सबसे बड़ा काम किसने किया? (बेताल पच्चीसी सोलहवीं कहानी) | Sabse Bada Kaam Kisne Kiya Vikram Betal ki Kahani
कई बार कोशिश करने के बाद भी विक्रमादित्य बेताल को अपने साथ ले जाने में असफल हुए। फिर भी उन्होंने हार नही मानी और पेड़ के पास जाकर बेताल को पकड़कर अपने कंधे पर बिठाकर ले गए। अब शर्त के अनुसार बेताल ने फिर से कहानी सुनाना शुरू कर दिया और इस बार कहानी थी-सबसे बड़ा काम किसने किया?
सबसे बड़ा काम किसने किया? (बेताल पच्चीसी सोलहवीं कहानी)
हिमाचल प्रदेश पर गंधर्वों की नगरी थी, जहाँ पर जीमूतकेतु नामक एक राजा रहता था। उसका एक लड़का था जिसका नाम जीमूतवाहन था। बाप-बेटे दोनों ही संस्कारी थे। सदैव धर्म करने में ही लगे रहते थे। इसका फायदा उठाकर एकदिन राज्य के लोगों ने विद्रोह कर दिया और महल के चारों ओर घेरा डाल दिया।
राजा बहुत परेशान हुआ लेकिन बेटे को बहुत गुस्सा आया उसने कहा कि पिताजी आप चिंता न करें। मैं सब विद्रोहियों का वध कर दूंगा।
तभी पिता कहता है कि नहीं तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए। क्योंकि महाभारत करने के बाद युधिष्ठिर भी बहुत पछताया था। पिता पूरा राज्य और शासन भार अपने लोगो को संभला कर पर्वत पर जाकर कुटी बनाकर रहने लगा और बेटे जीमूतवाहन को भी साथ ही ले जाता है।
वहाँ जाकर जीमूतवाहन की मित्रता एक ब्राह्मण लड़के से हुई। दोनों एक दिन ऊँचे पर्वत पर घूमने निकले तो वहाँ उसकी मुलाकात एक सुंदर कन्या से हुई। दोनों को एक-दूसरे से पहली नजर में ही प्यार हो गया। जब ये बात लड़की के पिता को पता चली तो उसने तुरंत ही बेटी का विवाह जीमूतवाहन के साथ कर दिया।
एक बार जीमूतवाहन कहीं जा रहा था कि उसे पहाड़ पर एक सफेद ढेर दिखाई दिया। जब उसने आस-पास से पूछा तो पता चला कि एक गरुड़ है जो रोज पाताल से आने वाले साँपो को खाता है और उनकी हड्डियों का ढेर लगाता है।
कुछ दूर चला तो उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। उसने आवाज ढूंढ़ी तो वहाँ एक बुढ़िया रो रही थी उसने पूछा कि माँ क्यों रो रही हो। बुढ़िया ने कहा कि आज मेरे बेटे शंखचूड़ नाग की बारी है। गरुड़ आएगा और उसे खा जाएगा। जीमूतवाहन कहता है कि आप चिंता न करें मैं उसकी जगह चला जाऊंगा।
बुढ़िया के बहुत मना करने पर भी वह नहीं रुका। गरुड़ आया और जीमूतवाहन को चोंच में पकड़कर ले गया। तभी राजकुमार का बाजूबंद वहाँ खुलकर गिर पड़ा। जिस पर उसका नाम खुदा हुआ था।
उस बाजूबंद पर खून लग गया और तभी राजकुमारी वहाँ आकर बाजूबंद देखकर मूर्छित हो जाती है। जब उसे होश आता है तो वह पूरी बात राजा को बताती है। तो सब लोग जीमूतवाहन की खोज करने निकल गए।
तभी उन्हें वहाँ शंखचूड़ मिलता है वह उन्हें पूरी बात बताता है और फिर गरुड़ को पुकारता है कि आओ और जीमूतवाहन को छोड़कर मुझे ले जाओ। क्योंकि बारी तो मेरी थी।
गरुड़ राजकुमार से पूछता है कि तुमने अपनी जान खतरे में क्यों डाली। राजकुमार ने कहा कि अगर कोई मुसीबत में है तो उसकी मदद करनी चाहिए। गरुड़ उससे खुश हुआ और दो वर मांगने को कहा।
राजकुमार कहता है कि सभी मरे हुए साँपो को जिंदा कर दो और मुझे मेरा राज्य वापस दिला दो। गरुड़ ऐसा ही करता है सब लोग वापस महल में जाकर बस गए।
बेताल राजा से पूछता है कि बताओ बड़ा काम किसका हुआ।
राजा कहता है कि शंखचूड़ का।
बेताल पुछता है कि कैसे?
राजा कहता है कि जीमूतवाहन एक क्षत्रिय था तो बलिदानी उसका धर्म और अभ्यास था। लेकिन शंखचूड़ का कोई अभ्यास नही था तो भी उसने साहस और वीरता से मरने के लिए गरुड़ को बुला लिया।
इतना सुनकर बेताल पेड़ पर चढ़ गया और राजा उसे वापस पकड़कर लाया और अगली कहानी सुनी।
सबसे अधिक साहसी कौन? (बेताल पच्चीसी सत्रहवीं कहानी)