स्वर्ग की खोज (तेनालीराम की कहानी) | Swarg ki Khoj Tenali Rama ki Kahani
बहुत समय पहले की बात है। विजयनगर नाम का राज्य था। वहां के राजा कृष्णदेव राय थे। वह हमेशा से ही अपने राज्य के सुख शांति और प्रजा की भलाई के लिए काम करते थे, वहां के राजा प्रजा के चहेते थे। राज्य के किसी भी प्रकार के कर से प्रजा मना नहीं करती थी। उसके साथ ही राजा की सेवा चाकरी में भी प्रजा कोई कमी नहीं छोड़ती थी।
वहां पर तेनाली रामा नाम का एक चतुर और बुद्धिमान व्यक्ति रहता था, जिसको राजा का सलाहकार भी कह सकते हैं। वहां के राजा कृष्णदेव राय कोई भी कार्य तेनाली रामा से बिना पूछे नहीं करते थे।
कृष्णदेव राय अपने दरबारियों को छोड़कर तेनाली रामा से सलाह लेते हैं, यह बात दरबारियों के मन में खटकने लगी। सभी दरबारी तेनाली रामा को नीचा दिखाने का एक अवसर नहीं छोड़ते थे। दरबारी तेनाली रामा को नीचा दिखाने के अनेक प्रयास किए लेकिन वह हर बार असफल रहे बदले में दरबारियों को ही नीचा देखना पड़ता था।
एक दिन राजा ने अपने महल के सभी मंत्री गण एवं दरबारियों को अपनी राज्य की सभा में आमंत्रित किया और सभी को यह संदेश भिजवाया कि उन्हें एक ऐसे सवाल का जवाब चाहिए जिसका उत्तर जानने के लिए वह बेताब है, इसीलिए इस बारे में चर्चा करने के लिए सभी दरबारीयो और मंत्रियों को संदेश भेज दिया गया। अगले ही दिन सभी लोग महल की राज्यसभा में पहुंच गए।
सभी लोग आपस में यही चर्चा कर रहे थे कि राजा किस बात का उत्तर जानने के लिए उत्सुक है, वह उत्तर कौन सबसे पहले देगा और उसे क्या उपहार मिलेगा।
तभी राजा अपने राज्यसभा में आए हुए सभी लोगों का स्वागत करते हुए अपना प्रश्न रखते हैं कि बचपन में मैंने एक ऐसी जगह का नाम सुना था, जो दुनिया की सबसे सुंदर जगह है। वहां पर दुनिया के सारे ऐसो आराम है और उस जगह का नाम स्वर्ग है। क्या आप में से कोई जानता है कि इस दुनिया में स्वर्ग कहां है।
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सभी एक दूसरे से प्रश्न करते रहे कि इस प्रश्न का क्या जवाब दें और राजा को कैसे बताएं कि स्वर्ग नाम की कोई चीज ही नहीं है। ऐसे में सभी को तेनाली रामा को नीचा दिखाने का एक और सुनहरा अवसर मिल गया और सभी ने इस प्रश्न का जवाब देने के लिए तेनाली रामा को आगे किया और सभी तेनाली रामा की तारीफे करने लगे कि कठिन सवाल का जवाब सिर्फ और सिर्फ तेनाली रामा ही दे सकता है। इसके अलावा और कोई भी इसका जवाब नहीं दे सकता।
तभी राजा ने तेनाली रामा से पूछा कि क्या तुम इस प्रश्न का जवाब दे सकते हो। तेनाली रामा सिर हिलाते हुए कहते हैं जरूर महाराज यह तो सबसे सरल प्रश्न है। लेकिन इस प्रश्न का जवाब देते हुए मुझे 2 महीने का समय और 10,000 सोने की मुद्रा की आवश्यकता होगी। राजा ने तेनाली रामा की बातों को समर्थन देते हुए उसे 2 महीने का समय और 10,000 सोने की मुद्रा दे देते हैं। तेनाली रामा 10000 सोने की मुद्रा लेकर जंगल की तरफ चला जाता है।
समय बीतता चला गया। 2 महीने पूरे हो गए थे और तेनाली रामा का कोई अता पता नहीं था। दरबार में तेनाली रामा की बातें होने लगी कि 10,000 सोने की मुद्रा लेकर कौन यहां रुकना चाहेगा। जरूर तेनालीरामा वह मुद्रा लेकर राज्य के बाहर चला गया होगा।
राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि तेनाली रामा को कहीं से भी ढूंढ के दरबार में उपस्थित किया जाए। सैनिक के निकलते ही तेनाली रामा खुद दरबार में आ जाते है। तेनाली रामा को देखते ही राजा को बहुत गुस्सा आया। राजा ने तेनाली रामा से पूछा।
इतने दिन कहां थे?
