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बौद्ध धर्म क्या है? इसका इतिहास तथा नियम

Buddha Dharm History in Hindi: बौद्ध धर्म का इतिहास काफी प्राचीन है और इसकी संख्या भी भारत में बहुत ज्यादा नहीं है। भारत की कुल जनसंख्या का केवल 2% हिस्सा बौद्ध धर्म है। जबकि नेपाल, चीन, कोरिया एवं म्यांमार इत्यादि देशों में बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म के लोग रहते हैं।

भगवान बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक माना जाता है। बौद्ध धर्म अपनी विशेषताओं के लिए देश और दुनिया भर में जाना जाता है। बौद्ध धर्म के अंतर्गत तीन शाखाएं हैं जो मतभेद के चलते बनी थी बौद्ध धर्म के अंतर्गत पशुओं की बलि चढ़ाना पाप है। बौद्ध धर्म के अनुयाई प्राचीन काल से ही पशुओं की बलि चढ़ाने का विरोध करते हैं तथा यज्ञ करना इत्यादि को भी वे गलत मानते हैं।

बौद्ध धर्म एक ऐसा धर्म है जो मानवता का पाठ पढ़ाता है। मनुष्य तथा पशु जीवन की रक्षा करने का पाठ पढ़ाता है। बौद्ध धर्म के अंतर्गत आने वाले लोग भगवान बुध के द्वारा दिए गए उपदेश की पालना करते हैं, जिसके लिए उन्हें दुनिया भर में बौद्ध धर्म के लिए जाना जाता है।

Buddha Dharm History in Hindi
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भगवान बुद्ध के अनुयायियों ने विभिन्न दिशाओं में अलग-अलग देशों की यात्रा करके बौद्ध धर्म का प्रचार और प्रसार किया, जिनमें से कुछ या अनुयाई सफल भी हुए थें। बौद्ध धर्म अहिंसा का पाठ पढ़ाता है जिससे व्यक्ति जीवन में कभी भी हिंसा का सहारा नहीं लेता है।

बौद्ध धर्म भगवान बुध के द्वारा दिए गए उपदेश तथा धर्म के अंतर्गत आने वाले नियम और नियमों की पालना करने के लिए जाना जाता है। यह धर्म मुख्य रूप से एशियन देशों में स्थापित है, जिनमें सबसे ज्यादा नेपाल, चाइना, कोरिया तथा म्यामार एवं श्रीलंका भी शामिल है।

भारत के उत्तर दक्षिण क्षेत्रों में भी विशेष रूप से बौद्ध धर्म के लोग रहते हैं। बौद्ध धर्म के अनुयाई भी सन्यासी जीवन यापन करते हैं। मोह माया संपत्ति तथा गृहस्ती जीवन से दूर रहते हैं और हिंदू धर्म की तरह भगवा वस्त्र धारण करते हैं। तो आइए बौद्ध धर्म के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं।

बौद्ध धर्म क्या है? इसका इतिहास तथा नियम | Buddha Dharm History in Hindi

भगवान बुद्ध का परिचय

बौद्ध धर्म का इतिहास तथा उद्भव जानने से पहले भगवान बुध का परिचय जान लेना आवश्यक है क्योंकि भगवान बुद्ध नहीं बौद्ध धर्म की स्थापना की थी। बता दें कि भगवान बुद्ध को बचपन में गौतम बुद्ध, सिद्धार्थ इत्यादि विभिन्न प्रकार के नामों से जाना जाता था।

भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन नेपाल के लुम्बिनी में ईसा पूर्व 563 को हुआ। भगवान बुद्ध नए एक शक्तिशाली शासक के घर में जन्म लिया था। बुद्ध के पिता का नाम कपिलवस्तु था तथा उनकी माता का नाम महारानी महामाया देवी था। भगवान बुद्ध की पत्नी का नाम यशोधरा और उनके पुत्र का नाम राहुल था।

भगवान बुद्ध 528 ईसा पूर्व अपने जन्म स्थान और नेपाल से भारत के बोधगया में सत्य की खोज के लिए निकल गए थें। यहां पर ही उन्होंने सत्य की खोज की तथा बुद्ध धर्म की स्थापना की थी।

भगवान बुद्ध की मृत्यु 484 ईसा पूर्व 80 वर्ष की आयु में भारत के कुशीनगर में हो गई थी। यहां पर आज भी भगवान बुध के मंदिर बने हुए हैं और भगवान बुद्ध की विभिन्न प्रकार की मूर्तियां देखने के लिए मिल जाती हैं। विशेष रूप से भारत के बिहार राज्य में भगवान बुद्ध लंबे समय से रहे थें। इसलिए वर्तमान समय में यहां पर बौद्ध धर्म का प्रभाव देखने को मिलता है।

