एक शहर में एक बहुत ही बुजुर्ग महिला रहती थी, वह महिला सभी से मिलजुल कर रहा करती थी और उस बुजुर्ग महिला ने अपने पूरे जीवन में हर भगवान की आराधना और बहुत सारा दान और दक्षिणा कर रखी थी।
एक दिन अचानक से उस बुजुर्ग महिला की तबीयत खराब हो जाने के कारण उसका निधन हो गया। तभी उस बुजुर्ग महिला के लड़के और उसकी पत्नी ने अपनी मां का अंतिम संस्कार बहुत अच्छे से किया।
तभी उस बुजुर्ग महिला के निधन के बाद यमराज ने अपने दो सेवकों को नीचे भेजा कि जाओ तुम उस बुजुर्ग महिला को ले आओ। जैसे ही यमराज के सेवक उस बुजुर्ग महिला को लेने के लिए आए तो वह बुजुर्ग महिला उनके साथ जाने लगी।
थोड़ी दूर चलने के पश्चात रास्ते में एक बहुत ही गहरी नदी मिली, जहां पहुंचकर यमराज के सेवकों ने उस बुजुर्ग महिला से कहा कि क्या तुमने अपने जीवन में कभी भी गौ दान किया हुआ है।
तब वह बुजुर्ग महिला सच्चे मन से गाय का ध्यान करने लगती है तभी वहां पर अचानक से एक गाय प्रकट हो जाती है, जिसकी पूंछ पकड़कर वह बुजुर्ग महिला उस नदी को पार कर जाती है।
फिर थोड़ी दूर आगे चलने के पश्चात रास्ते में बहुत सारे काले कुत्ते आ जाते हैं, जिनको देखकर यमराज के सेवक उस बुजुर्ग महिला से कहते हैं कि क्या तुमने अपने जीवन में कुत्तों को दान दिया था। तब वह बुजुर्ग महिला एक बार फिर से सच्चे मन से कुत्तों का आव्हान करने लगती है।
तब वहां से सारे काले कुत्ते अपना रास्ता बदल कर कहीं और चले जाते हैं और फिर वह बुजुर्ग महिला और यमराज के सेवक आगे की ओर चल देते हैं। थोड़ी दूर चलने के पश्चात एक कौवा उस बुजुर्ग महिला के सिर पर अपनी चोंच से कड़ा प्रहार करने लगता है, जिसको देखकर यमराज के सेवक उस बुजुर्ग महिला से पूछते हैं कि क्या कभी तुमने अपने जीवन में किसी भी पंडित या ब्राह्मण की लड़की के सिर पर तेल से मालिश की है या नहीं।
तभी वह बुजुर्ग महिला यमराज के सेवकों की बात सुनकर ब्राह्मण की बेटी का सच्चे मन से आवाहन करना शुरू कर देती है, जिसके बाद वह कौवा उस बुजुर्ग महिला को चोंच मारना बंद कर देता है और वहां से चला जाता है। फिर वहां से वह बुजुर्ग महिला और यमराज के दोनों सेवक आगे की ओर चल देते हैं।
थोड़ी दूर चलने के पश्चात जब वह बुजुर्ग महिला और यमराज के दोनों सेवक आगे की ओर बढ़ने लगते हैं तो उस बुजुर्ग महिला के पैरों में कांटे चुभना शुरू हो जाते हैं, जिसके बाद यमराज के सेवक कहते हैं कि क्या तुमने कभी भी अपने जीवन में खड़ाऊ दान की है, जिसके बाद वह बुजुर्ग महिला उनसे वह की बात सुनकर खड़ाऊ का आवाहन करना शुरू कर देती है।
देखते ही देखते उस बुजुर्ग महिला के पैरों में खड़ाऊ आ जाती है और वह बुजुर्ग महिला और यमराज के दोनों सेवक आगे की ओर चल देते हैं। जिसके बाद दोनों सेवक वह उस बुजुर्ग महिला को यमराज के पास ले जाते हैं और फिर यमराज बुजुर्ग महिला को चित्रगुप्त के पास ले जाते हैं। तभी चित्रगुप्त यमराज से कहते हैं यह कौन है और आप किसको लेकर यहां आए हैं।
तभी यमराज चित्रगुप्त से कहते हैं कि इस बुजुर्ग महिला ने अपने पूरे जीवन में बहुत सारा दान और बहुत सारे पुण्य किए हैं, लेकिन इस बुजुर्ग महिला ने धर्मराज की कोई भी पूजा अर्चना नहीं की है। जिसके कारण यह बुजुर्ग महिला आगे नहीं जा सकती है।
