धनतेरस त्योहार भारत में हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। भारत में कई प्रकार के त्यौहार मनाए जाते हैं। यह भारत की संस्कृति है। इसके अतिरिक्त त्यौहार प्यार एवं एकता का प्रतीक भी होता है।
दीपावली का त्यौहार 5 दिनों का होता है, जिसमें दीपावली के 2 दिन पहले का दिन धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। धनतेरस का दिन भगवान धन्वंतरि एवं मां लक्ष्मी को समर्पित होता है।
इस दिन मां लक्ष्मी से धन-धान्य की प्रार्थना की जाती है एवं धन्वंतरी भगवान से अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है क्योंकि धवन तृत भगवान देवों के चिकित्सक कहे जाते हैं।
भारत में धनतेरस का त्यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है और प्रत्येक राज्यों में अलग-अलग रीति-रिवाजों से इस त्यौहार को मनाया जाता है।
धनतेरस आने से पहले स्कूल कॉलेजों में बच्चों को धनतेरस पर निबंध लिखने के लिए दिया जाता है ताकि उन्हें धनतेरस के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने को मिले। इस लेख में धनतेरस पर निबंध लेकर आए हैं।
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धनतेरस पर निबंध 250 शब्द (Dhanteras Essay in Hindi)
धनतेरस का त्यौहार धन-धान्य के साथ अच्छे स्वास्थ्य की कामना करने का दिन होता है। धनतेरस का त्यौहार हर साल कार्तिक महीने के कृष्ण त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। यह दिन दीपावली के 2 दिन पहले आता है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर एवं देवों के चिकित्सा कहे जाने वाले धन्वंतरी भगवान की पूजा अर्चना की जाती है।
मां लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी है। इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करके घर में समृद्धि एवं सुख शांति की प्रार्थना की जाती है। वही भगवान धन्वंतरि से अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है क्योंकि स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं होता, व्यक्ति स्वस्थ है तो सबसे बड़ा सुखी है।
पौराणिक कथा के अनुसार धनतेरस के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी समुद्र से हाथों में अमृत कलश लिए हुए प्रकट हुए थे। उनके हाथों में अमृत का कलश होने के कारण इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा है। इसीलिए धनतेरस के दिन पूरे भारत में सोने, चांदी एवं विभिन्न प्रकार के बर्तनों की खरीदारी होती है।
इस दिन चांदी के बर्तन या चांदी की कोई भी छोटी चीज विशेष रूप से खरीदी जाती है क्योंकि माना जाता है चांदी चंद्रमा का प्रतीक होता है और चंद्रमा शीतलता प्रदान करता है एवं मन में संतोष उत्पन्न करता है और संतोष से बड़ा खुशी कुछ भी नहीं है क्योंकि जो संतुष्ट है वही व्यक्ति सबसे ज्यादा अमीर है। इसीलिए अपने जीवन में संतोष लाने के लिए इस दिन चांदी के बर्तन खरीदने की प्रथा है।
हालांकि जैसी जिसकी क्षमता होती है, वह उस अनुसार करता है। जिसकी क्षमता सोने चांदी के बर्तन खरीदने की नहीं है तो वह इस दिन झाड़ू खरीद के रख सकता है। बहुत से लोग इस दिन धनिया का बीज भी खरीद कर रखते हैं, जिसे बाद में अपने घर के बाग में रोपते हैं।
इसके अतिरिक्त धनतेरस के दिन संध्या काल में भगवान यमराज के नाम पर दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखने की प्रथा है। माना जाता है धनतेरस के दिन जो भी दक्षिण दिशा में यमराज के नाम से दिया रखता है, उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है और उनके जीवन पर यमराज की कृपा बनी रहती है।
इसके अतिरिक्त घर के मुख्य प्रवेश द्वार एवं आंगन में भी दीप प्रज्वलित किया जाता है। इस दिन किसी को भी भूल से उधार नहीं दिया जाता है। माना जाता है ऐसा करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।
धनतेरस पर निबंध (400 शब्द)
धनतेरस का त्योहार दिवाली के 2 दिन पहले मनाया जाने वाला त्यौहार है, जो कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को पड़ता है। दिवाली 5 दिनों का त्यौहार होता है और लोग दिवाली मनाने की शुरुआत धनतेरस से ही कर देते हैं।
धनतेरस के दिन भी लोग दिवाली की तरह ही अपने घरों की सजावट करते हैं दिए जलाते हैं। धनतेरस का त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व रखता है क्योंकि माना जाता है इसी दिन भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से निकले थे। इसके बाद इन्होंने ही संसार में चिकित्सा विज्ञान का विस्तार एवं प्रसार किया था।
