योगी पहले क्यों रोया फिर क्यों हँसा? (बेताल पच्चीसी तेईसवीं कहानी) | Yogi Pehle Kyon Roya Phir Kyon Hansa Vikram Betal ki Kahani
कई बार कोशिश करने के बाद भी विक्रमादित्य बेताल को अपने साथ ले जाने में असफल हुए। फिर भी उन्होंने हार नही मानी और पेड़ के पास जाकर बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर बिठाकर ले गए। अब शर्त के अनुसार बेताल ने फिर से कहानी सुनाना शुरू कर दिया और इस बार कहानी थी-योगी पहले क्यों रोया फिर क्यों हँसा?
योगी पहले क्यों रोया फिर क्यों हँसा? (बेताल पच्चीसी तेईसवीं कहानी)
कलिंग देश मे शोभावती नाम का एक सुंदर नगर था। शोभावती नगर के राजा का नाम प्रदुम्न था। उसी नगर में एक ब्राह्मण भी रहा करता था। ब्राह्मण के एक देवसोम नाम का बड़ा ही योग्य पुत्र था। देवसोम मात्र सोलह वर्ष की आयु में ही सारी विद्याएँ सीख चुका था।
एकदिन दुर्भाग्य से देवसोम की मृत्यु हो गई। देवसोम के बूढ़े माता-पिता विलाप कर रहे थे और चारों तरफ बस शोक और मातम का नजारा था। सब लोग दुःखी थे।
पड़ोस के लोग देवसोम का अंतिम संस्कार करने के लिए शमशान घाट ले गए। तभी रोने-पिटने की आवाज सुनकर एक योगी अपनी कुटिया से निकलकर बाहर आया और ऐसा भयानक नजारा देख कर बहुत आहत हुआ।
योगी पहले रोया और फिर हँसने लगा। बाद में योगी ने अपना शरीर छोड़कर लड़के के शरीर मे प्रवेश किया तो लड़का जीवित हुआ।
ये देखकर आसपास के लोग बहुत हैरान हुए लेकिन खुश भी हुए। लड़का वापस अपने माता-पिता के साथ नही गया और वही कुटिया में रहकर तपस्या करने लगा।
इतना कहकर बेताल ने राजा से पूछा कि बताओ राजा योगी पहले क्यों रोया और फिर क्यों हँसा।
राजा ने कहा बहुत ही सीधी बात है कि योगी पहले रोया क्योंकि उसने देवसोम के परिजनों को रोते हुए देखा और सोचा कि जिस माता पिता ने इसे पाला पोसा उन्हें छोड़कर जा रहा है और हँसा इसलिए क्योंकि जब वह देवसोम के शरीर में प्रवेश करेगा तो उसे और नई-नई विद्याएं सीखने को मिलेगी।
इतना सुनकर बेताल झट से जाकर पेड़ पर चढ़ गया और राजा उसे वापस पकड़कर लाया और अगली कहानी सुनी।