भगवान बुद्ध जब पैदा हुए थें, तब ज्योतिष गणना के अनुसार ज्योतिष ने कहा कि यह बड़े होकर या तो सबसे बड़े शासक बनेंगे या सबसे बड़े महात्मा बनेंगे। ऐसी स्थिति में उनके पिता राजा कपिलवस्तु को लगा कि कहीं वह बड़ा होकर सन्यासी ना बन जाए। इस वजह से उन्होंने भगवान बुद्ध को हमेशा महल के भीतर ही रखा और हमेशा राज्य से ठाठ बाट और हर तरह के राजसी सुख का आनंद दिया।

लेकिन जब वे एक दिन चुपके से अपने साथी के साथ बाहर निकले, तब उन्होंने लोगों को रोते हुए देखा, मरे हुए लोगों की यात्रा देखी और अपने साथी से पूछा कि यह क्या हो रहा है? और क्या यह हमारे साथ भी होगा? तब साथी ने कहा कि यह सब के साथ होगा। ऐसा सुनते ही भगवान बुद्ध का हृदय परिवर्तित हो गया और वे सत्य की खोज में निकल पड़ें।

बौद्ध धर्म का इतिहास

भगवान बुद्ध सत्य की खोज के लिए भारत के बिहार राज्य में पहुंचे। यहां पर उन्होंने सत्य की खोज के लिए भारत भ्रमण किया और भारत की परंपरा और दर्शन तथा धर्म से बौद्ध धर्म की स्थापना की। इसके बाद भगवान बुद्ध को बौद्ध धर्म का संस्थापक कहा जाने लगा।

भगवान बुद्ध का जन्म लुंबिनी नामक गांव में हुआ था जो वर्तमान समय में नेपाल में स्थित है। भगवान बुद्ध ने विभिन्न प्रकार के उपदेश दिए और विभिन्न प्रकार का ज्ञान लोगों को दिया, जिसके बाद उनकी मृत्यु के पश्चात संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप में 5 शताब्दियों तक बौद्ध धर्म का प्रचार व प्रसार देखने को मिला।

पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में अगले 2000 सालों में बुद्ध धर्म पूरी तरह से फैल चुका था। समय के साथ बौद्ध धर्म के भीतर ही मतभेद होते गए, जिसकी वजह से 3 संप्रदाय का जन्म हुआ, जिन्हें वर्तमान समय में थेरवाद, महायान और वज्रयान नाम से जाना जाता है।

आज के समय में पूरी दुनिया में बौद्ध धर्म की जनसंख्या करीब 40 करोड़ के आसपास है। इसी आंकड़े के आधार पर यह धर्म वर्तमान समय में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है, जो मुख्य रूप से भारतीयों को महादेव तथा एशियन देशों में निवास करता है। इसके अलावा दुनिया भर में बहुत ही कम आबादी के रूप में बौद्ध धर्म के लोग देखने के लिए मिल जाते हैं।

बौद्ध धर्म के अंतर्गत वैशाख माह की पूर्णिमा को एक अत्यंत पवित्र दिन माना जाता है क्योंकि इसी दिन भगवान बौध्द का जन्म हुआ था। इस दिन बौद्ध धर्म के लोग दान पुण्य करते हैं। सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और अपने धर्म से संबंधित विभिन्न प्रकार के कार्य करते हैं।

भगवान बुद्ध को विष्णु भगवान का अवतार माना जाता है। आपको बताते हैं कि जिस शुक्ल पक्ष की वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन भगवान बुध का जन्म हुआ था, उसी दिन भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसीलिए उन्होंने इसी दिन देह त्याग दी थी। इसीलिए वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध की जयंती और निर्वाण दिवस भी मनाया जाता है।

भगवान बुद्ध के सिद्धान्त

भगवान बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना करने के बाद धर्म को सुचारू रूप से चलाने के लिए बौद्ध धर्म के अंतर्गत आर्थिक, बौद्धिक, सामाजिक, स्वतंत्रता, समानता और राजनीतिक से संबंधित उच्च शिक्षा प्रदान की, जिसके अनुसार बौद्ध धर्म के अनुयाई पालना करते हैं।

बौद्ध धर्म के अंतर्गत पुनर्जन्म को स्वीकार किया गया है तथा ईश्वर को भी माना गया है। भगवान बुद्ध ने सांसारिक दुखों के संबंध में चार आर्य सत्य का उपदेश दिया है, जो बौद्ध धर्म का मूल आधार है।

दुःख: इस उपदेश के तहत भगवान बुद्ध ने कहा कि संसार में हर जगह दुख है। जीवन दुख और कष्टों से भरा हुआ है। जहां पर भी जाएंगे वहां पर आपको दुख ही दुख दिखाई देगा।