भगवान धन्वंतरी भगवान विष्णु के ही अवतार थे। इसीलिए धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना करके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है। धनतेरस के दिन एवं सुख समृद्धि की माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है और उनके साथ भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है और घर में सुख समृद्धि की प्रार्थना की जाती है।
धनतेरस के दिन कई सारी प्रथा भी है, जो लोग निभाते हैं। पहली प्रथा तो यह है कि धनतेरस के दिन सोने चांदी के आभूषण खरीदे जाते हैं। माना जाता है कि भगवान धन्वंतरी समुद्र कलश लेकर प्रकट हुए थे। उनके हाथों में बर्तन होने के कारण ही इस दिन लोग सोने चांदी के आभूषण या फिर बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं।
हालांकि जरूरी नहीं कि सबकी क्षमता एक बराबर हो। इसलिए जो सोने चांदी के आभूषण या किसी भी धातु के बर्तन खरीदने के लिए सक्षम नहीं है वह इस दिन झाड़ू खरीदता है। बहुत जगहों पर धनतेरस के दिन धनिया के बीज खरीदने की भी प्रथा है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान यमराज के यमदूत भगवान यमराज से पूछते हैं कि अल्प आयु में मृत्यु से बचने के लिए इंसानों के लिए क्या कोई उपाय है? तब भगवान यमराज यमदूत को सलाह देते हैं कि जो भी भक्तगण कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात के समय भगवान यमराज के नाम पर अपने घर के दक्षिण दिशा में दिया जलाकर रखेगा तो उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी।
इसीलिए इस कथा के अनुसार हर साल धनतेरस के दिन लोग अपने घर के मुख्य द्वार एवं आंगन में दीप प्रज्वलित करके रखते हैं। इस दिन भगवान यमराज को प्रसन्न करने के लिए बहुत से लोग उनके नाम पर व्रत भी रखते हैं।
धनतेरस के दिन संध्या काल में लोग स्नान करने के पश्चात पूजा रूम की सफाई करके एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर वहां पर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, भगवान धन्वंतरि एवं कुबेर भगवान की प्रतिमा या फिर फोटो स्थापित करके विधि विधान पूर्वक पूजा अर्चना करता है।
इस दिन जो भी चीज बाहर से खरीद कर लाई गई होती है जैसे कि सोने, चांदी का आभूषण या फिर बर्तन उसे पूजा के दौरान प्रतिमा या मूर्ति के सामने रखा जाता है। पूजा अर्चना एवं आरती के पश्चात घर में और आंगन में दिए प्रज्वलित किए जाते हैं एवं प्रसाद वितरित किया जाता है।
धनतेरस पर निबंध (600 शब्द)
प्रस्तावना
भारत त्योहारों का देश है। यहां पर विभिन्न धर्म के लोग रहते हैं और विभिन्न तरह के त्यौहार सभी धर्म के लोग मिलजुलकर मनाते हैं। भारत में धनतेरस का त्यौहार हिंदुओं का प्रसिद्ध त्योहार होता है। यह दिवाली के 2 दिन पहले कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है।
धनतेरस की शुरुआत लोग कुछ दिन पहले से ही कर देते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरी एवं कुबेर भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है इसीलिए 1 दिन पहले से ही घर की साफ सफाई शुरू हो जाती है।
क्योंकि धनतेरस के दिन में घर में गंदगी या कबारा रहने से घर में नकारात्मक ऊर्जा फैलती है। घर की साफ सफाई करने के बाद लोग दिवाली की तरह ही धनतेरस के दिन भी अपने घरों को सजा देते हैं।
धनतेरस त्यौहार का महत्व
सभी हिंदू लोगों के लिए धनतेरस त्यौहार का सामान महत्व होता है। हालांकि प्रत्येक राज्यों में धनतेरस त्योहार को मनाने के लिए थोड़ी बहुत परंपरा और रीति-रिवाज अलग-अलग हो सकते हैं। यह दिन मां लक्ष्मी से घर की सुख समृद्धि की कामना करने का दिन होता है।
माना जाता है कि धनतेरस के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है प्रकट हुए थे। पूरी दुनिया में चिकित्सा विज्ञान को फैलाने एवं उसका विस्तार करने के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरी का अवतार लिया था।
माना जाता है जो भी लोग इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा अर्चना करते हैं, वे स्वस्थ रहते हैं। इसीलिए इस दिन मां लक्ष्मी एवं भगवान कुबेर के साथ धन्वंतरी भगवान की पूजा अर्चना करके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है।
इस दिन भगवान यमराज के नाम पर जो भी अपने घर में दक्षिण दिशा में दीप प्रज्वलित करके रखता है, उसकी दीर्घायु होती है।
धनतेरस के दिन क्या करना शुभ माना जाता है?
