सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन? (बेताल पच्चीसी इक्कीसवीं कहानी) | Sabse Jyaada Prem Mein Andha Kaun Vikram Betal ki Kahani
कई बार कोशिश करने के बाद भी विक्रमादित्य बेताल को अपने साथ ले जाने में असफल हुए। फिर भी उन्होंने हार नही मानी और पेड़ के पास जाकर बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर बिठाकर ले गए। अब शर्त के अनुसार बेताल ने फिर से कहानी सुनाना शुरू कर दिया और इस बार कहानी थी-सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन?
सबसे ज्यादा प्रेम में अंधा कौन? (बेताल पच्चीसी इक्कीसवीं कहानी)
विशाला नामक नगरी में एक पदमनाभ नाम का राजा राज करता था। उसी नगर में एक अर्थदत्त नाम का साहूकार रहता था। अर्थदत्त की एक अनंगमंजरी नाम की सुंदर कन्या थी।
उसका विवाह साहूकार ने एक धनी साहूकार बेटे जिसका नाम मणिवर्मा था उसके साथ कर दिया। मणिवर्मा अपनी पत्नी को बहुत चाहता था परन्तु कभी प्यार नही करता था।
एक दिन मणिवर्मा किसी काम से बाहर गया। पीछे अनंगमंजरी की नजर राजपुरोहित के लड़के कमलाकर पर पड़ी तो वह उससे मोहित हो गई।
अनंगमंजरी देवी चंडी के मंदिर गई और कहा कि हे देवी अगर कमलाकर इस जन्म में मेरा न हुआ तो अगले जन्म उसे मुझे ही देना।
इतना कहकर वह रस्सी लाई और मरने को तैयार हुई तभी उसकी दासी वहाँ आई और उसे रोक लिया। दासी ने उसे बहला फुसलाकर राजी किया और कहा कि में तुम्हें कमलाकर से मिलाऊंगी। सुबह हुई तो दासी ने जैसे तैसे कमलाकर और अनंगमंजरी को एक बगीचे में मिला दिया।
कमलाकर अनंगमंजरी को अचानक देखकर चकित हुआ और उसकी हृदय गति रुक गई। कमलाकर वहीं मर गया उसे मरा हुआ देखकर अनंगमंजरी भी बेहोश हुई और वह भी मर गई।
जब मणिवर्मा वहाँ पहुंचा तो उसने अपनी पत्नी को पराये मर्द के साथ मरा हुआ देखा तो उसे बहुत दुःख हुआ वह भी मर गया।
बेताल ने पूछा बताओ की राजा सबसे ज्यादा दुःख किसे हुआ था।
राजा ने कहा मणिवर्मा को हुआ क्योंकि मणिवर्मा अपनी पत्नी को प्रेम नही करता था, तो भी अपनी पत्नी को किसी और के साथ देखकर उसे दुःख हुआ जबकि कमलाकर और अनंगमंजरी तो एक दूसरे को देखकर चकित हुए और फिर मरे।
इतना सुनकर बेताल पेड़ पर चला गया और राजा उसे वापस पकड़कर लाया और अगली कहानी सुनाने को कहा।
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