भारत अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है, इसकी सभ्यता सबसे पुरानी सभ्यता है। यह देश विविधताओं में एकता वाला देश है। यहां पर हर कदम कदम पर लोगों की भाषा, बोली उनके रहन-शहन, उनके परंपरा, उनके रिवाज, त्यौहार सब कुछ बदल जाते हैं। लेकिन एक दूसरे के प्रति प्यार और भाईचारा नहीं बदलता।
यह ऐसा देश है, जहां पर भले ही कदम कदम पर सब कुछ बदल जाए लेकिन लोगों की संस्कृति समान रहती है। यह ऐसा देश है, जहां पर लगभग 1650 से भी ज्यादा बोलियों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसा देश देश है, जो वसुदेव कुटुंबकम को मानता है। अर्थात यह पूरे विश्व को ही अपना मेहमान समझता है।

यही कारण है कि भारत आने वाला हर एक विदेशी यहां अपनों जैसा महसूस करता है। वैसे आज भले ही भारत को हिंदुस्तान, इंडिया, हिंदी जैसे कई नाम से बुलाया जाता हो लेकिन भारत का सबसे प्राचीन नाम भारत ही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा? यदि आप जानना चाहते हैं कि हमारे देश का नाम भारत कैसे पड़ा तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
भारत देश का नाम “भारत” कैसे पड़ा?
भारत का नाम भारत कैसे पड़ा, इसके ऊपर अलग-अलग विद्वानों के अलग-अलग मत हैं। कुछ इतिहासकार अलग कारण बताते हैं तो कुछ इतिहासकार दूसरा कारण बताते हैं। हम एक-एक करके सभी कारण को जानते हैं।
दसराज युद्ध के अनुसार
भारत का नाम भारत पढ़ने का एक कारण दसराज युद्ध को भी बताया जाता है। दसराज युद्ध का जिक्र भारत की प्राचीनतम वेद ग्रंथ ऋग्वेद के सातवें मंडल के 8 श्र्लोक में किया गया है। यह युद्ध आज के पंजाब राज्य के रावी नदी के तट पर 10 राजाओं के महासंघ जिनके सलाहकार ऋषि विश्वामित्र थे और भारत नामक समुदायों के बीच लड़ा गया था।
भारत नामक समुदाय का नेतृत्व तृत्सु नामक क़बीले के राजा सुदास कर रहें थे, जिनके प्रेरक ऋषि वशिष्ठ थे। इस युद्ध में भारत कबीले ने 10 राजाओ के महासंघ पर विजय प्राप्त किया। इस युद्ध में भारत नामक समुदायों की विजय के बाद उनकी प्रसिद्धि चारों तरफ फैलने लगी।
इन लोगों ने उत्तर भारत के उपमहाद्वीप के आर्य लोगों पर भी अधिकार बना लिया और फिर वे लोग भी खुद को भारत समुदाय का मानने लगे और इस तरह आगे चलकर पूरा देश का नाम ‘भारत’ पड़ गया।
महाभारत और भरत चक्रवर्ती के अनुसार
भारत का नाम भारतवर्ष पड़ा, इसका प्रमाण महाभारत में भी है, जिसके अनुसार राजा भरत चक्रवर्ती के नाम पर भारत का नाम भारत पड़ा। प्राचीन काल में भारत चक्रवती एक महान राजा हुए, जो राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के बेटे थे। राजा दुष्यंत हस्तिनापुर के राजा थे, जो कौरवों और पांडवो के पूर्वज थे और यही क्षत्रिय वर्ण के वंशज थे।
कहा जाता है भारत चक्रवती इतने शक्तिशाली राजा थे कि इन्होंने भारत के संपूर्ण साम्राज्य को ही जीत लिया था और एक संगठित राज्य की स्थापना की थी, जिसका नाम उन्होंने भारतवर्ष रखा था। इस प्रकार भारत का नाम भारत वर्ष पड़ा।
ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के आधार पर
दूसरे प्रमाण में जाना कि भारत का नाम राजा भरत के नाम पर पड़ा, जो राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के पुत्र थे। लेकिन कुछ इतिहासकार भारत का नाम जिस चक्रवती महाराज भरत के नाम पर बताते हैं, वह भरत राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र नहीं बल्कि ऋषभदेव और जयंती के पुत्र बतलाए जाते हैं। ऋषभदेव जैन धर्म के प्रथम तिर्थकर थे। ऋषभदेव महाराज नाभि और नीरुदेवी के पुत्र थे, जिन्होनें ऋषभदेव को संतान के रूप में पाने के लिए अज्ञय करवाया था।
ऋषभ देव का विवाह जंयती से हुआ था, जो देवराज इंद्र की कन्या थी। ऋषभदेव और जयंती के कुल 100 पुत्र थे, जिनमें से भरत सबसे बड़े पुत्र थे। आगे चलके यह बहुत महान सम्राट हुए और इन्हीं के नाम पर देश का नाम भरत पड़ा। हालांकि उससे पहले भारत को ‘अजनाभवर्ष’ के नाम से बुलाया जाता था। ‘अजनाभ ऋषभदेव के पिता नाभि का ही दूसरा नाम था।
क्या देश का नाम बदला जाएगा?
