बाढ़ और राहत बचाव कार्य (तेनालीराम की कहानी) | Baadh Aur Bachav Karya Tenali Rama ki Kahani
एक समय की बात है, राजा कृष्णदेव राय के राज्य में सावन का सुनहरा मौसम था। खूब बारिश हो रही थी और धीरे-धीरे करके बारिश इतनी बढ़ने लगी कि बारिश का पानी बाढ़ का रूप लेने लगा। राजा कृष्णदेव राय के राज्य में कई गांव बाढ़ से पीड़ित धीरे-धीरे होने लगे और कई गांव बाढ़ के कारण खाली होना शुरू हो गए।
तब राजा कृष्ण देव राय को अपने राज्य की चिंता होने लगी धीरे-धीरे करके सावन का महीना पूरा हुआ और बारिश होना बंद हुई। तब राजा कृष्णदेव राय दरबारी को बुलाया और कहा जितने भी गांव बाढ़ से पीड़ित हैं, उनका राहत बचाव कार्य किया जाए और जितने भी धन की आवश्यकता हो वह धन हमारे राज्य के राजकोष से लिया जाए।
अपने दरबारियों में से एक मंत्री को उस राहत बचाव कार्य का मार्गदर्शन हेतु भेजा गया। जब उस मंत्री ने राजकोष का धन देखा तो उसके मन में लालच आ गया और उसने राहत बचाव कार्य करने के बजाए, उस धन को अपने पास ही रख लिया और कुछ समय के लिए दरबार जाना बंद कर दिया। सारे दरबारी सोचते रहे कि वह राहत बचाव कार्य में व्यस्त है।
यह बात देख कर तेनाली रामा कुछ संतुष्ट नहीं हुए और उसी दिन में राजा के समक्ष अपना दिनचर्या का कार्य करते और शाम के समय वह राज्य का ब्यौरा करने जाते कि राहत बचाव कार्य कैसा चल रहा है और वापस आ जाते कुछ समय बाद मंत्री जी आए और अपने किए गए कार्यों को बढ़ा चढ़ा कर बताने लगे।
यह सुनकर तेनाली रामा अंदर अंदर हंसने लगे। बाहर उनकी हां में हां मिलाते रहे। कुछ समय बाद जब सब दरबारी अपने घर जाने लगे तो तेनाली रामा वहां रुक गए और यह देख कर राजा जी ने पूछा कि तेनाली रामा आज आप यहां क्यों हैं, घर नहीं गए।
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तब तेनाली रामा ने कहा कि राजा जी आपने मंत्री जी की प्रशंसा आज सही से नहीं की थी। आपको प्रजा के बीच जाकर मंत्री जी की प्रशंसा करनी चाहिए। यह सुनकर राजा जी ने कहा हम कल ही प्रजा के बीच चलकर उनकी प्रशंसा करेंगे और दूसरे दिन राजा जी, तेनाली रामा और सभी दरबारी वहां उस मंत्री की प्रशंसा करने के लिए दरबार से राज्य की ओर निकल जाते हैं।
जैसे ही वह पहले राज्य में पहुंचते हैं तो उन्हें शाहीबाग के सारे वृक्ष गायब मिलते हैं। तब एक दरबारी ने पूछा कि सारे वृक्ष कहां गए तो तेनाली रामा जी बीच में बोले की वृक्ष तो शायद तक बाढ़ में बह गए होंगे। यह सुनकर वह सभी आगे चल दिए थोड़ी देर बाद उन्होंने आगे नाले देखें तो राजा जी ने कहा कि मैंने इन पर बांध बनाने का कहा था।
वह बांध कहां गए और यह शाहीबाग के वृक्ष यहां क्या कर रहे हैं। तब तेनाली रामा ने कहा की शायद बाढ़ में बह कर वहां से यहां आ गए होंगे। यह सुनकर राजा थोड़े चिंतित हुए और आगे चल दिए। आगे एक गांव में पहुंच कर उन्होंने देखा कि लोग अपने घरों की छतों पर अथवा वृक्षों पर अपना गुजारा कर रहे थे और सारे गांव मैं बाढ़ का पानी जैसा था, वैसा ही पड़ा था।
तब यह देख कर राजा जी को अत्यंत गुस्सा आ गया और उस मंत्री को वहीं पर उसे खरी खोटी सुनाने लगे। तब मंत्री बोला राजा जी हमें क्षमा करें। मैं लालच में आ गया था और मुझसे गलती हो गई। उसके बाद राजा जी ने राहत बचाव का कार्य तेनाली रामा को सौंप दिया और राज्य का पूरा लेखा-जोखा भी उन्हें सौंप दिया। इस कार्य हेतु उन्हें बहुत से उपहार भी दिए गए।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है कि जब कोई व्यक्ति आप पर अत्यंत विश्वास करता हो तो आप भी उस विश्वास पर खरे उतरना चाहिए, उस व्यक्ति के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए
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