चक्षुश्रवा शब्द में समास (Chashushakva Mein Kaun sa Samas Hai)
चक्षुश्रवा में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
चक्षुश्रवा में बहुब्रीहि समास है।
Chashushakva Mein Kaun sa Samas Hai?
Chashushakva Shabd mein Bahuvrihi Samas Hai.
चक्षुश्रवा का समास विग्रह क्या है?
चक्षुश्रवा का समास विग्रह जो चक्षु से श्रवण कार्य करता है -साँप है
Chashushakva ka Samas Vigrah kya hai?
Chashushakva ka Samas Vigrah Jo chakshu se sharvan karya karta hai – Saanp hai.
जो चक्षु से श्रवण कार्य करता है -साँप का समस्त पद है?
चक्षुश्रवा
बहुब्रीहि समास की परिभाषा
बहुब्रीहि समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं। यहां पर दोनों पद मिलकर किसी अन्य पद के महत्व को दर्शाते हैं, जहां पर दोनों पदों का महत्त्व ना हो और तीसरे पद को महत्व दिया जाता हो, उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
बहुव्रीहि समास में दोनों पद अप्रधान होते हैं। उदहारण के लिए जैसे- दशानन इसका अर्थ है दस है मुख जिसके अर्थात् रावण, यहां पर रावण मुख्य पद के रूप है।
बहुब्रीहि समास में कौन सा पद प्रधान होता है?
बहुब्रीहि समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं, यहां दोनों पद अप्रधान होते हैं। इनके द्वारा बनने वाला तीसरा पद प्रधान होता है, जिसमें दोनों पद प्रधान नहीं हो, बहुब्रीहि समास के अंतर्गत आयेंगे।
बहुब्रीहि समास के बारे में विस्तार पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें बहुव्रीहि समास (परिभाषा, भेद और उदाहरण)
कुछ अन्य उदहारण
- पुण्डरीकाक्ष – कमल के समान आँखें है जिसकी
- वक्रतुण्ड – वक्र है तुण्ड जिसकी -गणेश
- त्नगर्भा – वह जिसके गर्भ में रत्न हैं -पृथ्वी
- रतिकांत – वह जो रति का कांत पति है -कामदेव
- रघुपति – वह जो रघु के पति हैं -राम
- पद्मासना – पद्म है आसन जिसका
- नीलकण्ठ – नीला है कण्ठ जिसका
- रेवतीरमरण – वह जो रेवती के साथ रमण करते हैं -बलराम
- राजरोग – रोगों में राजा -असाध्य रोग, यक्ष्मा
बहुब्रीहि समास का विग्रह
समस्त पद | विग्रह |
शेषशायी | जो शेष नाग पर शयन करते हैं अर्थात विष्णु |
विषधर | जिसने विष का पान किया है अर्थात शिव |
रतिकांत | वह जो रति का पति है अर्थात – कामदेव |
मंदोदरी | जिसका उदर मंद हो वह स्त्री अर्थात – रावण की पत्नी |
इन सभी पदों में बहुब्रीहि समास का विग्रह आता है। यदि यहां दोनों पद मुख्य होते तो यह बहुब्रीहि समास नहीं कहलाता।
महत्वपूर्ण शब्दों में समास और समास विग्रह