Biography of Mary Kom in Hindi: मैरी कॉम का नाम हम सभी जानते है, यह एक ऐसी महिला खिलाड़ी है, जिन्होंने अपने खेल से कई महान उपलब्धियों को प्राप्त किया है और भारत को गौरवान्वित किया है। मैरी कॉम भारतीय महिला बॉक्सर है।
आज इन्हे पूरा देश जानता है, इन्होने बॉक्सिंग में कई मेडल प्राप्त किये है। 2012 में हुए ओलंपिक में भी क्वालीफाई किया था और ब्रोंज मैडल हासिल किया था। इसके साथ ही मैरी कॉम ने 5 बार वर्ल्ड बॉक्सर चैम्पियनशीप जीती है। आज हम आपको मैरी कॉम बायोग्राफी से जुड़ी सभी जानकारियां इस पोस्ट में बताने जा रहे है।
मैरी कॉम का जीवन परिचय (Biography of Mary Kom in Hindi)
नाम | मैरी कॉम |
पूरा नाम | मांगते चुंगनेजंग मैरी कॉम |
जन्म और स्थान | 1 मार्च 1983, कन्गथेइ, मणिपुरी (भारत) |
माता-पिता | अक्हम कोम (माता), तोंपा कोम (पिता) |
पति | ओंखोलर कोम |
बच्चे | 3 लड़के |
शिक्षा | ग्रेजुएशन |
कोच | चार्ल्स अत्किनसन, गोपाल देवांग, रोंगमी जोसिया, एम् नरजीत सिंह |
पेशा | बॉक्सर |
मैरी कॉम का जन्म
मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 में कन्गथेइ, मणिपुरी, भारत में हुआ था। इनका पूरा नाम मांगते चुंगनेजंग मैरी कॉम है। इनके पिता गरीब किसान थे। इनके चार भाई बहनों में यह सबसे बड़ी हैं। इनके पिता का नाम तोंपा कोम है और माता का नाम अक्हम कोम है।
इन्होने अपने माता-पिता का काम में साथ दिया, उसके साथ ही भाइयों की भी देखभाल करती थी। खेल की दुनिया में इनके कोच चार्ल्स अत्किनसन, गोपाल देवांग, रोंगमी जोसिया, एम् नरजीत सिंह रहे है, जिन्होंने इनको इस मुकाम तक पहुंचने में मदद की।
मैरी कॉम की पर्सनल लाइफ
मैरी कॉम की सबसे पहले मुलाकात 2001 में ओन्लर से दिल्ली में हुई थी, जब वह पंजाब में नेशनल गेम्स के लिए जा रही थी। ओन्लर उस समय दिल्ली में लॉ पढ़ रहे थे। इन्होंने एक दूसरे को देखा और इन दोनों के बीच चार साल तक दोस्ती रही।
उसके बाद 2005 में दोनों ने शादी कर ली, जिसके बाद 2007 में इन्हे 2 जुड़वाँ बेटों का जन्म हुआ था और 2013 में एक और बेटे का जन्म हुआ।
मेरी कॉम की शिक्षा
मैरी कॉम की 6th क्लास तक की पढाई ‘लोकटक क्रिस्चियन मॉडल हाई स्कूल’ से हुई। इसके बाद वह संत ज़ेवियर कैथोलिक स्कूल में भर्ती हो गई और यहां से कक्षा आठवीं तक पढाई की। इसके बाद आदिमजाति हाई स्कूल से मेरी ने 9th और 10th की परीक्षा दी, जिसमें वह उतीर्ण नहीं हो पाई।
इसलिए उन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी और NIOS की परीक्षा दी। इसके बाद इन्होंने इम्फाल के चुराचांदपुर कॉलेज से ग्रेजुएशन से पूरा किया। उसके बाद वह खेल से जुड़ गयी और बॉक्सिंग की तैयारी में जुट गयी।
मैरी कॉम का प्रारंभिक करियर
मैरी कॉम का बचपन से एक सपना था कि वह एथलेटिक्स ने खेले और भारत के लिए मेडल हासिल करें। उन्होंने सन 1999 में खुमान लंपक स्पोर्ट्स कंपलेक्स में उन्होंने देखा कि कुछ लड़कियां लड़कों के साथ बॉक्सिंग रिंग में दांवपेच आजमा रही हैं। उन्होंने यह देख कर ठान लिया कि मैं भी कुश्ती ही लडूंगी और उन्होंने इस खेल में जाने का सोच लिया।