दुःख समुदाय: भगवान बुद्ध ने दुख के विषय में कहा कि दुख उत्पन्न होने के कारण अलग अलग हो सकते हैं क्योंकि प्रत्येक विषय वस्तु का कोई न कोई कारण अवश्य होता है। इसी प्रकार दुख का भी एक कारण होता है।

दुःख निरोध: भगवान बुद्ध ने दुख की परिभाषा को व्यक्त करते हुए कहा कि दुख का अंत संभव है। लेकिन इसके लिए व्यक्ति को कृष्णा एवं अविद्या का नाश करना होगा। ऐसा करके दुखों का अंत किया जा सकता है।

दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा: भगवान बुद्ध ने दुख का निर्वाहन करने के लिए कहा है कि अष्टांगिक मार्ग ही दुखों को दूर कर सकता है।

महात्मा बुद्ध के उपदेश

  • एक पल एक दिन को बदल सकता है। एक दिन एक जीवन को बदल सकता है और एक जीवन इस दुनिया को बदल सकता है।
  • हर सुबह हम पुनः जन्म लेते हैं। हम आज क्या करते हैं यही सबसे अधिक मायने रखता है।
  • क्रोध को प्यार से, बुराई को अच्छाई से, स्वार्थी को उदारता से और झूठे व्यक्ति को सच्चाई से जीता जा सकता है।
  • जो व्यक्ति अपना जीवन को समझदारी से जीता है उसे मृत्यु से भी डर नहीं लगता।
  • पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है।
  • हर इंसान को यह अधिकार है कि वह अपनी दुनिया की खोज स्वंय करें।
  • तुम्हारा रास्ता आकाश में नहीं है। रास्ता दिल में है।
  • अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें, दूसरों पर निर्भर ना रहे।
  • हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाये।
  • शांति अन्दर से आती है, इसे बाहर मत खोजो।

बौद्ध धर्म की विशेषताएं

बौद्ध धर्म के लोग अनाथ मावाद को मानते हैं। भगवान बुद्ध ने आत्मा बाद का अर्थ इस प्रकार बताया है कि संसार में ना तो कोई आत्मा है और ना ही आत्मा की तरह कोई दूसरी विषय वस्तु मौजूद है।

बौद्ध धर्म और हिंसा का पाठ पढ़ाता है और पशुओं की रक्षा पर जोर देता है। महात्मा बुद्ध के अनुसार बौद्ध धर्म की विशेषता यह है कि मानव स्वयं अपने भाग्य का निवारण करता है। इसमें ईश्वर का कोई हस्तक्षेप नहीं होता है। बौद्ध धर्म ईश्वर की प्रमाणिकता और वेदों पर विश्वास नहीं रखता है।

बौद्ध धर्म के अनुसार चार प्रमुख स्थलों को बौद्ध तीर्थ स्थल माना गया है। संपूर्ण विश्व के बौद्ध धर्म के लोग अपने धर्म के अंतर्गत इन चार स्थानों की यात्रा अवश्य करते हैं। बौद्ध धर्म के प्रमुख, प्रसिद्ध एवं पवित्र स्थल — लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ तथा कुशीनगर।

लुंबिनी बौद्ध धर्म का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है क्योंकि इसी जगह पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था यह नेपाल में स्थित है। बोधगया यहां पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, यह भारत के बिहार राज्य में है तथा कुशीनगर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में और सारनाथ उत्तर प्रदेश के काशी में स्थित है।

निष्कर्ष

बौद्ध धर्म दुनियाभर में अहिंसा का पाठ पढ़ाने और सत्य तथा मानव कल्याण के लिए जाना जाता है। समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए और विभिन्न प्रकार के ज्ञान और उपदेश के लिए बौद्ध धर्म का प्रचार समय-समय पर भगवान बुद्ध के अनुयायियों द्वारा किया गया था, जिनमें भारत के मौर्य वंश के चक्रवर्ती सम्राट अशोक भी शामिल थें। जिन्होंने कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार को देखने के बाद हृदय परिवर्तन करके बौद्ध धर्म अपना लिया और दुनिया भर में बौद्ध धर्म का प्रचार किया था।

आज के इस आर्टिकल में हम आपको बौद्ध धर्म क्या है? इसका इतिहास तथा नियम (Buddha Dharm History in Hindi) बता चुके हैं। हमें उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हुई होगी। अगर आपका इस आर्टिकल से संबंधित कोई भी प्रश्न है, तो आप नीचे कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। हम आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर समय पर देने की पूरी कोशिश करेंगे।

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