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आम का पेड़ (अकबर बीरबल की कहानी)

आम का पेड़ (अकबर बीरबल की कहानी) – Aam ka Ped

एक बार बादशाह अकबर के दरबार में दो भाई राम और श्याम आये। आम के पेड़ का मालिक होने के लिए दोनों भाई आपस में लड़ रहे थे।

राम ने कहा “बादशाह! मैंने आम का पेड़ लगाया है।”

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श्याम ने कहा “बादशाह! मैंने भी आम का पेड़ लगाया है। अब आम के पेड़ पर आम आ गया तो राम मेरे आम के पेड़ को छीनना चाहता है।”

Aam ka ped
Aam ka ped

बादशाह अकबर के दरबार में भी दोनों भाई एक दूसरे लड़ने लगे। बादशाह अकबर को यह साबित करने का सुझाव भी नहीं मिला कि दोनों में से कौन आम के पेड़ का असली मालिक है।

बादशाह अकबर ने बीरबल को इस समस्या हल करने के लिए कहा।

बीरबल ने कहा “आम के पेड़ को दो भाइयों के बीच दो बराबर भागों में काटो।”

बीरबल की बात सुनकर राम खुश नहीं हुआ। क्योंकि राम पूरे आम के पेड़ पर आपना अधिकार चाहता था। लेकिन श्याम तो पेड़ काटने की बात सुनकर ही बहुत परेशान हो गया।

श्याम ने बीरबल से कहा “मैं पेड़ कटते हुए नहीं देख सकता। मैंने 5 साल तक पेड़ का पालन पोषण किया है।

बीरबल ने कहा “बादशाह अकबर आम के पेड़ का असली मालिक श्याम हैं।”

क्योंकि श्याम ने पूरे 5 साल तक पेड़ का पालन-पोषण किया और केवल श्याम ने ही पेड़ के काटने की बात पर चिंता जताई थी। राम को पेड़ काटने से कोई परेशानी नहीं हुई, जिसने पेड़ की सेवा की है। वह पेड़ के काटने की बात से ही परेशान होकर अपने मालिक होने का दावा छोड़ दिया। वहीं पेड़ का महत्त्व समझ सकता हैं, जिसे पेड़ से लगाव हो।

बीरबल के बातों को सुनकर बादशाह अकबर और सभी दरबारी सहमत थे।

बादशाह अकबर ने आम के पेड़ का मालिकाना हक़ श्याम को दे दिया।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?

इस कहानी से में यह सीख मिलती है कि सच्चा मालिकाना हक जिम्मेदारियों के साथ आता है।

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