उबासी की सजा (तेनालीराम की कहानी) | Ubasi Ki Saja Tenali Rama ki Kahani
एक बार तेनाली रामा अपने निवास स्थान पर बैठे कुछ सोच रहे थे, तभी उनके पास एक संदेश वाहक महारानी तिरुमाला का संदेश लेकर आया। तेनाली रामा ने संदेश पढ़ते ही तुरंत रानी महल के लिए निकल गए। रानी महल पहुंचते ही सबसे पहले तेनाली रामा ने महारानी को प्रणाम किया और पूछा “आज आपने इस सेवक को कैसे याद किया।”
महारानी ने कहा “हम बहुत ही विकट समस्या में हैं, इस समस्या का समाधान केवल आप ही कर सकते हैं।”
तेनाली रामा ने महारानी से कहा “आप चिंता ना करिए, आप केवल मुझे उस समस्या के बारे में विस्तार पूर्वक बताइए।”
महारानी ने कहां कि “कुछ दिन पहले महाराज हमें एक नाटक का वृतांत सुना रहे थे तभी हमें अचानक उबासी आ गई, जिससे महाराज नाराज होकर वहां से उठकर चले गए। उसके बाद कई दिन बीत गए हैं किंतु महाराज हमारे नजदीक आते ही नहीं है। हमारी गलती नहीं होते हुए भी हमने महाराज से माफी मांग ली किंतु उन्होंने हमें नजरअंदाज कर दिया। अब आप ही महाराज को किसी तरह से मना सकते हैं।”
तेनाली रामा ने महारानी से कहा “आप चिंता मत कीजिए, मैं महाराज को किसी भी तरह से मना लूंगा।” तेनाली रामा वहां से निकलकर राज दरबार में जा पहुंचे, जहां पर महाराज अपने मंत्रियों के साथ बैठकर राज्य में चावल की खेती की उपज में बढ़ोतरी पर कुछ चर्चा कर रहे थे।
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महाराज अपने मंत्रियों से कह रहे थे कि हमने चावल की उपज को बढ़ाने के लिए जो प्रयास किए थे, उससे चावल की खेती में बढ़ोतरी तो हुई है लेकिन समस्या पूरी तरह से समाप्त नहीं हुई है। इसके लिए हमें और उपाय करने होंगे क्योंकि चावल की खेती अच्छी होगी तो हमारे राज्य की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
तेनाली रामा ने वहां पड़े चावल के दानों में से एक दाना उठाया और महाराज से कहा “महाराज यदि हम इस किसम के चावल की खेती करें तो बिना किसी मेहनत के चावल की उपज में बढ़ोतरी हो जाएगी।”
महाराज ने तेनालीरामा से कहा “क्या यह किस्म इसी जमीन और इसी खाद में अच्छी उपज दे सकती हैं क्या?”
जी महाराज, किंतु इसके लिए एक शर्त है। महाराज ने कहा “किंतु क्या?” तेनाली रामा ने कहा कि “यदि इस किस्म के बीज को बोने वाला सीचने वाला और फसल को काटने वाला ऐसा व्यक्ति हो जिसे ना तो उबासी आई हो और ना ही उबासी आए।”
महाराज तेनाली रामा की बात सुनकर भड़क गए और बोले “तुम मूर्ख हो गए हो क्या? भला इस संसार में ऐसा कोई व्यक्ति है, जिसे कभी भी उबसी ना आई हो। महाराज मुझे क्षमा कर दीजिए मुझे पता ही नहीं था कि उबासी सबको आती है। मैं भी क्या महारानी जी भी उबासी आना बहुत बड़ा अपराध समझती हैं। मैं उन्हें जाकर यह बता कर आता हूं कि उबासी सबको आती हैं और यह कोई भी अपराध नहीं है।
तभी महाराज को सारी बात समझ में आ गई कि तेनाली रामा ने यह बात उनको सही रास्ता दिखाने के लिए कही है। उन्होंने कहा “यह बात मैं स्वयं जाकर महारानी जी को बता दूंगा।” तभी महाराज वहां से तुरंत रानी महल गए और महारानी जी से मिलकर सारी शिकायतों को दूर किया।
शिक्षा:- किसी को भी बिना गलती के सजा नहीं देनी चाहिए।
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