Shiv Chalisa: हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव का स्थान सबसे ऊपर माना जाता है। भगवान शिव को भोले बाबा कहा जाता है अगर आप सही तरीके से शिव चालीसा का पाठक करते हैं तो आपको भगवान शिव की असीम कृपा और चमत्कारी लाभ प्राप्त करते है। भक्तों के उद्धार के लिए महर्षि वेदव्यास ने शिव पुराण और शिव चालीसा को देववाणी संस्कृत में आज से चालू पहले रचा था।
शिव पुराण में लिखे गए 24000 श्लोक के बीच में 40 पंक्तियों की शिव चालीसा मौजूद है। शिव चालीसा का सही तरीके से उच्चारण करते हुए रोजाना पाठ करने से भक्तों के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा बनी होती है। अगर आप शिव चालीसा (महत्व, नियम, फायदे आदि) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी जानना चाहते हैं तो हमारे इस लेख के साथ अंत तक बनी रहे।
जैसा कि हर कोई जानता है हिंदू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। सभी देवी देवताओं में त्रिदेव को सबसे ऊपर माना जाता है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश आते है। इसमें महादेव को विनाशक कहा जाता है, जिन का कार्य धरती पर बड़े बाप का विनाश करना है।
हिंदू धर्म के मुताबिक भगवान शिव को प्रथम योगी भी माना जाता है, जिन्होंने हिंदू धर्म से योग और ध्यान की शुरुआत की थी। भगवान शिव के महत्व को दर्शाने के लिए शिव चालीसा का निर्माण महर्षि वेदव्यास द्वारा किया गया था, जिसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी नीचे दी गई है।
शिव चालीसा (लिरिक्स, महत्व, नियम, फायदे) | Shiv Chalisa
शिव चालीसा क्या है?
भगवान शिव के पूर्ण अस्तित्व के ज्ञान और उनसे जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी एक काव्य खंड के रूप में भक्तों के समक्ष प्रस्तुत की जाती है, जिसे शिव चालीसा कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार आज से सालों पहले महर्षि वेदव्यास ने शिव पुराण की रचना की थी, जिसे कुल 24000 श्लोक से निर्मित किया गया था।
इस शिव पुराण में भगवान शिव कि अज्ञात उत्पत्ति और महादेव के स्वभाव और उनकी पूजा-अर्चना के तरीकों के बारे में विस्तार पूर्वक कार्य की व्याख्या दी गई है। शिव पुराण में 40 पंक्तियों के काव्य खंड के रूप में शिव चालीसा भी प्रस्तुत किया गया है।
मान्यताओं के अनुसार शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते है और अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। शिव चालीसा का पाठ करना भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से जातक के सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है, भगवान शिव की असीम कृपा भक्तों पर बनी रहती है। शिव चालीसा में कुल 40 पंक्तियां मौजूद है और मान्यताओं के अनुसार 39 पंक्तियों का विधिवत रोजाना उच्चारण करने से भक्तों की सभी समस्या दूर होती है। मगर इस आवश्यक पाठकों करने के कुछ नियम और तरीके हैं, जिनके बारे में जानकारी नीचे दी गई है।
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला।।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के।।
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये।।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे।।
मैना मातु की ह्वै दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे।।
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ।।
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ।।
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा।।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं।।
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरे सुरासुर भये विहाला।।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई।।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई।।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।।
जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी।।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो।।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो।।
मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई।।
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी।।
धन निर्धन को देत सदाहीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं।।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन।।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
नारद शारद शीश नवावैं।।
नमो नमो जय नमो शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पार होत है शम्भु सहाई।।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी।।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे।।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा।।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्तवास शिवपुर में पावे।।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।
।।दोहा।।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।।
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।।
शिव चालीसा का महत्व
- शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आपके परिवार पर उनके असीम कृपा बनी रहती है।
- किसी भी प्रकार के दुख दर्द से छुटकारा पाने के लिए शिव चालीसा का रोजाना विधिवत तरीके से पाठ करना चाहिए।
- शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
- शिव चालीसा का पाठ करने से घर में भूत प्रेत, दुख दलिंदर जैसी समस्याएं नहीं होती है।
- शिव चालीसा का महत्व बहुत अधिक है, इससे शारीरिक दुख दर्द भी दूर होते हैं और मन को शांति का अनुभव होता है।
शिव चालीसा पढ़ने के नियम
अगर आप शिव चालीसा कर रोजाना पाठ करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए नियमों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और याद रखें:
- शिव चालीसा कुसुमा पढ़ना चाहिए, इसके लिए सुबह सुबह जल्दी उठें स्नान करके साफ कपड़े पहने।
- अपने मुंह को पूर्व दिशा की तरफ करके शिव चालीसा का पाठ करें।
- अगर संभव हो तो पूजा करते वक्त कुश के आसन पर बैठे।
- शिव चालीसा का पाठ करने से पहले भगवान शिव की पूजा करें, जिसने प्रसाद के रूप में आप घी, दही, चावल, पुष्प चढ़ाएं।
- शिव चालीसा का पाठ 1 दिन में 3, 5, 11 या 40 बार किया जाता है।
- शिव चालीसा का पाठ करते हुए अपने पास एक लोटा जल रखें और आप उसे अपने घर में छिड़ककर भगवान शिव को अर्पित करें।
- वैसे तो शिव चालीसा हर दिन लाभदायक होता है। मगर सोमवार के दिन शिव चालीसा पढ़ने और इसे पढ़ते हुए भगवान शिव की भक्ति करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
FAQ
शिव चालीसा हर व्यक्ति को सुबह नहाकर साफ कपड़े पहन कर पढ़ना चाहिए। मुख्य रूप से सोमवार के दिन शिव चालीसा पढ़ना ज्यादा लाभदायक माना जाता है।
आज से हजारों साल पहले महर्षि वेदव्यास ने शिव चालीसा की रचना शिव पुराण में 40 पंक्तियों के काव्य खंड के रूप में की है।
शिव चालीसा को रोज सुबह नहा धोकर एक लोटा जल रखकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कुश के आसन पर बैठकर पढ़ना चाहिए।
रोजाना शिव चालीसा पढ़ने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के ऊपर अपनी असीम कृपा बरसाते हैं, जिससे सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं।
निष्कर्ष
आज के लेख में हमने आपको शिव चालीसा (महत्व, नियम, फायदे आदि) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी है। उम्मीद करते हैं इसे पढ़कर आप समझ पाए होंगे कि शिव चालीसा क्या है और किस प्रकार आप सही तरीके से शिव चालीसा का पाठ करते हुए अपने परिवार में सुख शांति ला सकते है।
अगर हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आपको भगवान शिव का ज्यादा बेहतर तरीके से पूजा कर पा रहे हैं तो इसे अपने मित्रों के साथ साझा करें साथ ही अपने सुझाव विचार और अपने अनुभव के बारे में कमेंट में बताना ना भूलें।
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