कुछ साल पहले संविधान के अनुच्छेद 1 में दर्ज ‘इंडिया दैट इज भारत’ को बदलकर केवल भारत करने की बहस छिड़ी। याचिकाकर्ता की मांग थी कि इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से बना हुआ है, इसीलिए इस नाम को हटाकर केवल भारत ही रखना चाहिए।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि संविधान में पहले से ही भारत का जिक्र किया गया है। अब संविधान में लिखा ‘इंडिया डैट इज भारत को नहीं बदला जा सकता और ना ही इस मामले में कोई दखल देना चाहिए।
FAQ
हिंदू ग्रंथ और स्कंद पुराण के अनुसार भारत का नाम भारत वर्ष भरत चक्रवर्ती के नाम पर पड़ा जो ऋषभदेव के पुत्र थे।
भारत का नाम पुराने ग्रंथ ऋग्वेद में भारतवर्ष के बारे में बताया गया है, जिसके सातवें मंडल के आठवीं श्लोक में वर्णित दशराज्ञ युद्ध में भारत का नाम भारत वर्ष बताया गया है।
भारत का नाम हिंदुस्तान भारत आए मुस्लिम सेनानियों के कारण पड़ा है।
भारत आए यूनानी ने भारत को इंडिया कहा। इंडिया इंडस नदी के नाम पर पड़ा है। इंडस नदी सिंधु नदी है, जिसे अंग्रेजी में इंडस नदी कहा जाता है। सिंधु सभ्यता के कारण भारत का पुराना नाम सिंधु था लेकिन लेटिन भाषा में इसे बदलकर इंडिया कहा जाने लगा।
भरत चक्रवर्ती प्राचीन काल में एक महान और शक्तिशाली राजा हुए थे, जो राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के पुत्र थे। इनका जिक्र महाभारत में किया गया है और इन्हीं के नाम पर भारत का नाम भारतवर्ष पडने का प्रमाण है।
हां, सिंधु नदी तिब्बत के मानसरोवर से निकलते हुए भारत और पाकिस्तान में बहते हुए अरब सागर में गिरती है।
हमें लगता है कि केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत से विभाजित हुआ है। लेकिन केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश ही नहीं बल्कि कुल 15 देश भारत से अलग हुए हैं, इससे आप समझ सकते हैं कि प्राचीन समय में भारत कितना बड़ा देश रहा होगा।
भारत की राजधानी न्यू दिल्ली है। लेकिन दिल्ली से पहले भारत की राजधानी कोलकाता हुआ करता था, जो 1912 में बदलकर दिल्ली हो गया।
निष्कर्ष
एक भारतीय होने के नाते हर एक भारतीय को अपने देश के इतिहास के बारे में जानकारी रखनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि इस लेख के जरिए आपको पता चल गया होगा कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा।
इस लेख को अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म के जरिए अन्य लोगों में ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि हर किसी को भारत के नाम के इतिहास के बारे में पता चल सके। यदि आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव है तो कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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