माना जाता है कि धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी अमृत से भरे कलश के लोटे के साथ समुद्र से प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन सोने चांदी के धातु के आभूषण या बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है।
माना जाता है कि चांदी चंद्रमा का प्रतीक होता है, जो शीतलता एवं संतोष प्रदान करता है। इसीलिए जो भी इस दिन चांदी का आभूषण या बर्तन खरीदता है, उसके मन में संतोष जागता है। संतुष्टि होने से व्यक्ति अपने आपको बहुत बड़ा सुखी समझता है।
धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कथा
धनतेरस से जुड़ी पौराणिक कथा भी है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से उनके द्वारा छिने गए देवताओं के सभी धन-संपत्ति को वापस लेकर कई गुना देवताओं को प्रदान किया था। इसीलिए इस दिन सोने चांदी की चीजें खरीदने से धन दौलत बढ़ता है।
धनतेरस से जुड़ी एक और पौराणिक कथा ऐसी भी है कि एक बार भगवान यमराज अपने सभी यमदूतो को पूछते हैं कि क्या तुम्हें मनुष्य का प्राण हरने में दया नहीं आता? तब उनमें से एक यमदूत बताते है कि किस तरह एक बार राजा हेमा के इकलौते पुत्र जिसकी मृत्यु उसके विवाह के 4 दिन के बाद ही हो गई थी। उसके प्राण हरने के दौरान वह विचलित हो गया था।
लेकिन भाग्य के लिखे को मिटा सकते नहीं है, इसलिए मजबूरन उसे उसका प्राण हरना ही पड़ा। ऐसे में एक यमदूत ने यमराज से अकाल मृत्यु से बचने का उपाय पूछा?
तो यमराज ने कहा कि जो भी लोग कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी के दिन रात में यमराज के नाम से दीपक जलाकर दक्षिण दिशा में रखेगा उसकी अकाल मृत्यु नहीं होगी। इसीलिए धनतेरस के दिन संध्याकाल में घर के मुख्य द्वार एवं आंगन में भगवान यमराज के नाम पर दिया प्रज्वलित करने की भी प्रथा है।
धनतेरस के दिन क्या करना अशुभ माना जाता है?
धनतेरस के दिन बहुत सी ऐसी चीजें होती है, जिन्हें करना अशुभ माना जाता है जैसे कि इस दिन काले वस्तुओं की खरीदारी करना अशुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन भूलकर भी कोई काले रंग के कपड़े या आभूषण की खरीदारी नहीं करता है। यहां तक कि लोहे के भी किसी बर्तन को खरीदना अशुभ माना जाता है।
इस दिन किसी को कर्जा देना या उधार लेना भी अशुभ माना जाता है। क्योंकि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है और ऐसा कोई भी काम करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती है। इस दिन घर में किसी से झगड़ा करना या मुंह से अपशब्द निकालना भी अशुभ माना जाता है।
धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरी एवं कुबेर की पूजा की जाती है। लेकिन इनकी नकली धातु से बनी प्रतिमा का पूजा करना अशुभ माना जाता है। सोने, चांदी या मिट्टी से बनी प्रतिमा से ही पूजा करनी चाहिए।
उपसंहार
धनतेरस शब्द दो शब्दों से बना है ‘धन’ जिसका अर्थ है धन और ‘तेरस’ जो चंद्र माह कार्तिक के कृष्ण पक्ष के 13 वें दिन को दर्शाता है। धनतेरस स्वास्थ्य के देवता धन्वंतरि के अवतार का दिन है। इसलिए जीवन में अच्छे स्वास्थ्य और धन के लिए स्वास्थ्य के देवता धनवंतरी से प्रार्थना की जाती है।