ड।

पुत्र हंस अल्बर्ट के नाम पत्र में जर्मन भाषा में आइंस्टीन ने लिखा था “11 जनवरी 1935 में गणित रूपी राक्षस के पंजे में इस बुरी तरह जकड़ा हुआ हूं कि किसी को निजी चिट्ठी नहीं लिख पाता। मैं ठीक हूं । दुनिया से विमुख होकर काम में व्यस्त रहता हूं। निकट भविष्य में मैं यूरोप जाने की नहीं सोच रहा क्योंकि मैं वहां वह सकने वाली परेशानियों को झेलने के लिए सक्षम नहीं हूं”

निशस्त्रीकरण का आह्वान

इसी तरह से अपने अंतिम दिनों में आइंस्टाइन ने 10 अन्य बहुत प्रसिद्ध वैज्ञानिकों के साथ मिलकर 11 अप्रैल 1955 को रसेल आइंस्टीन मेनिफेस्टो कहलाने वाले एक अहान पर हस्ताक्षर किए। दो ही दिन बाद जब इसराइल के स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में भाषण लिख रहे थे तब उनका स्वास्थ्य बिगड़ गया। 15 अप्रैल को उन्हें प्रिंसटन के अस्पताल में भर्ती किया गया। 18 अप्रैल को क्षेत्र वर्ष की अवस्था में उनकी मृत्यु हो गई।

आइंस्टाइन का दिमाग निकाला गया

जर्मन मूल के अमेरिकी वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन सीनियर थे। जब उनकी मृत्यु हुई उसके पश्चात आइंस्टाइन का दिमाग वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बन गया था। उन्होंने सोचा आइंस्टाइन के दिमाग में आखिर ऐसा क्या था? जिसकी वजह से उन्होंने इतनी असाधारण खोज की।

कुछ समय पहले ही पता चला किउनके दिमाग का हिस्सा और औसत इंसान के मुकाबले में आश्चर्यजनक रूप से अलग था। याद रखने की शक्ति, कार्य योजना बनाना, चिंता और तनाव, भविष्य की योजनाएं बनाना, कल्पना करना, आदि कार्यों के लिए दिमाग का हिस्सा जिम्मेदार होता है। उनका यह भाग और साधारण और अजीबोगरीब ढंग से निर्मित और विकसित था। आइंस्टाइन का दिमाग एप्स संयोजन के लिहाज से बहुत अधिक जटिल था।

कहां है? अल्बर्ट आइंस्टाइन का दिमाग

अल्बर्ट का दिमाग 40 टुकड़ों के रूप में अमेरिका के संग्रहालय में रखा गया है। यह दिमाग के काफी पतले टुकड़े मूल रूप से डॉक्टर थॉमस हार्वे के पास सुरक्षित थे। जिन्होंने वर्ष 1955 में महान वैज्ञानिक के निधन के बाद उनका पोस्टमार्टम किया था। उन्होंने इन टुकड़ों को जांच के बाद नहीं लौट आया। उसे म्यूजियम में रख दिया, वहां जार में रखें आइंस्टीन के दिमाग को लोग आज भी देख सकते हैं।

निष्कर्ष

अल्बर्ट आइंस्टाइन एक महान वैज्ञानिक ही नहीं थे, अपितु एक महामानव भी थे। उनका जीवन एक वैज्ञानिक रूप में ही नहीं सभी रूप में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना। उन्होंने अपने कई अविष्कार से लोगों को पढ़ाई के नए साधन दिए।

अंतिम शब्द

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