यह सुनकर वह बुजुर्ग महिला बहुत आश्चर्यचकित हो जाती है, जिसके बाद उस बुजुर्ग महिला ने यमराज से कहा कि आप मुझे सात दिन का समय दीजिए और मुझे वापस धरती लोक पर भेज दीजिए। जिसके बाद मैं इन सात दिनों में धर्मराज की पूजा अर्चना, उनका व्रत और उद्यापन करके वापस आ जाऊंगी, जिसके बाद यमराज इस बुजुर्ग महिला को सात दिन का समय दे देते हैं और धरती लोक पर वापस भेज देते हैं।
धरती लोक पर वापस पहुंच कर जब सभी लोग उस बुजुर्ग महिला को देखते हैं तो उन से डर कर चारों तरफ भागने लगते हैं और कहने लगते हैं कि भूतनी आ गई भागो यहां से।
यहां तक कि जब वह बुजुर्ग महिला अपने बेटे और बहू के पास जाती है तो वह भी उनसे डर कर अपने गेट को बंद कर लेते हैं, जिसके बाद वह बुजुर्ग महिला अपने बेटे बहू का और सभी लोगों को बताती है कि मुझे यमराज ने सात दिन का समय दिया है।
क्योंकि मैंने धर्मराज का कोई भी व्रत उद्यापन और पूजा नहीं किया है, जिसको ना करने की वजह से मैं स्वर्ग लोक में नहीं जा सकती हूं। अब मैं यहां धरती लोक में धर्मराज की पूजा अर्चना, उनका उद्यापन करने आई हूं। यह सुनकर उस बुजुर्ग महिला के लड़के और उसकी पत्नी अपनी मां को पूजा करने के लिए सभी वस्तुएं लाकर दे दी।
जिसके बाद वह बुजुर्ग महिला धर्मराज की पूजा करना शुरू कर देती है और उनका उद्यापन करने के बाद जब वह सभी को कहानी सुनाना शुरू करती है तो सभी लोग वहां से उठकर भाग जाते हैं।
जिसके बाद वह बुजुर्ग महिला अपनी पड़ोस में एक महिला से कहानी सुनने का आग्रह करती है और वह महिला कहानी सुनने को तैयार हो जाती है। जिसके बाद वह बुजुर्ग महिला उसको पूरी कहानी सुना देती है और पूजा अर्चना करने के सात दिन बाद धर्मराज उस बुजुर्ग महिला से प्रसन्न होकर उसको स्वर्ग में आने के लिए अपना जहाज नीचे धरती लोक पर भेज देते हैं, उस जहाज को देखकर सभी लोग बहुत ही आश्चर्य चकित हो जाते हैं।
उस बुजुर्ग महिला के साथ जाने के लिए आगे आ जाते हैं तभी वह बुजुर्ग महिला सभी लोगों से कहती हैं कि तुम लोगों ने धर्मराज की कहानी नहीं सुनी है, जिसके कारण तुम लोग मेरे साथ नहीं जा सकते हो। मेरे साथ सिर्फ यह मेरी पड़ोस की साथी ही जा सकती है, क्योंकि इसने पूरी कहानी बैठकर सुनी थी।
जिसके बाद सभी लोग उस बुजुर्ग महिला से कहानी सुनने के लिए निवेदन करने लगते हैं और तभी वह बुजुर्ग महिला सभी को कहानी सुना देती है, जिसके बाद सभी लोग उस जहाज में बैठकर स्वर्ग लोक पहुंच जाते हैं। स्वर्ग लोक में सभी लोगों को देखकर धर्मराज कहते हैं कि मैंने तो सिर्फ इस बुजुर्ग महिला के लिए जहाज भेजा था, यहां पर तुम लोग कैसे आ गए।
तभी वह बुजुर्ग महिला धर्मराज से कहती है कि हे धर्मराज मैंने अपने पूरे जीवन में जितना भी पुण्य कमाया है, उसका आधा पुण्य इन सभी को दे दीजिए, जिसके बाद धर्मराज सभी लोगों को स्वर्ग लोक में जगह दे देते हैं और यहीं पर यह कहानी समाप्त होती है।
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