इतना सब कुछ देखने के बाद मैरी कॉम ने अपने बॉक्सिंग करियर की शुरुआत सन 2000 अर्थात 18 वर्ष की उम्र में ही कर दी थी। बॉक्सिंग में आने के लिए उन्होंने बहुत कठिन मेहनत की। इनके परिवार वाले इनको बॉक्सिंग करने के लिए रोकते थे। परंतु बॉक्सिंग के लिए वह अपने परिवार वालों से भी लड़ बैठी थी और वह आज किस बुलंदियों को छू रही हैं, वह पूरा भारत देख सकता है।
मैरी कॉम बॉक्सिंग की ट्रेनिंग अपने घरवालों को बिना बताए 16 वर्ष की अवस्था से ही ले रही थी। जब वह 2000 में वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप मणिपुर में जीत हासिल की तब उन्हें एक बॉक्सर का अवार्ड मिल गया और वहां के सभी समाचार पत्रों में छप गया कि मैरीकॉम ने बॉक्सिंग में जीत हासिल की है। जब उनके परिवार वालों ने दूसरों के मुख से अपनी बेटी की बढ़ाई सुनी और अखबारों में भी पढ़ा तब वह बहुत खुश हुए और तब जाकर उन्हें अपनी बेटी के बॉक्सिंग करियर के बारे में पता चला।
इसके बाद उन्होंने पश्चिम बंगाल में आयोजित वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता, जिसके बाद उन्होंने अपने राज्य मणिपुर का नाम रोशन कर दिया और 19 वर्ष की अवस्था में मैरी कॉम ने अपना करियर अंतर्राष्ट्रीय लेवल पर शुरू किया। सबसे पहले उन्होंने यूनाइटेड स्टेट अमेरिका में आयोजित IABA में 48 किलोग्राम के वजन वाले कैटेगरी में हिस्सा लिया और वहां भी उन्होंने दूसरे स्तर से जीत हासिल की तथा वहां पर उन्हें सिल्वर मेडल मिला।
अमेरिका में दूसरे स्थान पर जीत हासिल करने के बाद उन्होंने तुर्की में आयोजित AIBA विमेन बॉक्सिंग चैंपियन में हिस्सा लिया और वहां पर भी वह विजयी रही और तुर्की से भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर लाई थी। सन 2002 के जीत के बाद 2003 उन्होंने में भारत में ही आयोजित एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 40 किलोग्राम के वजन वाले कैटेगरी में हिस्सा लिया और वहां पर भी गोल्ड मेडल जीता।
2003 की जीत के बाद सन 2005 में जब ताइवान में एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप रखा गया तो वहां पर भी उन्होंने 46 किलोग्राम वेट कैटेगरी में हिस्सा लिया और वहां पर भी गोल्ड मेडल जीतकर भारत तथा अपने राज्य का नाम रोशन किया।
सन 2006 में वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप जो कि डेनमार्क में आयोजित था, उसमें भी मैरी कॉम ने हिस्सा लिया था। वहां पर भी विनस वूमेन बॉक्स के द्वारा सिल्वर मेडल जीता। सन 2006 के बाद सन 2008 में भारत में ही आयोजित एशियन विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मैरी कॉम ने सिल्वर मेडल जीता।
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2010 में कजाकिस्तान में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में मैरीकॉम ने हिस्सा लिया और वहां पर भी गोल्ड मेडल जीता। इसके साथ ही साथ इस जीत के बाद मैरी कॉम ऐसी महिला बन गई, जो लगातार पांचवी बार AIBA विमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।
