सबसे अच्छा शस्त्र (अकबर बीरबल की कहानी) -Sabse achha sashtra
बादशाह अकबर महान राजा होने के साथ-साथ बहुत ही मनोरंजक प्रवृति के व्यक्ति भी थे, अपने मंत्री और दरबारियों के साथ मसखरी करने के लिए अक्सर वे उनसे प्रश्न पूछा करते थे। प्रश्न भी सरल किंतु असाधारण होते थे।
एक बार दरबार में बैठे-बैठे राजा अकबर के मस्तिष्क में एक प्रश्न उठा कि सबसे बड़ा शस्त्र क्या है?
उन्होंने देर न करते हुए तुरंत अपने दरबारियों से पूछा “बताओ सबसे बड़ा शस्त्र क्या है?”
सभी मंत्री और दरबारी अपना-अपना मत व्यक्त करने लगे किसी ने भाला, किसी ने तलवार तो किसी ने तीर कमान कहा।
जबकि बीरबल की बारी आयी तो उन्होंने कहा “महाराज! मेरा मानना है कि मुसीबत के समय जो कुछ भी हाथ में है वही सबसे बड़ा शस्त्र हैं।”
बीरबल का यह उत्तर सुनकर सभी दरबारी पर हंसने लगे। अकबर भी बीरबल के इस उत्तर पर संतुष्ट नहीं दिखाई दिए।
बीरबल उस समय तो कुछ नहीं बोले, किंतु उन्होंने मन ही मन यह निश्चय किया कि वह अपने उत्तर को प्रमाणित अवश्य करेंगे।
बादशाह अकबर अपने कुछ मंत्रियों और बीरबल के साथ अक्सर प्रजाजनों का हाल जानने के लिए वेश बदलकर नगर में भ्रमण किया करते थे।
एक दिन इसी प्रकार भ्रमण करते समय महाराज अकबर और मंत्रीगण एक तंग गली से पैदल ही गुजर रहे थे, तभी सामने से उस गली में मतवाला हाथी आता दिखाई पड़ा। यह देखकर सभी घबरा उठे और अपने शस्त्र निकल लिए किंतु मतवाले हाथी के सामने किसी की नहीं चली, वह तो अपनी धुन में आगे ही बढ़ता चला आ रहा था। अपने बचाव के लिए उन्हें कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था और गली इतनी तंग थी कि वहा से भागने पर भी बचना नामुमकिन था।
उस गली में एक किनारे छोटा पिल्ला बैठा हुआ था बीरबल की नज़र उस पर पड़ी, बीरबल ने बिना देर किए उस पिल्ले को उठाया और हाथी की ओर फेंका।
पिल्ला हाथी की सूंड पर जा लटका।
ऐसी स्थिति में पिल्ले ने कसकर हाथी का सूंड पकड़ लिया। हाथी घबराकर पिल्ले को झटकने लगा, हाथी के सूंड झटकने पर पिल्ला सूंड से फिसलने लगा और स्वयं को गिरने से बचाने के लिए उसने अपने पंजे और दांत हाथी की सूंड पर गड़ा दिये। हाथी बिलबिला उठा और सूंड को झटकते हुए पलटकर गली के बाहर भागने लगा।
हाथी को भागता देख कर राजा की जान में जान आई। राजा ने जैसी ही बीरबल की ओर देखा तो पाया कि वे मुस्कुरा रहे हैं।
अकबर ने बीरबल से उनकी मुस्कुराहट का कारण पूछा तो बीरबल ने बताया “महाराज! अगर आज यह छोटा पिल्ला शस्त्र के रूप में हमारे काम ना आता, तो यह हाथी अवश्य हमारे प्राण ले लेता। अब तो आपको विश्वास हो गया ना महाराज कि मुसीबत के समय जो शस्त्र काम आए वही सबसे बड़ा है।”
अकबर ने मुस्कुराते हुए हामी भरी, सभी मंत्री एक बार फिर बीरबल के आगे नतमस्तक थे।
अकबर ने बीरबल को पुरस्कार देते हुए उनकी प्रशंसा की।
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती हैं?
मुसीबत के समय अपने बचाव के लिए किया गया कोई भी कार्य छोटा बड़ा नहीं होता। जिस कार्य से समस्या टल जाए वही सबसे बड़ा शस्त्र हैं।
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