तेनाली रामा ने जवाब दिया महाराज में स्वर्ग की खोज में निकला था और स्वर्ग से वापस आते-आते मुझे समय लग गया। तेनाली रामा की बातों को सुनकर राजा का क्रोध शांत हुआ। राजा ने तेनाली रामा से एक ही प्रश्न किया।
स्वर्ग मिला?
तेनाली रामा ने राजा को अगले दिन स्वर्ग ले जाने की बात कही। अगले दिन राजा अपने मंत्री एवं दरबारियों के साथ तेनाली रामा के पीछे चल देते हैं। तेनाली रामा दूर कहीं जंगलों के बीच लेकर जाता है, वहां राजा विश्राम करते हैं। राजा वहां जंगल के प्राकृतिक आवरण को देखते हैं।
राजा का मन आनंदित हो उठता है। वहां के सुंदर-सुंदर पेड़ और पेड़ों पर लगे फूल को देखकर राजा का मन आकर्षित हो उठता है। जंगल बहुत ही सुंदर था, वहां ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी। राजा ने जिस प्रकार की छवि बचपन में स्वर्ग रूपी देखी थी, उससे कई ज्यादा सुंदर वातावरण यहां जंगल में देखने को मिलता है।
पास में बैठे मंत्री ने फिर से राजा से प्रश्न किया कि अब स्वर्ग के लिए चलते हैं। यही बात राजा ने तेनालीरामा से कहीं। तेनाली रामा ने राजा से प्रश्न करने की इजाजत चाहि और पूछा कि जिस प्रकार आप स्वर्ग की कामना करते थे क्या वही स्वर्ग आप यहां महसूस कर सकते हैं। राजा ने कहा मैंने स्वर्ग की ऐसी कामना नहीं की थी, यह जंगल स्वर्ग से कई ज्यादा सुंदर है।
यहां का वातावरण मन को शांत और प्रसन्न कर देने वाला है। ऐसी सुख सुविधा हमारे महल में भी नहीं है। जैसी इस जंगल में है। तभी तेनाली रामा बोले की जब ईश्वर ने स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर जगह धरती पर बनाई है तो स्वर्ग की कामना करना बेकार है। जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है तो जिस स्वर्ग की मैं बात कर रहा था वह जगह यही है। तेनाली रामा फिर से राजा से पूछते हैं क्या आप मेरी बात से सहमत हैं।
राजा खुश होते हुए कहते हैं कि तुमने बिल्कुल सही कहा लेकिन जो मैंने 10,000 सोने की मुद्रा दी थी, उसका कहां काम लिया। गया तेनाली रामा ने कहा कि जो आपने 10,000 सोने की मुद्रा मुझे दी थी, उसका मैंने इस जंगल को सुधारने में लगा दी।
यहां के सभी पेड़-पौधों को खाद वगैरा दी, जिससे इसका अस्तित्व हमारे राज्य में रह सके। भविष्य में भी यह जगह स्वर्ग से भी ज्यादा सुंदर रहे। ऐसी कामना के साथ मैंने आपसे 10,000 सोने की मुद्रा ली थी। राजा ने खुश होकर 5000 सोने की मुद्रा तेनाली रामा को उपहार में दी।
कहानी की सीख
तेनाली रामा और स्वर्ग की खोज से हमें यह शिक्षा मिलती है। अगर बुद्धि का काम हम सही दिशा में सोचने के लिए लगा देते हैं तो कोई भी काम असंभव नहीं होता।
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