सन 2010 में ही भारत में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन किया गया था तब ओपनिंग सेरेमनी में विजेंद्र सिंह के साथ मैरी कॉम का भी नाम था। इस गेम में वूमेन बॉक्सिंग गेम का आयोजन नहीं था, जिसके कारण से मैरी कॉम इस कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन में हिस्सा ना ले पाई थी।
इसके बाद सन 2011 में आयोजित एशियन वूमेन कप में मैरीकॉम ने गोल्ड मेडल जीता और वहां पर भी भारत का नाम रोशन किया। 2011 के बाद सन 2012 में मंगोलिया में आयोजित एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में इस बार उन्होंने 51 किलोग्राम वेट कैटेगरी में भाग लिया और वहां भी गोल्ड मेडल जीता।
2012 की इस जीत के बाद मैरी कॉम ने सन 2014 में होने वाले साउथ कोरिया में आयोजित एशियन गेम्स के प्राइवेट में 48 से लेकर 52 किलोग्राम वेट में हिस्सा लिया, वहां पर उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। इस गोल्ड को जीतकर इतिहास रच दिया।
इसी तरह मैरी कॉम ने अपने जीवन भर में कई गोल्ड मेडल अपने नाम के साथ दुनिया भर में भारत एवं अपने राज्य मणिपुर का नाम रोशन कर दिया। इतना सब कुछ उन्होंने अपने इतनी कम उम्र में ही प्राप्त कर लिया, जिसके पीछे का राज उनकी कड़ी मेहनत थी।
इसके बाद उन्होंने 2014 में होने वाले साउथ कोरिया में आयोजित एशियन गेम्स में वीमेन फ्लाईवेट (48-52kg) में भाग लेकर गोल्ड मैडल जीतकर इतिहास रच दिया। इस तरह से उन्होंने अपने जीवन में कई गोल्ड मेडल अपने नाम किये और दुनियाभर में अपना व अपने देश का नाम रोशन किया है। यह सब उन्होंने बहुत ही कम उम्र में प्राप्त किया।
मैरी कॉम अवार्ड्स (Mary Kom Awards)
मैरी कॉम को अपने जीवन में कई अवार्ड्स मिले है और उन्हें कई प्लेटफार्म पर सम्मानित किया गया है।
अवार्ड | वर्ष |
अर्जुन अवार्ड | 2003 |
पद्म श्री अवार्ड | 2006 |
राजीव गाँधी खेल रत्न | 2007 |
लिम्का बुक रिकॉर्ड द्वारा पीपल ऑफ़ दी इयर | 2007 |
AIBA द्वारा ‘मैग्निफिसेंट मैरी’ | 2008 |
राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड | 2009 |
सहारा स्पोर्ट्स अवार्ड | 2010 |
पद्म भूषण | 2013 |
मैरी कॉम के जीवन पर बनी फिल्म
मैरी कॉम के जीवन पर एक फिल्म भी बनाई गयी थी, जिसमें उनके जीवन को दर्शाया गया है। फिल्म का नाम “मैरी कॉम” रखा गया। इसे ओमंग कुमार ने बनाया था, जिसे 5 सितम्बर 2014 में रिलीज़ किया गया था। इस फिल्म में इनका किरदार प्रियंका चोपड़ा ने निभाया था। जिसमें उनकी अदाकारी देखने लायक थी। यह फिल्म काफी सफल रही थी।
मैरी कॉम सोशल मीडिया
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FAQ
मैरी कॉम का पूरा नाम मांगते चुंगनेजंग मैरी कॉम है।
मैरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 में कन्गथेइ, मणिपुरी, भारत में हुआ था।
3 लड़के
मणिपुर (भारत)
अक्हम कोम (माता), तोंपा कोम (पिता)
अंतिम शब्द
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