दीर्घायु शब्द में समास (Dirghayu Mein Kaun sa Samas Hai)
दीर्घायु में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
दीर्घायु में कर्मधारय समास है।
Dirghayu Mein Kaun sa Samas Hai?
Deergh Shabd mein Karmdharay Samas Hai.
दीर्घायु का समास विग्रह क्या है?
दीर्घायु का समास विग्रह दीर्घ है जिसकी आयु है।
Dirghayu ka Samas Vigrah kya hai?
Deergh Hai Jisakee Aayu.
दीर्घ है जिसकी आयु का समस्त पद है?
दीर्घायु
कर्मधारय समास की परिभाषा
जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो तो, वह ‘कर्मधारय समास‘ कहलाता है।
इस समास का उत्तरपद प्रधान होता है एवं विग्रह करते समय दोनों पदों के बीच में ‘के सामान’, ‘है जो’, ‘रुपी’ में से किसी एक शब्द का प्रयोग होता है।
उदाहरण: पीताम्बर, नीलगगन, महावीर, महापुरुष
कर्मधारय समास के अन्य उदाहरण
- लालमणि – लाल है जो मणि
- मृगनयनी – मृग के समान नयन
- दुर्जन – दुष्ट है जो जन
- चन्द्रमुख – चन्द्र जैसा मुख
- नील कमल: नील के समान कमल।
- सूरजमुख: सूरज के समान मुख।
- महारत्न: महान है जो रत्न।
- प्रधानाध्यापक: प्रधान है जो अध्यापक।
- महाराज: महान है जो राजा।
प्रयुक्त में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि पूर्व पद और उत्तर पद में विशेषण और विशेष्य के साथ-साथ उपमान और उसमें का संबंध भी देखने को नजर आ रहा है। अतः यह सभी उदाहरण कर्मधारय समास के अंतर्गत आएंगे।
- पीलामणि: पीला है जो मणि।
- पीतांबर: पीत है जो अंबर।
- महात्मा: महान है जो आत्मा।
- महाराज: महान है जो राजा।
ऊपर उदाहरण दर्शाए गए हैं, इन उदाहरण में पूर्व पद में उत्तर पद की विशेषता बताई जा रही है और दोनों पदों में उपमेय और उपमान में संबंध भी दिखाई दे रहा है। अतः यह सभी उदाहरण कर्मधारय समास के अंतर्गत आएंगे।
कर्मधारय समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें कर्मधारय समास (परिभाषा और उदाहरण)
महत्वपूर्ण शब्दों में समास और समास विग्रह